छ्पी-अनछपी: भारत की 19 कंपनियों पर अमेरिका ने लगाई पाबंदी, हाजीपुर की हवा सबसे खराब
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। अमेरिका ने भारत की 19 कंपनियों पर पाबंदी लगा दी है। दिवाली पर आतिशबाजी और पटाखे फोड़े जाने की वजह से हाजीपुर की हवा पूरे बिहार में सबसे खराब रही। बिजली के स्मार्ट मीटर ऐप में खराबी से 18 लाख उपभोक्ताओं पर असर पड़ा है। बम की अफवाह से पटना हवाई अड्डे पर 4 घंटे रुकी रही बेंगलुरु की फ्लाइट।
आज के अखबारों की यह अहम खबरें हैं।
भास्कर के अनुसार अमेरिका ने भारत की 19 कंपनियों समेत रूस, चीन, मलेशिया, थाईलैंड, तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात जैसे एक दर्जन से अधिक देशों की 398 कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। अमेरिका का आरोप है कि यह कंपनियां फरवरी 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से रूस को साजो सामान उपलब्ध करवा रही हैं और रूस इनका इस्तेमाल यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में कर रहा है। इनमें से ज्यादातर इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की सप्लायर हैं। वहीं कुछ विमान के पुर्जे, मशीन और टूल्स आदि सप्लाई करती हैं। भारत सरकार ने अभी इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
हाजीपुर की हवा सबसे खराब
दिवाली पर आतिशबाजी से पटना सहित बिहार के 15 शेरों की हवा खराब हुई है। सबसे खराब स्थिति हाजीपुर की रही जहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स शुक्रवार को 339 रहा। पटना का औसत एयर क्वालिटी लेवल 234 दर्ज किया गया लेकिन तारामंडल इलाके में यह लेवल 326 था। हाजीपुर के बाद सबसे खराब हवा मुजफ्फरपुर की रही जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 288 रहा। अररिया में एक्यूआई 274 और बेगूसराय में 269 रहा। इसी तरह तेज आवाज वाले पटाखा फोड़े जाने से कई जगहों पर ध्वनि प्रदूषण की शिकायत भी मिली। वैसे बिहार स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष डॉक्टर डीके शुक्ला के अनुसार इस बार कम पटाखा फोड़ा गया जिससे पिछले साल की तुलना में एक्यू लेवल कम दर्ज किया गया। पिछले साल बेगूसराय का एक्यू लेवल 393 था जो पूरे भारत में दूसरे नंबर पर था।
बिजली स्मार्ट मीटर का ऐप खराब
प्रभात खबर के अनुसार बिहार बिजली स्मार्ट प्रीपेड मीटर ऐप में आ रही तकनीकी परेशानी को देखते हुए यह फैसला लिया गया है कि फिलहाल रिचार्ज ना कर पाने वालों की बिजली नहीं कटेगी। बिहार में इस समय स्मार्ट प्रीपेड मीटर इस्तेमाल करने वाले 18 लाख बिजली उपभोक्ता हैं। यह परेशानी 28 अक्टूबर से जारी है। ऐप ठीक से काम नहीं करने के कारण यह कहा गया है कि बिजली कंपनी की वेबसाइट से रिचार्ज कराया जा सकता है। इसके अलावा बिजली ऑफिस के काउंटर पर भी रिचार्ज कराया जा सकता है। सबसे ज्यादा परेशानी पटना में है जहां स्मार्ट मीटर इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ताओं की संख्या 5 लाख से ज्यादा है।
बम की अफवाह से 4 घन्टे रनवे पर रुका रहा जहाज़
बंगलुरु से पटना पहुंची इंडिगो की फ्लाइट के वॉशरूम में जब एयर होस्टेस ने टिशू पेपर पर बम लिखा देखा तो हड़का मच गया। एयर होस्टेस ने इसकी सूचना फ्लाइट मैनेजर को दी। इसके बाद इसके बारे में एटीएस यानी एंटी टेरर स्क्वाड को बताया गया। जब विमान की जांच पड़ताल की गई तो कोई बम नहीं मिला लेकिन इस काम में 4 घंटे लग गए और इस दौरान जहाज रनवे पर खड़ा रहा पूर्ण राम इसकी वजह से रात 10:30 की फ्लाइट रात 1:30 बजे बंगलुरु के लिए रवाना हुई।
एक साल में डंकी रूट वाले 90 हज़ार भारतीय अमेरिका में पकड़े गए
भास्कर के अनुसार अमेरिका में डंकी रूट से भारतीयों की अवैध एंट्री का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। अमेरिकी बॉर्डर पर इस साल 30 सितंबर तक 90415 भारतीय पकड़े जा चुके हैं। हर घंटे 10 भारतीयों को गिरफ्तार किया गया है। पकड़े गए भारतीयों में से लगभग 50% गुजरात के थे। दूसरे नंबर पर पंजाब के लोग पकड़े गए हैं। अमेरिकी बॉर्डर एंड कस्टम ने आशंका जताई है कि इस साल के अंत तक भारतीयों का आंकड़ा एक लाख हो जाएगा। पकड़े गए लोगों में से 1100 को भारत डिपोर्ट किया गया है। बाकी के मामले शरणार्थी कोर्ट में चल रहे हैं।
हेडमास्टर और हेड टीचर के लिए परीक्षा का रिजल्ट घोषित
हिन्दुस्तान के अनुसार बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) ने शुक्रवार को प्रधान शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों का रिजल्ट जारी कर दिया। अभ्यर्थी आयोग की वेबसाइट पर अपना रिजल्ट देख सकते हैं। प्रधान शिक्षक के लिए 36,947, जबकि प्रधानाध्यापक के लिए 5974 अभ्यर्थी सफल घोषित किए गए हैं। आयोग ने प्रधान शिक्षक और प्रधानाध्यापकों के लिए जून में परीक्षा आयोजित की थी। हालांकि आयोग ने जब आवेदन लिया था, इसमें 65 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान था। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट के नए आरक्षण नियम को लागू नहीं किये जाने संबंधी आदेश के बाद इसमें संशोधन किया गया। रिजल्ट 50 फीसदी आरक्षण पर दिया गया है।
अररिया में मां ने बेटे को बेचा, पुलिस ने बरामद किया
अररिया में एक मां ने कर्ज चुकाने के लिए अपने डेढ़ साल के बेटे को महज ₹9000 में भेज दिया। सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद इस मामले में पुलिस सक्रिय हुई और उसने बच्चे को बरामद कर कल्याण समिति को सौंप दिया। घटना बुधवार को रानीगंज थाना क्षेत्र स्थित पचीरा गांव को हुई। पचीरा गांव की रेहाना खातून को 8 बच्चे हैं। उनमें पांच लड़के व तीन लड़कियां है। रेहाना ने बताया कि एक निजी फाइनेंशियल कंपनी से उसने ₹50000 का कर्ज लिया था। हर महीने उसकी किस्त भरनी होती थी। पिछले तीन महीने से आर्थिक तंगी के कारण वह क़िस्त नहीं चुका पा रही थी। कंपनी के कर्मी दिन-रात कर्ज की क़िस्त जमा करने का दबाव बना रहे थे। रेहाना ने बताया कि एक तरफ घर में खाने को अनाज नहीं होता था तो दूसरी तरफ बैंक के कर्ज ने उसे परेशान कर दिया था। ऐसे में उसने डुमरिया गांव के मोहम्मद आरिफ के पास अपने डेढ़ साल के बेटे को बेच दिया। आरिफ ने पुलिस को बचाया कि उसने बच्चे को खरीदा नहीं है, उसे पालने के लिए लिया था।
कुछ और सुर्खियां
- पूर्व मंत्री आरपी सिंह ने ‘आप सबकी आवाज’ नाम से राजनीतिक पार्टी बनाई
- बिहार फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी के डिप्टी डायरेक्टर मोहम्मद शाहबाज आलम को गृह मंत्री दक्षता पदक
- बिहार के विश्वविद्यालय को वेतन और पेंशन मद में 337 करोड़ रुपए जारी
- तेल कंपनियों ने कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर की कीमत 62 रुपए बढ़ाई
- मशहूर फैशन डिजाइनर रोहित बल का 63 साल की उम्र में निधन
- प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेज देबराय का 69 वर्ष में निधन
अनछपी: मंत्री- नेता और सरकारी विभाग कैसे आधी अधूरी तैयारी के साथ बड़ी-बड़ी घोषणाएं करते हैं इसका एक ताजा उदाहरण यह है कि बिहार में सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए मुफ्त टीकाकरण की घोषणा पर फिलहाल अमल नहीं हो पाएगा। याद रखने की बात यह है कि स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने बड़ी तामझाम के साथ इस टीकाकरण की औपचारिक शुरुआत की थी और कुछ बच्चियों को आईजीआईएमएस में टीके लगाए भी गए थे। उस समय भी यह सवाल था कि जिन किशोरियों को सर्वाइकल कैंसर का टीका लगाना है उन्हें यह सुविधा कहां मिलेगी। क्या उन्हें यह सुविधा स्कूल में मिलेगी या उन्हें अस्पताल जाना होगा? इस बात की जानकारी ना तो मंत्री ने दी, ना ही अखबारों ने इस बारे में कुछ बताया। तभी इस बात का शक था कि यह घोषणा हड़बड़ी में की गई है और उसकी तैयारी पूरी नहीं हुई है। अब खबर आ रही है कि किशोरियों को सर्वाइकल कैंसर से बचाने के लिए टीकाकरण में देरी होगी क्योंकि अब तक वैक्सीन की खरीद के लिए टेंडर भी नहीं हो सका है। अब टेंडर का काम पूरा करने से लेकर वैक्सीन की सप्लाई होने तक में 2 महीने से अधिक का वक़्त लग सकता है। बिहार की राजनीति में स्वास्थ्य का मुद्दा बिल्कुल गायब रहता है इसलिए ऐसे मुद्दों पर कोई कुछ नहीं बोलता। क्या मंत्री से इस बात पर सवाल नहीं होना चाहिए कि जब तैयारी पूरी नहीं थी तो ऐसी घोषणा क्यों की गई? क्या अखबारों से यह नहीं पूछा जाना चाहिए कि उन्होंने इस बात की जानकारी क्यों नहीं दी कि अभी इसकी तैयारी नहीं हुई है। बिहार में 9 से 14 साल की उम्र की लगभग 95 लाख लड़कियों को मुफ्त में टीका दिए जाने की घोषणा की गई है। इसके लिए बिहार कैबिनेट से मंजूरी भी मिल चुकी है लेकिन लाल फीताशाही ऐसी है कि अभी तक यह योजना शुरू नहीं हुई है। इस योजना पर डेढ़ सौ करोड़ रुपए की खर्च होने की बात बताई गई है। सवाल यह है कि जब कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी और पैसे निर्धारित कर दिए जा चुके तब भी इसकी टेंडर प्रक्रिया में देरी क्यों हुई? यह भी पता चला है कि टीकाकरण के इस अभियान के लिए ‘आशा’ और दूसरे कर्मियों को जो ट्रेनिंग दी जानी थी वह अभी नहीं दी गई है। यह बहुत अफसोस की बात है कि कैंसर से बचाने वाले टीका लगाने का कार्यक्रम भी इस तरह देरी का शिकार हो रहा है।
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