छ्पी-अनछपी: बिहार के बजट में घोषणाओं की धूम, कब्रिस्तान की घेराबंदी के मुद्दे पर सरकार घिरी

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। 3,16, 895 करोड़ रुपए के बिहार के बजट में 50 से ज्यादा घोषणाएं की गईं और अखबारों में इनकी धूम है। बिहार विधानसभा में कब्रिस्तानों की घेराबंदी के सवाल पर विपक्ष ने सरकार को घेरा है। सेंसेक्स अपने सर्वोच्च शिखर से 13000 अंक नीचे आ चुका है। हत्या के जुर्म में उत्तर प्रदेश के बांदा की महिला को अबूधाबी में फांसी दे दी गई है।

और, जानिएगा कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने राज्य के नए जोड़ों से जल्दी बच्चे पैदा करने को क्यों कहा।

प्रभात खबर के अनुसार बिहार विधानसभा में सोमवार को उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री सम्राट चौधरी की ओर से पेश किए गए वित्तीय वर्ष 2025- 26 के बजट में स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क, शहरों के विकास, सिंचाई, पर्यटन और खेल के लिए बड़ी राशि आवंटित की गई है। नीतीश सरकार सबसे ज्यादा 60000 करोड़ रुपए शिक्षा पर खर्च करेगी वहीं स्वास्थ्य सेवा पर ₹20335 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। महिलाओं के लिए पिंक बस, पिक टॉयलेट और महिला हाट बनाए जाएंगे। चुनावी साल के इस बजट में कोई नया कर नहीं लगाया गया है।

बजट की ख़ास घोषणाएं:

  • पटना को सभी जिला मुख्यालयों से चार लेन की सड़क से मिलेगी कनेक्टिविटी, 4 घंटे में पटना पहुंचने का लक्ष्य
  • बिहार के सभी जिलों में सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल बनाए जाएंगे
  • प्रमुख शहरों में पिक बसें चलेंगी, सवारी से लेकर ड्राइवर- कंडक्टर सभी महिलाएं होंगी
  • सुधा डेयरी के आउटलेट पर सभी प्रखंडों में तरकारी ब्रांड से बिकेंगी सब्जियां
  • पटना के पास पुनपुन में 100 एकड़ में बनेगी स्पोर्ट्स सिटी
  • सभी पंचायतों में कन्या विवाह मंडप का निर्माण होगा

कब्रिस्तान की घेराबंदी के सवाल पर सरकार घिरी

भास्कर के अनुसार विधानसभा में कब्रिस्तान की घेराबंदी से जुड़े सवाल पर सोमवार को जमकर हंगामा हुआ। विपक्ष ने पहले वेल में आकर नारेबाजी की, फिर वॉकआउट किया। स्पीकर नंदकिशोर यादव नारेबाजी के बीच ही सदन की कार्यवाही चलाते रहे। कब्रिस्तान की घेराबंदी को लेकर कई सवाल पूछे गए। प्रभारी मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने बताया कि प्राथमिकता के आधार पर चयनित कब्रिस्तानों की घेराबंदी हो रही है लेकिन उनकी मरम्मत का प्रावधान नहीं है। परिहार की विधायक गायत्री देवी के सीतामढ़ी जिला के परिहार प्रखंड अंतर्गत जगदर में कब्रिस्तान की घेराबंदी नहीं होने का मामला उठाया। प्रभारी मंत्री बिजेन्द्र यादव ने बताया कि उसकी घेराबंदी हो चुकी है। विधायक ने कहा कि घेराबंदी नहीं हुई है। मंत्री ने जांच करने की बात की। कदवा के कांग्रेस विधायक शकील अहमद खान ने सगुनिया कब्रिस्तान की घेराबंदी व जीर्णोद्धार का मामला उठाया। मंत्री ने कहा कि इसका प्रावधान नहीं है, विधायक अपनी निधि से यह काम करवा सकते हैं। इसके बाद विपक्षी विधायक उग्र हो गए।

सेंसेक्स सर्वोच्च शिखर से 13 हजार नीचे

हिन्दुस्तान के अनुसार उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में सोमवार को शेयर बाजार में गिरावट रही और बीएसई सेंसेक्स 112 अंक के नुकसान में रहा। इसके साथ ही लगातार पांच माह की 29 साल की रिकॉर्डतोड़ गिरावट के बाद छठे महीने का खाता भी गिरावट के साथ खुला। विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 2025 में हर दिन औसतन 2700 करोड़ रुपये की बिकवाली की है। निफ्टी ने पिछले साल 27 सितंबर को 26277. 35 का शिखर बनाया था, वहां से यह सूचकांक 4273 अंक यानी 16 फीसदी गिर चुका है। वहीं, सेंसेक्स में 85,978.25 अंक के शिखर से 13200 अंक यानी 15 फीसदी की गिरावट आ चुकी है।

बांदा की महिला को अबू धाबी में दे दी गई फांसी

जागरण के अनुसार संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबू धाबी में 4 महीने के बच्चे की हत्या के दोष में भारतीय महिला शहजादी खान को बीती 15 फरवरी को फांसी दे दी गई है। केंद्र सरकार ने सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान यह जानकारी दी। बताया गया कि अंतिम संस्कार 5 मार्च को होगा। न्यायमूर्ति सचिन दत्त की पीठ ने इसे बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बताया। युवती के पिता ने विदेश मंत्रालय पर सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया जबकि केंद्र सरकार की ओर से पेश अडिशनल सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा कि सरकार ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया। उत्तर प्रदेश के बांदा की निवासी 33 वर्षीय शहजादी के पिता शब्बीर खान ने 27 फरवरी को हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मामले में हस्तक्षेप करने के लिए विदेश मंत्रालय को निर्देश देने की मांग की थी। उनका आरोप था की शहजादी को अबू धाबी की अदालत में कोई प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया और उस पर अपराध कबूल करने के लिए दबाव डाला गया जिसकी वजह से मौत की सजा दे दी गई। 14 फरवरी को शहजादी ने जेल से परिवार को फोन कर बताया था कि उसे एक या दो दिन में फांसी दे दी जाएगी और यह उसकी आखिरी कॉल होगी। फांसी से पहले अंतिम इच्छा के आधार पर उसे अपने माता-पिता से बात करने की इजाजत मिली थी।

जल्दी बच्चा पैदा करें: स्टालिन

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सोमवार को विवाहित जोड़ों से कहा कि जल्दी बच्चे पैदा करें ताकि संसद में ज्यादा प्रतिनिधित्व मिलना सुनिश्चित हो सके। डीएमके प्रमुख का यह बयान परिसीमन से दक्षिण भारतीय राज्यों के संसद में प्रतिनिधित्व में कथित कमी की चिताओं के बीच आया है। एक पार्टी कार्यकर्ता के बेटे के शादी समारोह में स्टालिन ने कहा कि सांसदों की संख्या जनसंख्या पर निर्भर करती है और इसीलिए अब वह यह नहीं कहेंगे कि बच्चे पैदा करने में जल्दबाजी न करें। उन्होंने कहा कि पहले यह कहा जाता था कि तुरंत बच्चे पैदा मत करो, जल्दबाजी की कोई जरूरत नहीं है लेकिन अब यह जरूरी नहीं है। “हमें भी यह नहीं कहना चाहिए क्योंकि कहा जा रहा है कि सांसदों की संख्या जनसंख्या के आधार पर निर्धारित होगी। अब हालात यह हैं कि ज्यादा जनसंख्या का मतलब ज्यादा सांसद।”

कुछ और सुर्खियां:

  • चैंपियंस ट्रॉफी के पहले सेमीफाइनल में आज भारत और ऑस्ट्रेलिया का मुकाबला
  • आरएसएस के सर्वे संघ चालक मोहन राव भागवत कल से 5 दिन के बिहार दौरे पर रहेंगे
  • ऑस्कर में ‘अनोरा’ की धूम, बेस्ट फिल्म समेत मिले पांच अवार्ड

अनछपी: भारत में और खासकर भारतीय जनता पार्टी के शासन वाले राज्यों में विचार व्यक्त कितना खतरनाक हो सकता है इसका ताजा उदाहरण मुगल बादशाह औरंगजेब के मामले में समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी का वह बयान है जिसमें उन्होंने औरंगजेब को अच्छा प्रशासक बताया है। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उनके इस बयान के लिए उनके खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज करने की मांग की। शिंदे की मांग के कुछ घंटे बाद लोकसभा सदस्य नरेश म्हस्के की शिकायत पर ठाणे में आज़मी के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को आहत करने की एफआईआर दर्ज की गई है। और इस विवाद के पीछे है फिल्म छावा। अबू आजमी ने इस फिल्म के बारे में पूछे गए पत्रकारों के सवाल के जवाब में औरंगजेब को उत्तम प्रशासक बताया। अबू आज़मी ने यह भी कहा कि औरंगजेब के समय में भारत की सीमाएं अफगानिस्तान से बर्मा तक थीं और उसे जमाने में हमारा जीडीपी रेट 24% था। आज़मी ने औरंगजेब द्वारा कई मंदिर बनाए जाने की बात भी कही। एकनाथ शिंदे ने कहा कि अबू आजमी का बयान गलत है और उन्होंने दावा किया कि औरंगजेब ने छत्रपति संभाजी महाराज को 40 दिनों तक प्रताड़ित किया, इसलिए ऐसे व्यक्ति को अच्छा कहना महापाप है। इसके बारे में अबू आजमी का कहना है कि वह बातें राजकाज की थीं। इस बात के साथ यह याद दिलाना जरूरी हो गया है कि बॉलीवुड की फिल्मों को इतिहास को गलत तरीके से पेश करने का जरिया बना लिया गया है और इसमें मुसलमानों को बुरा दिखाने की पूरी कोशिश होती है। इससे पहले हम दी केरला स्टोरी और कश्मीर फाइल्स में भी यही नफरत देख चुके हैं। जहां तक औरंगजेब की बात है तो उन्हें अत्याचारी के रूप में चित्रित करने की यह कोशिश पहली नहीं है बल्कि लंबे समय से यह जारी है। इस बात पर बहस हो सकती है लेकिन अगर कोई औरंगजेब के बारे में अपनी राय व्यक्त करे तो उसे धार्मिक भावनाओं से जोड़कर एफआईआर दर्ज करवाना दरअसल साफ संदेश है कि इस देश में वैचारिक स्वतंत्रता नहीं मिलेगी। इतिहास के एक मुद्दे को धर्म का मुद्दा बनाना भारत में दरअसल मुसलमानों को प्रताड़ित करने का आम जरिया बन गया है। यही मामला देशद्रोह का भी है। होना तो यह चाहिए कि अगर कोई अलग राय रखता है तो उसकी राय को तथ्य के सहारे परखा जाए और इसे वैचारिक बहस तक सीमित रखा जाए। ऐसे मामलों में धार्मिक भावना भड़काने और देशद्रोह का केस करने का मतलब है कि आप दूसरों का मुंह बिल्कुल बंद रखना चाहते हैं। ऐसे लोगों पर अगर अदालत ने कार्रवाई नहीं की तो भारत में स्वतंत्र विचार रखने वालों के लिए कोई गुंजाइश नहीं बचती है।

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