छपी-अनछपी: जी 20 की अध्यक्षता भारत से ब्राज़ील को मिली, डीटीओ बनने के लिए ज़रूरी होगी मेकैनिकल इंजीनियरिंग

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। जी 20 की शिखर बैठक खत्म हो चुकी है और अब इसकी अध्यक्षता की जिम्मेदारी ब्राजील को सौंप गई है। जी-20 से जुड़ी खबरें आज भी अखबारों में छाई हुई ह बिहार में 1 जनवरी से डीटीओ बनने के लिए मेकैनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री जरूरी होगी। भास्कर ने इस खबर को काफी अहमियत दी है।

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: समय के साथ बदले संयुक्त राष्ट्र: मोदी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन के अंतिम दिन रविवार को संयुक्त राष्ट्र संघ में सुधारों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि विश्व को बेहतर भविष्य की ओर ले जाने के लिए यह जरूरी है कि दुनिया की व्यवस्थाएं वास्तविकता के मुताबिक होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आज हर वैश्विक संस्था को अपनी प्रासंगिकता बढ़ाने के लिए सुधार करना आवश्यक है। इसी सोच के साथ हमने अफ्रीकन यूनियन को जी-20 का स्थायी सदस्य बनाने की पहल की है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना के समय विश्व आज की तुलना में भिन्न था। तब सिर्फ 51 संस्थापक सदस्य देश थे। लेकिन, आज उसमें शामिल देशों की संख्या 200 हो चुकी है। इसके बावजूद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यों की संख्या उतनी ही है, जबकि दुनिया काफी बदल चुकी है।

ब्राजील नया अध्यक्ष

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डी सिल्वा को जी-20 समूह की अध्यक्षता सौंप दी। उन्होंने ब्राजील के राष्ट्रपति को सदस्यता हस्तांतरित करते हुए पारंपरिक गैवल (एक प्रकार का हथौड़ा) सौंपा। ब्राजील 1 दिसंबर से जी-20 की अध्यक्षता संभालेगा। उससे पहले नवंबर में भारत की अध्यक्षता में सदस्य देशों के नेताओं की एक और वर्चुअल बैठक होगी।

डीटीओ के लिए इंजीनियरिंग

परिवहन विभाग में अब जिला परिवहन अधिकारी यानी डीटीओ का पद पाने के लिए मेकैनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री जरूरी होगी। सुप्रीम कोर्ट की रोड सेफ्टी कमेटी ने इसकी सिफारिश केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राज्य मार्ग मंत्रालय से की है। इसके तहत 1 जनवरी 2024 से मेकैनिकल इंजीनियर ही डीटीओ बन सकेंगे। नई व्यवस्था लागू होने के बाद वर्तमान में कार्यरत वीडियो को उनके मूल विभाग में वापस कर दिया जाएगा।

मोरक्को में मरने वालों की संख्या 2100 पार

मोरक्को में भूकंप से रविवार तक 2122 लोगों की मौत हो चुकी है। इस त्रासदी में ढाई हजार लोग घायल हैं, जिनमें कई की हालत गंभीर है। भूकंप से एटलस पर्वत शृंखला के सभी गांव नष्ट हो गए हैं। मोरक्को के गृह मंत्रालय ने रविवार को बताया कि सबसे अधिक 1293 लोगों की मौत अल हौज प्रांत में हुई है। नई दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन में पहुंचे नेताओं और प्रधानमंत्री मोदी ने मोरक्को को मदद की पेशकश की है। वहीं, मोरक्को और अल्जीरिया में संबंध लंबे समय से खराब हैं। लेकिन तबाही को देखते हुए अल्जीरिया ने अपना हवाई क्षेत्र खोल दिया जो दो वर्ष से बंद था।

इंडिया-भारत दोनों मंज़ूर: राहुल

हिन्दुस्तान के अनुसार  कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पेरिस में कहा कि भारत में लोकतांत्रिक ढांचे को बचाए रखने की लड़ाई जारी है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, संविधान में लिखा है- इंडिया जो भारत है…। दोनों नाम में कोई समस्या नहीं है और दोनों पूर्णत स्वीकार्य हैं। लेकिन सरकार ‘अजीब तरीके’ से काम कर रही है, क्योंकि उसे विपक्षी दलों के गठबंधन के नाम से चिढ़ है। राहुल गांधी ने शनिवार को एक विश्वविद्यालय में ‘भारत जोड़ो यात्रा’, विपक्षी दलों के गठबंधन द्वारा भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को बचाने की लड़ाई, बदलती वैश्विक व्यवस्था और अन्य प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की।

सबसे ऊंचा एयरफील्ड

पूर्वी लद्दाख में 13 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित न्योमा बेल्ट पर एयरफील्ड का निर्माण किया जाएगा। यह दुनिया का सबसे ऊंचा लड़ाकू विमान क्षेत्र होगा। चीन के साथ सीमा पर गतिरोध के मद्देनजर इससे वायुसेना की क्षमताओं में बढ़ोतरी होगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इसका उद्घाटन करेंगे।

दवाएं खत्म क्योंकि टेंडर नहीं हुआ

भास्कर की खास खबर है: राज्य में एचआईवी और टीबी की दवाइयां तीन महीने से खत्म और स्वास्थ्य विभाग टेंडर प्रक्रिया में ही अटका, मरीज बेहाल। अख़बार लिखता है कि राज्य में दो जानलेवा संक्रामक रोगों के मरीजों को मुफ्त मिलने वाली दवाइयां खत्म है। एचआईवी और टीबी के मरीजों को दी जाने वाली सेकंड लाइन की तीन दवाइयां बीते तीन महीने से नहीं मिल रही हैं। केंद्र ने 31 जुलाई को ही स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट किया था और कहा था कि अपने संसाधनों में दी जाने वाली दवाओं का इंतजाम करें लेकिन टेंडर प्रक्रिया ही पूरी नहीं हुई। नतीजा है कि जो दवाई स्टॉक में थी वह खत्म हो गई है। नई दवा खरीद नहीं की गई।

कुछ और सुर्खियां

  • ‘इंडिया’ की समन्वय समिति की पहली बैठक 13 सितंबर को होगी
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बाइडन से कराई मुलाकात
  • भारत का पांचवां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार देश बना फ्रांस
  • राम मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी को संभव
  • आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा गया
  • जमुई में रात में खाना नहीं मिला तो कस्तूरबा गांधी छात्रावास से घर चली गईं सभी 55 छात्राएं
  • अगले साल से ग्रुप बी और सी पदों के लिए कॉमन टेस्ट होगा
  • भारतीय संविधान अब मैथिली व संस्कृत भाषा में भी उपलब्ध होगा

अनछपी: तरक्की के नए-नए दावों के बीच बिहार से आई खबर बहुत ही अफसोसनाक है कि यहां टीबी और एचआईवी मरीजों को दी जाने वाली जरूरी दवा पिछले तीन महीने से नहीं मिल रही है। इसकी वजह पैसे की कमी नहीं बल्कि स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही है। वैसे भी हमारे समाज में बहुत सारा काम टेंडर के कारण रुका रहता है। स्वास्थ्य विभाग में दवा की खरीदारी भी टेंडर प्रक्रिया में अटकी हुई है। सरकार को ऐसी खबरों पर ध्यान देना चाहिए और इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर कठोर विभागीय कार्रवाई भी करनी चाहिए। एचआईवी और टीबी के अक्सर मरीज अपने गरीबों के कारण बाजार से दवा नहीं ले पाते। अभी जिन दवाओं की कमी है, वह सेकंड लाइन दवा मानी जाती है क्योंकि ऐसी दवाएं उन मरीजों को दी जाती है जो किसी वजह से फर्स्ट लाइन की दवा लगातार खाने से चूक गए हैं। अखबार की रिपोर्ट है कि इसके कारण डॉक्टर बाहर की दवाई लिख रहे हैं। अब अगर सेकंड लाइन की दवा गरीबी के कारण मरीज नहीं खाते हैं तो उनके लिए अपने स्वास्थ्य को संभालना और मुश्किल काम होगा। उप मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव अस्पतालों की हालत सुधारने की कई घोषणाएं कर चुके हैं। उन घटनाओं पर अमल होना भी जरूरी है। ऐसा देखा जा रहा है कि अस्पतालों की बड़ी-बड़ी बिल्डिंग तो बन रही हैं लेकिन वहां डॉक्टर और दवा जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। पीएमसीएच जैसे बड़े अस्पताल में आज भी रोगियों के बीच धक्का मुक्की देखी जा सकती है और दवा लाने के लिए मरीजों को बाहर की दवा दुकानों का सहारा लेना पड़ता है। ऐसे में अगर एचआईवी और टीबी जैसी बीमारियों की दवा भी सरकारी अस्पतालों में नहीं मिले तो इससे ज्यादा अफसोस की बात क्या हो सकती है। उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकारी स्तर पर इस समस्या का हाल जल्दी निकाला जाएगा ताकि मरीजों को और परेशानी से बचाया जा सके।

 

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