छ्पी-अनछपी: एक देश-एक चुनाव कैबिनेट से पास, लेबनान में वॉकी टॉकी सीरियल धमाके
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। केंद्रीय कैबिनेट ने ‘एक देश, एक चुनाव’ का प्रस्ताव मंजूर किया है जबकि विपक्ष ने इसे खारिज कर दिया है। लेबनान में पेजर धमाके के बाद वॉकी टॉकी में भी धमाकों की खबर आई है जिसमें 14 लोगों की मौत हो गई है। आईएएस अधिकारी संजीव हंस पर आरोप लगा है कि उन्होंने प्रीपेड मीटर का सौदा करने के बदले घूस में मर्सिडीज़ कार ली। लैंड फॉर जॉब के मामले में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव व तेजस्वी यादव के अलावा तेज प्रताप यादव को भी समन जारी किया गया है।
आज के अखबारों की यह अहम खबरें हैं।
हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर के अनुसार केंद्रीय कैबिनेट ने ‘एक देश, एक चुनाव’ के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई वाली उच्चस्तरीय समिति की सिफारिश को सरकार ने स्वीकार कर लिया। समिति ने इस साल मार्च में रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को सौंपते हुए दो चरणों में लोकसभा, विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के चुनाव कराने की सिफारिश की थी। समिति ने पहले चरण में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव साथ कराने की सिफारिश की थी। इसके 100 दिनों के भीतर नगर पालिका और पंचायत चुनाव कराने की सिफारिश की थी।
विपक्ष ने एक देश एक चुनाव खारिज किया
जागरण के अनुसार एक देश एक चुनाव के कैबिनेट के फैसले के बाद राजनीति गरमा गई है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सहित कई विपक्षी दलों ने जहां इसे सिरे से खारिज किया है वहीं भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी दलों ने इसका स्वागत किया। खास बात यह है कि एक देश एक चुनाव को लेकर गठित कोविंद समिति ने इस पर सभी राजनीतिक दलों से राय ली थी। इस दौरान 32 राजनीतिक दलों ने इसका समर्थन किया था जबकि कांग्रेस सहित करीब 15 दल इसके खिलाफ थे। जिन 15 पार्टियों ने तटस्थता का भाव दिखाते हुए चुप्पी साथ रखी है उनमें एनडीए और इंडिया दोनों के सहयोगी हैं। उदाहरण के तौर पर तेलुगू देशम पार्टी, जम्मू कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस, जनता दल (एस), राष्ट्रीय जनता दल, राष्ट्रीय लोकदल और झारखंड मुक्ति मोर्चा ने समिति के बार-बार के अनुरोध पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
लेबनान में वॉकी-टॉकी में विस्फोट, 14 की मौत
प्रभात खबर के अनुसार पेजर सीरियल ब्लास्ट के एक दिन बाद बुधवार को वॉकी टॉकी में एक साथ हुए धमाके से लेबनान से सहम गया। वॉकी टॉकी में हुए विस्फोट से 14 लोगों की मौत हो गई जबकि 450 से अधिक लोग घायल हो गए। यह विस्फोट लेबनान की राजधानी बेरूत में उस समय हुई जब पेजर धमाके में मारे गए हिज़्बुल्लाह के तीन लड़ाकों और एक बच्चे का जनाजा निकाला जा रहा था। इनमें से एक धमाका हिज्बुल्लाह सांसद अली अम्मार के बेटे के अंतिम संस्कार के समय भी हुआ। इससे पहले मंगलवार को लेबनान से सीरिया तक हजारों पेजरों में एक साथ विस्फोट हुए। इस विस्फोट में दो बच्चों सहित 12 लोगों की मौत हो गई। इस हमले के बाद दुनिया ने भविष्य में लड़े जाने वाले युद्ध का एक नया तरीका देखा है। इस हमले के बाद दुनिया यह सोचकर सहम उठी कि इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का इस्तेमाल बम की तरह भी किया जा सकता है।
आईएएस अधिकारी ने घूस में ली मर्सिडीज़
हिन्दुस्तान के अनुसार राज्य की विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) ने पद का दुरुपयोग कर अवैध कमाई करने के आरोप में ऊर्जा विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव संजीव हंस समेत अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। आईएएस अधिकारी संजीव हंस ने प्री-पेड मीटर लगाने वाली एक कंपनी को काम देने के बदले घूस के तौर पर मर्सिडिज कार ली थी। इनके साले गुर बलतेज सिंह की फेसबुक एकाउंट खंगालने पर इस कार के साथ उसकी पोज देते हुए फोटो भी मिली है। इसका खुलासा विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) की प्राथमिकी से हुआ है। प्राथमिकी में कहा गया है कि यह कार 2023 में खरीदी गई थी, लेकिन इसका निबंधन गुरुग्राम में रहने वाले तरुण राघव के नाम पर है, जो गुर बलतेज सिंह का दोस्त है। इस
लालू-तेजस्वी समेत तेज प्रताप को भी समन
जागरण की खबर है कि जमीन के बदले रेलवे में नौकरी देने से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में राउज़ एवेन्यू स्थित विशेष अदालत ने कहा कि प्रकरण में तेज प्रताप यादव की संलिप्त से इनकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि वह एके इंफोसिस लिमिटेड के निदेशक भी थे। ईडी के पूरक आरोप पत्र का संज्ञान लेते हुए विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और अन्य के विरुद्ध समन जारी किया है। साथ ही सभी को 7 अक्टूबर को पेश होने का निर्देश दिया है।
नवादा में दबंगों ने महादलित परिवार के घर जलाए
भास्कर के अनुसार नवादा में दलित बस्ती में दबंगों ने बुधवार को 21 घरों को फूंक दिया। दबंगों ने फायरिंग भी की। इस दौरान मारपीट भी हुई। मौके पर पुलिस फोर्स कैंप कर रही है। मामला नवादा जिले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के ददौर स्थित कृष्णा नगर दलित बस्ती का है। गांव में आक्रोश है। शाम 7:30 बजे हुई इस घटना में 21 घर पूरी तरह से राख हो गए। मौके पर दमकल विभाग की गाड़ियां पहुंचीं तो आग पर काबू पाया गया।
कुछ और सुर्खियां
- जम्मू कश्मीर में विधानसभा के पहले चरण के चुनाव में 24 सीटों पर 61.11 फ़ीसदी मतदान
- बिहार के कई जिलों में नदियां उफान पर, पटना के 76 समेत 350 स्कूल बंद
- बिहार के सरकारी स्कूलों की साल में दो बार जारी की जाएगी रैंकिंग
- सहारा समूह के जमाकर्ताओं को ₹50, 000 मिलेंगे वापस
- अनु आनंद कंस्ट्रक्शन कंपनी के सात ठिकानों पर ईडी के छापे
- दिल्ली के बाद केरल में मनी पॉक्स का दूसरा मरीज मिला
अनछपी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार भारत में कई ऐसी चीज लागू करना चाहती है जिसमें एक होने का भाव मिले। उदाहरण के लिए ‘एक देश, एक विधान’ और अब ताजा मामला है ‘एक देश, एक चुनाव’ का। यह अजीब बात है कि जिस देश को विविधताओं और विभिन्नताओं के लिए जाना जाता था उस देश में अब हर कोशिश यह हो रही है कि विविधताएं मिट जाएं और सब कुछ एक जैसी लगें। किसी नारे के जुमले के तौर पर तो एक-एक सुनने में अच्छा लग सकता है लेकिन हकीकत यह है कि यह मुसीबत पैदा करने वाला हो सकता है। अफसोस की बात यह है कि अब यह दोहराने की जरूरत पेश आ गई है कि इस देश में अलग-अलग खान-पान, पहनावा, रहन-सहन और पूजा उपासना वाले लोग रहते हैं। क्या इन सभी को अपनी-अपनी बातें छोड़कर एक होने को मजबूर किया जाएगा? जहां तक एकता की बात है तो वह इन सब विविधताओं के रहते हुए भी एकता थी, और आ सकती है। फिलहाल चुनाव का मामला लेते हैं तो एक देश एक चुनाव का नारा इस तरफ फेल होता हुआ दिखता है कि इसमें सिर्फ लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ करने की बात कही गई है जबकि पंचायत चुनाव और नगरपालिका चुनाव 100 दिन बाद करने का प्रस्ताव दिया गया है। कहने को तो एक देश एक चुनाव की संभावना परखने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में एक समिति भी बनाई गई थी लेकिन सबको पता था कि समिति को क्या रिपोर्ट देनी है। इस समिति ने वही रिपोर्ट दी जो सरकारी पार्टी चाहती थी। समिति की रिपोर्ट पर किसी को ताज्जुब नहीं हुआ क्योंकि वह ठीक उसी तरह थी जिसकी आशंका जताई जा रही थी। इस बात का जवाब ना तो समिति के पास है और ना सरकार के पास कि अगर कोई विधानसभा अपने तय समय से पहले भंग होती है तो एक देश एक चुनाव का क्या होगा? या किसी वजह से लोकसभा ही पहले भंग हो जाती है तो क्या देश के सारे विधानसभाओं का चुनाव लोकसभा के साथ कराया जाएगा? ध्यान रहे कि भारत में पहले चुनाव एक साथ ही होते थे लेकिन ऐसी समस्याओं के बाद अलग-अलग समय पर चुनाव होने लगे। चुनाव से जुड़े विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि इस समय लोकसभा का चुनाव कराने में ही काफी समय लग जाता है और अगर उसके साथ विधानसभा चुनाव को भी जोड़ दिया जाए तो उसके लिए जितने संख्या बल की जरूरत होगी उसे पूरा करने में काफी समय लगेगा। इसके अलावा एक साथ चुनाव कराने के लिए लगभग 60 लाख और ईवीएम की जरूरत पड़ेगी। यानी समय और पैसे के लिहाज से भी एक देश एक चुनाव कराने का आइडिया अच्छा मालूम नहीं होता है।
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