छ्पी-अनछ्पी: सीमांचल में चुनावी गर्मी चरम पर, मोदी के भाषण में रिज़र्वेशन के बहाने मुसलमान

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। सीमांचल की चार लोकसभा सीटों में से तीन पर और पूर्वांचल की दो लोकसभा सीटों के लिए चुनावी गर्मी चरम पर पहुंच गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने चुनावी भाषण में फिर मुसलमानों को घसीटा है और इस बार आरक्षण को बहाना बनाया है। माफीनामे के बावजूद रामदेव की मुश्किलें कम नहीं हुई हैं। आज इन खबरों को अखबारों में अच्छी जगह मिली है।

हिन्दुस्तान की पहली खबर है: सीमांचल-पूर्वांचल में आर पार की लड़ाई। सीमांचल और पूर्वांचल में लोकसभा चुनाव की फिजा इस बार कुछ अलग ही है। आर-पार जैसी लड़ाई दोनों गठबंधनों ने ठान ली है। दूसरे चरण में पूर्वी बिहार की दो सीटें भागलपुर व बांका तथा सीमांचल की तीन पूर्णिया, किशनगंज और कटिहार में 26 अप्रैल को मतदान होना है। इन इलाकों में बुधवार शाम पांच बजे चुनाव प्रचार समाप्त हो जाएगा। यहां अपनी सीटें बचाने की सबसे बड़ी चुनौती जदयू की है। पांच में चार सीट पर जदयू जबकि किशनगंज पर कांग्रेस का कब्जा है। पूर्णिया और किशनगंज में लड़ाई त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की जा रही है। पूर्णिया में निर्दलीय पप्पू यादव तो किशनगंज में ओवैसी के प्रत्याशी अख्तरुल ईमान पूरे दम-खम के साथ मैदान में हैं।

गर्मी का ख़तरा

जागरण की पहली खबर है: दूसरे चरण पर भी भीषण गर्मी का खतरा। लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण के मतदान के दिन 19 अप्रैल को भीषण गर्मी और 42 डिग्री सेल्सियस तापमान को औरंगाबाद, गया, नवादा व जमुई में कम मतदान की बड़ी वजह माना गया। औसत मतदान प्रतिशत 48.9 पर ठहर गया था। अब दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान के दिन भी भीषण गर्मी व उच्च तापमान का खतरा मंडरा रहा है। पूर्वानुमान के अनुसार उस दिन बिहार की 5 सीटों- भागलपुर में 42 तथा बांका पूर्णिया किशनगंज व कटिहार में 41 डिग्री सेल्सियस तापमान रहेगा।

आरक्षण, हनुमान और मंगलसूत्र

यह सुर्खी भास्कर की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कांग्रेस पर आरक्षण के जरिए हमला बोला। उन्होंने राजस्थान के जयपुर और टोंक में कहा कि कांग्रेस दलित पिछड़ों का आरक्षण काम करके मुसलमानों को देना चाहती है। लेकिन मोदी गारंटी देता है कि दलित पिछड़ों का आरक्षण न कभी खत्म होगा और ना ही धर्म के नाम पर बंटेगा। मोदी ने आरोप लगाया कि 2004 में जब कांग्रेस सरकार आई तो उन्होंने आंध्र में एससी एसटी आरक्षण कम करके मुसलमानों को दे दिया था। मोदी के मंगलसूत्र वाले बयान पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि 55 साल कांग्रेस सरकार में रही, किसी ने आपका सोना नहीं छीना… “इंदिरा गांधी ने जंग में अपना सोना देश को दिया। मेरी मां ने अपना मंगलसूत्र देश पर कुर्बान किया है। मोदी मंगलसूत्र का महत्व समझते तो अनैतिक बातें नहीं करते।” इधर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी हिंदू-मुस्लिम, एसटी-ओबीसी के बारे में बातें सिर्फ वोट के लिए कर रहे हैं। यह उनकी बांटने की रणनीति है।

रामदेव का माफीनामा नाकाफी

हिन्दुस्तान के अनुसार भ्रामक विज्ञापन से जुड़े अवमानना के मामले में अखबारों में माफीनामा प्रकाशित करवाने पर भी मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से पतंजलि आयुर्वेद के संस्थापक रामदेव और प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण को माफी नहीं मिली। उन्होंने देश के अलग-अलग भाषाओं में प्रकाशित होने वाले 67 अखबारों/ प्रकाशनों में सोमवार को बिना शर्त माफी मांगते हुए कहा था कि दोबारा ऐसी भूल नहीं होगी। जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की अदालत में सुनवाई के दौरान रामदेव-बालकृष्ण मौजूद थे। जस्टिस कोहली ने सवाल किया कि माफीनामा प्रकाशित करने में इतनी देर क्यों हुई? एक सप्ताह से क्या कर रहे थे? रोहतगी ने कहा कि अलग-अलग भाषा में अनुवाद करने में वक्त लगा। इस पर 10 लाख रुपये खर्च हुए हैं। इस पर उन्होंने पूछा कि आप पूरे पेज का विज्ञापन देते हैं तो क्या उसका भी खर्च 10 लाख ही आता है।

महंगी और गैर जरूरी दवा पर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट?

जागरण के अनुसार पतंजलि के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन की शिकायत करने वाली इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को भी सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को घेर लिया। कहा, आईएमए को भी अपना घर दुरुस्त करने की जरूरत है। उसे अपने सदस्यों को अनैतिक आचरण पर ध्यान देना चाहिए जो महंगी और गैर जरूरी दवाइयां लिखते हैं।

नीतीश ने लिखी चिट्ठी

प्रभात खबर की सबसे बड़ी खबर है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को बिहारवासियों के नाम जारी खुला पत्र लिखा है। इसमें नीतीश कुमार ने राज्यवासियों को भरोसा दिलाया है कि आगे भी वह लाखों की संख्या में नौकरी और रोजगार देते रहेंगे। पत्र में नीतीश ने लालू प्रसाद का नाम लिए बिना हमला बोला है।

यूनिवर्सिटी हाइकोर्ट पहुंचे

जागरण की खबर है कि 40 दिनों से पैसे पैसे के मोहताज हो चुके राज्य के विश्वविद्यालय ने एक साथ मिलकर शिक्षा विभाग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शिक्षा विभाग की मनमानी के विरुद्ध विश्वविद्यालयों ने संयुक्त रूप से आर पार की लड़ाई लड़ने का फैसला किया है। इसकी शुरुआत करते हुए विश्वविद्यालय ने सभी बैंक खातों के संचालन पर शिक्षा विभाग की ओर से लगाई गई रोक को हटाने के लिए पटना उच्च न्यायालय में अलग-अलग रिट याचिका दायर करनी शुरू कर दी है। सबसे पहले मगध विश्वविद्यालय, बोधगया ने याचिका दायर कर राज्य के मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव, शिक्षा सचिव, निदेशक और उपनिदेशक को वादी बनाया है।

कुछ और सुर्खियां

  • पूर्व सांसद अरुण कुमार बहुजन समाज पार्टी में शामिल, जहानाबाद से लड़ सकते हैं लोकसभा चुनाव
  • बरमेश्वर मुखिया हत्याकांड में सीबीआई की चार्जशीट खारिज, पूर्व एमएलसी हुलास पांडे को राहत
  • मीरा कुमार के बेटे डॉक्टर अंशुल अभिजीत पटना साहिब से कांग्रेस के उम्मीदवार घोषित
  • दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 7 मई तक बढ़ी
  • रोहिणी आचार्य बोलीं, सम्राट के पिता कौन हैं…नाराज भारतीय जनता पार्टी चुनाव आयोग पहुंची

अनछपी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने चुनावी भाषणों में मुसलमानों को घसीटने का अलग-अलग बहाना ढूंढ रहे हैं। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण शायद यह है कि वह यह समझते हैं कि चुनाव आयोग उन पर कोई कार्रवाई नहीं करेगा और अब तक चुनाव आयोग ने ऐसी शिकायतों पर निष्क्रियता ही दिखाई है। ताजा मामले में उन्होंने दलितों और एसटी समुदाय को मुसलमानों के खिलाफ भड़काने की कोशिश की है। राजस्थान की चुनावी सभाओं में उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह उनका आरक्षण छीन कर मुसलमानों को देना चाहती है। अपने इस बयान से उन्होंने एक तरफ पूरे चुनावी माहौल को हिंदू मुसलमान में बांटने की कोशिश की है तो दूसरी और दलित मुस्लिम-एकता को भी चोट पहुंचाई है। ऐसा कहा जाता है कि नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी की विभाजनकारी नीति को दलित-मुस्लिम एकता से रोका जा सकता है। शायद इस एकता को तोड़ने के लिए नरेंद्र मोदी इस तरह का बयान दे रहे हैं। इससे पहले उन्होंने राजस्थान की ही एक चुनावी सभा में खुल्लम खुल्ला मुसलमानों के बारे में आपत्तिजनक बातें करते हुए उनके बारे कहा कि ‘आपकी’ संपत्ति को ज्यादा बच्चा पैदा करने वालों और घुसपैठियों में बांट दिया जाएगा। ज्यादा बच्चा पैदा करने वालों और घुसपैठियों से उनका मतलब मुसलमानों से था। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र कहे जाने वाले भारत के लिए यह कितने दुर्भाग्य की बात है कि उसका प्रधानमंत्री अपनी ही आबादी के खिलाफ ऐसे जहर उगल रहा हो और लोगों को बांटने वाले भाषण दे रहा हो। कांग्रेस और अन्य दलों ने इस बारे में चुनाव आयोग से प्रधानमंत्री की शिकायत की है लेकिन अब तक चुनाव आयोग ने किसी कार्रवाई का कोई इशारा नहीं दिया है। यह याद दिलाने की बात है कि ऐसे ही नफरत भरे भाषण के कारण शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे पर 6 साल के लिए वोट देने पर पाबंदी लगा दी गई थी। यह भी कहा जा रहा कि शायद उस समय का चुनाव आयोग बेहतर स्थिति में था इसलिए वह कार्रवाई कर पाया। ध्यान देने की बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी हेट स्पीच के बारे में कड़ी बातें कही हैं। देखना है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हेट स्पीच का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचता है और उस पर कोर्ट क्या फैसला देता है।

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