छपी-अनछपीः बिहार में होगी गिनती- किस धर्म के किस जाति के कितने लोग, भाजपा को इसमें भी रोहिंग्या और बांग्लादेशी नजर आये

बिहार लोक संवाद डाॅट नेट, पटना। बिहार में हर धर्म और संप्रदाय के लोगों की जातिवार कितनी संख्या है, यह पता लगाने के लिए बुधवार को पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में हुई नौ राजनैतिक दलों की बैठक में जातीय जनगणना कराने का फैसला ले लिया गया। यही खबर पटना के सभी अखबारों की पहली खबर है।
इसके अलावा अखबार ’नेशनल हेरल्ड’ के मामले में पैसों की हेराफेरी के आरोप की जांच के लिए प्रवर्तन निदेशालय या ईडी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके पुत्र राहुल गांधी को तलब करने की खबर भी सभी अखबारों ने पहले पन्ने पर प्रमुखता से छापी है। आज के अधिकतर अखबारों में तेलंगाना के आठवें स्थापना दिवस पर दो पेज का विज्ञापन भी छपा है। यह विज्ञापन बिहार में ऐसे समय में छपा है जबकि केसीआर यानी के. चंद्रशेखर राव राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष को एक करने में जुटे बताये जाते हैं।
जातीय जनगणा कराये जाने की खबरों में बताया गया है कि जाति के हिसाब से जनगणा में लोगों की आर्थिक स्थिति भी दर्ज की जाएगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातीय जनगणा जल्द कराने की बात कही है। उधर नेता प्रतिपक्ष, तेजस्वी यादव ने इसे नवंबर के आसपास कराने को कहा है क्योंकि तब बिहार के बाहर रहे राज्यवासी सबसे अधिक लौटते हैं।
इधर, भारतीय जनता पार्टी ने, जो काफी हिचकने के बाद इस जातीय जनगणना के लिए तैयार हुई है, इस मामले में भी हिन्दू-मुसलमान करना शुरू कर दिया है।
अखबारों के मुताबिक भाजपा के दो नेताओं बिहार प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल और केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने इस मामले में भी हिन्दू-मुसलमान को लेकर बयान दिया है। दोनों नेताओं ने कहा है कि सीमांचल में कथित तौर पर रह रहे रोंिहंग्या और बांग्लादेशी मुसलमानों की गिनती इसमें नहीं होनी चाहिए। उन्होंने इसके साथ आधार पर उन्हें नागरिक नहीं बनाने की बात भी कही है। साथ ही उन्होंने इल्जाम लगाया है कि उस इलाके में शेख जाति के लोग शेखड़ा और कुल्हड़िया जाति में नाम लिखाकर सरकारी लाभ ले सकते हैं।
’हिन्दुस्तान’ ने अपने संपादकीय का विषय जनसंख्या नियंत्रण को बनाया है। इसमें लिखा गया है कि केन्द्र सरकार के रुख में बदलाव के संकेत हैं। अखबार के अनुसार- जनसंख्या नियंत्रण के उदार उपाय अगर कारगर नहीं हो पा रहे तो कड़े कानून की जरूरत से भला कौन इनकार करेगा। अखबार के अनुसार केन्द्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल ने इसके लिए संकेत दिये हैं।
अनछपीः यह संपादकीय न सिर्फ जनसंख्या नियंत्रण के नाम पर सरकारी जोर-जबर्दस्ती के समर्थन के लिए माहौल तैयार कर रहा बल्कि इसकी एक लाइन बेहद खतरनाक सोच दर्शाती है। इसमें लिखा हैः लगे हाथ हर धर्म के ऐसे लोगों पर लगाम जरूरी है जो ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

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