छ्पी-अनछपी: चुनाव आयोग राहत दे रहा या झांसा? राहुल बोले- बिहार क्राइम कैपिटल

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। वोटर वेरीफिकेशन के लिए बिना दस्तावेज फॉर्म जमा करने का विज्ञापन देने के बाद चुनाव आयोग ने कहा है कि नियम में कोई बदलाव नहीं हुआ है। इससे, बहुत से लोगों को लगता है कि यह राहत नहीं बल्कि झांसा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बिहार को क्राइम कैपिटल कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया चंद्रचूड़ से सरकारी घर खाली करने को पत्र लिखा। मुहर्रम के दौरान बिहार में कई जगह झड़प हुई है और कटिहार में इंटरनेट बंद कर दिया गया है।

और, जानिएगा कि किसी को असामाजिक तत्व कहने के लिए बिहार सरकार ने क्या नियम बनाया है।

पहली ख़बर

हिन्दुस्तान के अनुसार कांग्रेस ने एक बार फिर चुनाव आयोग पर षड्यंत्र में शामिल होने का आरोप लगाया है। अगर अंतिम निर्णय ईआरओ के विवेक पर छोड़ा गया तो वे मनमानी करेंगे। पार्टी प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने कहा है कि आयोग ने कागजात और तस्वीरों को लेकर जो ताजा सूचना दी है, उसकी आवश्यकता मतदाता पुनरीक्षण में नहीं है। सदाकत आश्रम में रविवार को आयोजित प्रेसवार्ता में प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि आयोग ने अब कहा है कि निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी दस्तावेजों के बिना भी सत्यापन पर निर्णय ले सकता है। उन्होंने कहा कि अगर अंतिम निर्णय ईआरओ के विवेक पर छोड़ा गया तो वे मनमानी करेंगे। सरकार अपने फायदे के लिए दबाव डालकर उनसे नाम हटवा सकती है। उन्होंने कहा कि जब जनवरी में मतदाता सूची का प्रकाशन हो चुका है तो फिर से प्रक्रिया शुरू करना संदेह पैदा करता है।

राहत की खबरों से धोखा मत खाइए: दीपंकर

प्रभात खबर के अनुसार भाकपा-माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा है कि एसआईआर मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की अनुमानित धीमी प्रगति ने चुनाव आयोग को तात्कालिक रास्ते की ओर सोचने पर मजबूर किया है। अगर 10 दिनों में केवल 14% हुए भरे हुए फॉर्म वापस आए हैं तो चुनाव आयोग जानता है कि बड़ी संख्या में मतदाता पहले चरण में ही बाहर हो जाएंगे। इसी वजह से यह भ्रामक राहत दी जा रही है कि गणना प्रपत्र भरने में के दौरान मतदाताओं को कोई दस्तावेज या फोटो जमा करने की जरूरत नहीं है। दीपंकर ने कहा कि यह तथाकथित राहत बड़े पैमाने पर मतदाताओं के मतदाता सूची से बाहर कर देने के खतरे को खत्म नहीं करता, सिर्फ उसे टालता है।

एसआईआर पर रोक के लिए सुप्रीम कोर्ट में राजद की अर्जी

मतदाता सूची के विशेष ग्रहण पुनरीक्षण एसआईआर के विरुद्ध आरजेडी सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गया है। पार्टी की राष्ट्रीय इकाई के मुख्य प्रवक्ता व सांसद डॉ मनोज झा ने याचिका दायर कर एसआईआर पर रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने निर्वाचन आयोग और एसआईआर की प्रक्रिया पर प्रश्न खड़े किए हैं। याचिका में कहा गया है कि आने वाले दिनों में विधानसभा चुनाव होना है। ऐसे में एसआईआर के लिए अभी ना तो पर्याप्त समय है और ना ही निर्वाचन आयोग की तरफ से मांगे गए दस्तावेज अधिकतर नागरिकों के पास उपलब्ध है। खास तौर पर कुछ वैध दस्तावेजों आधार कार्ड, राशन कार्ड और मनरेगा जॉब कार्ड को इस प्रक्रिया में स्वीकार नहीं करने पर भी उन्होंने आपत्ति जताई है।

बिहार क्राइम कैपिटल: राहुल

भास्कर के अनुसार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने बिहार को देश का क्राइम कैपिटल कहा है। उन्होंने इसके लिए भाजपा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जिम्मेदार बताया। राहुल ने सोशल मीडिया के अपने पोस्ट में गोपाल खेमका हत्याकांड का जिक्र किया। कहा, “बिहार लूट, गोली और हत्या के साए में जी रहा है। गुंडाराज है।” नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा, अब मुझे भी डर लगने लगा है। तेजस्वी ने 65000 हत्याकांड का हवाला देते हुए पूछा, क्या यही मंगल राज है? दोनों पार्टियां कानून व्यवस्था को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाएंगी। इनकी बातों पर जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने कहा कि राजद और कांग्रेस जंगल राज के पुरोधा हैं। उन्होंने कहा कि दोनों को कानून व्यवस्था या अपराध पर बोलने का हक नहीं है।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने नहीं खाली किया सरकारी आवास, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को लिखा पत्र

जागरण के अनुसार सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए कृष्ण मेनन मार्ग स्थित भारत के चीफ जस्टिस के सरकारी बंगले को खाली करने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ वहां तय तारीख 31 मई 2025 से अधिक समय से रह रहे हैं। सीजेआई के आधिकारिक आवास को पूर्व प्रधान न्यायाधीश से खाली कराने के लिए सरकार को पत्र लिखा जाना एक असाधारण मामला है। सूत्रों ने बताया कि आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय को 1 जुलाई को भेजे गए पत्र में शीर्ष अदालत प्रशासन ने कहा कि भारत के वर्तमान प्रधान न्यायाधीश के लिए निर्दिष्ट आवास कृष्ण मेनन मार्ग पर बांग्ला नंबर 5 को खाली कर दिया जाए और उसे अदालत के आवास पूल में वापस कर दिया जाए।

मुहर्रम के दौरान झड़प, कटिहार में इंटरनेट बंद

हिन्दुस्तान के अनुसार मुहर्रम के ताजिया जुलूस के दौरान रविवार को नौ जिलों में हिंसक घटनाएं हुईं। इनमें कुछ लोग घायल भी हुए हैं। कटिहार के नया टोला में जुलूस में शामिल कुछ उपद्रवियों ने पथराव कर दिया। हालात को देखते हुए 24 घंटे के लिए इंटरनेट और सोशल मीडिया पर पाबंदी लगा दी गई है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार कटिहार के नया टोला में कुछ असामाजिक तत्वों ने पथराव शुरू कर दिया। सड़क किनारे खड़ी कई बाइक और वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिए। एसडीपीओ सहित छह पुलिस कर्मी चोटिल हो गए। डीएम-एसपी दल- बल के साथ पहुंचे और स्थिति को नियंत्रित किया। दरभंगा के केवटी के खिरमा गांव में एक ही समुदाय के दो गुटों के बीच हुई हिंसक झड़प हुई। मुजफ्फरपुर के कांटी में डीजे बजाने को लेकर दो गुटों में मारपीट के बाद नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

असामाजिक तत्व किसे कहा जाएगा?

बिहार पुलिस मुख्यालय ने बिहार अपराध नियंत्रण अधिनियम के अंतर्गत निष्कासन आदेश या निरुद्धादेश प्रस्ताव दिए जाने को लेकर नये मानक निर्धारित किए हैं। इसमें कहा गया है कि किसी व्यक्ति को असामाजिक तत्व करार दिए जाने का प्रस्ताव देने से पहले देखना अनिवार्य होगा कि 24 महीने के दौरान अधिनियम की 11 श्रेणियों में से कम से कम दो मामलों में उसके विरुद्ध न्यायालय में चार्जशीट (पुलिस रिपोर्ट) दायर की गयी है। संबंधित व्यक्ति पर लोक व्यवस्था को प्रभावित करने वाला कोई काम किये जाने का साक्ष्य भी उपलब्ध होना चाहिए।

कुछ और सुर्खियां:

●      भारत ने इंग्लैंड को दूसरे क्रिकेट टेस्ट में हराकर सीरीज में एक-एक से बराबरी की, सासाराम के आकाशदीप ने लिए 10 विकेट

●      बिहार शरीफ के दीपनगर थाना क्षेत्र के डुमरावां गांव में बच्चों के झगड़े में युवक और यूटी की सिर में गोली मारकर हत्या

●      देश के सरकारी बैंकों में इस साल होगी 50000 कर्मचारियों की नियुक्ति

●      बिहार के विश्वविद्यालयों में बैंकिंग, ई-कॉमर्स, क्रिएटिव राइटिंग, हेल्थ केयर जैसे सात नए व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की पढ़ाई शुरू होगी

●      पटना के जाने-माने कारोबारी गोपाल खेमका हत्याकांड में 8 लोग हिरासत में

अनछपी: चुनाव आयोग ने शनिवार को जारी एक विज्ञापन में यह कहा था कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के लिए दस्तावेज के बिना भी फॉर्म भरा और जमा किया जा सकता है। सुबह में इस बात को चुनाव आयोग की ओर से दी गई राहत समझा गया लेकिन शाम होते-होते चुनाव आयोग ने एक तरह से पलटी मार ली और अपनी प्रेस रिलीज में कहा कि 24 जून को जारी दिशा निर्देश जारी रहेंगे। इसके बाद एक बार फिर यह उलझन पैदा हो गई कि क्या बिना दस्तावेज जमा किए गए फॉर्म के आधार पर वोटर लिस्ट में नाम रहेगा या उसके लिए बाद में ही सही दस्तावेज देने ही होंगे? दरअसल कल जारी विज्ञापन में यह तो जरूर कहा गया कि जिनके पास दस्तावेज उपलब्ध नहीं है वह दस्तावेज के बिना फॉर्म जमा करें लेकिन उसमें यह पेच लगा दिया गया था कि ईआरओ यानी ब्लॉक स्तर के अधिकारी को अगर जांच की जरूरत महसूस हुई तो वह जांच करेंगे और दस्तावेज की मांग कर सकते हैं। इस विज्ञापन से ऐसा लगा था कि कुछ-कुछ लोगों के मामले में जांच की जा सकती है या जरूरत पड़ी तो दस्तावेज भी मांगा जा सकता है। शनिवार की शाम जारी की गई प्रेस रिलीज में यह बात साफ तौर पर नहीं कही गई कि क्या चुनाव आयोग ने दस्तावेज की मांग वापस ले ली है? यानी चुनाव आयोग की जिस बात को राहत माना गया वह एक तरह का झांसा साबित हो रहा है। चुनाव आयोग केवल इतना कह रहा है कि 24 जनवरी को जारी आदेश में कोई बदलाव नहीं हुआ है। मगर चुनाव आयोग इस बात का कोई जवाब नहीं दे रहा है कि उसने अपने पहले विज्ञापन में जिन 11 दस्तावेजों की सूची जारी की थी उसके बारे में अपने बाद के विज्ञापन में यह क्यों कहा कि उन दस्तावेजों के बिना भी फॉर्म जमा किए जा सकते हैं? ऐसे में आम लोगों को यह शक हो रहा है कि चुनाव आयोग अपनी वाहवाही के लिए फिलहाल फॉर्म जमा करवा ले रहा है लेकिन बाद में वह वैसे फॉर्मों के आधार पर वोटर का नाम लिस्ट में शामिल नहीं करेगा जिनमें दस्तावेज नहीं होंगे। चुनाव आयोग को साफ तौर पर यह कहना चाहिए कि क्या वह बिना दस्तावेज वाले फॉर्म के आधार पर वोटर का नाम लिस्ट में शामिल करेगा या उसे खारिज कर देगा? चुनाव आयोग गोलमोल बात ना करके वोटर को साफ तौर पर यह बताए कि वह चाहता क्या है। ऐसे में तो बहुत बड़ी संख्या में लोग वोट डालने के अधिकार से वंचित हो जाएंगे।

 

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