छ्पी-अनछपी: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नहीं रहे, आरएसएस की मैगज़ीन अपने चीफ के खिलाफ
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। भारत में आर्थिक सुधारों के जनक माने जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह का गुरुवार की देर रात निधन हो गया। आरएसएस की मैगजीन ने अपने ही चीफ के खिलाफ अलग राग अलापते हुए सोमनाथ से संभल तक का मुद्दा उठाया है। महात्मा गांधी के भजन के विरोध के मुद्दे पर कई नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी की आलोचना की है। पांच साल से बंद पड़ी रीगा चीनी मिल चालू हो गई है। 11वीं-12वीं के लिए तीसरे चरण की शिक्षक भर्ती के रिजल्ट में आधे पद खाली रह गए हैं।
यह हैं आज के अखबारों की अहम खबरें।
हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर के अनुसार प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गुरुवार को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया। वे 92 वर्ष के थे। एम्स प्रबंधन ने बताया कि गुरुवार शाम उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई। उन्हें रात 8:06 बजे एम्स लाया गया। डॉक्टरों ने उन्हें वेंटिलेटर पर रखकर इलाज शुरू किया, लेकिन उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ। पूर्व प्रधानमंत्री ने रात 9:51 बजे अंतिम सांस ली। मनमोहन सिंह फेफड़ों में संक्रमण के साथ ही कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे।
मनमोहन दो बार रहे प्रधानमंत्री
मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक लगातार दो कार्यकाल में देश के प्रधानमंत्री रहे। इससे पहले वह भारत के वित्त मंत्री और वित्त सचिव के पद पर भी रहे। नरसिम्हा राव की सरकार के दौरान अर्थव्यवस्था के उदारीकरण में उनकी अहम भूमिका मानी जाती है। मनमोहन सिंह के परिवार में पत्नी गुरशरण कौर और तीन बेटियां हैं। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन के बाद सभी सरकारी कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं। कैबिनेट की शुक्रवार को होने वाली बैठक में सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की जाएगी।
आरएसएस की मैगज़ीन चीफ के खिलाफ
भास्कर के अनुसार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ी मैगजीन ऑर्गनाइजर ने मंदिर-मस्जिद विवाद पर अपने ताजा अंक में कहा है कि सोमनाथ से संभल और उससे आगे तक इतिहास की सच्चाई जाने और ‘सभ्यतागत न्याय’ हासिल करने की लड़ाई है। हालांकि कुछ दिन पहले ही आरएसएस के सरसंघसंचालक मोहन भागवत ने मंदिर-मस्जिद विवाद उठने पर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद कुछ लोगों को लगने लगा है कि ऐसे मुद्दों को उठाकर हिंदुओं के नेता बन सकते हैं। इधर मैगजीन के संपादक प्रफुल्ल केतकर ने लिखा है कि छद्म धर्मनिरपेक्षतावादी चश्मे से बहस को हिंदू-मुस्लिम तक सीमित करने के बजाय इतिहास पर आधारित सभ्यतागत न्याय पाने के लिए विवेकपूर्ण और समावेशी बहस की जरूरत है जिसमें समाज के सभी वर्ग शामिल हों।
महात्मा गांधी के भजन के विरोध पर भाजपा की आलोचना
जागरण के अनुसार राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद ने महात्मा गांधी के प्रिय भजन ईश्वर अल्लाह तेरो नाम पर आपत्ति की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने गुरुवार को अपने एक्स हैंडल पर लिखा कि संघियों और भाजपाइयों को जय सियाराम के नाम एवं नारे से शुरू से नफरत है। उन्होंने लिखा गायिका देवी ने कार्यक्रम में बापू के नाम पर निर्मित सभागार में बापू का भजन गाकर उसने सीताराम बोल दिया तो भाजपाइयों ने माइक पर उससे माफी मंगवाई। इधर, लोग गायिका देवी के अपमान को लेकर प्रदेश कांग्रेस ने भाजपा को घेरा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि भाजपा अपनी हरकतों से लगातार साबित करने में जुटी है कि वह ना तो बाबा साहेब आंबेडकर का सम्मान करती है और ना ही राष्ट्रपति बापू का। गायिका द्वारा महात्मा गांधी के पसंदीदा भजन ईश्वर अल्लाह तेरो नाम गाये जाने पर मचे बवाल को उन्होंने भाजपा द्वारा फैलाया गया सांप्रदायिकता का जहर बताया। इधर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा है कि जो हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण था। उन्होंने दावा किया कि जिन लोगों ने विरोध किया वह भाजपा के लोग नहीं थे।
रीगा चीनी मिल शुरू
प्रभात खबर की सबसे बड़ी खबर के अनुसार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को प्रगति यात्रा के तीसरे दिन सीतामढ़ी जिले की रीगा चीनी मिल के पुनरुद्धार कार्य का शुभारंभ किया। करीब 5 साल से बंद पड़ी रीगा चीनी मिल में मुख्यमंत्री ने सीजन 2024-25 के लिए गन्ने का बंडल डालकर शुभारंभ किया। जागरण के अनुसार सुगौली और लौरिया के बाद यह बिहार की तीसरी चीनी मिल है जो बंद होने के बाद दोबारा शुरू हो सकी। इससे पहले बंद 20 चीनी मिलों का संचालन आज तक शुरू नहीं हो सका है। कई चीनी मिलें तो अब कबाड़ हो गई हैं।
तीसरे चरण की शिक्षक भर्ती में आधे पद खाली
भास्कर के अनुसार बीपीएससी ने तीसरे चरण की शिक्षक भर्ती टीआरई 3 के माध्यमिक वर्ग और उच्च माध्यमिक वर्ग का रिजल्ट घोषित किया है। छठी से 12वीं तक का रिजल्ट बीएससी की वेबसाइट पर उपलब्ध है। 11वीं और 12वीं में कुल 12453 उम्मीदवार पास हुए हैं जो निर्धारित पद से 12358 काम है। इन दोनों कक्षाओं के लिए कुल रिक्त पद 24811 थे।
भारतीय सीमा पर सबसे बड़ा बांध बना रहा चीन
हिन्दुस्तान के अनुसार चीन ने भारतीय सीमा के नजदीक तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया के सबसे बड़े बांध के निर्माण को मंजूरी दे दी है। इससे भारत और बांग्लादेश में चिंता बढ़ गई है। इस परियोजना को दुनिया की सबसे बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजना बताया जा रहा है, जिसकी लागत 137 अरब अमेरिकी डॉलर है। सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने बताया, चीन सरकार ने यारलुंग जांग्बो नदी (ब्रह्मपुत्र का तिब्बती नाम) के निचले इलाकों में जलविद्युत परियोजना के निर्माण को मंजूरी दे दी है।
भाजपा को 2600 करोड़ चंदा मिला, कांग्रेस को 281 करोड़
देश में सत्तारूढ़ भाजपा को 2023-24 के दौरान 2,604.74 करोड़ रुपये से अधिक का चंदा मिला, जबकि विपक्षी दल कांग्रेस को 281.38 करोड़ रुपये मिले। निर्वाचन आयोग द्वारा सार्वजनिक की गई दोनों दलों की चंदा रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। रिपोर्ट में सूचीबद्ध चंदा लोकसभा चुनाव से पहले 31 मार्च, 2024 तक प्राप्त हुआ था। रिपोर्ट के अऩुसार, 2023-24 के दौरान भाजपा को प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट से 723 करोड़ रुपये से अधिक का चंदा मिला जबकि ट्रायम्फ इलेक्टोरल ट्रस्ट से 127 करोड़ रुपये से अधिक और आइन्जीगार्टिग इलेक्टोरल ट्रस्ट से 17 लाख रुपये से अधिक का चंदा मिला।
कुछ और सुर्खियां
- सीतामढ़ी में उद्योग के लिए बिहार सरकार देगी 500 एकड़ जमीन
- बीपीएससी उम्मीदवारों को भड़काने के आरोप में दिल्ली का एक टीचर रोहित कुमार गिरफ्तार
- बिहार के हज यात्रियों की उड़ान मई के पहले सप्ताह से, 2673 लोग जाएंगे
- बिहार में अप्रैल से बच्चों को ऑटो से स्कूल ले जाने की अनुमति नहीं होगी
- आईआरसीटीसी की वेबसाइट दो घंटे ठप रहने से रेलवे की टिकट नहीं कटे
अनछपी: सीतामढ़ी की रीगा चीनी मिल का दोबारा शुरू होना उस जिले के लिए ही नहीं पूरे बिहार के लिए खुशखबरी की बात है। उम्मीद की जानी चाहिए कि इससे वहां के गन्ना किसानों को काफी फायदा होगा। इस मिठास भरी खबर के साथ एक कड़वी सच्चाई यह भी है कि बिहार में अब भी कई ऐसी चीनी मिले हैं जिनका चालू होना जरूरी है लेकिन सरकार के लगातार वादों के बाद वह चालू नहीं हो पा रही हैं। याद रखने की बात यह है कि रीगा की चीनी मिल नीतीश कुमार के शासनकाल में ही बंद हुई थी और इसके दोबारा शुरू होने पर उन्हें बहुत क्रेडिट नहीं दिया जा सकता। ऐसा नहीं है कि सभी चीनी मील नीतीश कुमार के शासनकाल से ही बंद है बल्कि कई चीनी मिलें तो 1990 के दशक से बंद हैं। मीडिया में चीनी मिल शुरू होने की खबर तो बहुत धूमधाम से बताई जाती है लेकिन जो चीनी मिल बंद हो गई उसकी जिम्मेदारी किसकी थी इस पर चर्चा कम ही होती है। एक जमाने में बिहार में लगभग तीन दर्जन चीनी मिलें हुआ करती थीं। बताया जाता है कि इनमें से पांच का नामोनिशान मिट गया है और केवल आठ चीनी मिलें चालू हैं। जो प्रमुख चीनी मिलें बंद हैं उनमें चनपटिया, चकिया, मोतिहारी, मोतीपुर, सकरी, रैयाम, समस्तीपुर, वारिस अलीगंज, मढ़ौरा, गुरारू, रफीगंज, बनमनखी, गोरौल, बसंतपुर, बिहटा, शीतलपुर, सासामूसा और सीवान की चीनी मिलें हैं। बहरहाल असल बात यह है कि नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री बनने से पहले और उसके बाद भी कई बार चीनी मिलों को दोबारा चालू करने की बात कही है और इस दिशा में उन्होंने छोटे कदम ही बढ़ाये हैं। राज्य सरकार को चाहिए कि बाकी चीनी मिलों को भी जल्द से जल्द चालू करने की कोशिश करे। वैसे भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यह कहते आए हैं कि फलां चीनी मिल की चीनी से चाय पियेंगे तो इस समय बिहार में डबल इंजन की सरकार होने का फायदा उठाते हुए बाकी चीनी मिलों को भी जल्द से जल्द शुरू करने की कोशिश की जानी चाहिए। जाहिर है इससे गन्ना किसानों के अलावा आसपास के लोगों को रोजगार मिलने से भी बड़ी मदद मिलेगी।
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