छ्पी-अनछपी: डॉक्टर मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार आज, डॉलर के मुकाबले रुपये का बुरा हाल

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह का आज नई दिल्ली के निगम बोध घाट पर अंतिम संस्कार होगा। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए का हाल लगातार खराब हो रहा है। पूर्व विधान पार्षद हुलास पांडे के ठिकानों पर ईडी के छापे पड़े हैं। भारत में मारुति कार लाने वाले जापान के उद्योगपति सुजुकी की 94 साल की उम्र में मौत हो गई है।

यह हैं आज के अखबारों की अहम खबरें।

प्रभात खबर की सबसे बड़ी खबर के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में शुक्रवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर शोक प्रस्ताव पारित किया। इसमें कहा गया कि उन्होंने राष्ट्रीय जीवन पर अपनी छाप छोड़ी है और उनके निधन से राष्ट्र ने एक प्रख्यात राजनेता, जाने-माने अर्थशास्त्री और एक प्रतिष्ठित नेता को दिया है। उनके सम्मान में 7 दिनों के लिए राजकीय शोक घोषित किया गया है। डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ शनिवार को दिन के 11:45 बजे दिल्ली के निगम बोध घाट पर होगा।

मनमोहन सिंह के स्मारक पर विवाद

जागरण के अनुसार डॉक्टर मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार शुक्रवार को इसलिए नहीं हो पाया क्योंकि उनकी बेटियां अमेरिका में थीं। बहरहाल, उनके अंतिम संस्कार और समाधि स्थल को लेकर भी विवाद पैदा हो गया है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से बात की थी। सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री और गृह मंत्री अमित शाह दोनों ने मल्लिकार्जुन खड़गे से कहा कि वह भी चाहते हैं कि समाधि स्थल बने पर उपयुक्त स्थल के चुनाव में वक्त लगता है। जमीन आवंटित की जाएगी और ट्रस्ट भी बनाना होगा। तब तक निगम बोध घाट पर अंतिम संस्कार किया जाए। डॉक्टर सिंह की पत्नी गुरशरण कौर चाहती थीं कि अंतिम संस्कार उसी जगह पर हो जहां स्मारक बनाया जा सके।

रुपये की हालत खस्ता

हिन्दुस्तान के अनुसार डॉलर की मजबूत मांग के बीच शुक्रवार को भारतीय रुपया नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। एक डॉलर के मुकाबले 21 पैसे गिरकर 85.48 रुपया पर पहुंच गया। कारोबार के दौरान 53 पैसे गिरकर 85.80 के अपने सबसे निचले स्तर पर लुढ़कने के बाद रिजर्व बैंक के संभवत: हस्तक्षेप के सहारे रुपये ने अपने नुकसान की कुछ भरपाई की। यह फरवरी 2023 के बाद से एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट है। डॉलर के मुकाबले 85 रुपये का दायरा पहली बार 19 दिसंबर को पार हुआ था।

हुलास पांडेय के ठिकानों पर छापे

ईडी ने अवैध बालू खनन एवं मनी लॉन्ड्रिंग जांच (पीएमएलए) मामले में पूर्व विधान पार्षद हुलास पांडेय के तीन अलग-अलग ठिकानों पर छापेमारी की। शुक्रवार को ईडी की टीम सुबह छह बजे ही हुलास पांडेय के पटना स्थित दो और बेंगलुरु स्थित एक ठिकाने पर एक साथ छापेमारी शुरू की। हुलास लोजपा (रा) प्रमुख चिराग पासवान के करीबी माने जाते हैं। सूत्रों के अनुसार हुलास पांडे के ठिकानों से खनन गड़बड़ी से जुड़े 50 करोड़ रुपए मूल्य के दस्तावेज और कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी बरामद किए गए हैं। हुलास पांडेय का राजनीति में अपना रसूख है। वे पूर्व विधायक सुनील पांडेय के भाई हैं। खुद विधान पार्षद रह चुके हैं। अभी वे लोजपा रामविलास में प्रदेश संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष हैं।

उद्योगपति सुजुकी नहीं रहे

भास्कर के अनुसार दुनिया भर में मध्य वर्ग का कार का सपना साकार करने वाले सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन के पूर्व चेयरमैन ओसामु सुजुकी का 94 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे लिंफोमा कैंसर से पीड़ित थे। उन्होंने चार दशक तक सुजुकी मोटर का नेतृत्व किया। 80 के दशक में जब दुनिया में लग्जरी ब्रांड की बड़ी कारों का बोलबाला था तब उन्होंने तय किया कि उनकी कंपनी छोटे बाजार में पैर जमाएगी। इसके बाद सुजुकी कंपनी ने 1981 में मारुति के साथ साझेदारी कर भारत में एंट्री की और 1983 में मारुति 800 पेश की। तब यह कार इतनी लोकप्रिय थी कि लोगों को 3 साल की एडवांस बुकिंग करनी पड़ती थी। 30 जनवरी 1930 को जन्मे ओसामु ने टोक्यो के चूओ यूनिवर्सिटी से लॉ में ग्रेजुएशन किया था। उस दौर में स्कूल में पढ़ाया। नाइट गार्ड की नौकरी की। पढ़ाई पूरी कर बैंकर के रूप में करियर शुरू किया। 1958 में सुजुकी मोटर में नौकरी शुरू की। यहीं से उनकी किस्मत पलट गई।

ठंड में भी धूप की तपिश

हिन्दुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में मौसम का मिजाज बदला हुआ है। दिसंबर खत्म होने को है और बिहार के लोग अभी हॉफ स्वेटर और हल्के जैकेट में भी गर्मी महसूस कर रहे हैं। ठंड के महीने में भी तीखी धूप है और कोहरे का अता-पता नहीं है। सर्द हवा के कमजोर होने से ठंड के इंतजार की तारीखें भी बढ़ती जा रही हैं। इस पूरे साल मौसम के तेवर पर गौर करें तो अपेक्षित बारिश न होने से मानसून भी फीका रहा और अब सर्दी में तापमान सामान्य से काफी ऊपर है जबकि गर्मियों में प्रचंड तापमान के कारण दशकों के रिकॉर्ड टूट गए।

सूरज के सबसे पास पहुंचा नासा का पार्कर

जागरण के अनुसार नासा के अंतरिक्षयान पार्कर सोलर ने सूरज के सबसे करीब पहुंचकर इतिहास रच दिया है। कोई भी मानव निर्मित वस्तु कभी भी सूरज के इतने करीब से नहीं गुजरी जितना करीब पार्कर पहुंचा है। नासा ने शुक्रवार को कहा कि पार्कर सोलर प्रोब सुरक्षित है और ठीक तरीके से काम कर रहा है। सूर्य की प्रचंड गर्मी को पार्कर ने सह लिया है। नासा ने कहा कि जॉन हॉपकिंस अप्लाइड फिजिक्स लेबोरेटरी में वैज्ञानिकों की टीम को गुरुवार को पार्कर प्रोब से सिग्नल मिला। नासा को उम्मीद है कि अंतरिक्षयान 1 जनवरी को अपनी स्थिति के बारे में विस्तृत डेटा भेजेगा। नासा की वेबसाइट के अनुसार 692000 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से उड़ान भरते हुए अंतरिक्षयान ने 1800 डिग्री फारेनहाइट तक का तापमान सहन किया।

कुछ और सुर्खियां

  • पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर बिहार में 7 दोनों का राजकीय शोक
  • मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की 27 व 28 दिसंबर की प्रगति यात्रा अब 5 और 6 जनवरी को
  • बिना हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट के गाड़ी खरीदना और बेचना महंगा पड़ेगा
  • आम आदमी पार्टी ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को भारत रत्न देने की मांग की
  • पाकिस्तान में मनमोहन सिंह के गांव चकवाल के गाह में शोक की लहर
  • नए साल में दो सूर्य ग्रहण और दो चंद्र ग्रहण लगेंगे, भारत में एक ही ग्रहण दिखेगा

अनछपी: पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह वैसे तो अपनी आर्थिक सुधारों की वजह से पूरी दुनिया में जाने जाते हैं लेकिन एक अहम बात उनके बारे में यह भी है कि उन्होंने भारत के अल्पसंख्यकों के लिए भी अच्छे काम किये। भारत जब आज उन्हें अंतिम विदाई दे रहा है तो यह बात याद करने की है कि कैसे उनकी ही सरकार के दौरान भारत में अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय बना। डॉक्टर मनमोहन सिंह का जन्म पाकिस्तान के चकवाल जिले के गाह गांव में हुआ था। वहां उनके स्कूल में आज भी मनमोहन सिंह के एडमिशन और इम्तिहान के रिजल्ट की जानकारी मिल सकती है। हालात खराब होने और विभाजन के बाद मनमोहन सिंह का परिवार भारत तो आ गया लेकिन मुसलमानों से जो उनके अच्छे संबंध थे वह बरकरार रहे। यही वजह है कि खुद भी अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले मनमोहन सिंह ने भारत के अल्पसंख्यकों और विशेषकर मुसलमानों के लिए अपनी हद तक काफी कोशिश की। आज जिस सच्चर कमेटी की इतनी चर्चा होती है वह भी डॉक्टर मनमोहन सिंह ने ही बनवाई थी। बिहार के लिहाज से देखा जाए तो उनके प्रधानमंत्री रहते हुए ही किशनगंज में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की शाखा का उद्घाटन हुआ था हालांकि अफसोस की बात है कि नरेंद्र मोदी सरकार आने के बाद वहां अब तक पढ़ाई शुरू नहीं हो पाई है। अगर डॉक्टर मनमोहन सिंह की या उनकी पार्टी की सरकार 2014 में भी बनती तो आज किशनगंज में एएमयू का बड़ा सेंटर होता। डॉक्टर मनमोहन सिंह को अल्पसंख्यकों की और मुसलमानों की अपनी चिंता के लिए भारतीय जनता पार्टी की आलोचना और उनसे मिली बदनामी का भी सामना करना पड़ा। डॉक्टर मनमोहन सिंह एक शालीन नेता थे और आज की राजनीति वाली गंदगी उनमें कहीं भी नहीं थी। डॉक्टर मनमोहन सिंह का जाना जहां भारत और दुनिया के लिए अफसोस की बात है वहीं भारतीय अल्पसंख्यकों के लिए भी बहुत दुख की बात है। डॉक्टर सिंह के कार्यकाल में अल्पसंख्यकों के कल्याण की जितनी योजनाएं शुरू की गई थीं उनमें से कई को नरेंद्र मोदी की सरकार ने बंद कर दिया है और इस बात का एहसास सभी अल्पसंख्यकों को है।

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