छ्पी-अनछ्पी: एग्जिट पोल में फिर मोदी सरकार, ‘इंडिया’ का दावा: हमें मिलेंगी 295+ सीटें

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। पटना के प्रमुख हिंदी अखबारों में एग्जिट पोल की खबरें छाई हुई हैं जिसमें बताया गया है कि नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। उधर इंडिया गठबंधन ने दावा किया है कि उसे 295 से अधिक सीटें मिल रही हैं हालांकि इस खबर को वैसी जगह नहीं मिली है। सातवें और अंतिम चरण के चुनाव में बिहार में पाटलिपुत्र में सबसे अधिक 56. 91 फ़ीसद वोटिंग हुई है। उधर फलस्तीन में अमेरिका की कोशिश से युद्ध रुकने की उम्मीद जगी है।

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी सुर्खी है: मोदी इतिहास रचने की ओर। जागरण की पहली खबर है: लगातार तीसरी बार मोदी सरकार। प्रभात खबर ने लिखा है: एग्जिट पोल: मोदी के नेतृत्व में एनडीए की वापसी। भास्कर की सुर्खी है: एग्जिट पोल में मोदी की हैट्रिक, दक्षिण में बढ़ाईं सीटें। हिन्दुस्तान के अनुसार लोकसभा चुनाव के असल नतीजों के तीन दिन पहले शनिवार को आए एग्जिट पोल में देश में एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनने के आसार नजर आ रहे हैं। यदि नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनते हैं तो वह इतिहास रच देंगे। अब तक पंडित जवाहर लाल नेहरू ही लगातार तीन बार चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री रहे हैं। अधिकांश एग्जिट पोल एनडीए को 350 से ज्यादा सीटें दे रहे हैं, जिसमें भाजपा 300 से ऊपर सीटें जीत सकती है। इंडिया गठबंधन को बहुत ज्यादा फायदा होता नहीं दिख रहा है।

बिहार का अनुमान

2019 में बिहार की 40 सीटों में 39 पर एनडीए का कब्जा था। इस बार एग्जिट पोल में जो अनुमान लगाया जा रहा है उसमें टुडेज़ चाणक्य ने एनडीए को 36, टाइम्स नाऊ ने 32, पोल स्टार्ट ने 29, इंडिया टीवी ने 34 से 38, इंडिया टुडे ने 29 से 33, एबीपी नेल्सन ने 34 से 38 और जन की बात ने 32 से 37 सीटें दी हैं। दूसरी और इंडिया गठबंधन को कम से कम तीन और अधिक से अधिक 11 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है।

राज्यों का हाल

  • भारतीय जनता पार्टी केरल और तमिलनाडु में खोल सकती है अपना खाता
  • आंध्र प्रदेश में गठबंधन के साथ अच्छी सफलता हासिल कर सकती है बीजेपी
  • कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी का पुराना आंकड़ा बरकरार रहने का अनुमान
  • पश्चिम बंगाल और ओडिशा में भारतीय जनता पार्टी की सीटें बढ़ सकती हैं
  • हरियाणा और झारखंड में भारतीय जनता पार्टी को नुकसान का अनुमान
  • दिल्ली में 7 में 6 सीटें जीत सकती है भाजपा

‘इंडिया’: हम 295 से अधिक सीटें जीत रहे

हिन्दुस्तान के अनुसार इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (इंडिया) ने एग्जिट पोल से ठीक पहले 295 से ज्यादा सीट जीतने का दावा कर अपनी भविष्य की रणनीति के संकेत दे दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक, बैठक में गठबंधन के घटकदलों के नेताओं ने हार-जीत को लेकर अपने-अपने आंकड़े भी साझा किए। पार्टी के एक नेता ने कहा कि सभी पार्टियों ने चुनाव में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद जताई है। यही वजह है कि कांग्रेस अध्यक्ष ने सार्वजनिक तौर पर गठबंधन के 295 से अधिक सीट जीतने का दावा किया है। इस आंकड़े के जरिए जहां इंडिया गठबंधन ने सभी एग्जिट पोल पर सवालिया निशान लगा दिया है, वहीं घटकदलों ने मतगणना में पूरी पारदर्शिता बरतने को लेकर चुनाव आयोग पर दबाव बनाने की कोशिश की है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की अध्यक्षता में हुई इंडिया गठबंधन की बैठक में सबसे ज्यादा चर्चा मतगणना के दिन एहतियात बरतने को लेकर हुई।

वोटिंग में पाटलिपुत्र आगे

प्रभात खबर की दूसरी सबसे बड़ी खबर है कि बिहार में सातवें चरण की आठ लोकसभा सीटों पर वोटिंग के साथ ही लोकसभा की सभी 40 सीटों पर शनिवार को मतदान पूरा हो गया। सातवें चरण में शाम 6:00 बजे तक 50.56% वोटिंग हुई। इस चरण में 2019 लोकसभा की तुलना में 0.68% कम मतदान हुआ। हालांकि पाटलिपुत्र और काराकाट लोकसभा क्षेत्र में 2019 की तुलना में अधिक मतदान हुआ। पाटलिपुत्र में सबसे अधिक 56.91 फीसदी और पटना साहिब में सबसे कम 45.00 फीसदी वोटिंग हुई। वहीं, बक्सर में 53.70, नालंदा में 46.50, आरा में 48.50, सासाराम में 51.00, काराकाट में 53.44 और जहानाबाद में 51.20 फीसद वोट पड़े।

देश भर में 61% औसत मतदान

लोकसभा चुनाव के आखिरी और सातवें चरण में शनिवार को प्रचंड गर्मी और लू के बीच 61.01 फीसदी मतदाताओं ने वोट दिया। अंतिम चरण में आठ राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों की 57 सीटों के साथ-साथ ओडिशा विधानसभा की बाकी बची 42 सीटों पर मतदान कराया गया। निर्वाचन आयोग द्वारा उपलब्ध कराई गई सूचना के अनुसार, इस चरण में भी पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा मतदान दर्ज किया गया। वहां सर्वाधिक 69.89 प्रतिशत वोट डाले गए, जबकि बिहार में सबसे कम मत प्रतिशत 51.70 रहा।

फलस्तीन में जंग रोकने की कोशिश

भास्कर की खबर है कि अमेरिका के युद्ध विराम प्रस्ताव पर इसराइल व हमास सकारात्मक दिख रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की प्रस्तावित योजना के जवाब में हमास ने कहा है कि वह बंधक रिहा करने को तैयार है। इसराइल भी जंग खत्म करने को राजी हो गया है। हालांकि दोनों पक्षों की कुछ शर्ते हैं। इसराइल ने कहा है कि हमास द्वारा सभी बंधकों को रिहा करना युद्ध खत्म करने की शर्त है। इसराइल के विपक्षी नेता लैपिड ने भी युद्ध विराम का समर्थन किया है। बाइडन ने शनिवार को कहा कि युद्ध खत्म करने का समय आ गया है। बता दें कि बाइडन के तीन फेज़ प्लान के पहले फेज़ में इसराइली सेना आवासीय क्षेत्र से हटाने की बात है।

मंडेला की पार्टी बहुमत से दूर

नेल्सन मंडेला की पार्टी अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस (एएनसी) को बड़ा झटका लगा है। 30 साल में पहली बार देश के आम चुनावों में वह बहुमत हासिल करने से चूक गई। साउथ अफ्रीका में आम चुनावों की वोटों की गिनती करीब-करीब पूरी हो गई है। तीन दशक में पहली बार है जब वह सत्ता से दूर रहेगी।

कुछ और सुर्खियां

  • मसौढ़ी के तिनेरी में सांसद रामकृपाल यादव के काफिले पर चार राउंड फायरिंग, एफआईआर दर्ज
  • बिहार में लोकसभा की 40 सीटों पर चुनाव कराने में खर्च हुए 790 करोड़
  • शेखपुरा में इंडियन बैंक के लॉकर से गायब करोड़ों का सोना कैशियर के साले के घर से मिला
  • 6 जून को खत्म होगी आदर्श चुनाव आचार संहिता
  • आबकारी घोटाले में अंतरिम ज़मानत पर बाहर निकले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आज करेंगे सरेंडर
  • पुणे की पोर्श कार क्रैश मामले में आरोपित नाबालिग़ की मां भी गिरफ्तार

अनछ्पी: यह बताने की बात नहीं की एग्जिट पोल के नतीजे ठीक उसी तरह हैं जैसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी व उनके सहयोगी दल दावा कर रहे थे। यह कहा जाता है कि एग्जिट पोल एग्जैक्ट पोल नहीं होते लेकिन अगर इस एग्जिट पोल के अनुमानों को सही मान लिया जाए तो क्या यह कहा जा सकता है कि विपक्ष ने जिन मुद्दों को चुनावी मुद्दा बनाया उसे मतदाताओं ने नकार दिया है? उदाहरण के लिए कांग्रेस और विपक्षी दलों ने अग्निवीर योजना को बड़ा मुद्दा बनाया तो क्या सेना में भर्ती होने की चाहत रखने वाले युवाओं ने इस मुद्दे पर विपक्ष का साथ नहीं दिया? बिहार में तेजस्वी यादव ने नौकरी को बड़ा मुद्दा बनाया तो यह सवाल उठता है कि क्या युवाओं ने वोट देते समय उनकी बात का ध्यान नहीं रखा? इसी तरह कांग्रेस ने कई गारंटी देने की बात की थी तो क्या मतदाताओं ने उन गारंटीयों पर भरोसा नहीं किया? विपक्ष ने महंगाई को भी एक बड़ा मुद्दा बनाया था लेकिन अगर एग्जिट पोल के परिणाम को आधार बनाया जाए तो ऐसा लगता है कि मतदाताओं ने इस मुद्दे पर विपक्ष का साथ नहीं दिया। इसी तरह यह सवाल भी है कि विपक्ष ने संविधान और आरक्षण खत्म करने का जो मुद्दा उठाया था क्या उसे पिछड़े वर्गों ने पूरी तरह जानकारी दिया? एग्जिट पोल के रिजल्ट को अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिहाज से देखा जाए तो सबसे पहला सवाल यह उठता है कि क्या उन्होंने आरक्षण के मुद्दे को जैसे हिंदू बनाम मुसलमान बना दिया था, उस मुद्दे पर अधिकतर वोटरों ने मोदी की बात पर भरोसा किया? यानी अधिकतर वोटरों ने मोदी की इस बात को सच मान लिया कि ओबीसी और एससी-एसटी का आरक्षण छीन कर मुसलमानों को दे दिया जाएगा? अगर एग्जिट पोल के नतीजे वास्तविक नतीजे से मेल खाते हैं तो क्या यह मान लेना चाहिए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो विभाजनकारी भाषण दिए उससे लोग उनके पक्ष में प्रभावित हुए और इस मुद्दे पर उन्होंने मोदी का साथ दिया? इन सवालों का जवाब 4 जून को मिलेगा जब यह पता चलेगा कि असल रिजल्ट क्या है और किस पार्टी ने कितना प्रतिशत मत प्राप्त किया। इस बीच विपक्ष ने अपने कार्यकर्ताओं को यह सलाह दी है कि वह मतगणना केंद्र पर ध्यान बनाए रखें जो उनके उस शक को इजहार करता है कि चुनाव परिणाम में चुनाव आयोग ही कोई गड़बड़ी कर सकता है।

 

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