छपी-अनछपी: तुर्की-सीरिया में ज़लज़ले से 3000 से ज़्यादा मौतें, 214 सिविल जजों की बहाली पर लटकी तलवार

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। तुर्की और सीरिया में आए भयानक भूकंप की खबर अखबारों में छाई हुई है।

हिंदुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: तुर्किये, सीरिया में तबाही 2600 जानें गईं। जागरण की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: भूकंप से तुर्किये, सीरिया 2750 से ज्यादा की मौत। भास्कर ने लिखा है घर में सोते लोगों पर भूकंप का कहर: तुर्किये व सीरिया में 2300 जानें गईं। अखबारों में मौतों की गिनती अलग होने की वजह रिपोर्टिंग का वक़्त है। अखबारों के अनुसार तुर्किये (तुर्की) और सीरिया में सोमवार को एक के बाद एक आए कई जलजलों ने भारी तबाही मचाई। रिक्टर पैमाने पर 7.8 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप में 3000 से अधिक लोगों की मौत हो गई। पलक झपकते ही इमारतें जमींदोज हो गईं जिसमें हजारों लोगों के घायल होने की आशंका है। भूकंप के झटके लेबनान, साइप्रस, इजरायल, इराक, डेनमार्क, ग्रीनलैंड और फलस्तीन में भी महसूस हुए। राहत और बचाव कार्य जारी हैं। तुर्किये के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने ट्वीट कर कहा, भूकंप में 1762 से अधिक लोग मारे गए। उधर, सीरियाई सरकारी मीडिया ने बताया कि भूकंप से सीरिया सरकार के नियंत्रण वाले इलाकों में 1300 लोगों की मौत हुई है, जबकि 1200 से अधिक लोग घायल हुए हैं।

उपेंद्र कुशवाहा पर क्या बोले नीतीश
जागरण की पहली खबर है भाजपा के कहने पर बोल रहे उपेंद्र: नीतीश। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सोमवार को समाधान यात्रा के दौरान बांका जिले के कटोरिया प्रखंड के मनिया व करझौंसा पहुंचे थे। यहां चांदी से मछली बनाने वाले कारीगरों से बातचीत की उन्होंने कहा कि भाजपा के कहने पर उपेंद्र कुशवाहा कुछ भी बोल रहे हैं। उन्हें नेता हमने बनाया है। उनके लोगों को विधायक व विधान पार्षद से लेकर राज्यसभा सदस्य तक तक बनाया। उनके लिए क्या कुछ नहीं किया। इसके बाद भी दो-दो बार वे पार्टी से भागते रहे। तीसरी बार हर हाल में जदयू में रहने की बात की लेकिन इस बार पार्टी के कमजोर होने का बयान दे रहे हैं।
इधर एक और खबर में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा है कि उपेंद्र कुशवाहा अब जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष नहीं हैं और यह पद फिलहाल रिक्त है।

सिविल जजों की बहाली पर तलवार
बिहार में 31वीं न्यायिक अफसर नियुक्ति प्रतियोगिता परीक्षा के रिजल्ट को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए परीक्षा में उत्तीर्ण 214 सिविल जज जूनियर डिविजन सह न्यायिक दंडाधिकारी को नोटिस जारी कर अपना पक्ष प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। जागरण ने इस खबर की सुर्खी लगाई है: परीक्षा परिणाम में गड़बड़ी पर बीपीएससी से जवाब तलब। 16 दिसंबर 2022 को निकाले गए रिजल्ट के खिलाफ कुणाल किशोर सिंह ऋषभ रंजन और 17 अन्य याचिकाकर्ताओं ने कटऑफ के नंबर में छूट को लेकर अनियमितता बरतने की शिकायत की है। उनका कहना है कि नियम के अनुसार कटऑफ में 5% की छूट देने की अनुमति है लेकिन आयोग ने कई आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को मनमाने तरीके से न्यूनतम अंक में 12% तक की छूट देकर इंटरव्यू में बुलाया। यही नहीं इंटरव्यू में वैसे अभ्यर्थियों को साक्षात्कार का अंक 80 से 85% देते हुए उन्हें पूरी परीक्षा में योग घोषित किया गया। यह आरोप भी लगाया गया है कि सामान्य वर्ग के जिन अभ्यर्थियों ने कटऑफ से 80% से अधिक अंक लाया था उन्हें इंटरव्यू में महज 10 से 30 फ़ीसदी अंक देकर अयोग्य घोषित किया गया।

पीएफआई मामले की जांच एटीएस भी करेगा
प्रतिबंधित पीएफआई यानी पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया के सदस्य बताए जा रहे लोगों पर एनआईए की कार्रवाई के साथ-साथ बिहार एटीएस भी जांच करेगा। यह खबर सभी अखबारों में है। पीएफआई को लेकर एनआईए की जांच तीसरे दिन भी जारी रही। हालांकि किसी स्थान पर छापेमारी की कोई सूचना नहीं है। फुलवारीशरीफ में कुछ स्थानों पर शुरुआती जांच करने की सूचना मिल रही है, लेकिन इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। जल्द ही बिहार में कुछ अन्य स्थानों पर इससे जुड़े लोगों की तलाश के लिए छापेमारी हो सकती है। इसके अलावा बिहार एटीएस (आतंकवाद निरोध दस्ता) ने भी इस मामले में जांच शुरू कर दी है। एटीएस की टीम ने यहां कैंप चलाने और इसमें प्रशिक्षण देने वाले उस्मान समेत अन्य संदिग्धों की तलाश भी शुरू कर दी है। राज्य में पीएफआई के तार अन्य कहां-कहां फैले हुए हैं, इसकी जांच भी राज्य की जांच एजेंसी ने शुरू कर दी है। इस मामले में अब तक हुई एनआईए की कार्रवाई में दो संदिग्धों पूर्वी चंपारण के मेहसी थाना के बहादुरपुर निवासी तनवीर रजा और मो. आबिद की गिरफ्तारी की पुष्टि की गई है।

रेलवे में ठप भर्ती
हिन्दुस्तान की एक खास खबर है: रेलवे ने 2019 के बाद नहीं निकाली बड़ी वैकेंसी। रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) ने फरवरी 2019 के बाद बड़ी नियुक्ति के लिए कोई विज्ञापन नहीं निकाला है। रेल मंत्रालय की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार, देशभर में दो लाख 98 973 सीटें खाली हैं। यह जानकारी सांसद प्रमोद तिवारी के प्रश्नों के उत्तर में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में दी है। वर्ष 2019 में ग्रुप डी में एक लाख तीन हजार के अलावा पारा मेडिकल और स्नातक एनटीपीसी को मिलाकर एक लाख 39 हजार रिक्तियां निकाली गई थीं। इन्हीं रिक्तियों को भरने की प्रक्रिया चल रही है।

मेडिकल क्लेम 60% बढ़े
भास्कर की एक खास खबर है देश में एक साल में मेडिकल क्लेम 60% बढ़े, सबसे ज्यादा बढ़ोतरी बिहार में, यूपी दूसरे नंबर पर। बीमा नियामक ‘इरडा’ की रिपोर्ट में यह चौंकाने वाली बात सामने आई है। अख़बार लिखता है कि देश में पर्सनल हेल्थ बीमा के क्लेम सिर्फ 1 साल में 60% बढ़े हैं। बीमा नियामक इरडा के अनुसार 2021 में कुल 95.33 लाख लोगों को इलाज का बीमा क्लेम मिला था। 2022 में यह संख्या 1.48 करोड़ रही। विशेषज्ञों के अनुसार इसकी एक वजह पोस्ट कोविड-19 हो सकती है। देश में 2015 में 1.08 करोड़ हेल्थ पॉलिसी के जरिए 28.55 करोड़ लोगों का बीमा हुआ था। कंपनियों को 19873 करोड़ रुपए का प्रीमियम मिला था। 18, 222 करोड़ रुपए के क्लेम दिए। 1651 करोड़ रूपया कंपनियों का मार्जिन रहा। 2021-22 में 52 करोड़ लोगों ने बीमा लिया। यानी बीमा धारक दुगने हो गए।

पंडितों पर भागवत का बयान, आरएसएस की सफाई
जागरण ने खबर दी है: पंडितों से संघ प्रमुख का आशय विद्वानों से था: सुनील आंबेकर। आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने रविवार को संत रविदास जयंती समारोह में संघ प्रमुख मोहन भागवत द्वारा दिए गए बयान पर सफाई दी। आंबेकर ने भागवत के बयान को पोस्ट करते हुए ट्वीट किया: सच तो यह है कि मैं सभी प्राणियों में हूं, इसलिए नाम जो भी हो लेकिन योग्यता एक है, सम्मान एक है, सभी का अपनापन है। कोई ऊंचा या नीचा नहीं है। शास्त्रों का आधार लेकर पंडितों (विद्वानों) द्वारा ऊंच-नीच की बात करना झूठ है। मीडिया से बात करते हुए आरएसएस नेता ने कहा कि मोहन भागवत ने पंडित का उल्लेख किया जिसका अर्थ है विद्वान।

कुछ और सुर्खियां
● अदानी मामले पर विपक्ष के हंगामे से दोनों सदनों की कार्यवाही ठप
● पटना हाईकोर्ट में 550 सहायक पदों के लिए आवेदन शुरू
● हज के लिए गया सहित 25 शहरों से फ्लाइट
● मगध विश्वविद्यालय के पूर्व वीसी राजेंद्र प्रसाद की गिरफ्तारी के लिए यूपी में छापा
● सारण में युवक की हत्या के बाद हुए बवाल के बाद 8 तक इंटरनेट सेवा बंद की गई
● डाकघर में बनेंगे जाति, आवासीय प्रमाण पत्र
● मधुबनी के डीपीओ का मुजफ्फरपुर से अपहरण, मोबाइल बंद
● राशन दुकानदारों की तीन दिनी हड़ताल आज से
● दिल्ली में महापौर चुनाव तीसरी बार टला, सुप्रीम कोर्ट जाएगी आप
● पटना मेट्रो पैसे के अभाव में छह स्टेशनों का काम अटका
● सेंटर ऑफ एक्सीलेंस को नहीं मिल रहे विद्यार्थी, पत्रकारिता में 30 सीटों में पांच पर नामांकन

अनछपी: बीपीएससी द्वारा बिहार में सिविल जजों की नियुक्ति का मामला कोर्ट पहुंच चुका है। सरकारी नौकरियों में बहाली की दर वैसे ही काफी कम हो चुकी है और उनमें भी अब तरह-तरह की अनियमितताएं सामने आती रहती हैं। बिहार से बाहर भी प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्नपत्र पहले ही मिल जाते हैं जिसके बाद परीक्षा रद्द की जाती है लेकिन कई बार परीक्षा लेने वाली एजेंसी यह बात नहीं मानती और इससे उन उम्मीदवारों के साथ नाइंसाफी होती है जो ऐसे गलत तरीके नहीं अपनाते हैं। जजों की नियुक्ति के मामले में जैसी शिकायत की गई है अगर वह सही है तो यह बहुत ही चिंताजनक बात है। कट ऑफ के नियम के उल्लंघन की भी शिकायत गंभीर लगती है क्योंकि आयोग यह काम अपने नियमों को ही तोड़ कर कैसे कर सकता है? इसमें इंटरव्यू के नंबरों में की गई मनमानी भी सोचने की बात है। वैसे भी इंटरव्यू में बोर्ड के सदस्य अगर यह जान लेते हैं कि कौन उम्मीदवार किस जाति या वर्ग का है तो निष्पक्षता की उम्मीद कम हो जाती है। ऐसे इंटरव्यू में बोर्ड के सदस्य के लिए निष्पक्ष होना सैद्धांतिक रूप से तो संभव माना जा सकता है लेकिन व्यावहारिक रूप से नहीं। फिलहाल तो कोर्ट इन मामलों को देख रहा है और कागजात देखने के बाद ही तय हो पाएगा कि कटऑफ के नियम का उल्लंघन हुआ है या नहीं और लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के अंकों में कितना बड़ा अंतर है।

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