छ्पी-अनछ्पी: चार लाख कर्मचारियों को मिलेगा प्रोमोशन, ग़ज़ा से महापलायन
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार सरकार के चार लाख कर्मचारियों को प्रोमोशन देने की तैयारी की खबर सभी जगह प्रमुखता से ली गयी है। इसराइल के अल्टीमेटम के बाद ग़ज़ा से लोगों के पलायन की खबर की भी अच्छी कवरेज है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत की 111 वीं पोज़िशन है लेकिन इस खबर को तवज्जो नहीं मिली है।
जागरण की सबसे बड़ी सुर्खी है: चार लाख कर्मियों को मिलेगी प्रोन्नति। प्रभात खबर की मेन हेडलाइन है: राज्य सरकार ने कर्मियों को दिया बड़े वेतनमान के साथ प्रोमोशन का तोहफा। हिन्दुस्तान ने लिखा है: राज्य कर्मियों को मिलेगा पदोन्नति के समान प्रभार। बिहार सरकार ने राज्यकर्मियों को दशहरे का तोहफा देते हुए उनकी प्रोन्नति का फैसला किया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई बैठक में राज्य मंत्रिपरिषद ने इस प्रस्ताव पर सहमति दे दी। सभी योग्य पदाधिकारियों और कर्मचारियों को वेतनमान समेत प्रोन्नति की सारी सुविधाएं देने का निर्णय किया है। इसका सीधा लाभ तत्काल 76595 कर्मियों-अधिकारियों को होगा। इतने पद अभी प्रोन्नति के लिए रिक्त पड़े हैं। बैठक के बाद कैबिनेट के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित होने के कारण 11 अप्रैल 2019 से राज्यकर्मियों की प्रोन्नति रुकी हुई थी। पदोन्नति का निर्णय सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने तक तदर्थ आधार पर लागू होगा। आगे कोर्ट का फैसला ही मान्य होगा। यदि कोर्ट का फैसला पक्ष में नहीं आता है तो राज्यकर्मियों को पदावनत तो किया जाएगा, लेकिन उन्हें दी गयी राशि की वसूली नहीं होगी।
साढ़े चार साल बाद हुआ फैसला
करीब साढ़े चार वर्ष के बाद राज्य सरकार ने अपने पदाधिकारी-कर्मचारियों को नियमित प्रोन्नति और उच्च स्तर के वेतनमान का लाभ देने का निर्णय लिया है। सरकार के निर्णय के बाद कार्यकारी व्यवस्था के तहत पद मिलने के बाद भी अपने ही वेतनमान में काम करने वाले सरकारी सेवकों को इससे मुक्ति मिल जाएगी। पदाधिकारी-कर्मचारी जिस स्तर पर अपनी सेवा देंगे उन्हें उसी स्तर पर वेतनमान और अन्य सुविधाएं मिलेंगी। सरकार के निर्णय का लाभ चार लाख से अधिक सरकारी सेवकों को मिलेगा।
ग़ज़ा से महापलायन
भास्कर की अहम सुर्खी है: ग़ज़ा से महापलायन। अखबार लिखता है कि इसराइल ने ग़ज़ा पट्टी में घुसकर आरपार की लड़ाई शुरू कर दी है। बंधकों को छुड़ाने के लिए सेना शुक्रवार रात 11बजे ग़ज़ा में घुस गई। इससे पहले इसराइल ने ग़ज़ा के उत्तरी शहरों से लोगों को पलायन कर दक्षिण में जाने का अल्टीमेटम दिया था। लोगों ने पलायन भी किया है। कुल 11 लाख लोगों को लगभग 13 किलोमीटर का सफर तय कर दक्षिणी ग़ज़ा इलाके में जाकर जान बचाने को कहा गया था। लोग दिन भर घर छोड़कर जाते दिखे। गाड़ियों पर हमले के डर से लोग क्षतिग्रस्त रास्तों से पैदल निकले। दूसरी ओर तेल अवीव में भी बम के सायरन सुनाई दिए। यहां के इजरायली लोग भी घरों से पलायन कर रहे हैं। उत्तरी ग़ज़ा को खाली करने के इसराइल के अल्टीमेट पर संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि यह संभव है लाखों लोगों की जान खतरे में है। अब हालात भयंकर होंगे।
फ़लस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन
ग़ज़ा में इसराइल की कार्रवाई के खिलाफ देश और विदेश के कई हिस्सों में शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद प्रदर्शन किए गए। श्रीनगर की ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में सामूहिक नमाज की अनुमति नहीं दी गई। हैदराबाद में जुमे की नमाज के बाद स्थानीय लोगों ने फिलस्तीन के समर्थन में विरोध प्रदर्शन किया। ईरान, जॉर्डन, सीरिया, लेबनान, बांग्लादेश, इराक और रोम आदि में प्रदर्शन हुए। उधर, फ्रांस और जर्मनी ने फलस्तीन समर्थक प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके साथ ही यहूदी स्कूलों में सुरक्षा बढ़ा दी गयी है।
इसराइल से लौटे भारतीय
इसराइल से विशेष विमान के जरिये शुक्रवार को स्वदेश पहुंचे भारतीयों के चेहरों पर देश लौटने की खुशी साफ झलक रही थी। यात्रियों ने यहां आपबीती बताई तो उनकी आंखे छलक पड़ीं। हवाईअड्डे पर इसराइल से लौटे लोगों ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि किस तरह उनकी जान पर खतरा बना हुआ था। बताया कि हमास जब इसराइल पर मिसाइल दागता तो उन्हें बंकर में छिपना पड़ता था। मालूम हो कि ऑपरेशन अजय के तहत शुक्रवार सुबह 212 भारतीयों को लेकर लेकर एक विशेष विमान नई दिल्ली पहुंचा।
वेतन 38 हज़ार, किराया देते हैं 23 हज़ार
हिन्दुस्तान के अनुसार बिहार राज्य खाद्य निगम के सहायक प्रबंधक सह उप-महाप्रबंधक शिशिर कुमार वर्मा के पटना व बेतिया स्थित ठिकानों पर ईओयू ने शुक्रवार को छापेमारी की। आय से अधिक संपत्ति के आरोप में कांड दर्ज कर सुबह से देर शाम तक छापेमारी की गयी। शिशिर के खिलाफ खाद्य निगम में कार्यरत रहते हुए आय के स्रोत से 45,71,967 रुपये अधिक की संपत्ति अर्जित करने का आरोप है, जो कि उनकी ज्ञात आय से 101.6 प्रतिशत अधिक है। ईओयू सूत्रों के अनुसार शिशिर का मासिक वेतन करीब 38 हजार रुपये है, जबकि वह 23 हजार रुपये मासिक किराए के फ्लैट में रहते हैं और बिजली बिल अलग है। छापेमारी के दौरान पांच लाख 20 हजार नकद सहित अन्य दस्तावेज मिले।
देश में भुखमरी की स्थिति चिंताजनक: लालू
राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद ने कहा कि देश में भूख और भुखमरी की स्थिति काफी चिंताजनक है। उन्होंने बताया कि गुरुवार को जारी वैश्विक भुखमरी सूचकांक-2023 (ग्लोबल हंगर इंडेक्स – 2023) के मुताबिक भारत दुनिया के 125 देशों में 111वें स्थान पर है। भारत का स्कोर 28.7 प्रतिशत है जो इसे ऐसी कैटेगरी में लाता है जहां भूख और भुखमरी की स्थिति अति गंभीर और चिंताजनक है। सोशल मीडिया के माध्यम से जारी बयान में लालू प्रसाद ने कहा कि 2013 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत 63 वें स्थान पर था। भाजपा सरकार की गरीब विरोधी नीतियों के चलते भारत भुखमरी सूचकांक में 10 वर्षों में 63 वें स्थान से फिसलकर 111वें स्थान पर आ गया है।
महाराष्ट्र की अयोग्यता याचिका
जागरण की खबर है: अयोग्यता याचिकाओं के निपटारे में देरी पर कोर्ट ने जताई नाराजगी। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और कई अन्य विधायकों के खिलाफ लंबित उद्धव ठाकरे गुट की अयोग्यता याचिकाओं को निपटाने में महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष द्वारा देरी किए जाने पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा है कि किसी को विधानसभा अध्यक्ष को यह सलाह देनी होगी कि शीर्ष अदालत के आदेश को वह परास्त नहीं कर सकते। अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला अगले विधानसभा चुनाव से पहले लेना होगा अन्यथा पूरी प्रक्रिया निरर्थक हो जाएगी। कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष को सुनवाई का कार्यक्रम और टाइमलाइन तय करके बताने का निर्देश दिया।
कुछ और सुर्खियां
- ओवरहेड तार टूटने से गया-मुगलसराय रेलखंड पर घंटों रुकी रहीं ट्रेनें
- बक्सर हादसे के 43 घंटे बाद दोनों लाइन पर ट्रेनों का परिचालन शुरू, राजधानी समेत कई ट्रेनें लेट चलीं
- लॉस एंजेलेस ओलंपिक 2028 में शामिल होगा क्रिकेट
- ईडी के समन को चुनौती देने वाली झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की याचिका हाई कोर्ट से खारिज
- छत्तीसगढ़ में कांग्रेस 25% से ज्यादा महिला प्रत्याशी उतारेगी
- बिहार में 57 प्रतिशत स्कूल प्राचार्य नहीं जानते ऑनलाइन काम
- पूर्व मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद के बेटे राजवर्धन झा बने विधा परिषद के सदस्य
- बिहार से आज हो जाएगी मानसून की विदाई
अनछपी: अखबारों में सरकार की छवि धूमिल करने वाली खबरों को नहीं छापने का एक बेहतरीन उदहारण है ग्लोबल हंगर इंडेक्स की खबर नहीं छापना जिसके अनुसार भारत 125 देशों में 111वें स्थान पर है। भारत से खराब स्थिति में अफगानिस्तान व अन्य 13 देश हैं। इस सूची के अनुसार पाकिस्तान 102 वें स्थान पर है जबकि श्रीलंका का स्थान 60 वां है। इस बारे में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद के बयान को तो जगह दी गई है लेकिन हंगर इंडेक्स में भारत की स्थिति इतनी खराब होने की खबर को सिरे से नजर अंदाज कर दिया गया है। कुछ अखबारों की वेबसाइट पर यह खबर तो है लेकिन अखबार के प्रिंट एडिशन में यह नहीं देखने को मिला। सरकार ऐसे आंकड़ों को गलत ठहराती है तो इसका मतलब यह नहीं कि उसे छापा ही ना जाए बल्कि सही बात तो यह होती की आंकड़े के साथ सरकार की प्रतिक्रिया भी छाप दी जाती। सरकारी दल के नेता अक्सर यह कहते हैं कि मीडिया पर सरकार का कोई दबाव नहीं है लेकिन अक्सर ऐसा देखने को मिलता है कि जिस खबर से सरकार की छवि खराब होती है उसे सीधे आम लोगों की नजरों से दूर कर दिया जाता है। इस कारण इस पर बात नहीं होती और विपक्ष के नेता भी कम ही इसके बारे में बयान दे पाते हैं। सोचने की बात यह है कि भारत सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर लोगों को मुफ्त अनाज दिया जाता है उसके बावजूद यह स्थिति है। सरकार को चाहिए कि ऐसे इंडेक्स की खबर आने के बाद उसे पर विचार करें और इसका उपाय करे कि स्थिति कैसे बेहतर होगी। प्रेस की स्वतंत्रता के मामले में भी भारत की स्थिति खराब मानी जाती है लेकिन सरकार के समर्थक इसे नहीं मानते। खराब स्थिति की वास्तविकता को स्वीकार करने से ही उसमें सुधार लाया जा सकता है ना कि इस बात पर जोर लगाकर की ऐसी रिपोर्ट को ही खारिज कर दिया जाए। वैकल्पिक मीडिया के भी यह जिम्मेदारी है कि ऐसी रिपोर्ट को लोगों के सामने लाया जाए और सरकार की प्रतिक्रिया भी शामिल की जाए। ऐसी रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर नहीं छापने से तो किसी का भला नहीं होने वाला। सरकार के बारे में यह बात आम है कि वह अपनी गलतियां छिपाना चाहती है लेकिन मीडिया का काम उसे उजागर कर सच्चाई को सामने लाना है।
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