छपी-अनछपी: हायर एडुकेशन की बर्बादी के लिए बदनाम गवर्नर बिहार से गए, ‘अल्लाह-ओम’ पर बवाल

बिहार लोग संवाद डॉट नेट, पटना। बारह राज्यों के राज्यपाल के तबादले की खबर आज सबसे चर्चित है। जमीयत उलेमा ए हिंद के अरशद मदनी द्वारा अल्लाह और उनको एक बताने पर बवाल मचने की खबर भी प्रमुखता से ली गई है। बीपीएससी द्वारा आयोजित होने वाली परीक्षाओं की एक कॉमन पीटी के फ़ैसले को भी पहले पेज पर जगह दी गई है।
हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: अर्लेकर बिहार के राज्यपाल नियुक्त। जागरण की सुर्खी है: फागू मेघालय, अर्लेकर बिहार के राज्यपाल। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर को बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया है। वहीं, बिहार के निवर्तमान राज्यपाल फागू चौहान को मेघालय का राज्यपाल बनाया गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को 12 राज्यों में राज्यपाल और एक केंद्र शासित प्रदेश में उपराज्यपाल की नियुक्ति की। इनमें सेवानिवृत्त जस्टिस एस अब्दुल नजीर समेत छह नए चेहरे हैं, जबकि सात राज्यों में फेरबदल किया है। महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और लद्दाख के उपराज्यपाल राधा कृष्णन माथुर का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है। झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस को महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया गया है।

बीपीएससी की कॉमन पीटी
भास्कर की सबसे बड़ी सुर्खी है: बीपीएससी परीक्षा में बड़ा बदलाव, एक समान परीक्षा के लिए अब साल में एक ही कॉमन पीटी। बीपीएससी अब एक तरह की प्रारंभिक परीक्षाओं के लिए संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा (कॉमन पीटी) लेगा। इसकी शुरुआत इस वर्ष 30 सितंबर से होगी। आयोग के अध्यक्ष अतुल प्रसाद ने रविवार को संवाददाता सम्मेलन में बताया कि सरकार की सहमति के बाद आयोग तैयारी में जुट गया है। बीपीएससी सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा के अतिरिक्त, सीडीपीओ, एपीओ या अन्य सामान्य श्रेणी की परीक्षाओं के लिए एक ही पीटी लिया जाएगा। 30 सितंबर को पहली बार कॉमन पीटी का आयोजन होगा। इसमें 69वीं संयुक्त परीक्षा के अतिरिक्त अन्य विभागों के लिए भी परीक्षा होगी। हालांकि, रिजल्ट के लिए अलग-अलग मेधा सूची तैयार की जाएगी। वैकेंसी मिलने के बाद पहले से तैयार मेधा सूची से संबंधित विभाग के लिए प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम जारी कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि कॉमन मुख्य परीक्षा के आयोजन पर भी विचार चल रहा है।

‘अल्लाह और ओम’ का विवाद
जागरण की दूसरी सबसे बड़ी सुर्खी है: अल्लाह और उनको एक बताने पर बवाल। अखबार के अनुसार जमीअत उलमा ए हिंद का तीन दिवसीय महाधिवेशन अंतिम दिन रविवार को विवादों का अखाड़ा बन गया। धार्मिक सद्भावना को लेकर आयोजित सम्मेलन में हिंदू मुस्लिम धर्मगुरुओं की मंच पर मौजूदगी के दौरान जमीयत के अरशद गुट के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने अल्लाह और ओम को एक बताया। विवाद इतना बढ़ा कि मदनी को शास्त्रार्थ की चुनौती देकर जैन धर्म गुरु लोकेश मुनि व अन्य धर्मगुरु मंच से उतर गए। उन्होंने कहा कि हम आदम की औलाद को आदमी कहते हैं जबकि यह हिंदू मनु की औलाद को मनुष्य कहते हैं। “मैंने बड़े-बड़े धर्मगुरुओं से पूछा कि जब न श्रीराम थे ना ब्रह्मा और शिव तब मनु याद में किसकी पूजा करते थे। बहुत कम लोग बताते हैं कि वह ओम को पूजते थे जिसका कोई रंग नहीं है। उसी ही तो हम अल्लाह कहते हैं।
मौलाना अरशद मदनी ने यह भी कहा कि घर वापसी और सारे मुसलमानों को हिंदू बताने जैसा बयान जाहिल जैसा है।

राहुल को नोटिस
हिन्दुस्तान ने पहले पेज पर खबर दी है: विशेषाधिकार हनन नोटिस पर राहुल गांधी से जवाब मांगा। लोकसभा सचिवालय ने अदानी शेयर घोटाले के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिप्पणी को लेकर विशेषाधिकार हनन के नोटिस पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से 15 फरवरी तक जवाब मांगा है। सचिवालय ने राहुल गांधी को भाजपा के सदस्यों की ओर से दिए गए विशेषाधिकार हनन नोटिस पर जवाब देने को कहा है। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी की ओर से कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन नोटिस दिया गया है।

साइबर फ्रॉड से पैसों की वापसी
भास्कर की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: पुलिस ने 300 खातों से ₹1.58 करोड़ कराया होल्ड, 150 के पैसे लौटे। लॉटरी लगने, इनाम पाने, लोन दिलाने, कंपनी की फ्रैन्चाइज़ी डीलरशिप, डिस्ट्रीब्यूटर बनाने और बिजली काटने आदि का झांसा देकर लोगों के खाते में सेंध लगाने वाले साइबर अपराधियों पर पटना पुलिस ने नकेल कसना शुरू कर दिया है। जिले में करीब 300 लोगों से अधिक के खातों में ये अपराधी सेंध लगा चूके हैं। रकम उड़ा चूके हैं। उड़ाई गई रकम में से ₹1.58 करोड़ को होल्ड कराने में पुलिस सफल रही। करीब 150 लोगों के ₹60,00,000 उनके खाते में लौट भी गए। पुलिस साइबर अपराधियों का डेटाबेस भी बना रही है। पटना एसएसपी ऑफिस में साइबर फ्रॉड की जांच करने, उनके खाते लॉक करने आदि के लिए साइबर क्राइम सोशल मीडिया यूनिट की चार टीमें बनी हैं।

कुछ अन्य सुर्खियां

  • सहरसा में सीबीआई टीम ने रिश्वतखोरी में रेल डीजल डिपो के जेई और कर्मी को किया गिरफ्तार
  • फ्लिपकार्ट और अमेजन को बिना लाइसेंस दवा बेचने पर नोटिस
  • डॉक्टरों की सलाह कुत्ता बिल्ली और बंदर पालने वाले लें एन्टी-रैबीज दवा की डोज़
  • मुजफ्फरपुर टाइम बम मामले के तार कई राज्यों से जुड़े
  • ऑस्ट्रिया में 18000 भारतीयों ने शरण मांगी, होगी इसकी जांच

अनछपी: राजनैतिक हलकों की आम समझ यह है कि राज्यपाल की नियुक्ति वास्तव में अपने दलों और हितों से जुड़े वैसे लोगों को पुरस्कृत करने की योजना है जिन्हें मुख्यमंत्री या मंत्री नहीं बनाया जा सकता लेकिन कोई पद देना जरूरी है। बिहार के बदले गए राज्यपाल फागू चौहान उसी योजना के उदाहरण हैं। कर्नाटक के रहने वाले सुप्रीम कोर्ट से हाल ही में रिटायर हुए जस्टिस अब्दुल नजीर को भी ऐसे ही योजना का अंग बताया जा रहा है। उन्होंने बाबरी मस्जिद और नोटबंदी समेत कई मामलों में सरकार के पक्ष में फैसला दिया था। ऐसा नहीं है कि यह काम सिर्फ भारतीय जनता पार्टी की सरकार कर रही है लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के बारे में कहा जा रहा है कि उन्होंने इस मामले में सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। राज्यपालों को दूसरे दल की सरकारों के समानांतर एक सरकार चलाने का भी आरोप लग रहा है। इस योजना के तहत बने राज्यपाल फागू चौहान के कार्याकाल में बिहार के विश्वविद्यालयों की हालत बुरी होने का आरोप भी लगा है। विश्वविद्यालयों में वाइस चांसलर ट्रक के बहाली में घूस लेने का आरोप भी लग चुका है। दूसरी तरफ विश्वविद्यालयों में सेशन लेट होने के लिए भी बिहार का शिक्षा विभाग राज्यपाल के कार्यालय को ही जिम्मेदार मानता है। नए राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर गोवा के मंत्री रह चुके हैं और उनके नाम कुछ अच्छे काम भी है। इसलिए बिहार को कम से कम शिक्षा व्यवस्था में उनसे अच्छे योगदान की उम्मीद होगी।

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