छ्पी-अनछ्पी: ग़ज़ा में इसराइल का ज़ुल्म जारी, पाकिस्तान पर भारत की जीत की धूम
बिहार लोक संवाद डॉट नेट। ग़ज़ा में इसराइल का ज़ुल्म और लोगों का पलायन जारी है। इससे जुड़ी खबरों को अच्छी कवरेज मिली है। वर्ल्ड कप क्रिकेट में भारत ने पाकिस्तान को आसानी से सात विकेट से हरा दिया जिसकी काफी धूम है।
हिन्दुस्तान की पहली सुर्खी है: यह आग़ाज़, अंजाम अभी बाकी। इसराइल ने उत्तरी ग़ज़ा खाली करने को लेकर जो अल्टीमेटम दिया था उसका समय शनिवार शाम छह बजे समाप्त हो गया। इसराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कहा कि यह महज शुरुआत है। अभी तो हमास ने अपने किए की कीमत अदा करना शुरू किया है, उन्हें भारी अंजाम भुगतना होगा। शनिवार को बड़ी संख्या में इसराइली टैंक गजा पट्टी की ओर कूच करते दिखे। देर रात तक गजा से लोगों का पलायन जारी रहा। सेना ने शनिवार को हमास के दो शीर्ष कमांडरों अली कादी और मेराद अबू मेराद को मार गिराने का दावा किया। कादी ने सात अक्तूबर को इजराइल पर हमले का नेतृत्व किया था और मेराद हमास का वायुसेना प्रमुख थे।
सड़कों पर लोगों का रेला
इजराइल की ओर से शुक्रवार को हमला जारी रहा। जान बचाने की होड़ में सड़कों पर लोगों का रेला उमड़ पड़ा। लोग कार, ट्रक और खच्चरों पर परिजनों के अलावा जरूरत का कुछ सामान लाद कर दक्षिण में मुख्य सड़कों की तरफ निकल पड़े। हमास की मीडिया टीम ने कहा कि युद्धक विमानों ने दक्षिण की ओर जा रही कारों को निशाना बनाया, जिससे उनमें सवार 70 से अधिक लोग मारे गए। सेना ने कहा कि उसके सैनिकों ने आतंकवादियों के सफाए के लिए गजा में छापे मारे और अगवा किए गए लगभग 150 लोगों की तलाश की।
बंधकों के शव मिले
प्रभात खबर सुर्खी है: फलिस्तीनियों का ग़ज़ा से पलायन, मिस्र में लोगों के प्रवेश को लेकर करार। जमीनी कार्रवाई के लिए ग़ज़ा में घुसी इसराइल की सेना को बंधकों के शव मिले हैं। खबर के अनुसार इसराइली डिफेंस फोर्स ने दावा किया कि हमास ने बंधकों को मारने से पहले गंभीर यातनाएं दीं। इसराइल ने कहा कि वह ग़ज़ा की पट्टी में हवाई, जमीनी व नौसैनिक हमले के लिए पूरी तरह से तैयार है। इस बीच फलिस्तीनियों का उत्तरी ग़ज़ा से पलायन जारी है। वहीं मिस्र इसराइल व अमेरिकी ग़ज़ा में विदेशी नागरिकों को रफाह सीमा के जरिए मिस्र में प्रवेश करने की अनुमति देने पर सहमत हो गए हैं।
भारत ने पाकिस्तान को हराया
प्रभात खबर की सबसे बड़ी सुर्खी है: पाकिस्तान फिर पस्त, आठ बार भारत से टकराया, हर बार हारा। भास्कर ने हेडिंग लगाई है: वर्ल्ड कप में विजयाष्टमी। जागरण की मेन हेडलाइन है: ठाठ से आठ। हिन्दुस्तान ने लिखा है: भारत की पाक पर सबसे बड़ी जीत। प्रभात खबर ने लिखा है कि भारतीय गेंदबाजों के सुपरहिट शो के बाद कप्तान रोहित शर्मा के धमाकेदार 86 रन और श्रेयस अय्यर के नाबाद 53 रनों की बदौलत भारत ने विश्व कप क्रिकेट में पाकिस्तान पर सात विकेट की आसान जीत दर्ज की। भारत ने विश्व कप में अपनी जीत का सिलसिला बरकरार रखते हुए आठवीं बार पाकिस्तान को मात दी। विश्व कप के इस सबसे हाई वोल्टेज मुकाबले में भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने टॉस जीतकर पाकिस्तान को बल्लेबाजी के लिए आमंत्रित किया। पाकिस्तान की पारी 191 रनों पर सिमट गई।
प्रोमोशन के लिए स्क्रीनिंग कमेटी
बिहार सरकार के अफसरों व कर्मियों को वेतनमान सहित प्रोन्नति की कार्यकारी व्यवस्था लागू करने के राज्य मंत्रिमंडल के फैसले के अगले ही दिन इसे अमली जामा पहनाने की कवायद आरंभ हो गई। सरकार ने कर्मियों को पदोन्नति देने हेतु विभागीय स्क्रीनिंग कमेटी गठित कर दी है। सामान्य प्रशासन विभाग ने शनिवार को इससे संबंधित आदेश जारी किया। इसके साथ ही पांच सदस्यी विभागीय स्क्रीनिंग कमेटी को कर्मियों की वरीयता जांचने से लेकर पदोन्नति का प्रस्ताव तैयार करने तक की पूरी जवाबदेही तय कर दी गई है।
सरकारी बॉडीगार्ड रखने का चार्ज बढ़ा
प्रभात खबर की खबर है: सरकारी बॉडीगार्ड के लिए देने होंगे अधिक पैसे। निजी व्यक्ति या प्रतिष्ठानों की सुरक्षा में बिहार पुलिस के पदाधिकारी कर्मियों की सेवा लेने पर अब अधिक शुल्क देना होगा। गृह विभाग ने बैंक विभिन्न संस्थान और निजी इकाइयों को सुरक्षा में पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति पर ली जाने वाली राशि में बढ़ोतरी कर दी है। इंस्पेक्टर स्तर के पदाधिकारी के लिए अब यह राशि 5382 रुपये जबकि सिपाही के लिए 2663 प्रतिदिन की दर से होगी।
बीस दिनों में 13 लाख बच्चों के नाम कटे
भास्कर की खबर है कि पिछले 20 दिनों में यानी 22 सितंबर से 11 अक्टूबर तक विभिन्न जिलों में स्कूलों से 1387000 बच्चों का नामांकन रद्द किया गया है। बिना सूचना दिए लगातार 15 दिनों तक स्कूल नहीं आने वाले छात्र-छात्राओं का नामांकन रद्द किया जा रहा है। अनुपस्थित रहने वाले 15 लाख 96817 बच्चों का अब तक नामांकन रद्द हुआ है। पटना जिले में 83799 बच्चों का नाम काटा है। एक साथ सरकारी और निजी विद्यालयों में नामांकित रहने के कारण बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ाई के लिए नहीं आते हैं। योजनाओं का लाभ लेने के लिए दोनों जगह नाम लिखाते हैं। इस कारण यह कार्रवाई की गई है।
कुछ और सुर्खियां
- पितृपक्ष में 15 लाख लोग गया आए, ढाई सौ करोड़ का कारोबार
- पटना सहित राज्य के 10 जिलों में आज से शुरू होगा बालू उठाव
- रघुनाथपुर में मेगा ब्लॉक से 7 ट्रेनें रद्द, 75 के मार्ग बदले
- 2036 में ओलंपिक की मेजबानी की कोशिश में कसर नहीं छोड़ेंगे: मोदी
- भारत में ही रफ़ाल बनाना चाहती है फ्रांसीसी कंपनी
- न्यूजीलैंड के अगले प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन होंगे
- हिंदुओं से भेदभाव कर रही सरकार: गिरिराज सिंह
अनछ्पी: पिछले कई दिनों से बिहार के सरकारी स्कूलों से बच्चों के नाम काटे जाने की सूचना आ रही है। इसकी वजह यह है कि अब स्कूलों में इस बात पर कड़ाई की जा रही है कि जो छात्र-छात्रा 15 दिनों तक लगातार स्कूल नहीं आ रहे हैं उनका नाम काट दिया जाए। यह नियम तो पहले भी था लेकिन इस पर अमल अब शुरू हुआ है। यह बात लगभग सबको पता है कि आम आदमी की नजर में सरकारी स्कूल में पढ़ाई नहीं होती, इसलिए वहां सिर्फ नाम लिखाया जाता है ताकि सरकारी स्कूल में मिलने वाली छात्रवृत्ति और साइकिल व पोशाक के पैसे मिलते रहें। ऐसे बच्चों के मां-बाप उनका नाम प्राइवेट स्कूलों में लिखाए रहते हैं। नतीजा यह होता है कि अगर रजिस्टर पर 70 बच्चों का नाम है तो सरकारी स्कूल में 20-25 बच्चे ही आते हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या नाम काटे जाने से पहले जो प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए उस पर शिक्षक ध्यान दे रहे हैं? उदाहरण के लिए नियम यह है कि अगर बच्चे लगातार स्कूल ना आ रहे हो तो वहां स्कूल के बच्चे को भेज कर उन्हें स्कूल बुलवाया जाए। स्कूल के बच्चों के जाने के बाद भी अगर बच्चा स्कूल न पहुंचे तो शिक्षक को भेजने का नियम है। इसके बावजूद अगर बच्चा स्कूल न पहुंचे तो हेड मास्टर को उसके गार्जियन से मिलने का नियम है। पहले लगातार 30 दिनों तक स्कूल नहीं आने वाले बच्चों का नाम काट दिया जाता था अब 15 दिनों में ही यह व्यवस्था की गई है। राहत की बात यह है कि नाम काटे गए बच्चे दोबारा नाम लिखा सकते हैं। इसके लिए उनके गार्जियन को यह शपथ पत्र देना होगा कि आगे से बच्चे नियमित स्कूल आएंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि कुछ दिनों के बाद कितने बच्चों के गार्जियन शपथ पत्र देते हैं और कितने बच्चों का दोबारा नामांकन कराया जाता है। बहरहाल बच्चों की हाजिरी बढ़ाने के साथ-साथ स्कूल में पढ़ाई बढ़ाई जाए तो शायद हाजिरी का प्रतिशत बेहतर हो।
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