छपी-अनछपी: वीसी का वेतन रोकने पर सरकार व राजभवन में तकरार, अररिया में पत्रकार की हत्या

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। जब से शिक्षा विभाग की कमान सीनियर आईएएस अफसर केके पाठक को मिली है प्राइमरी स्कूल से लेकर यूनिवर्सिटी तक हलचल मची हुई है। ऐसे में जब शिक्षा विभाग ने मुजफ्फरपुर स्थित बिहार विश्वविद्यालय के वीसी के वेतन पर रोक लगाई तो अब राजभवन इस मामले में हस्तक्षेप कर रहा है। इससे जुड़ी खबर को काफी अहमियत मिली है। अररिया में एक पत्रकार की हत्या की खबर भी पहले पेज पर प्रमुखता से ली गई है।

भास्कर की सबसे बड़ी खबर है: राजभवन व सरकार में ठनी। हिन्दुस्तान की सुर्खी है मनमानी न करे शिक्षा विभाग: राजभवन। बीआरए बिहार विश्वविद्याल, मुजफ्फरपुर के मामले पर अब राज भवन और सरकार आमने-सामने है। विश्वविद्यालय के बैंक खाता संचालन पर सरकार ने रोक लगाई तो राजभवन ने सरकार का आदेश नहीं मानने के लिए बैंक को पत्र लिख दिया। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक के निर्देश पर 17 अगस्त को बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति और प्रति कुलपति का वेतन रोक दिया गया था। साथ ही विश्वविद्यालय प्रशासन के वित्तीय अधिकार पर भी रोक लगा दी गई थी। राज्यपाल के प्रधान सचिव आरएल चोंगथू ने शिक्षा विभाग के सचिव वैद्यनाथ यादव को पत्र लिखकर कहा कि सरकार को विश्वविद्यालय में ऑडिट का अधिकार है लेकिन वेतन रोकने और वित्तीय पावर सीज करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने इसे विश्वविद्यालय की स्वायत्तता पर हमला बताते हुए इस आदेश को वापस लेने को कहा है। विभाग ने कॉलेजों का निरीक्षण न करने, लंबित परीक्षा के आयोजन में लापरवाही आदि को लेकर यह कार्रवाई की थी।

अररिया में पत्रकार की हत्या

जागरण की सबसे बड़ी खबर है: अरिया में पत्रकार की हत्या, घर से बुलाकर अपराधियों ने गोली मारी। अखबार लिखता है कि बेलगाम हो चुके अपराधियों ने शुक्रवार की सुबह करीब 5:15 पर दैनिक जागरण के पत्रकार विमल कुमार यादव को घर से बुलाकर गोली मार दी। अस्पताल में उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। घटना अररिया जिले के रानीगंज में प्रेम नगर साधु आश्रम मोहल्ला में हुई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस पर संज्ञान लेते हुए कार्रवाई का आदेश दिया है। अपराधियों ने पत्रकार के घर का दरवाजा खुलवाया और बाहर निकलते ही गोली मार दी और आराम से चलते बने। 4 वर्ष पहले उनके छोटे भाई शशि भूषण कुमार की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। वह बलसारा पंचायत के सरपंच थे। भाई की हत्या के मामले में कोर्ट में सुनवाई चल रही है। विमल इस मामले में इकलौते गवाह थे।

प्रभुनाथ सिंह डबल मर्डर में दोषी

हिन्दुस्तान की खबर है: पूर्व सांसद प्रभुनाथ दोहरे हत्याकांड में उच्चतम न्यायालय से दोषी करार। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को 28 साल पुराने दोहरे हत्याकांड में राजद नेता व पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को दोषी ठहराया है। शीर्ष कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें सिंह को निचली अदालत द्वारा बरी करने को सही ठहराया गया था। सजा पर एक सितंबर को सुनवाई होगी। प्रभुनाथ सिंह को 1995 में 47 साल के दारोगा राय और 18 साल के राजेंद्र राय की हत्या के जुर्म में दोषी ठहराया गया है। सिंह को कितनी सजा दी जाए, इस बारे में कोर्ट में 1 सितंबर को बहस होगी। इसके साथ ही कोर्ट ने बिहार के गृह सचिव और डीजीपी को प्रभुनाथ सिंह को हिरासत में लेने और 1 सितंबर को पेश करने का आदेश दिया है। पीठ ने मरने से पहले राजेंद्र राय द्वारा दर्ज कराए गए बयान, जिसके आधार पर प्राथमिकी दर्ज हुई को मृत्युपूर्व दिया गया बयान मानते हुए सिंह को दोषी ठहराया है।

शिक्षक भर्ती: निगेटिव मार्किंग नहीं

हिन्दूस्तान की सबसे बड़ी खबर है: शिक्षक भर्ती परीक्षा में नेगेटिव मार्किंग नहीं। बिहार लोक सेवा आयोग ने शिक्षक नियुक्ति परीक्षा से पांच दिन पहले निगेटिव मार्किंग हटाने की घोषणा की है। गलत उत्तर देने पर अभ्यर्थियों के अंक नहीं काटे जाएंगे। इसके पहले आयोग ने परीक्षा में एक चौथाई निगेटिव मार्किंग तय की थी। यह जानकारी आयोग के अध्यक्ष अतुल प्रसाद ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में दी। शिक्षक नियुक्ति परीक्षा 24 से 26 अगस्त तक पूर्व निर्धारित समय पर होगी। इसमें आठ लाख 15 हजार अभ्यर्थी शामिल होंगे। पटना में 40 समेत राज्यभर में 850 केन्द्र बनाए गए हैं। कुल एक लाख 70 हजार 461 शिक्षकों की बहाली होगी।

मणिपुर में फिर हिंसा, तीन की मौत

मणिपुर में शुक्रवार को फिर जातीय हिंसा भड़क गई। उखरूल जिले के कुकी थोवाई गांव में हमलावरों ने गोलीबारी कर तीन लोगों की हत्या कर दी। अधिकारियों ने बताया कि हिंसा के हालिया दौर में तांगखुल नगाओं के प्रभुत्व वाले उखरूल जिले में पहली बार हमला हुआ है। उन्होंने बताया कि ताजा हिंसा लिटान पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले एक गांव में हुई, जहां सुबह-सुबह भारी गोलीबारी की आवाज सुनाई दी।

कुछ और सुर्खियां

  • बेतिया में बाइक पर सवार पांच नाबालिकों को स्कोर्पियो ने धक्का मारा, तीन की मौत
  • जब व्यक्तिगत डेटा सार्वजनिक नहीं होगा तो जाति का ब्योरा देने में क्या हर्ज: सुप्रीम कोर्ट
  • मुजफ्फरपुर के कुढ़नी अंचल के सीओ पंकज कुमार 40 हज़ार घूस लेते गिरफ्तार
  • लालू प्रसाद की जमानत रद्द करवाने की मांग पर 25 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
  • पूर्वी चंपारण और छपरा में नक्सलियों के विरुद्ध एनआईए ने की छापेमारी
  • गोल्ड वैल्यूअर की मिलीभगत से नकली सोना देकर बैंक ऑफ़ बड़ौदा की बख्तियारपुर शाखा से 5 करोड़ कर्ज लिया, 150 पर मुकदमा

अनछपी: बिहार विश्वविद्यालय के वीसी और प्रो वीसी का वेतन रोका जाना और इसपर राजभवन का हस्तक्षेप दोनों अफसोस की बात है। यह बात दोहराने की है कि बिहार में उच्च शिक्षा की जिम्मेदारी काफी हद तक राज्यपाल और राजभवन पर है। राज्यपाल सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति होने के नाते वहां होने वाली नियुक्तियों के भी जिम्मेदार होते हैं जिसमें वीसी, प्रो वीसी और रजिस्ट्रार की नियुक्ति प्रमुख है। शिक्षा विभाग के सबसे बड़े अधिकारी के के पाठक पर मनमानी के आरोप लगते हैं लेकिन हाल में स्कूल-कॉलेजों में पढ़ाई को बेहतर करने की उनके कोशिशों को सराहा भी गया है। बताया जा रहा है कि स्कूलों में शिक्षक अब समय पर पहुंचते हैं और हाजिरी बनाने में गड़बड़ी करने में कमी आई है। यही नहीं बिना सूचना गैर हाजिर रहने वाले शिक्षकों का वेतन भी रोका गया है। स्कूलों में शिक्षकों की लाबी उतनी मजबूत नहीं इसलिए इसका विरोध सामने नहीं आया लेकिन जब यही नियम विश्वविद्यालय में लागू किया गया तो इसका विरोध शुरू होने लगा। वीसी और प्रो वीसी के वेतन रोकने का अधिकार शिक्षा विभाग के पास है या नहीं यह तो नियम देखकर तय हो जाएगा लेकिन उन के ऑफिस की ओर से की जा रही कोताही ओं पर राजभवन ने अब तक क्या किया यह भी बताना चाहिए। बिहार में विश्वविद्यालयों की परीक्षाएं काफी देर से होती हैं और रिजल्ट आने में भी काफी समय लगता है, इसके लिए किसे जिम्मेदार माना जाए राजभवन को यह भी बताना चाहिए। विश्व विद्यालय के शिक्षक यदि समय पर पढ़ाने नहीं पहुंचेंगे तो उनके खिलाफ कार्रवाई करने की क्या प्रक्रिया होगी? राजभवन को यह भी बताना चाहिए। बिहार में उच्च शिक्षा की बदहाली के लिए काफी हद तक राजभवन को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए लेकिन इस बारे में चर्चा कम ही होती है। हालत यह है कि वीसी तक पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं और हाल ही में राजभवन को इस बात की अनुमति देनी पड़ी थी कि सरकार एक पूर्व कुलपति समेत कई लोगों पर भ्रष्टाचार के आरोप में मुकदमा चलाए। वीसी का वेतन रोकने को इज्जत का मामला बनाए बिना शिक्षा विभाग को चाहिए कि विश्वविद्यालयों में पढ़ाई को प्राथमिकता देने की व्यवस्था बने। राजभवन सिर्फ यह कहकर नहीं बच सकता कि सरकार मनमानी न करें, और दूसरी और शिक्षक मनमानी करते रहें। राजभवन को चाहिए कि शिक्षा विभाग उच्च शिक्षा में जो सुधार करने के कदम उठा रहा है उसका नियम पूर्वक समर्थन करें और सिर्फ वही हस्तक्षेप करें जहां बेहद जरूरी हो जाए।

 

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