छपी-अनछपी: माफी से पहले विधानसभा में लड्डू विवाद, दिल्ली में विपक्षी दलों का मार्च

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। भाजपा विधायक द्वारा माइक तोड़ने से बिहार विधानसभा में जो गतिरोध पैदा हुआ था वह उनके माफी मांगने से दूर हो गया। माले के विधायक ने भी अपने शब्दों के लिए खेद व्यक्त किया। लेकिन इसी बीच वहां लड्डू विवाद भी हो गया। इनसे संबंधित खबरें सभी अखबारों में प्रमुखता से ली गई हैं। उधर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गौतम अदानी शेयर घोटाला मामले में विपक्षी दलों ने कांग्रेस के नेतृत्व में मार्च किया। इसकी खबर भी अहम सुर्खी बनी है।

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: विधानमंडल में गतिरोध टूटा, लखेन्द्र का निलंबन वापस। विधानमंडल में मंगलवार की पहली पाली से शुरू हुआ गतिरोध बुधवार की दूसरी पाली में दूर हुआ। विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी द्वारा भाजपा विधायक लखेन्द्र कुमार रौशन का निलंबन वापस लेने की घोषणा के साथ ही सब सामान्य हो गया। भाजपा विधायक ने माइक तोड़ने को लेकर खेद प्रकट किया। माले विधायक सत्यदेव राम ने भी आपत्तिजनक शब्द कहे जाने पर खेद प्रकट किया। दोनों ओर से खेद प्रकट करने के बाद भोजनावकाश के बाद सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से संचालित हुई।

लड्डू विवाद

भास्कर की सुर्खी है: विधानसभा में अध्यक्ष और बाहर भाजपा ने चलाया सदन, लड्डू खिलाने को लेकर भाजपा-राजद में तकरार। जागरण ने लिखा है: भाजपा चला रही थी समानांतर सत्र, राजद के लड्डू वितरण से हो गया विवाद। बिहार विधानसभा पोर्टिको में बुधवार को लड्डू की थाली पलट दी गई। भाजपा और राजद सदस्यों के बीच खूब विवाद हुआ। नौबत मारपीट तक की हो गई। स्थिति बिगड़ती देख मौके पर तैनात पुलिस को बीच बचाव करना पड़ा, तब कहीं जाकर मामला शांत हुआ। हुआ यह कि भाजपा सदस्य समानांतर विधानसभा चला रहे थे। सर्वसम्मति से सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव लाकर विधानसभा अध्यक्ष बिहारी चौधरी को उनके पद से हटा दिया। समानांतर विधानसभा अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी भागीरथी देवी को मिली। इसी बीच दिल्ली से खबर आई कि राउज एवेन्यु कोर्ट ने जमीन के बदले नौकरी मामले में लालू प्रसाद, राबड़ी देवी और उनकी पुत्री मीसा भारती को जमानत दे दी है। इसपर राजद विधायक विजय कुमार और अन्य लड्डू की थाली लेकर बाहर निकले। वे भाजपा सदस्यों को लड्डू खिलाने की कोशिश करने लगे। धरना में बैठे भाजपा सदस्य हरिभूषण ठाकुर बचौल ने इसका विरोध किया और लड्डू की थाली उलट दी।

लालू को जमानत, तेजस्वी की अर्जी

लालू, राबड़ी और मीसा को नौकरी के बदले जमीन मामले में जमानत मिलने की खबर हिन्दुस्तान ने पहले पेज पर ली है। इस मामले में आरोपी पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद, राबड़ी देवी और मीसा भारती बुधवार की सुबह राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए। लालू समेत सभी आरोपियों ने अदालत के समक्ष जमानत याचिका दायर की, जिसे अदालत ने मंजूर कर लिया। 74 वर्षीय लालू प्रसाद सुबह करीब 10 बजे व्हीलचेयर पर राउज एवेन्यू कोर्ट पहुंचे। लालू परिवार के सदस्यों समेत सभी आरोपी करीब 11 बजे विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल की अदालत के समक्ष पेश हुए। विशेष न्यायाधीश ने 27 फरवरी को लालू प्रसाद की बेटी मीसा भारती समेत सभी आरोपियों को समन जारी किया था।

इसी मामले में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया। उन्होंने पेशी के लिए जारी सीबीआई की दिल्ली शाखा से समन को रद्द करने की मांग की है। अपनी याचिका में तेजस्वी ने कहा है कि सीआरपीसी की धारा 160 के तहत समन केवल उसे जारी किया जा सकता है, जो उस थाने या आसपास के थाना क्षेत्र का हो। जबकि, तेजस्वी पटना के हैं। इसलिए, यह समन सीआरपीसी का उल्लंघन है। कोर्ट में इस पर गुरुवार को सुनवाई होगी।

सुशील मोदी की किताब, सीबीआई व ईडी

भास्कर की सबसे बड़ी सुर्खी है: सीबीआई-ईडी जिन तथ्यों को आधार बना नौकरी घोटाले की जांच कर रही उनका जिक्र सुशील मोदी 4 साल पहले अपनी किताब में कर चुके। इस खबर में बताया गया है कि सीबीआई और ईडी जिन मुद्दों पर जांच कर रही है, दरअसल वह वही आरोप हैं जो भाजपा के वर्तमान राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने 4 साल पहले अपनी किताब ‘लालू-लीला’ में लगाए थे।

संसद में सरकार, सड़क पर विपक्षी

हिन्दुस्तान की सुर्खी है: संसद में सत्तापक्ष, सड़क पर विपक्षी दल आक्रामक। भास्कर की हेडलाइन है: कांग्रेस के साथ 16 दल एकजुट कमा तृणमूल समेत 13 के सुर अलग। संसद सत्र के दूसरे चरण में सत्तापक्ष और विपक्ष में तकरार और तेज हो गई है। सत्तापक्ष ने बुधवार को भी दोनों सदनों में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के लंदन में दिए बयान पर माफी की मांग उठाई। वहीं, कांग्रेस समेत 16 विपक्षी दलों ने अदानी मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से कराने की मांग को लेकर पैदल मार्च निकाला। विपक्षी सांसद ईडी निदेशक को ज्ञापन पत्र सौंपना चाहते थे, मगर पुलिस ने उन्हें विजय चौक पर ही रोक लिया।

कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, राजद, जद (यू), झारखंड मुक्ति मोर्चा, शिवसेना (उद्धव ठाकरे), बीआरएस, डीएमके, माकपा, भाकपा, एमडीएमके, नेशनल कांफ्रेंस, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, वीसीके और केसी मणि मार्च में शामिल हुए।

कुछ और सुर्खियां:

  • समस्तीपुर में दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक से 20 लाख की लूट, बैंक में एक भी सुरक्षा गार्ड की तैनाती नहीं
  • राजस्व विभाग में 3 महीने में 10000 पदों पर होगी नियुक्ति
  • तीन दिन दफ्तर देर आने पर कटेगा एक दिन का सीएल
  • अन्य राज्यों से 7% तक महंगी दर पर स्थानीय उत्पाद खरीदगी बिहार सरकार
  • रोहतास दो जजों पर जानलेवा हमला, दो गिरफ्तार
  • आईजीआईएमएस का सर्वर क्रैश, रिपोर्ट व रजिस्ट्रेशन के लिए भटकते रहे मरीज
  • राजनीतिक दल में असंतोष बहुमत परीक्षण के लिए कहने का पर्याप्त आधार नहीं: सुप्रीमकोर्ट

अनछपी: बिहार और देश की राजनीति इस समय एक खास समानता के साथ चल रही है। एक तरफ सीबीआई और ईडी लालू परिवार के खिलाफ केस पर केस दर्ज कर रही है तो दूसरी और गौतम अदानी के शेयर घोटाले पर विपक्षी दल जी जान लगाए हुए हैं। लालू परिवार के खिलाफ लगाए गए आरोपों की दिलचस्प बात यह भी है कि यह हुबहू वही इल्जाम हैं जो भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने 4 साल पहले लगाए थे और जिसे वह बार-बार दोहराते रहे हैं। दूसरी और गौतम अदानी शेयर घोटाले में सरकार के रवैए की शिकायत कर रहे विपक्षी दल की मांग पर कोई चर्चा नहीं हो रही है। देश की राजनीति में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ऐसा खुला हुआ दोहरापन शायद पहले कभी नहीं देखा गया हो। बिहार में तो भारतीय जनता पार्टी माफी के बाद सदन में लौट आई लेकिन दिल्ली में तो केंद्र सरकार ही सदन नहीं चलने देने के लिए जिम्मेदार ठहराई जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी की भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से उनके लंदन में दिए गए भाषण के लिए जिस बात की माफी चाहती है वह अजीबोगरीब है। देश में लोकतंत्र और उस पर खतरे की बात करना कैसे अपराध हो गया? ऐसा लगता है कि संसद नहीं चलने से सरकार चला रही भारतीय जनता पार्टी को कोई खास फर्क नहीं पड़ रहा है। इस तरह वह अदानी शेयर घोटाले पर चर्चा से भी अपना दामन बचा ले जा रही है। विपक्ष के 16 दल इस पर चर्चा के लिए एकजुट हुए लेकिन तृणमूल कांग्रेस समेत 13 दल अब भी ऐसा रवैया अपना रहे हैं जिससे फायदा भाजपा को हो रहा है। ऐसे में अगर यह 16 दल ही सरकार को कुछ झुका पाए तो यह उनके लिए बड़ी उपलब्धि मानी जाएगी।

 

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