छपी-अनछपीः ’’मीडिया ट्रायल से अदालत की आजादी प्रभावित’’, दिल्ली दंगों में शरजील को जमानत नहीं
बिहार लोक संवाद डाॅट नेट, पटना। मीडिया के बारे में यह बयान भारत के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने दिया। अब इसे मीडिया में शरजील इमाम को दंगाई-आतंकी बताने से जोड़कर देखिए। आज की हेडलाइन यही बताने के लिए है। चीफ जस्टिस ने यह बात रांची में कही और शरजील की जमानत अर्जी दिल्ली में रद्द हुई। ये दोनों खबरें टाइम्स आॅफ इंडिया के पहले पेज पर है।
प्रभात खबर और जागरण ने फुलवारी शरीफ में कथित आतंकी माड्यूल के मामले में एनआईए द्वारा एफआईआर दर्ज करने की बात लीड बनायी है। प्रभात खबर की हेडिंग हैः जेहादी ट्रेनिंग देने के मामले में एनआईए ने यूएपीए के तहत दर्ज किया केस। जागरण की सुर्खी हैः फुलवारी शरीफ माड्यूल की जांच के लिए एनआईए ने दर्ज की प्राथमिकी। इसके साथ यह भी लिखा हैः पुलिस मुख्यालय ने कहा- हमें सूचना नहीं।
हिन्दुस्तान की लीड हैः संदिग्धों की तलाश, 11 जिलों में छापेमारी। इसमें फुलवारी शरीफ के कथित आंतकी माड्यूल के बारे में बताया गया है कि एसआईटी और एटीएस की टीम ने संयुक्त रूप से कार्रवाई की है। साथ ही जानकारी दी गयी है कि एनआईए की टीम पटना पहुंच गयी है।
दूसरी तरफ टाइम्स आॅफ इंडिया की खबर में इस बात से इनकार किया गया है कि कथित फुलवारी माड्यूल का मामला एनआईए को सौंपा गया है।
ऐसा लगता है कि गृह मंत्रलाय के हवाले से इस केस को एनआईए को सौंपने की खबर या तो गलत है या बिहार पुलिस को अबतक औपचारिक रूप से यह नहीं बताया गया है।
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार के मंत्री पार्थ चटर्जी पर ईडी का शिकंजा कसने की खबर भी प्रमुखता से छपी है। टाइम्स आॅफ इंडिया की लीड यही है।
टाइम्स आॅफ इंडिया ने पहले पेज पर चीफ जस्टिस रमना का बयान छापा हैः मीडिया ट्रायल से अदालत की आजादी प्रभावित होती है। हिन्दुस्तान की हेडिंग हैः मीडिया कंगारू कोर्ट चला रहा हैः रमना। जागरण ने सुर्खी लगायी हैः प्रिंट मीडिया जिम्मेदार, सीमा भूले इंटरनेट व इलेक्ट्राॅनिक। वैसे, अगर चीफ जस्टिस जागरण की खबरें देखें तो उन्हें प्रिंट मीडिया के बारे मंे भी राय बदलनी पड़ सकती है।
गोवा मंे बार खोलने के विवाद में केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने बेटी पर लगाये गये आरोपों पर पलटवार करते हुए राहुल और सोनिया गांधी पर आरोप लगायेे हैं। यह खबर भी प्रमुखता से छपी है।
शरजील इमाम को दिल्ली दंगों में जमानत देने से इनकार करने की खबर टाइम्स आॅफ इंडिया ने पहले पेज पर दी है। इसमें बताया गया है कि शरजील पर इल्जाम है कि उन्होंन 2019 में सीएए के खिलाफ ऐसे बयान दिये जिससे दिल्ली में दंगा भड़क गया। चीफ जस्टिस रमना के बयान को देखा जाए तो शरजील के मामले में भी मीडिया ट्रायल की बात समझी जा सकती है।
अनछपीः टाइम्स आॅफ इंडिया ने अररिया से खबर दी है कि एक ही परिवार के तीन लोगों- पति-पत्नी और उनके बेटे को मानव बलि देने के आरोप मंे उम्रकैद की सजा सुनायी गयी है। यह खबर हिन्दी अखबारों के पटना संस्करण में दबा दी गयी है। खैर, कहानी यह है कि राम इकबाल सिंह नाम के व्यक्ति पर यह आरोप था कि उसने जितंेद्र सिंह को देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए उसकी बलि चढ़ाने के नाम पर गला रेतकर मार डाला था। एफआईआर के अनुसार राम इकबाल सिंह ने बताया था कि उसके मां-बाप ने यह काम अपने मां-बाप के कहने पर किया था। पहली बात तो यह है कि इस जघन्य हत्या के मामले में अदालत ने कठोरतम सजा नहीं सुनायी तो इसकी क्या वजह रही होगी। दूसरी बात यह है कि हिन्दू समाज में इस तरह की भयावह कुरीतियों को दूर करने के लिए सामाजिक जागरूकता चलाने के साथ साथ कड़े कानून बनाने की जरूरत है।
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