छ्पी-अनछपी: नीट पर चर्चा की मांग-संसद ठप, हेमंत सोरेन को पांच माह बाद ज़मानत
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। मेडिकल दाखिला इम्तिहान नीट के पेपर लीक मामले पर चर्चा की मांग नहीं माने जाने के बाद लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को 5 माह बाद जमानत मिल गई है और वह जेल से बाहर आ गए हैं। दिल्ली हवाई अड्डे के टर्मिनल 1 की बाहरी छत गिरने से एक कैब ड्राइवर की मौत हो गई। अमेरिका की प्रेसिडेंशियल डिबेट में राष्ट्रपति जो बाइडन पर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारी पड़ रहे हैं। आज के अखबारों की यह अहम खबरें हैं।
भास्कर की सबसे बड़ी सुर्खी है: नीट पर संसद ठप। संसद सदस्यों की शपथ, स्पीकर के चुनाव और राष्ट्रपति के अभिभाषण की औपचारिकताओं के बाद संसद शुक्रवार को कामकाज के लिए बैठी, लेकिन पूरा दिन टकराव की भेंट चढ़ गया। नीट कांड को लेकर विपक्ष का गुस्सा दोनों सदनों में फूटा। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खड़गे ने नीट में धांधली, एनटीए की विफलता और सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करने पर बहस की मांग की। दोनों सदनों में प्रेसाइडिंग ऑफिसर ने सदस्यों को यह कहकर शांत करना चाह कि अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान वे नीट समेत सभी मुद्दों पर बात रख सकते हैं। लेकिन विपक्ष चाहता था कि नीट पर चर्चा पहले हो। इस हंगामे के कारण लोकसभा पहले दोहपर 2:00 बजे तक फिर सोमवार तक स्थगित करनी पड़ी। राज्यसभा भी चार बार स्थगित हुई।
नीट कांड: प्रिंसिपल समेत तीन गिरफ्तार
हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है कि नीट पेपर लीक मामले में हजारीबाग में चार दिन से छानबीन कर रही सीबीआई की टीम ने शुक्रवार को ओएसिस स्कूल के प्रिंसिपल एहसानुल हक और वाइस प्रिंसिपल मो. इम्तियाज को गिरफ्तार कर लिया है। टीम इन्हें अपने साथ लेकर पटना आयी है। दोनों के साथ टीम एक अखबार के पत्रकार मो. जमालुद्दीन को भी अपने साथ लाई है। तीनों आरोपियों को शनिवार को यहां सीबीआई की विशेष अदालत में पेश किया जाएगा। जांच एजेंसी इन्हें रिमांड पर सौंपने की मांग भी करेगी। टीम दो काले ब्रीफकेस और एक बॉक्स भी अपने साथ पटना ले गई है। कहा जा रहा कि जिस बक्से से प्रश्नपत्र लीक होने की बात कहीं जा रही थी उस बक्से को लेकर टीम निकली है।
हेमंत सोरेन ज़मानत पर जेल से बाहर
प्रभात खबर की सबसे बड़ी सुर्खी है: जेल से छूटे हेमंत सोरेन। रांची के बड़गाईं अंचल की 8.86 एकड़ जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को झारखंड हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। भास्कर के अनुसार हेमंत सोरेन शुक्रवार को 148 दिन बाद जेल से बाहर आए। हाई कोर्ट के जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की सिंगल बेंच ने जमीन पर कब्जे से जुड़े मनी लांड्रिंग के मामले में सोरेन को जमानत दी। हाईकोर्ट ने आदेश में कहा कि तथ्यों से लगता है कि सोरेन के खिलाफ ईडी के सभी आरोप आधारहीन हैं। बड़गाईं शांति नगर की जिस 8.86 एकड़ जमीन के मामले में ईडी ने सोरेन को गिरफ्तार किया उस पर कब्जे में उनकी कोई भूमिका नहीं है। हाई कोर्ट ने कहा कि हेमंत सोरेन की अप्रत्यक्ष रूप से भी कोई संलिप्तता नहीं दिखती है। ईडी ने 31 जनवरी को सोरेन को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी से पहले उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
दिल्ली हवाई अड्डे की बाहरी छत गिरी, एक की मौत
जागरण के अनुसार राजधानी दिल्ली में शुक्रवार सुबह हुई तेज वर्षा के बीच इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के टर्मिनल वन पर प्रस्थान की ओर फोरकोर्ट की छत पहले झुकी और फिर लोहे के भारी पिलर समेत गिर गई। छत पर लोहे का खंबा नीचे खड़ी चार कारों पर गिरा जिससे एक कैब चालक रमेश कुमार की मौत हो गई और आठ अन्य घायल हो गए। हादसे के बाद टर्मिनल 1 की सभी उड़ानों को रद्द कर दिया गया करीब 80 उड़ाने प्रभावित हुईं।
संजय झा बन सकते हैं जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष
हिन्दुस्तान के अनुसार जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दिल्ली में शनिवार को बैठक होगी। मुख्यमंत्री व जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार समेत पार्टी के तमाम वरिष्ठ पदाधिकारी शुक्रवार को ही दिल्ली पहुंच गये हैं। इस बैठक में 2024 लोकसभा चुनाव के परिणाम, 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव, भविष्य की रणनीति पर विचार-विमर्श होगा। राज्यसभा में जदयू संसदीय दल के नेता संजय कुमार झा को पार्टी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जा सकता है।
बाइडन को ट्रंप ने बताया मंचूरियन
प्रभात खबर के अनुसार आगामी 5 नवंबर को होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए राष्ट्रपति और डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडन व पूर्व राष्ट्रपति और रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के बीच गुरुवार रात को पहली प्रेसिडेंशियल डिबेट हुई। यह बहस सकारात्मक ना होकर छींटाकशी और निजी हमले पर केंद्रित हो गई। दोनों ने एक दूसरे के खिलाफ जमकर अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल किया। दोनों नेताओं के बीच यह बहस अटलांटा में एक मीडिया चैनल के मुख्यालय में हुई। दोनों ने अर्थव्यवस्था, सीमा, विदेश नीति, गर्भपात और राष्ट्रीय सुरक्षा की स्थिति पर बहस की। इस दौरान दोनों ने एक दूसरे को झूठा और अमेरिकी इतिहास का सबसे खराब राष्ट्रपति करार दिया। बाइडन ने पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप को मूर्ख और हारा हुआ व्यक्ति करार दिया। लगभग 90 मिनट तक चली इस बहस के पहले आधे घंटे में बाइडन नर्वस दिखाई दिए। ट्रंप ने बाइडन को मंचूरियन कहा तो बाइडन ने ट्रंप को लूजर बताया।
कुछ और सुर्खियां
- टी 20 वर्ल्ड कप क्रिकेट के फाइनल में आज भारत और दक्षिण अफ्रीका में मुकाबला
- मधुबनी में भुतही बलान नदी पर बन रहे पुल का एक हिस्सा गिरा
- एनटीए ने यूजीसी नेट, एनसीईआरटी सीएसआईआर नेट की नई तारीखें घोषित कीं
- तेलंगाना के रंगारेड्डी जिले में ग्लास फैक्ट्री में विस्फोट में पांच लोगों की मौत
- बिहार में तीसरे चरण की शिक्षित नियुक्ति परीक्षा 19 जुलाई से
- जियो के बाद अब एयरटेल ने भी बढ़ाई टैरिफ, 10 से 21% तक दर बढ़ी
- बिहार में 54 जेल अधिकारियों का तबादला
अनछपी: ऊपरी तौर पर देखा जाए तो यह बहुत बड़ा सवाल नहीं लेकिन लोकतंत्र के लिए यह बेहद संवेदनशील बात है कि आखिर राहुल गांधी का माइक लोकसभा में बंद क्यों हो जाता है? माइक बंद हो जाता है या उनका माइक बंद कर दिया जाता है? आधुनिक तकनीक के दौर में भी किसी तकनीकी कारण से माइक तो बंद हो सकता है लेकिन क्या यह तकनीक सिर्फ राहुल गांधी के लिए माइक बंद करता है? शुक्रवार को जब राहुल गांधी नीट के मुद्दे पर अपनी बात रखना चाह रहे थे तो उन्हें अचानक इस बात का एहसास हुआ कि उनका माइक तो बंद है। लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला ने यह कहकर अपनी जिम्मेदारी खत्म कर ली कि माइक का बटन उनके पास नहीं रहता। सच्चाई यह है कि लोकसभा अध्यक्ष के तौर पर ओम बिरला के कार्यकलापों से विपक्ष नाख़ुश रहता है। एक जमाना वह था जब लोकसभा अध्यक्ष अपनी ‘प्लीज़ प्लीज़’ के लिए जाने जाते थे। एक जमाना ओम बिरला का है जब बतौर लोकसभा अध्यक्ष वह माननीय सदस्यों के लिए ‘बैठ जाओ’ जैसा संबोधन इस्तेमाल करते हैं। बात माइक बंद करने तक सीमित नहीं है बल्कि इससे आगे यह है कि जो सरकारी टेलीविजन लोकसभा और राज्यसभा की कार्रवाई दिखाता है वह अक्सर विपक्षी नेताओं के चेहरे को गायब कर देता है। एक तरफ यह माना जाता है कि लोकसभा अध्यक्ष को पार्टी से ऊपर उठकर काम करना चाहिए तो दूसरी ओर इस तरह की शिकायतें मिल रही हैं। लोकतंत्र में वाद विवाद को बहुत महत्व दिया जाता है लेकिन सिर्फ सरकारी पक्ष की बात सुनना और विपक्ष की आवाज दबाना किसी लोकसभा अध्यक्ष के लिए कतई अच्छा नहीं माना जा सकता। इस समय दुनिया अमेरिका की प्रेसिडेंशियल डिबेट को देख रही है और हालांकि डिबेट में भाषा का स्तर बहुत नीचे है लेकिन किसी ने यह शिकायत नहीं की कि उसका माइक बंद कर दिया गया। जो शिकायत लोकसभा में ओम बिरला के लिए है वही शिकायत राज्यसभा के सभापति जगदीश धनखड़ के बारे में भी सुनने को मिलती है। पिछली बार तो ओम बिरला की चर्चा इस बात के लिए रही कि उन्होंने 140 से अधिक सांसदों को निष्कासित कर दिया था लेकिन क्या इस बार भी वह वैसा ही करने जा रहे हैं? लोकतंत्र में यह देखना बेहद जरूरी होगा कि विपक्ष ऐसे पीठासीन अधिकारियों से कैसे निपटता है।
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