छपी-अनछपी: नियमित शिक्षकों की 1.78 लाख सीट को मंजूरी, कर्नाटक चुनाव में बजरंग बली की एंट्री
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार में कांट्रेक्चुअल टीचर की बहाली के बदले रेगुलर टीचर की बहाली के लिए 1.78 लाख सीटों की वैकेंसी इसी माह निकलेगी। यह जानकारी पहले पेज पर पहली खबर है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजरंग बली की भी एंट्री करवा दी है क्योंकि कांग्रेस ने वादा किया है कि सरकार बनने के बाद वह बजरंग दल पर पाबंदी लगा देगी। इससे जुड़ी खबरें प्रमुखता से ली गई हैं। राहुल गांधी को गुजरात हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलने की खबर भी अहम है। नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार के इस्तीफे से जुड़ी खबर भी पहले पेज पर है।
हिन्दुस्तान की पहली सुर्खी है: बीपीएससी से शिक्षकों की भर्ती को पद-वेतनमान मंजूर। जागरण ने लिखा है: नई नियमावली से 1.78 लाख बनेंगे शिक्षक। भास्कर की सुर्खी है: कैबिनेट से 1.78 लाख शिक्षक भर्ती को मंजूरी, वैकेंसी इसी माह। राज्य सरकार ने नई नियमावली के तहत बहाल होने वाले शिक्षकों के वेतनमान तय कर दिये हैं। साथ ही नये एक लाख 78 हजार 26 पदों का सृजन भी किया गया है। इन नये पदो पर नियुक्ति बिहार लोक सेवा आयोग के माध्यम से होगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में इसकी स्वीकृति दी गई। बैठक के बाद कैबिनेट के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने इसकी जानकारी दी। सबसे अधिक प्राथमिक (कक्षा1-5) के शिक्षकों के 85,477 पद सृजित हुए हैं। वहीं, मध्य विद्यालय (कक्षा 6-8) के 1745, माध्यमिक (कक्षा 9-10) के 33,186 और उच्चतर माध्यमिक (कक्षा 11-12) के 57,618 पद सृजित किए गए हैं।
हिन्दुस्तान ने पहले पेज पर खबर दी है: जय बजरंगबली भी नहीं बोलने देगी कांग्रेस: मोदी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कांग्रेस द्वारा चुनावी घोषणा पत्र में बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने के वादे को लेकर निशाना साधा। उन्होंने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि भगवान राम के बाद अब जय बजरंग बली बोलने वालों कोे ताले में बंद करने की तैयारी की जा रही है। अब कांग्रेस जय बजरंग बली भी नहीं बोलने देगी। विजयनगर जिले में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, आज बजरंग बली की इस पवित्र भूमि को नमन करना मेरा बहुत बड़ा सौभाग्य है। और दुर्भाग्य देखिए, मैं आज जब यहां उनको नमन करने आया हूं उसी समय कांग्रेस ने घोषणा पत्र में बजरंग बली को ताले में बंद करने का निर्णय लिया है।
बजरंग दल पर पाबंदी का वादा
जागरण में पहले पेज पर खबर दी है: कर्नाटक में कांग्रेस ने बजरंग दल पर प्रतिबंध का किया वादा। कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए मंगलवार को घोषणा पत्र जारी किया। इसमें उसने बजरंग दल की प्रतिबंधित पीएफआई से तुलना करते हुए कहा कि सत्ता में आने पर इस संगठन पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। साथ ही यह वादा किया गया है कि प्रदेश में जाति एवं धर्म के आधार पर नफरत फैलाने वाले पीएफआई व उस जैसे संगठनों के खिलाफ भी प्रतिबंध लगाने समेत निर्णायक कार्रवाई की जाएगी। कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में यह भी वादा किया है कि वह सत्ता में आने के एक साल के भीतर भाजपा सरकार द्वारा बनाए गए जन विरोधी कानूनों को रद्द कर देगी।
राहुल गांधी को राहत नहीं
गुजरात उच्च न्यायालय ने मानहानि मामले में राहुल गांधी को मंगलवार को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। साथ ही कहा कि वह गर्मी की छुट्टियों के बाद अंतिम आदेश सुनाएगा। राहुल ने ‘तत्कालिकता’ का हवाला देते हुए अंतरिम या अंतिम आदेश जारी करने का अनुरोध किया था।
शरद पवार का इस्तीफा, सस्पेंस
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने मंगलवार को पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर सबको हैरान कर दिया। पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इससे असहमति जताते हुए निर्णय वापस लेने की मांग की। बाद में, पवार के आवास पर पार्टी नेताओं की समिति की बैठक हुई। वरिष्ठ नेता अजित पवार ने कहा कि उनके चाचा को फैसले पर पुनर्विचार के लिए दो-तीन दिन के समय की जरूरत होगी। पवार ने अपनी आत्मकथा के विमोचन के अवसर पर पद छोड़ने का एलान किया। इसके बाद यह सस्पेंस पैदा हो गया कि शरद पवार पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने पर अड़े रहेंगे या इसे वापस लेंगे।
एआई के खतरे
हिन्दुस्तान में पहले पेज पर खबर दी है: एआई के खतरे बताने को उसके ‘जनक’ ने गूगल छोड़ा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के जनक माने जाने वाले जेफ्री हिंटन ने एआई से पैदा होने वाले खतरों के बारे में खुलकर बात करने को हाल ही में गूगल की नौकरी छोड़ दी थी। उनके मुताबिक, यह देखना मुश्किल है कि आप बुरे लोगों को बुरी चीजों के लिए एआई इस्तेमाल करने से कैसे रोक सकते हैं। हिंटन ने सोमवार को अपने इस्तीफे की पुष्टि करते हुए कहा कि हमने जिस तकनीक को विकसित किया है, उससे इंसानों को कई खतरे हो सकते हैं। उनके मुताबिक, जैसे-जैसे कंपनियां एआई तकनीक में सुधार कर रही हैं, उन्हें लगता है कि खतरा और बढ़ता जा रहा है। 2013 से वह गूगल के लिए काम कर रहे थे।
पांच खास ख़तरे
जेफ्री हिंटन के अनुसार एआई के पांच खास खतरे ये हैं: 1. आने वाले समय में इंसान से भी ज्यादा बुद्धिमान होगी ये तकनीक। 2. इसमें इतनी सामग्री होगी कि नकली-असली की पहचान मुश्किल हो जाएगी। 3. भविष्य में इस क्षेत्र में ऐसी प्रतिस्पर्धा आएगी जिसे रोक पाना संभव नहीं होगा। 4. एआई ऐसे लक्ष्य बना सकता है, जिससे किसी भी व्यक्ति को अधिक शक्ति मिल सकती है। 5. ऐसे लोग भी एआई का प्रयोग करने का प्रयास करेंगे जो दुनिया के लिए खतरा हैं।
कुछ और सुर्खियां
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- नक्सलियों का मददगारों के ठिकानों पर बिहार झारखंड में एनआईए के छापे
- फुलवारी पीएफआई केस में उत्तर प्रदेश से एक और गिरफ्तार
- बिहार के मुख्यमंत्री बने सम्राट चौधरी: गिरिराज
- विपक्षी एकता के लिए हेमंत सोरेन से मिले ललन सिंह
- जमुई के थानेदार का आतंकी बना देने की धमकी का वीडियो वायरल
- एयरलाइंस क्षेत्र में 7% हिस्सा वाली गो फर्स्ट ने कहा- हम दिवालिया
- नौबतपुर में 15 को लगेगा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का देवी दरबार 200 एकड़ में बनेगा पंडाल
अनछपी: बिना मुद्दे के मुद्दा खड़ा करना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए बहुत मुश्किल काम नहीं है। कर्नाटक चुनाव में जिस तरह उन्होंने बजरंगबली की एंट्री कराई है उससे यह ला सकता है कि कांग्रेस ने बजरंगबली के बारे में कोई आपत्तिजनक बात कही हो। वास्तव में वे कांग्रेस की उस घोषणा के विरोध में यह बात कह रहे थे जिसके अनुसार बजरंग दल पर पाबंदी लगाने की बात कही गई है। श्री मोदी ने बजरंग दल पर पाबंदी की बात को बजरंग बली पर पाबंदी बताने में थोड़ी भी हिचक महसूस नहीं की। प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के किसी चुनावी भाषण में धार्मिक नारों के नहीं होने के सबूत शायद ही मिल पाएं। उनके भाषण में अगर सीधे सीधे हिंदू मुसलमान की बात ना भी की गई हो तो भी ऐसी बातें मिल जाती हैं जिसका धर्म से जुड़ाव हो। ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी कर्नाटक में वापसी कर सकती है और वहां भारतीय जनता पार्टी की स्थिति अच्छी नहीं है। ऐसे में बजरंग बली का नारा देना शायद उनके इस समझ की वजह से हो कि लोगों को धर्म के नाम पर जल्द ही भारतीय जनता पार्टी की ओर मोड़ा जा सकता है। होना तो यह चाहिए कि इस तरह के धार्मिक नारों से हमारे नेता और खासकर प्रधानमंत्री बचें लेकिन होता है इसका उलटा है। चुनाव आयोग को भी चाहिए कि ऐसे धार्मिक ध्रुवीकरण वाले नारे पर पाबंदी लगाए और नेताओं को सख्त चेतावनी दे लेकिन उसकी ओर से भी कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। ऐसे में अब कर्नाटक की जनता को ही यह फैसला करना होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिसकी वजह से बजरंगबली को चुनाव के मैदान में उतारा है वह सही नहीं है और ऐसी कोशिशों को नाकाम करना जरूरी है।
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