छपी-अनछपी: यूनिफॉर्म सिविल कोड का मसौदा देख रुख तय करेगी कांग्रेस, फ्रांस में हिंसा बेकाबू

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। यूनिफॉर्म सिविल कोड की चर्चा के बीच कांग्रेस ने कहा है कि वह इसका मसौदा देखने के बाद अपना रुख तय करेगी। इस खबर को हिन्दुस्तान ने अच्छी जगह दी है। फ्रांस में कई दिनों से जारी हिंसा के बेकाबू रहने की खबर को भी अच्छी कवरेज मिली है। इधर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चुनाव के मद्देनजर अपने विधायकों और सांसदों से मिलने जा रहे हैं जिसकी खबर भी पहले पेज पर है।

हिन्दुस्तान की खबर है: मसौदा देखकर समान नागरिक संहिता पर रुख स्पष्ट करेगी कांग्रेस। समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी के मुद्दे पर कांग्रेस अपने पुराने रुख पर कायम है। पार्टी का कहना है कि यूसीसी पर अभी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है। मसौदा देखने के बाद ही पार्टी अपना रुख स्पष्ट करेगी। कांग्रेस का आरोप है कि केंद्र सरकार अपनी विफलताओं से ध्यान हटाने के लिए यूसीसी के जरिये ध्रुवीकरण के एजेंडे को आगे बढ़ा रही है। यूसीसी पर मानसून सत्र के दौरान रणनीति पर विचार के लिए शनिवार को कांग्रेस संसदीय रणनीतिक दल की बैठक हुई। संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में यूसीसी, मणिपुर हिंसा, राहुल गांधी को लोकसभा से अयोग्य घोषित करने, रेल यात्रा को सुरक्षित बनाने के साथ महंगाई और बेरोजगारी मुद्दे पर चर्चा हुई।

फ्रांस में हिंसा

जागरण की सुर्खी है: फ्रांस में हिंसा बेकाबू, मैक्रों का जर्मनी दौरा रद्द। अख़बार लिखता है कि फ्रांस में सरकार के सुरक्षा इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं और पांचवें दिन भी दंगा बेकाबू रहा। मंगलवार को एक 17 वर्षीय लड़के के पुलिस फायरिंग में मारे जाने के बाद भड़की हिंसा में अभी तक करीब 4000 गाड़ियां तोड़ी या जलाई जा चुकी हैं। ढाई हजार से ज्यादा दुकानें जलाई या लूटी जा चुकी हैं और सैकड़ों पुलिस थानों सरकारी भवनों पर हमले हुए हैं। राजधानी पेरिस सहित देश के सभी प्रमुख शहर हिंसा की आग में जल रहे हैं। इस हिंसा में 300 से ज्यादा पुलिसकर्मी और अग्निशमन विभाग के कर्मचारी घायल हो चुके हैं। इन हालात के बीच राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने रविवार से शुरू होने वाले जर्मनी की राजकीय यात्रा स्थगित कर दी है।

नीतीश की चुनावी तैयारी

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: जदयू सांसदों से अगले 3 दिन अलग-अलग मिलेंगे सीएम। बिहार के मुख्यमंत्री तथा जदयू के सर्वमान्य नेता नीतीश कुमार रविवार से अगले तीन दिनों तक अपने दल के लोकसभा व राज्यसभा के सांसदों से मिलेंगे। उनकी यह मुलाकात एकांत में और अलग-अलग होगी। बताया जाता है कि वन-टू-वन होने वाली इस मुलाकात को लेकर ज्यादातर सांसदों को मुख्यमंत्री का बुलावा जा चुका है। सांसदों की पटना में उपलब्धता के मुताबिक सीएम से मुलाकात के लिए उनका समय निर्धारित किया गया है। फिलहाल जदयू के लोकसभा में 16 जबकि राज्यसभा में 5 सांसद हैं।

तीस्ता को सुप्रीम कोर्ट से राहत

जागरण की खबर है: तीस्ता सीतलवाड़ के तत्काल समर्पण के हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक। अखबारों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को तीस्ता सीतलवाड़ को आत्मसमर्पण का निर्देश देने वाले गुजरात हाईकोर्ट के आदेश पर एक सप्ताह के लिए रोक लगा दी। कोर्ट ने तीस्ता की जमानत याचिका पर शनिवार रात में विशेष बैठक में सुनवाई की। विशेष सुनवाई में, न्यायमूर्ति बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील करने के लिए सीतलवाड़ को समय नहीं देने पर सवाल उठाया और कहा कि एक सामान्य अपराधी भी अंतरिम राहत का हकदार है। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि गुजरात हाईकोर्ट ने जो किया उससे हम आश्चर्यचकित हैं। अगर हाईकोर्ट तीस्ता को गिरफ्तारी से राहत प्रदान कर देता तो क्या आसमान गिर जाता।

महाराष्ट्र में बस में आग लगी, 25 मरे

महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में समृद्धि एक्सप्रेस-वे पर शुक्रवार देर रात एक बस में आग लगने से 25 यात्रियों की जलकर मौत हो गई। बस में कुल 33 यात्री सवार थे। हादसे में बस चालक और क्लीनर समेत आठ लोग घायल हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बुलढाणा के पुलिस अधीक्षक सुनील कडासने ने बताया कि निजी ट्रेवल्स की बस नागपुर से पुणे जा रही थी। रात करीब डेढ़ बजे बुलढाणा स्थित सिंदखेडराजा के पास पिंपलखुटा गांव के पास बस का टायर फट गया। इससे बस अनियंत्रित होकर डिवाइडर से जा टकराई। टक्कर होते ही बस में आग लग गई।

मोदी का कांग्रेस पर हमला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल जिले शहडोल में विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि अगर कोई बिजली मुफ्त दे रहा है, तो मतलब बिजली के दाम बढ़ने वाले हैं। मुफ्त सफर की गारंटी का मतलब है, उस राज्य की यातायात व्यवस्था बर्बाद होने वाली है। वह राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन की शुरुआत और प्रदेश में एक करोड़ आयुष्मान भारत कार्ड वितरण समारोह को संबोधित कर रहे थे। इसी क्रम में उन्होंने कांग्रेस पर करारा हमला बोलते हुए कहा कि आदिवासी समुदाय झूठी गारंटी देने वालों से सावधान रहे। उनकी गारंटी में छिपे खोट को पहचानिए।

कुछ और सुर्खियां

  • पहली बार विश्व कप क्रिकेट में नहीं खेलेगी दो बार की चैंपियन टीम वेस्टइंडीज
  • 220 प्रखंडों में नए सर्किल अफसर (सीओ) तैनात
  • संसद का मानसून सत्र 20 जुलाई से, हंगामेदार रहने के आसार
  • लॉ ऐडमिशन टेस्ट ‘क्लैट’ के लिए 3 नवंबर तक रजिस्ट्रेशन, 3 दिसंबर को परीक्षा
  • एचडीएफसी के विलय के बाद एचडीएफसी बैंक देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक
  • पटना में अगस्त से 15 साल पुरानी गाड़ियां स्क्रैप होंगी
  • बिहार में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए फील्ड की जगह ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक पर टेस्ट
  • एमबीबीएस नेक्स्ट 1 के अंक 5 वर्षों तक मान्य रहेंगे
  • दरभंगा जिले के तटबंध पर सुरक्षा के लिए रखे बोरे में मिली मिट्टी, इंजीनियर सस्पेंड

अनछपी: “मैं फायर ब्रिगेड बुलाने के लिए लोगों से फोन मांग रहा था लेकिन किसी ने मोबाइल नहीं दिया। मैं चिल्लाता रहा। वह वीडियो बनाने में व्यस्त थे। लगभग आधे घंटे के बाद दमकल ने मौके पर पहुंच आग बुझाई।” महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में बस में आग लगने के बाद की यह स्थिति उस बस से जिंदा बचे एक सवारी की है जिसे भास्कर ने प्रमुखता से छापा है। मुसीबत के वक्त मदद करने की बजाय वीडियो बनाने की यह पहली घटना नहीं है लेकिन जिस तरह आग में 25 लोग झुलस कर मर गए उसके बारे में यह सोचना बेहद तकलीफदेह है कि लोग ऐसे भी हैं। चार दिन पहले छपरा के पास ट्रक खराब होने पर मदद के लिए खड़े ड्राइवर को भीड़ ने महज इसलिए मार डाला कि उस ट्रक से दुर्गंध आ रहा था और उस पर हड्डी लदा था। हमारे समाज में कानून हाथ में लेने और जरूरत पड़ने पर लोगों की मदद ना करने की यह परंपरा तो नहीं थी। समाज में जरूरतमंद लोगों के प्रति इतनी बेरुखी का कारण पता किया जाना चाहिए। साथ ही लोगों की हिंसक प्रवृत्ति के बारे में भी विचार करना जरूरी है। जलती बस से निकल कर एक आदमी मदद के लिए फोन मांगता है लेकिन लोग उसे फोन देने की बजाय वीडियो बनाते हैं तो इस का क्या संदेश जाता है? सरकार ने मुसीबत के वक्त मदद करने वाले लोगों को पुरस्कार देने की व्यवस्था कर रखी है लेकिन कई बार हम देखते हैं कि लोग मदद के लिए आगे नहीं आते। सवाल यह भी है कि जब लोग अपने रिश्तेदारों की मदद नहीं करते तो अनजान लोगों की मदद के लिए कैसे आगे आएं? ऐसा नहीं है कि हमेशा लोग मदद से दूर भागते हैं लेकिन कभी-कभार ही जब लोग मुसीबत में पड़े दूसरे लोगों को बेसहारा छोड़ देते हैं तो बहुत सोचना पड़ता है कि आखिर क्या किया जाए कि इंसान इंसान की मदद में पीछे ना हटे।

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