छपी-अनछपी: यूनिफॉर्म सिविल कोड पर अब तक 18 लाख सुझाव मिले, मणिपुर में सीएम के इस्तीफे पर हाई वोल्टेज ड्रामा

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर बढ़ी सरगर्मी की खबरें आज प्रमुखता से दी गई है। लॉ कमीशन द्वारा इस बारे में मांगे गए सुझाव के जवाब में 18 लाख सुझाव प्राप्त होने की खबर है। मणिपुर की हिंसा के बीच वहां के मुख्यमंत्री द्वारा इस्तीफा देने की चर्चा के बाद उससे इनकार कर देने की खबर भी अहम है। बिहार के कई जिलों में भारी बारिश और बिजली गिरने से कई लोगों की मौत की खबर भी पहले पेज पर है।

जागरण की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: समान नागरिक संहिता पर केंद्र सरकार का मंथन तेज़। समान नागरिक संहिता को लेकर अलग-अलग स्तर पर मंथन शुरू हो गया है। विधि मामलों की संसदीय समिति पिछले विधि आयोग द्वारा परिवार विधियों में संशोधन के बारे में जारी किए गए परामर्श पत्र पर विचार विमर्श करेगी। इसके लिए समिति ने 3 जुलाई को बैठक बुलाई है। विधि मामलों की संसदीय समिति के अध्यक्ष सुशील कुमार मोदी ने बताया कि विधि आयोग जानकारी देगा कि उस विमर्श पत्र में क्या प्रमुख चीजें दी गई है। इसके अलावा संसदीय समिति के सदस्यों से कुछ सवाल भी पूछे जा सकते हैं। विधि मामलों की संसदीय समिति कानून से जुड़े मुद्दों पर विचार करती है और पर्सनल लॉ की समीक्षा का मुद्दा भी इसके दायरे में आता है। अभी 22 वें विधि आयोग को समान नागरिक संहिता पर 18 लाख से ज्यादा सुझाव प्राप्त हो चुके हैं।

उत्तराखंड: कॉमन सिविल कोड

हिन्दुस्तान की खबर है: समान नागरिक संहिता के लिए बिछ गई बिसात। अखबार लिखता है कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के समर्थन और विरोध में सियासी लामबंदी के बीच इसके लिए बिसात बिछ गई है। यूसीसी के लिए पहला मसौदा उत्तराखंड में तैयार हो गया है। उत्तराखंड सरकार द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति की अध्यक्ष जस्टिस रंजना प्रसाद देसाई ने कहा कि कुछ दिनों में यह प्रारूप सौंप दिया जाएगा। दिल्ली के उत्तराखंड सदन में समिति की अध्यक्ष जस्टिस रंजना प्रसाद देसाई ने कहा कि मसौदे को प्रिंट कराने के बाद उत्तराखंड सरकार को सौंपा जाएगा। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि विधि आयोग से भी इस मामले पर बात हुई थी, लेकिन मसौदा रिपोर्ट सिर्फ उत्तराखंड सरकार को ही सौंपी जाएगी।

मणिपुर का इस्तीफा ड्रामा

भास्कर की हेडिंग है: सीएम वीरेन कुर्सी छोड़ने वाले थे, महिलाओं ने घेरकर इस्तीफा फाड़ा। मणिपुर में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के दौरे के दूसरे दिन शुक्रवार को हाई वोल्टेज सियासी ड्रामा हुआ। राहुल सुबह लगभग 10:00 बजे इंफाल से 45 किलोमीटर दूर मोइरांग राहत शिविर में थे। इस बीच सीएम बीरेन सिंह ने राज्यपाल से मिलने का समय मांगा। चर्चाएं चलीं कि वह इस्तीफा देंगे। खबर फैलते ही सीएम हाउस के बाहर मोइरा पाइबी से जुड़ी महिलाएं जमा हो गईं। ये मैतेई समुदाय का संगठन है। बीरेन राजभवन की ओर रवाना हुए तो महिलाओं ने उनके काफिले को रोक दिया तो उन्हें कार से उतरना पड़ा। भीड़ ने सीएम का इस्तीफा लेकर फाड़ दिया। सीएम ने आश्वासन दिया कि वे इस्तीफा नहीं देंगे।

बारिश का हाल

हिन्दुस्तान की पहली खबर है: राज्य के 12 जिलों में भारी बारिश, वज्रपात से 10 मरे। मानसून की सक्रियता से पटना सहित राज्य के 12 जिलों में भारी बारिश से जनजीवन पर असर पड़ा है। मौसम विभाग के अनुसार पूरे सूबे में मानसून सक्रिय है, लेकिन कुछ जिलों में इसका प्रभाव अधिक है, जिससे मध्यम से भारी बारिश हो रही है। इस दौरान पांच जिलों में ठनका से दस लोगों की मौत हो गई, जबकि आठ जख्मी हैं। कैमूर व नवादा में तीन-तीन, शेखपुरा व गया में एक-एक और औरंगाबाद में दो लोग इसकी चपेट में आए। वहीं, मौसम विभाग ने शनिवार को 12 जिलों में भारी वर्षा और वज्रपात का अलर्ट जारी किया है।

डीयू में प्रधानमंत्री

हिन्दुस्तान की सुर्खी है: मेट्रो, मार्केट और मोमोज की बातें, दिल्लीवाले अंदाज में दिखे मोदी।

अखबार लिखता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को जब दिल्ली विश्वविद्यालय पहुंचे तो पूरी तरह दिल्लीवाले अंदाज में नजर आए। डीयू जाने के लिए उन्होंने राजधानी की लाइफ लाइन मेट्रो पकड़ी। यहां हर आयु के लोगों से बात की। कुछ यात्रियों से पूछा कि कभी जेब में बिना कैश लिए सिर्फ डिजिटल पेमेंट से सात दिन बिताए हैं ? जवाब हां में मिला तो पीएम ने कहा कि अपने अनुभव व्लॉग के ज़रिए सबको बताइए। इसके बाद पीएम डीयू पहुंचे तो छात्रों को कतई बोर नहीं होने दिया और दोस्ताना अंदाज में मार्केट, मोमोज, वेब सीरीज, चाय और कैंपस की घुमक्कड़ी का जिक्र करके खूब ठहाके लगवाए। प्रधानमंत्री मोदी ने डीयू के शताब्दी वर्ष समापन समारोह में नई शिक्षा नीति की विशेषताओं पर बल देते हुए कहा कि शिक्षा सिर्फ सिखाने की ही नहीं,सीखने की भी प्रक्रिया है।

जश्न में फायरिंग पर रोक के लिए

जागरण की सबसे बड़ी खबर है: हर्ष फायरिंग पर रोक को नई एसओपी, थाने को देनी होगी समारोह की सूचना। भास्कर की सुर्खी है हर्ष फायरिंग की आशंका तो कार्यक्रम स्थल पर लगेगी धारा 144, हथियार ले जाने पर रोक। जागरण ने लिखा है कि अब सार्वजनिक स्थलों पर आयोजित होने वाले सामाजिक व सांस्कृतिक आयोजनों की लिखित जानकारी नजदीकी पुलिस थाने को देनी होगी। इसमें शादी विवाह के साथ और आर्केस्ट्रा आदि के कार्यक्रम भी शामिल हैं। यह भी बताना होगा कि आयोजन में भाग लेने वाले व्यक्तियों की अनुमानित संख्या कितनी होगी और उसमें कोई निजी शस्त्र धारक भी भाग लेंगे या नहीं। हर्ष फायरिंग की घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस मुख्यालय ने नई एसओपी जारी की है। इसमें हर्ष फायरिंग होने पर आयोजक के साथ मैरिज हॉल के प्रबंधन और पुलिस तीनों को जवाबदेह बनाया गया है। दोषी पाए जाने पर 2 साल की सजा और एक लाख के जुर्माने की बात है।

कुछ और सुर्खियां

  • कई विभागों के अफसर इधर से उधर, 245 बीडीओ व 156 सीडीपीओ का तबादला
  • 803 अंक बढ़कर पहली बार 64000 के पार बंद हुआ सेंसेक्स
  • बिहार बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर हुआ, अब नहीं खरीदनी होगी
  • बिहार में इस वर्ष अब तक 69% कम बारिश
  • मक्का में बेहद गर्मी, पारा 48 डिग्री पर, 2000 लोगों को हीट स्ट्रोक
  • किशोर की मौत पर दूसरे दिन भी सुलगा फ्रांस, परिवहन सेवा बंद
  • पुतिन से बोले नरेंद्र मोदी- यूक्रेन मुद्दे का कूटनीतिक हल हो

अनछपी: मणिपुर में मुख्यमंत्री के इस्तीफा पत्र फाड़े जाने का सियासी ड्रामा पूरे देश के लिए बेहद अफसोसनाक और खतरनाक है। इस सियासी ड्रामे से सबसे अहम सवाल यह पैदा होता है कि क्या मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को इस्तीफा देने के लिए भाजपा के नेतृत्व ने नहीं कहा था? क्या यह संभव है कि भाजपा नेतृत्व द्वारा नहीं कहे जाने के बावजूद उन्होंने इस्तीफा पत्र तैयार करवा लिया और इसकी चर्चा भी सार्वजनिक हो गई? ऊपरी तौर पर तो ऐसा नहीं लगता है। तो क्या भाजपा नेतृत्व के कहने के बावजूद बीरेन सिंह ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है? मणिपुर में 3 मई से हिंसा जारी है और सेना की मौजूदगी के बावजूद वहां सवा सौ लोगों से अधिक की जान जा चुकी है। ध्यान रहे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय रूस और यूक्रेन में शांति के प्रयास तो कर रहे हैं लेकिन मणिपुर में शांति के तमाम प्रयासों के बावजूद वहां हत्याएं और लूटमार जारी हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री बीरेन सिंह का यह सियासी ड्रामा जख्म पर नमक मिलने जैसा है। मणिपुर की हालत देखते हुए ऐसा लगता है कि विपक्षी दल ही नहीं बल्कि भारतीय जनता पार्टी भी यही चाहती है कि बीरेन सिंह इस्तीफा दे दें लेकिन जनता की इच्छा के नाम पर उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया है। सवाल यह भी है कि क्या किसी मुख्यमंत्री की सुरक्षा व्यवस्था इतनी कमजोर है कि उसके हाथ से लेकर इस्तीफा पत्र फाड़ दिया जाए? अगर यह इस्तीफा पत्र नहीं फाड़ा जाता तो क्या बीरेन सिंह तब भी इस्तीफा नहीं देते? वास्तविकता यह है कि मणिपुर में डबल इंजन की सरकार पूरी तरह पटरी से उतर गई है और वहां के लोग बेहद परेशानी में जीने को छोड़ दिए गए हैं।

 

 

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