छपी-अनछपी: बिल की बिजली गिराने की तैयारी, कथित जबरन धर्मांतरण पर सुप्रीम कोर्ट की चिंता

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार में हर साल की तरह इस बार भी बिजली की दर बढ़ाने की तैयारी हो रही है। इसकी खबर दो अखबारों में लीड है। सुप्रीम कोर्ट ने कथित जबरन धर्मांतरण के मामले पर अपनी चिंता जताई है। यह खबर भी आज के अखबारों की प्रमुख खबर है। बक्सर-पटना फोर लेन के कोइलवर खंड शुरू होने की खबर भी प्रमुखता से छपी है।

भास्कर की सबसे बड़ी खबर है: बिजली दर के अब तीन नहीं दो ही स्लैब, बढ़ सकता है आपका बिल। हिन्दुस्तान में भी यही लीड है: बिहार में बिजली 40 फ़ीसदी तक महंगी करने का प्रस्ताव। बिजली सप्लाई के खर्च में हुई वृद्धि को आधार बनाते हुए सरकारी कंपनी ने सभी श्रेणी को मिलाकर सम्रगता में 35-40 फीसदी तक वृद्धि करने का प्रस्ताव देने का निर्णय लिया है। इसके पीछे कंपनी का तर्क है कि केंद्र सरकार ने बिजली इकाइयों के लिए विदेशी कोयले का उपयोग करने का एक मानक तय कर दिया है। इससे बिहार सहित सभी राज्यों को मौजूदा समय की तुलना में महंगी बिजली मिलेगी।

जागरण की पहली खबर है: 92 किलोमीटर लंबे बक्सर-कोइलवर फोरलेन का लोकार्पण। प्रभात खबर की लीड भी यही है: पटना से आरा होते हुए सासाराम तक फोर लेन, राजधानी के चारों ओर रिंग रोड। यही खबर भास्कर में इस सुर्खी के साथ है: गडकरी बोले- 2024 तक बिहार का रोड नेटवर्क अमेरिका के बराबर होगा। इस लोकार्पण कार्यक्रम में बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के बीच काफी दोस्ताना बातचीत हुई। तेजस्वी यादव ने कहा, “नितिन गडकरी प्रोग्रेसिव नेता व मंत्री हैं। विकास के मामले में वे पार्टी नहीं देश को देखते हैं। यह जब तक मंत्री हैं चिंता नहीं करनी है।” वहीं गडकरी ने कहा, “सब प्रॉब्लम, एजेंडा लेकर आओ। सब मंजूर करेंगे, बिहार को चमकाओ, केंद्र पूरी मदद करेगा।”

पटना में जल संसाधन विभाग के कर्मियों को नियुक्ति पत्र देते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर विशेष राज्य के दर्जे की बात छेड़ी। प्रभात खबर की सुर्खी है: विशेष राज्य का दर्जा मिला होता तो बिहार की गरीबी पहले दूर हो जाती: मुख्यमंत्री। हिन्दुस्तान ने लिखा है; राज्य में बड़ी संख्या में पदों का सृजन कर बहाली होगी: सीएम।
भास्कर की हेडलाइन है: तुरंत भरे जाएंगे रिटायरमेंट से खाली पद, जरूरत देख नए पदों का सृजन: नीतीश। जागरण की दूसरी सबसे बड़ी ख़बर यही है: जितनी जरूरत, उतने इंजीनियर बहाल होंगे।
जागरण ने इस खबर को प्रमुखता दी है: दिल्ली में अवैध संबंध के शक में लिव-इन पार्टनर की हत्या, शव के 35 टुकड़े किए। अखबार लिखता है कि दिल्ली के छतरपुर में अवैध संबंध के शक में 28 वर्षीय आफताब अमीन पूनावाला ने बर्बरता की हदें पार कर दी। उसने लिव-इन पार्टनर श्रद्धा वाकर की गला दबाकर हत्या कर दी। दोनों की उम्र 28 वर्ष थी और दोनों महाराष्ट्र के रहने वाले थे। आफताब ने होटल मैनेजमेंट व शेफ़ का कोर्स किया था। उसने मुंबई के ताज होटल में इंटर्नशिप की थी जहां उसे सिखाया गया था कि बड़े बकरे, मुर्गा व मछली आदि को किस तरह से पॉलीबैग में पैक करके फ्रिज में रखा जाए।
हिन्दुस्तान ने लिखा है: खुलासा: प्रेमिका के 36 टुकड़े फ्रिज में रखे। पुलिस के मुताबिक वारदात वाले दिन श्रद्धा ने शादी की बात की थी। इस पर दोनों में झगड़ा हुआ और लिव-इन पार्टनर आफताब अमीन पूनावाला ने श्रद्धा की निर्ममता से हत्या कर दी। शव के टुकड़ों को रखने के लिए 300 लीटर का फ्रिज खरीदा।

भास्कर ने पहले पेज पर इस खबर को जगह दी है: जेपी की डायलीसिस करने वाले नेफ्रोलॉजिस्ट पद्मश्री डॉक्टर इंदू भूषण सिन्हा का निधन, 87 साल की उम्र में भी कर रहे थे बीमारों का इलाज। अन्य अखबारों ने भी इसे प्रमुखता से छापा है।

प्रसिद्ध लोक गायक ब्रजकिशोर दुबे की मौत की खबर भी प्रमुखता से छपी है। प्रभात खबर की सुर्खी है: लोकनायक ब्रजकिशोर दुबे की संदिग्ध हालात में मौत, गमछे से बंधे थे पैर, बाल्टी में था सिर। जागरण ने लिखा है: प्रसिद्ध लोक गायक ब्रजकिशोर दुबे का शव बाथरूम में पैर बंधा हुआ, सिर पानी भरी बाल्टी में डूबा दोस्त के यहां मिला। इसने बताया गया है कि उन्होंने सुसाइड नोट में लिखा है कि वे जिंदगी से ऊब गए थे।
हिन्दुस्तान में पहले पेज पर एक अहम खबर है: जबरन धर्मांतरण देश के लिए खतरा। जागरण ने लिखा है: जबरन मतांतरण राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा। सुप्रीम कोर्ट
ने कहा है कि कथित धर्मांतरण से संबंधित मुद्दा अगर सही पाया जाता है, तो यह बेहद गंभीर है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से कहा कि लोगों को चावल और गेहूं देकर धर्मांतरण करवाया जाता है, आदिवासी क्षेत्रों में यह बड़े पैमाने पर हो रहा है। न्यायमूर्ति एम.आर. शाह और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि सरकार प्रलोभन के जरिए धर्मांतरण पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में बताए।
पीठ ने कहा कि याचिका में धर्मांतरण जबरदस्ती कराए जाने की बात कही गई है। कभी इसके लिए कालाजादू का प्रयोग होता है और कभी दंड/भय का, ऐसे मामले हर हफ्ते देश में दर्ज किए जा रहे हैं। इसके शिकार होने वाले ज्यादातर लोग गरीब लोग हैं जो अनुसूसचित जाति और जनजाति (एससी-एसटी) वर्ग से आते हैं। कोर्ट ने कहा कि यह राष्ट्र की सुरक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता को प्रभावित करता है। इसे रोका नहीं गया तो बहुत मुश्किल स्थिति पैदा होगी। केंद्र सरकार को इसके लिए हस्तक्षेप करना होगा।

अनछपी: सुप्रीम कोर्ट ने जिस कथित जबरन धर्मांतरण पर अपनी टिप्पणी दी है उसके बारे में यह पता नहीं कि इसके लिए क्या साक्ष्य पेश किए गए हैं। यह याचिका भारतीय जनता पार्टी से संबंध रखने वाले वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से दायर की गई है जो इसी तरह की विवादास्पद याचिका दायर करने के लिए जाने जाते हैं। वक्फ़ संपत्ति के बारे में भी इन्होंने ही याचिका दायर कर रखी है। सुप्रीम कोर्ट ने अगर यह इस बात की मांग की होती कि जबरन धर्मांतरण के दावे के लिए क्या सबूत हैं, तो इस पर अच्छी बहस सकती थी। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से ऐसा लगता है कि उसकी नजर में जबरन धर्मांतरण की बात शत प्रतिशत सही है। उसने केंद्र को इस मामले में हस्तक्षेप करने की बात कह कर भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार को एक और अल्पसंख्यक विरोधी कानून बनाने का मौका हाथ में दे दिया है। इसमें कोई शक नहीं कि जोर जबरदस्ती या लालच से कराया गया धर्म परिवर्तन सही नहीं है लेकिन इस बात के सिद्ध हुए बिना इस तरह के हस्तक्षेप की बात करना भी दुर्भाग्यपूर्ण है। यह बात भी सोचने की है कि क्या कोई मन दो मन चावल-गेहूं के लिए अपना धर्म परिवर्तन कर सकता है? सुप्रीम कोर्ट चाहे तो यह बात भी बहस में ला सकती है कि लोग धर्म परिवर्तन क्यों कर रहे हैं।

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