छ्पी-अनछपी: बुलडोजर ऐक्शन पर सुप्रीम कोर्ट की रोक, आरएसएस जातीय जनगणना के पक्ष में
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। सुप्रीम कोर्ट ने किसी आरोपी या दोषी का मकान बुलडोजर से ढाहने को गलत बताते हुए इस मामले में गाइडलाइन जारी करने की बात कही है। आरएसएस ने कहा है कि वह जातीय जनगणना के पक्ष में है लेकिन इसका राजनीतिक दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। जमीन के सर्वे के मद्देनजर 7000 गांवों में एक हफ्ते के अंदर ग्राम सभा आयोजित करने का आदेश जारी किया गया है। महाराष्ट्र में भाजपा के एक विधायक पर भड़काऊ भाषण देने की एफआईआर दर्ज की गई है। इसराइल में 5 लाख लोग जंग खत्म करने के लिए सड़कों पर उतरे हैं।
भास्कर की बड़ी सुर्ख़ी है: आरोपी हो या दोषी…किसी का भी घर नहीं ढहा सकते हैं: सुप्रीम कोर्ट। देशभर के विभिन्न मामलों के आरोपियों के घरों पर हो रहे बुलडोजर ऐक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाए हैं। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि किसी के महज़ आरोपी होने पर उसका घर कैसे गिराया जा सकता है? यहां तक कि अगर आरोपी को दोषी साबित कर भी दिया जाता है तो भी उसका घर नहीं गिराया जा सकता है। “हमारे पहले के रुख के बावजूद हमें सरकार के रवैया में कोई बदलाव नजर नहीं आ रहा। हम इस मुद्दे पर दिशा निर्देश जारी करेंगे जिसका पालन सभी राज्यों को करना होगा।” अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी। जमीयत उलेमा ए हिंद व पूर्व राज्यसभा सांसद वृंदा करात और कुछ अन्य संस्थाओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर बुलडोजर ऐक्शन पर रोक लगाने की मांग की है।
आरएसएस जातीय जनगणना के पक्ष में
प्रभात खबर की सबसे बड़ी खबर के अनुसार आरएसएस ने सोमवार को कहा कि जाति आधारित जनगणना समाज के कल्याण के लिए जरूरी है लेकिन इस चुनाव में राजनीतिक हथियार नहीं बनना चाहिए। आरएसएस की तीन दिवसीय समन्वय बैठक के समापन के बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि हमारे हिंदू समाज में जाति बहुत संवेदनशील मुद्दा है। “जनगणना हमारी राष्ट्रीय एकता और सुरक्षा के लिए अहम है। इसलिए इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है ना कि चुनाव और राजनीति को ध्यान में रखकर।”
एक हफ्ते में ग्राम सभा कराने का आदेश
हिन्दुस्तान के अनुसार बिहार में जमीन का सर्वे शुरू हो गया है। इसकी शुरुआत ग्राम सभा की बैठक आयोजित करने से हुई है। अभी यह काम अंतिम चरण में चल रहा है। हालांकि अब भी सात हजार 17 गांव ऐसे हैं, जहां ग्राम सभा की बैठक नहीं हुई है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने आगामी एक सप्ताह में बचे हुए सभी गांवों में ग्राम सभा आयोजित करा लेने का निर्देश दिया है। राज्य में 45 हजार 628 छोटे-बड़े सभी तरह के गांव हैं, जिनमें 43 हजार 17 गांव में ही जमीन सर्वे का काम हो रहा है। इनमें अब तक 38 हजार गांवों में ग्राम सभा की बैठक हो चुकी है।
मस्जिद में घुसकर मारेंगे कहने वाले भाजपा विधायक पर एफआईआर
प्रभात खबर के अनुसार महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले की पुलिस ने सोमवार को भारतीय जनता पार्टी के विधायक नितेश राणा के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के आरोप में प्राथमिक की दर्ज की है। राणे ने कथित तौर पर मुसलमान को धमकी दी है। सोशल मीडिया पर आने का एक वीडियो वायरल हुआ है। इसमें भाजपा विधायक यह कहते हुए सुनाई दे रहे हैं कि अगर कोई रामगिरी महाराज के खिलाफ कुछ भी बोलेगा तो हम मस्जिदों में घुसकर एक-एक को मारेंगे, यह ध्यान में रखना। एआईएमआईएम के प्रवक्ता वारिस पठान ने एक्स पर उस वीडियो को साझा करते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से राणे को गिरफ्तार करने का अनुरोध किया है।
इसराइल में 5 लाख लोग सड़कों पर
भास्कर के अनुसार हमास द्वारा बंधक बनाए गए लगभग डेढ़ सौ इसराइलियों की रिहाई और जंग खत्म करने की मांग को लेकर इसराइल में सोमवार को 10 घंटे की ऐतिहासिक हड़ताल हुई। स्कूल-कॉलेज, दफ्तर, मॉल, बैंक, अस्पताल और एयरपोर्ट बंद रहे। हमास के खिलाफ जंग के 11 महीने बाद हुई इस पहली हड़ताल में लगभग 5 लाख इसराइलियों ने हिस्सा लिया। उनका कहना था कि बंधकों की रिहाई के लिए हमास से समझौता किया जाए।
झारखंड में सिपाही भर्ती दौड़ रुकी
प्रभात खबर के अनुसार झारखंड में एक्साइज सिपाही बहाली को लेकर दौड़ की प्रक्रिया चल रही है। इसमें अब तक 12 अभ्यर्थियों की मौत हो चुकी है जबकि 400 के करीब अभ्यर्थी बेहोश होकर बीमार हुए हैं। सोमवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए भर्ती प्रक्रिया 3 दिन के लिए रोक दी है। भास्कर के अनुसार इस बहाली के लिए 60 मिनट में 10 किलोमीटर दौड़ लगानी पड़ रही है। डॉक्टरों का कहना है कि प्रैक्टिस नहीं होने की वजह से दौड़ के दौरान बीपी बढ़ने और हार्ट अटैक से मौत हो रही है।
कुछ और सुर्खियां
- बख्तियारपुर में धोबा नदी में रील बनाने के चक्कर में 6 दोस्तों में से चार डूबे, दो के शव मिले
- पेरिस पैरालंपिक में भारत को दो गोल्ड मेडल मिला
- आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में बारिश से हुई घटनाओं में 31 लोगों की मौत
- राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद स्वास्थ्य जांच कराकर सिंगापुर से लौटे
- 10 लाख रुपए रिश्वत लेने के मामले में प्रधान इनकम टैक्स कमिश्नर समेत पांच भेजे गए जेल
- मंकी पॉक्स को लेकर पटना एयरपोर्ट पर बनी हेल्प डेस्क
- आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान को ईडी ने गिरफ्तार किया
- बिहार में भाजपा के अभी 35 लाख सदस्य, इस बार एक करोड़ तक पहुंचाने का टारगेट
अनछपी: भारतीय जनता पार्टी वाली सरकारों के नेता इस बात को पूरे गर्व से प्रचारित करते हैं कि किसी आरोपी का मकान बुलडोजर से ढाह दिया गया लेकिन जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचता है तो वहां भीगी बिल्ली बन जाते हैं। यही नहीं, सरकारी वकील ऐसी दलीलें देते हैं जिससे सुप्रीम कोर्ट को इस भ्रम में रखा जाए कि बुलडोजर ऐक्शन की वजह अतिक्रमण या कुछ और है। यानी सरकार के नेता यह जताते हैं कि बुलडोजर कार्रवाई आरोपी को सबक सिखाने के लिए की गई है और सरकार के वकील सुप्रीम कोर्ट में यह बताते हैं कि ऐसा अतिक्रमण के कारण किया गया है। कोर्ट में एक वकील ने ठीक ही पूछा कि कोई मकान 50 साल से है और उसे रातों-रात अतिक्रमण बताकर ढाह दिया जाता है। सरकार के नेता कहते हैं कि आरोप की वजह से यह कार्रवाई हुई है और जब सरकारी वकील से पूछा जाता है तो वह अतिक्रमण की बात कहते हैं। इस तरह देखा जाए तो सरकार दरअसल बहुत ही घटिया स्तर की बयानबाजी में वाहवाही लूटने की कोशिश करती है और इस दौरान किसी का आशियाना उजाड़ दिया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गाइडलाइन जारी करने की बात कही है और इस तरह की कार्रवाई को पूरी तरह गलत बताया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से ऐसा लगता है कि उसे इस बात का एहसास है कि इस मामले में पहले भी उसने जो आदेश जारी किया था उसका पालन नहीं किया जा रहा है। यहां यह बात भी दोहराने की जरूरत है कि बुलडोजर की कार्रवाई भी आरोपी के धर्म को देखकर किया जाता है। उदाहरण के लिए महाराष्ट्र के बीजेपी एमएलए नितेश राणा ने समाज विरोधी और धार्मिक रूप से भड़काऊ भाषण दिया है और उन पर एफआईआर भी दर्ज है तो क्या उनके घर को बुलडोजर से ढाया जाएगा? मॉब लिंचिंग की इतनी घटनाएं हुई हैं लेकिन क्या किसी आरोपी का घर ढाया गया है? कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाए तो ऐसा इसलिए नहीं हुआ क्योंकि सरकार के नेता यह संदेश देना चाहते हैं कि वह मुसलमानों को सबक सिखा रहे हैं। सरकार के इस जुर्म में मीडिया के लोग भी शामिल हैं। मीडिया ने कभी बुलडोजर कार्रवाई पर सवाल नहीं उठाया और हमेशा सरकार की वाहवाही में लगा रहा। सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में बहुत उम्मीद है और यह भी मांग की जा रही है कि जिन लोगों का घर सरकार ने गैर कानूनी ढंग से ढाया है उन्हें उचित मुआवजा मिले।
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