छपी-अनछपी: क़ब्ज़ा हटाने के विरोध में खुद को लगाई आग से दुकानदार की मौत, तीन बड़े क़ानून बदलेंगे
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। पटना सिटी में अतिक्रमण हटाने पहुंची टीम के सामने एक दुकानदार ने खुद को आग लगा दी जिसके बाद उसकी मौत हो गई। यह खबर सभी अखबारों में पहले पेज पर है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देश के 3 बड़े कानूनों में बदलाव की बात कही है जिसे अखबारों ने अहमियत दी है। उधर आरएसएस के मुखपत्र पाञ्चजन्य ने दावा किया है कि सुप्रीम कोर्ट का इस्तेमाल देश विरोधी ताकतें औजार के रूप में कर रही हैं।
जागरण की पहली खबर है अतिक्रमण हटाने पहुंची टीम के सामने दुकानदार ने खुद लगाई आग, मौत। भास्कर ने लिखा है: अतिक्रमण हटाने के विरोध में दुकानदार ने खुद पर थिनर छिड़क लगाई आग, मौत। हालांकि हिन्दुस्तान ने थोड़ी अलग बात लिखी है: अतिक्रमण हटाने के दौरान झुलसे दुकानदार की मौत। पटना सिटी के मेहंदीगंज गुमटी के पास गुरुवार को रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने गई टीम का विरोध कर रहे एक दुकानदार अनिल कुमार (38 वर्ष) के शरीर में आग लग गई, जिसमें वह गंभीर रूप से झुलस गया। उसे बचाने में उसके भाई समेत दो अन्य भी जख्मी हुए। इसके बाद उग्र लोगों ने पथराव किया जिसे देख अफसर भाग गए। उधर, देर रात एंबुलेंस से दिल्ली ले जाते समय अनिल की रास्ते में ही मौत हो गई। इस बीच, एएसपी अमित रंजन ने कहा कि रेल पुलिस अतिक्रमण हटाने गयी थी, तभी दुकानदार ने आग लगा जान देने की कोशिश की। वहीं उसके भाई का आरोप है कि दुकान से सामान हटाने के दौरान थिनर की बोतल टूट गयी और किसी ने माचिस जलाकर उस पर फेंक दी, जिससे आग लगी।
तीन बड़े क़ानून में बदलाव की बात
हिन्दुस्तान ने पहले पेज पर खबर दी है: तीन बड़े कानून बदलेंगे: अमित शाह। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि केंद्र सरकार तीन बड़े कानूनों में आमूल चूल परिवर्तन करने जा रही है। इनमें आईपीसी (भारतीय दंड संहिता), सीआरपीसी (अपराध प्रक्रिया संहिता) और साक्ष्य अधिनियम शामिल हैं। गृहमंत्री किंग्सवे कैंप में दिल्ली पुलिस के 76वें स्थापना दिवस समारोह में बोल रहे थे। शाह ने कहा, दिल्ली देश का पहला शहर बनेगा, जहां किसी भी मामले की फॉरेंसिक जांच तुरंत होगी। देशभर में फॉरेंसिक विज्ञान का विस्तार किया जाएगा। इसी कार्यक्रम की खबर की जागरण में हेडिंग है: अब 15 दिन नहीं सिर्फ 5 दिन में ही हो जाएगा पासपोर्ट का सत्यापन।
एम्स, पटना को 25 एकड़ और ज़मीन
हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: पटना एम्स में बनेगा मरीजों के परिजनों का ‘आश्रय’। जागरण ने लिखा है: पटना एम्स को मिलेगी 25 एकड़ जमीन, 500 लोगों के ठहरने का होगा प्रबंध। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि पटना एम्स को 25 एकड़ अतिरिक्त जमीन राज्य सरकार की ओर से दी जा रही है। साथ ही मरीजों के परिजनों के ठहरने की व्यवस्था वहां की जा रही है, जिसमें करीब 500 लोग रह सकेंगे। मुख्यमंत्री ने गुरुवार को समाधान यात्रा के क्रम में ज्ञान भवन में पटना जिले की समीक्षा बैठक में ये बाते कहीं।
नए होल्डिंग टैक्स की तैयारी
भास्कर की सबसे बड़ी खबर है: निकायों में 2.37 करोड मकानों का फिर होगा मूल्यांकन, तय होगा नया संपत्ति कर। बिहार के सभी निकायों के व्यावसायिक, आवासीय एवं सरकारी भवनों की संपत्ति कर का नए सर से मूल्यांकन यानी रिअसेसमेंट होगा। इस दौरान पुरानी इमारतों में हुए बदलाव और उस पर लगने वाले कर की भी जांच होगी। कमी पाए जाने पर जुर्माना लगेगा। नगर विकास एवं आवास विभाग की ओर से प्रदेश के 2.34 करोड़ मकानों के पुनर्मूल्यांकन के साथ ही तीन करोड़ नए मकानों का असेसमेंट किया जाएगा। विभाग में इस बारे में निकायों के संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है। इससे विभाग को हर साल 450 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की उम्मीद है।
सुप्रीम कोर्ट का इस्तेमाल
जागरण की दूसरी सबसे बड़ी सुर्खी है: सुप्रीम कोर्ट का इस्तेमाल औजार के रूप में कर रही देश विरोधी ताकतें। अख़बार के अनुसार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस से जुड़ी साप्ताहिक पत्रिका पांचजन्य के ताजा अंक के संपादकीय में यह बात कही गई है। इसमें बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ पर रोक के लिए केंद्र को नोटिस भेजे जाने की आलोचना भी की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में गुजरात दंगों पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध के खिलाफ याचिका स्वीकार कर ली है। संपादकीय में आरोप लगाया गया है कि सुप्रीम कोर्ट हमारे देश के हितों की रक्षा के लिए बनाया गया है लेकिन इसका इस्तेमाल भारत के विरोधियों द्वारा एक टूल के रूप में किया जा रहा है। सम्पादकीय में कहा गया है कि मानवाधिकारों के नाम पर आतंकवादियों को बचाने और पर्यावरण के नाम पर भारत के विकास में बाधाएं पैदा करने के प्रयासों के बाद अब भारत विरोधी तत्वों का प्रयास है कि उन्हें देश में दुष्प्रचार का अधिकार मिले।
कुछ और अहम सुर्खियां:
- सारण के मुबारकपुर कांड के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा: लालू
- 6379 जूनियर इंजीनियर होंगे बहाल, नया विज्ञापन निकलेगा
- लोकतंत्र की जीत के लिए वाम दल एक मंच पर आएं: दीपंकर
- गोरखपुर में बिदका हाथी, 3 को कुचल कर मार डाला
- बीबीसी के कार्यालयों में 58 घंटे तक चली आयकर सर्वे की कार्रवाई
- सहयोगी जब चाहेंगे मंत्रिमंडल विस्तार हो जाएगा: नीतीश
- कैबिनेट विस्तार में कांग्रेस से एक और मंत्री बनेंगे
अनछपी: भारत में कानून लागू करने वाली एजेंसियों जैसे सीबीआई, ईडी और एनआईए आदि पर पूरी तरह कब्जे के बाद अब सरकारी पार्टी यह चाहती है कि सुप्रीम कोर्ट पर भी उसका कब्जा हो जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी कभी यह साफ तौर पर तो नहीं कहेगी कि सुप्रीम कोर्ट पर उसका कब्जा हो जाए लेकिन विभिन्न माध्यमों से जो संदेश मिलते हैं उसका मकसद यही होता है। आरएसएस के मुखपत्र के ताजा संपादकीय को गंभीरता से लेने की जरूरत है क्योंकि पाञ्चजन्य पहले की तरह अब निष्प्रभावी नहीं है। ध्यान रहे कि केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजीजू लगातार सुप्रीम कोर्ट पर हमलावर रहे हैं और कॉलेजियम के जरिए जजों की बहाली के बदले सरकार का इसमें दखल चाहते हैं। अब अगर सुप्रीम कोर्ट को टूल बताया जा रहा है तो इसका साफ मकसद यह है कि सुप्रीम कोर्ट को दबाव में लाकर ऐसे फैसले किए जाएं जो सरकार के खिलाफ ना हों। ध्यान रहे कि यह बात तब लिखी गई है जबकि सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों पर आलोचना की जा रही है कि वह सरकार के पक्ष में झुका हुआ है। यह बात भी ध्यान में रखने की है कि सुप्रीम कोर्ट के उन जजों को पुरस्कृत कर राज्यसभा सदस्य गवर्नर बनाया जाता है जो सरकार के विचार के पक्ष में फैसला देकर रिटायर हुए होते हैं। इस बात पर सुप्रीम कोर्ट को स्वतः संज्ञान लेना चाहिए कि क्या वह टूल के तौर पर इस्तेमाल हो रहा है और क्या यह बात कहना सुप्रीम कोर्ट का और उसके जजों की बुद्धिमत्ता का अपमान नहीं है? फिलहाल भारतीय बुद्धिजीवी वर्ग के लिए यह सोचने का वक्त है कि एजेंसियों के बाद सरकार की नजर अब सुप्रीम कोर्ट पर और गहरी हो गई है।
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