छ्पी-अनछ्पी: चुनावी बॉन्ड पर एसबीआई के ‘खेल’ पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कांग्रेस की मांग- भाजपा के खाते फ्रीज़ हों

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। इलेक्टरल बॉन्ड की पूरी जानकारी उजागर नहीं करने में एसबीआई के ‘खेल’ पर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी नाराजगी जताई है। इस खबर को सभी अखबारों में अच्छी कवरेज मिली है। जागरण की खबर है कि कांग्रेस ने मांग की है कि भारतीय जनता पार्टी के खातों को फ्रीज किया जाए। नीतीश कुमार के कैबिनेट में नए मंत्रियों के शामिल होने की खबर को सभी जगह प्रमुखता मिली है।

हिन्दुस्तान की खबर है कि चुनावी बॉन्ड के ब्योरे को लेकर शुक्रवार को जहां सुप्रीम कोर्ट ने फिर सख्ती दिखाई, वहीं, इस पर सियासत ने भी जोर पकड़ लिया। कोर्ट ने एसबीआई को फटकार लगाते हुए कहा, बैंक खरीदे और भुनाए गए चुनावी बॉन्ड के ‘यूनीक नंबर’ का खुलासा करने को प्रतिबद्ध है और उसे ऐसा करना होगा। दूसरी ओर, कांग्रेस नेताओं ने भाजपा पर जोरदार हमला बोला। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पार्टी महासचिव जयराम रमेश, राहुल गांधी, अशोक गहलोत समेत कई नेताओं ने भाजपा पर आरोप लगाया कि भाजपा ने दबाव बनाकर कंपनियों से चंदा हासिल किया। भाजपा की ओर से निर्मला सीतारमण ने आरोपों का खंडन किया।

18 मार्च तक जवाब दे एसबीआई

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने एसबीआई को नोटिस जारी कर 18 मार्च तक जवाब देने को कहा है। पीठ ने कहा, चुनावी बॉन्ड के मसले पर पारित फैसले में बॉन्ड के खरीदने वाले, रकम और खरीद की तारीख सहित सभी विवरण का खुलासा करने का स्पष्ट निर्देश दिया था। हमारे आदेश के बावजूद, बैंक ने बॉन्ड से जुड़ी सभी जानकारी नहीं दी। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने नाराजगी जताते हुए कहा, सच कहें, तो बैंक ने जितनी जानकारी मुहैया कराई है, उसे लेकर हम नाराजगी जता सकते हैं।

भाजपा के खाते फ्रीज़ हों: कांग्रेस

जागरण की खबर है कि कांग्रेस ने चुनावी बॉन्ड योजना के जरिए भाजपा पर योजनाबद्ध तरीके से गंभीर भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया है। साथ ही विपक्षी दल ने सुप्रीम कोर्ट से इसकी उच्च स्तरीय जांच करने के साथ भाजपा के बैंक खातों को तत्काल फ्रीज करने की मांग की है। पार्टी ने चुनावी बॉन्ड योजना के तहत भाजपा को मिले चंदा में भ्रष्टाचार के अलग-अलग तरीकों को इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इसके जरिए चुनावी बांड की समूची धनराशि का 50% केवल भाजपा को मिला है। इधर राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि चुनावी बॉन्ड पीएमओ का सबसे बड़ा घोटाला है।

‘आमदनी चवन्नी, चंदा रुपैया’

भास्कर की सुर्खी है: आमदनी चवन्नी, चंदा रुपैया; जिसका मुनाफा दो करोड़ भी नहीं उसने 183 करोड़ दे दिए। चुनावी चंदे को लेकर लगातार चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। कोलकाता की कंपनी मदनलाल लिमिटेड ने 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले दो बार में 182.5 करोड़ रुपए के बॉन्ड खरीदे जबकि इस दौरान उसका शुद्ध लाभ महल 1.81 करोड़ रुपए का था। 2020-21 में भी यह 2.72 करोड़ रुपया ही रहा। 2022-23 में महज 44 लाख रुपया था। ऐसी ही कई और कंपनियां भी हैं जिन्होंने अपने शुद्ध मुनाफे की तुलना में कई गुना ज्यादा चुनावी चंदा दिया। यही नहीं सबसे ज्यादा चंदा देने वाली 30 कंपनियों में से 14 ऐसी हैं जिन पर केंद्रीय या राज्य जांच एजेंसियों की कार्यवाही हुई।

बिहार कैबिनेट का विस्तार

हिन्दुस्तान के अनुसार बिहार की एनडीए सरकार के गठन के 46 दिनों बाद शुक्रवार को राज्य मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ। राजभवन के राजेंद्र मंडपम में शाम साढ़े छह बजे राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने 21 मंत्रियों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलायी। मंत्री बनने वालों में छह बिल्कुल नये चेहरे हैं। इससे पहले 28 जनवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आठ मंत्रियों ने शपथ ली थी। अब मंत्रिमंडल विस्तार के बाद राज्य में मुख्यमंत्री को छोड़कर मंत्रियों की संख्या 29 हो गयी है। शुक्रवार की शाम शपथ लेने वाले कुल 21 मंत्रियों में भाजपा के 12 और जदयू के नौ शामिल हैं।

इन मंत्रियों ने ली शपथ

रेणु देवी, मंगल पांडेय, नीरज कुमार सिंह, अशोक चौधरी, लेशी सिंह, मदन सहनी, नीतीश मिश्र, नितिन नवीन, डॉ. दिलीप जयसवाल, महेश्वर हजारी, शीला कुमारी, सुनील कुमार, जनक राम, हरि सहनी, कृष्णनंदन पासवान, जयंत राज, जमा खान, रत्नेश सदा, केदार प्रसाद गुप्ता, सुरेंद्र मेहता व संतोष कुमार सिंह।

पारस की बीजेपी से नाराजगी

जागरण की खबर है: सम्मान नहीं मिला तो मैं हाजीपुर, चंदन नवादा व प्रिंस समस्तीपुर से लड़ेंगे: पारस। केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोग जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस एनडीए से बगावत के रास्ते बहुत आगे बढ़ चुके हैं। वजह- चार सांसदों के रहते लोकसभा का एक भी टिकट नहीं मिलने की बात है। भड़के पारस ने कहा- भाजपा ने हमारे साथ न्याय नहीं किया। उन्होंने कहा कि दलित सांसद की उपेक्षा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। “अगर हमें सम्मान नहीं मिला तो मैं खुद हाजीपुर से लडूंगा। सांसद चंदन सिंह नवादा व सांसद प्रिंस राज समस्तीपुर से ही चुनाव लड़ेंगे।” उन्होंने एनडीए और भाजपा से उम्मीदवारों पर पुनर्विचार करने को कहा।

क्या शिक्षक भर्ती का पेपर लीक हुआ?

भास्कर की खबर है: हजारीबाग में बैंक्वेट हॉल बुक कराकर रटा रहे थे सवाल, 300 अभ्यर्थी पकड़े गए।  बीपीएससी की शिक्षा भर्ती परीक्षा का पेपर लीक हो गया। हजारीबाग में पांच बैंक्वेट हॉल में करीब 300 अभ्यर्थियों को परीक्षा से पहले ही आंसर शीट उपलब्ध करा दी गई। उन्हें प्रोजेक्टर पर सवाल के जवाब बताए गए लेकिन शुक्रवार को होने वाली परीक्षा में शामिल होने जा रहे इन छात्रों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। सूत्रों के मुताबिक परीक्षा के बाद जब पेपर का मिलान किया गया तो पेपर हूबहू मिल गए। पुलिस ने पेपर लीक गिरोह के सात लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। एक अभ्यर्थी से 2 लाख में डील हुई थी। बिहार में शुक्रवार को यह परीक्षा दो पाली में हुई। इसके लिए पेपर लीक कराने वाले गिरोह ने बिहार के 300 से अधिक अभ्यर्थियों को पेपर लीक और आंसर शीट मुहैया कराने और तैयारी करने के लिए हजारीबाग को ठिकाना बनाया।

सीएए पर अमेरिका की चिंता और भारत का जवाब

भारत ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर अमेरिकी चिंताओं को खारिज करते हुए इसे अनुचित बताया और कहा कि अमेरिका तथ्यों से वाकिफ नहीं है। गुरुवार को अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा था कि सीएए को अधिसूचित किए जाने को लेकर वह चिंतित है तथा इसके क्रियान्वयन पर नजदीकी से नजर रखे हुए है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जैसवाल ने शुक्रवार को साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा कि सीएए भारत का आंतरिक मामला है।

कुछ और सुर्खियां

  • लोकसभा चुनाव की तारीखों का आज 3:00 बजे ऐलान
  • बिहार के सरकारी कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में 4% की बढ़ोतरी
  • परमार रवि मनु भाई बीपीएससी के नए अध्यक्ष बनाए गए
  • सीएए के तहत नागरिकता आवेदन के लिए मोबाइल ऐप शुरू
  • स्मार्ट मीटर में 2000 से अधिक बैलेंस पर मिलेगा 7.25% ब्याज
  • रूस में राष्ट्रपति पद के लिए मतदान, पुतिन की जीत के आसार
  • ग़ज़ा में खाने का इंतजार करते लोगों पर हमले में 29 की मौत

अनछपी: इलेक्टोरल बॉन्ड के मामले में स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी को सख्त सवालों का सामना करना पड़ रहा है। नतीजा यह है कि भारतीय जनता पार्टी की ओर से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को सफाई देनी पड़ रही है। अमित शाह का कहना है कि चुनावी बॉन्ड से मिला चंदा काला धन नहीं और यह पार्टियों के खातों में साफ दिखता है। हालांकि श्री शाह ने इस बात का कोई जवाब नहीं दिया कि अगर इलेक्टोरल बॉन्ड में सब कुछ सही है तो इसे सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक क्यों बताया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तो इलेक्टरल बॉन्ड को केंद्रीय एजेंसियों की मदद से भाजपा को लाभ पहुंचाने वाला ‘जबरन वसूली रैकेट’ बताया। उन्होंने कहा कि इससे बड़ी कोई राष्ट्रविरोधी गतिविधि नहीं हो सकती। कांग्रेस के अन्य नेताओं ने इस मामले में भारतीय जनता पार्टी के बैंक खातों को फ्रीज करने की मांग की है। उधर सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई से नाराजगी जताते हुए कहा कि उसने आधी अधूरी जानकारी दी है। सवाल यह है कि एसबीआई पूरी जानकारी देने में आनाकानी कर किसे फायदा पहुंचाना चाहता है। क्योंकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में है इसलिए उम्मीद की जानी चाहिए की पूरी सच्चाई सामने आएगी। सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश के बाद एसबीआई ने जो भी आधी-अधूरी जानकारी दी है उससे कई सवाल खड़े होते हैं। यह बात तो साफ हो चुकी है कि भारतीय जनता पार्टी को इलेक्टोरल बॉन्ड का सबसे ज्यादा लाभ हुआ है लेकिन अभी यह पता नहीं चल पाया है कि किन कंपनियों ने उसे चुनावी चंदे दिए हैं। इस मुद्दे के उजागर होने के बाद पहली बार भारतीय जनता पार्टी किसी मुद्दे पर बैक फुट पर नजर आ रही है। ऐसा लगता है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी इसे एक बड़ा मुद्दा बनाने जा रही है। मगर सवाल यह है कि क्या कांग्रेस आम आदमी तक इस बात को पहुंचा पाएगी कि इलेक्टोरल बॉन्ड एक बहुत बड़ा घोटाला है जैसा कि उसका दावा है। इस मामले में मीडिया का रोल भारतीय जनता पार्टी के लिए बहुत ही रक्षात्मक रहा है और अब तक मीडिया ने भाजपा से सवाल करना शुरू नहीं किया है। ऐसे में वैकल्पिक मीडिया का रोल बढ़ जाता है। देखना यह है कि आने वाले दिनों में इलेक्टोरल बॉन्ड का मामला कितना बड़ा मुद्दा बन पाता है।

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