छपी-अनछपीः सुप्रीम फटकार के बावजूद आग लगावन गिरफ्तार नहीं, पटना सिविल कोर्ट में विस्फोट
बिहार लोक संवाद डाॅट नेट, पटना। पैगम्बर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले में दर्ज विभिन्न एफआईआर को एक ही जगह दिल्ली ट्रांसफर करने की अर्जी लेकर सुप्रीम कोर्ट गयी भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा को शुक्रवार को खूब लताड़ लगी। सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ वह अर्जी ठुकरा दी बल्कि कहा कि सारी आग की वजह वह बयान है जिसके कारण उदयपुर में कत्ल भी हुआ।
यही खबर आज सभी अखबारों की सबसे अहम सुर्खी है। इस पर संपादकीय टिप्पणी भी लिखी गयी है। जागरण और हिन्दुस्तान की टिप्पणी को पढ़कर इनके दृष्टिकोण में अंतर से समझा जा सकता है कि पत्रकारिता में भी हिन्दुत्व का एजेंडा किस हद तक प्रवेश कर चुका है।
’हिन्दुस्तान’ की लीड हेडिंग है- नूपुर शर्मा देश से माफी मांगें। भास्कर ने लिखा है- जुबान संभाल के। प्रभात खबर की सुर्खी है- नूपुर को तुरंत मांगनी चाहिए थी देश से माफीः सुप्रीम कोर्ट। जागरण में भी ऐसी हेडिंग है। टाइम्स आॅफ इंडिया की हेडिंग सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी हैः नूपुर के बयान से देश में आग भड़की, उदयपुर की दुखद की घटना उसी का परणिाम।
पटना सिविल कोर्ट में सबूत को तौर पर लाये गये बम के फटने की खबर जागरण समेत सभी अखबारों में प्रमुखता से लगी है। बम को अदालत लाने की जरूरत और उसे जज को दिखाने में जो सावधानी बरती जानी चाहिए, उसकी कमी वास्वत में हमारी पूरी व्यवस्था की कहानी है।
भास्कर की खबर है कि गया के जिस काॅलेज से बीपीएससी का पेपर लीक हुआ उसे कभी मान्यता नहीं मिली हालांकि पहले खबर आयी थी कि चार साल पहले उसकी मान्यता रद्द की गयी थी। इस काॅलेज के संचालक का जदयू से रिश्ता बताया गया था और तत्कालीन डीएम अभिषेक सिंह ने उसे आम्र्स लाइसेंस दिया था जो अब रद्द कर दिया गया है। यह खबर भी हमारी व्यवस्था के सड़ांध को बयान करती है।
बिहार में आठवीं के बाद 18 प्रतिशत लड़कियां और 17 प्रतिशत लड़के पढ़ाई छोड़ देते हैं। इसी से संबंधित खबर की हिन्दुस्तान में सुर्खी है- आठवीें बाद पढ़ाई छोड़ चुके बच्चों की घर-घर तलाशी होेगी। इसके बाद उनके आगे की पढ़ाई के लिए उनका नाम लिखाया जाएगा।
भास्कर की खबर है- 22 लेन के चार नये पुल बन रहे….11 किमी बढ़ जाएगी पटना की लंबाई। पटना की लंबाई तो जरूर बढ़ रही लेकिन इसके साथ पटना की समस्याओं की लंबाई भी बढ़ रही है।
अनछपीः सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा को जो कड़ी फटकार लगायी है उसकी सख्त जरूरत थी। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि यह टिप्पणी महज मौखिक रह गयी। सुप्रीम कोर्ट ने सभी एफआईआर को एक जगह करने की अर्जी ठुकरा दी, यह भी कहा कि आपकी सरकार में पहुंच के कारण गिरफ्तारी नहीं हुई लेकिन दिल्ली पुलिस को तत्काल गिरफ्तारी का आदेश भी नहीं दिया। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में यह अर्जी भी दे दी गयी कि जस्टिस सूर्यकांत की उन टिप्पणियों को वापस लेने को कहा जाए। यानी एक ओर तो यह कहा जाता है कि जो अपमानजनक बयान दिया गया है उसके देने वाले को पार्टी से निकाल दिया गया है लेकिन दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी भी स्वीकार्य नहीं है। समझने की बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी अगर फैसले का हिस्सा होती तो उसका दूरगामी प्रभाव पड़ता। अब देखना यह होगा कि सुप्रीम कोर्ट अपने ही जज की मौखिक टिप्पणी को वापस लेने की अर्जी पर क्या रुख अख्तियार करता है।
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