छपी-अनछपी: टीचर बहाली नगर निकाय-पंचायत के बदले आयोग से, बिहार में हर साल कैंसर के 60 हज़ार मरीज
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार में स्कूलों में होने वाली शिक्षकों की बहाली अब नगर निकाय और पंचायत के बदले आयोग करेगा। इस बड़े बदलाव की जानकारी ही सभी अखबारों की पहली खबर है। आज विश्व कैंसर दिवस है और इस लिहाज से अखबारों में बिहार में कैंसर मरीजों की संख्या और इलाज की व्यवस्था के बारे में कई सुर्खियां हैं। गौतम अडानी की कंपनी के शेयरों के मामले की जेपीसी जांच की मांग पर संसद दूसरे दिन भी ठप रही, इसकी खबर भी अखबारों ने प्रमुखता से दी है।
भास्कर की सबसे बड़ी सुर्खी है: 2 लाख से अधिक शिक्षकों की भर्ती अब आयोग से, नगर निकाय- पंचायत से नहीं। जागरण ने लिखा है: प्रदेश में आयोग से होगी शिक्षकों की नियुक्ति। हिंदुस्तान का शीर्षक है: आयोग करेगा सातवें चरण में शिक्षकों की नियुक्ति।
भास्कर ने लिखा है: बिहार के 38 जिलों की 9222 नियोजन इकाइयां अब हो जाएंगी बेमतलब, शिक्षकों पर सीधा नियंत्रण शिक्षा विभाग का होगा, पंचायत व नगर निकायों का अधिकार खत्म। अखबार के अनुसार सर्टिफिकेट के आधार पर कई शिक्षकों के बहाल होने की फजीहत झेल रहे शिक्षा विभाग में अब शिक्षकों की नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया बदलने का निर्णय किया है। पहले ये नियुक्ति पंचायत और नगर निकायों की 9222 नियोजन इकाइयों के माध्यम से होती थी लेकिन अब शिक्षकों की नियुक्ति आयोग यानी बीपीएस या विद्यालय सेवा आयोग (संभावित) के माध्यम से होगी।
नई नियमावली जल्द
शिक्षा विभाग ने शिक्षक नियुक्ति नियमावली 2023 का प्रारूप लगभग तैयार कर लिया है। नई नियमावली से बहाल शिक्षकों का कैडर जिला होगा। सभी अड़तीस जिलों में नियोजन इकाई होगी। इससे शिक्षकों के स्थानांतरण और सर्टिफिकेट के रखरखाव की समस्या नहीं होगी। सबसे पहले हाइस्कूलों में 1.22 लाख शिक्षकों की नियुक्ति होगी। फिर प्रारंभिक स्कूलों में 80257 शिक्षकों की बहाली होगी। शिक्षा विभाग का लक्ष्य है कि 2023-24 में शिक्षकों के रिक्त पदों पर बहाली कर ली जाये। नई नियमावली में भी मेधा सूची पुराने नियमों के अनुसार ही बनेगी। आवेदकों को एक ऑनलाइन आवेदन देना होगा। केंद्रीकृत और ऑनलाइन आवेदन लेने की व्यवस्था होगी।
विपक्ष अदानी पर अड़ा, शेयर संभले
हिन्दुस्तान की पहले पेज पर शुरू की है: अडानी पर विपक्ष खड़ा, सरकार बोली- सब ठीक। भास्कर ने खबर दी है: अदानी: रेकोर्ड गौते के बाद सबसे बड़ी उछाल, संसद में बवाल जारी। अखबार लिखता है: हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद से गिर रहे अदानी एंटरप्राइजेज के शेयरों में शुक्रवार को खासी रिकवरी आई। वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने कहा कि अदानी शेयरों में गिरावट से बाजार में उतार चढ़ाव, मैक्रो इकोनॉमिक नज़रिए से चाय के प्याले में उठा तूफान भर है। रिसर्च एनलिस्ट के मुताबिक रिकवरी दो प्रमुख कारणों से हुई। पहली फिंच रेटिंग्स ने कहा कि अदानी का एंटरप्राइजेज़ के शेयर में गिरावट का कंपनी की रेटिंग पर असर नहीं होगा। दूसरी फ्रांस की ऊर्जा कंपनी टोटल एनर्जी ने कहा कि वह अदानी की कंपनी में अपनी हिस्सेदारी की समीक्षा नहीं करेगी।
लोकसभा में हंगामा
इधर, लोकसभा में शुक्रवार को भी विपक्षी दलों के सदस्यों ने अदानी समूह से जुड़े मामले को लेकर भारी हंगामा किया। इसके कारण कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। इस बीच, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अदानी को लेकर उठा विवाद निवेशकों के भरोसे पर असर नहीं डालेगा। उन्होंने यह भी कहा कि एसबीआई और एलआईसी पूरी तरह से सुरक्षित हैं।विपक्षी सदस्य अडानी समूह पर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट और उससे संबंधित घटनाक्रम पर जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने और इस मुद्दे पर संसद में चर्चा कराने की मांग पर अड़े रहे।
बिहार में कैंसर के मरीज
भास्कर ने विश्व कैंसर दिवस पर खबर दी है: राज्य में हर साल कैंसर के 50 से 60,000 नए मरीज। दूसरी तरफ, हिन्दुस्तान के अनुसार बिहार में हर साल कैंसर के एक लाख मरीज मिलते हैं। भास्कर लिखता है कि बिहार में कैंसर के कितने मरीज हैं, इसका कोई डेटा नहीं है और न ही इस पर कोई विशेष शोध हुआ है। कुछ हॉस्पिटल बेस्ड रजिस्ट्री जरूर है। वैसे राज्य में हर साल 50 से 60,000 नए कैंसर के मरीज जुड़ जाते हैं। अकेले महावीर कैंसर संस्थान में हर साल 30 से 35,000 कैंसर मरीज आते हैं। प्रदेश में हर साल 30,000 कैंसर मरीजों की मौत भी हो जाती है। हिन्दुस्तान की सुर्खी है: राज्य में तेजी से बढ़ रहे मुंह, गला और गॉल ब्लाडर कैंसर के मरीज। एक और सूचना है: भारत में 10 लाख मरीज बड़ी आंत के हैं कैंसर पीड़ित।
बजट में बिहार के रेल प्रोजेक्ट
भास्कर की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: बजट में बिहार के रेल प्रोजेक्ट के लिए मिले 8505 करोड़ 87 स्टेशन वर्ल्ड क्लास बनेंगे। हिन्दुस्तान ने पहले पेज पर खबर दी है: बिहार में 36 नई रेल लाइनें बिछेंगी, 87 स्टेशनों का भी होगा कायाकल्प। आम बजट में बिहार में रेलवे के विकास के लिए 8505 करोड़ की राशि दी गई है। कई नई परियोजनाओं को भी मंजूरी मिली है। 36 नई रेल लाइनें बिछाने के लिये राशि दी गई है। वहीं, 17 रूटों का दोहरीकरण भी होगा। वहीं, उपभोक्ता सुविधाओं पर पूर्व मध्य रेल क्षेत्र में 630 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
कुछ और सुर्खियां
- तेजस्वी की घोषणा: विश्वविद्यालयों के टॉप 100 छात्र विदेश में मुफ्त में पढ़ाई करेंगे
- बिजली बिल ज्यादा भेजने की राज्य भर में जांच होगी: नीतीश
- केके पाठक के विवादास्पद बयान की जांच करेंगे मुख्य सचिव: मुख्यमंत्री
- बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा
- पटना में खुले में पेशाब करते पकड़े जाने पर ₹100 जुर्माना लगेगा
- इंडिगो ने पटना की जगह यात्री को उदयपुर पहुंचाया
- अदानी समूह को बैंकों ने नियमों के मुताबिक दिया कर: आरबीआई
- अडानी की कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में 8.76 लाख करोड़ से अधिक की गिरावट
- असम में बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई शुरू दो हजार गिरफ्तार
- बंगाल में संघ की 56 हज़ार शाखाएं, उल्लेखनीय वृद्धि से भागवत संतुष्ट
- कॉलेजियम मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा ऐसा फैसला लेने पर मजबूर ना करें जो अप्रिय लगे
- बिहार में 2022 में 350 मानव तस्कर गिरफ्तार
- भारतीय आई ड्रॉप पर अमेरिका में विवाद
अनछपी: अखबारों में बड़ी सुर्खियों में भारतीय रेल के द्वारा बिहार के लिए नए प्रोजेक्ट की खबर तो छाई रहती है लेकिन इसकी हकीकत क्या है यह जानने के लिए भास्कर अखबार की वह खबर पढ़नी चाहिए जिसकी सुर्खी है: ये प्रोजेक्ट सिर्फ जिंदा है उत्तर बिहार की एक से डेढ़ दशक पूर्व की डेढ़ दर्जन से अधिक परियोजनाओं के लिए बजट में मिले महज एक-एक हज़ार रुपये। अखबार की यह कोशिश बहुत अच्छी है लेकिन पूरे बिहार के बारे में अगर यही जानकारी मिलती तो और बेहतर होता। इस खबर को पहले पेज पर देते और दूसरे अखबार भी इस विषय पर लिखते तो बिहार का भला ही होता। सरकारों की चालाकी आम लोगों की याददाश्त पर हमेशा भारी पड़ती है। यही चालाकी रेलवे के बारे में की गई घोषणा में भी है। इन घोषणाओं के बारे में आम लोग क्या सोचते हैं यह बताना भी महत्वपूर्ण होगा। स्वच्छ भारत के इतने नारे के बावजूद आज भी लोगों की शिकायत आम है कि ट्रेन और खासकर उनके शौचालय गंदे रहते हैं। ट्रेनों की लेटलतीफी भी जारी है। बिहार की बात करें तो यहां से बड़े शहरों के लिए ट्रेनों की अब भी काफी कमी है। रेलवे की चालाकी ही मानी जाएगी कि उसने एक-एक हजार रुपए आवंटित कर यह कहने से लोगों को रोक लिया कि कोई प्रोजेक्ट बंद कर दिया गया है लेकिन उन परियोजनाओं को कब पूरा किया जाएगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। जरूरत इस बात की है कि बिहार के नेता और आम लोग इन मुद्दों पर अपना विरोध जताए और रेल मंत्रालय को इस बात के लिए मजबूर करें कि कम से कम वह अपनी ही घोषणाओं पर समय से काम कर ले।
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