छपी-अनछपी: उपेंद्र कुशवाहा ने फिर बनाई नई पार्टी और खुद ही अध्यक्ष बने, छत्तीसगढ़ में ईडी का इस्तेमाल

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। जैसा कि बिहार लोक संवाद डॉट नेट ने सोमवार को इशारा किया था जदयू से नाराज चल रहे नेता उपेंद्र कुशवाहा ने नई पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल बनाने की घोषणा की है। अक्सर अखबारों में यही पहली खबर है। उधर छत्तीसगढ़ में 24 फरवरी से होने वाले कांग्रेस के महाधिवेशन के ठीक पहले और विधानसभा चुनाव के नजदीक आने के साथ ही एंफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ईडी) ने कांग्रेस नेताओं पर कार्रवाई शुरू की है। इसकी खबर भी प्रमुखता से ली गई है।

हिन्दुस्तान की मेन हेडलाइन है: उपेन्द्र कुशवाहा ने नई पार्टी रालोजद बनाई। जागरण की दूसरी सबसे बड़ी खबर भी यही है: तेजस्वी के नेतृत्व से असहमत उपेंद्र ने बनाई नई पार्टी। भास्कर की हेडिंग है: Uपेंद्र-टर्न: जदयू में हक की लड़ाई लड़ने वाले उपेंद्र ने बनाई नई पार्टी, 7 वीं बार राह बदली। जदयू संसदीय बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने सोमवार को जदयू की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। बिहार विधान परिषद की सदस्यता भी वे शीघ्र त्याग देंगे। अपने समर्थकों संग डेढ़ दिन के मंथन के बाद सोमवार दोपहर प्रेस कांफ्रेंस कर उन्होंने जदयू से तीसरी बार राह जुदा होने तथा नई पार्टी के गठन का एलान किया। पार्टी का नाम राष्ट्रीय लोक जनता दल (रालोजद) रखा गया है। उपेन्द्र इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए हैं। कुशवाहा ने तीसरी बार नई पार्टी बनाई है।

छत्तीसगढ़ में ईडी

जागरण की सबसे बड़ी खबर है: छत्तीसगढ़ में कोयला लेवी घोटाले में बघेल के कारोबारियों पर ईडी के छापे। हिन्दुस्तान में लिखा है: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस नेताओं के परिसरों पर ईडी के छापे। जागरण लिखता है कि ईडी ने कोयला लेवी घोटाले में सोमवार को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कई करीबी कांग्रेसी नेताओं और विधायकों के ठिकानों पर छापे मारे। रायपुर में कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन से 3 दिन पहले यह कार्रवाई कोयला परिवहन घोटाले के मास्टरमाइंड सूर्यकांत तिवारी और मुख्यमंत्री सचिवालय की उप सचिव सौम्या चौरसिया के घर से मिली डायरी के आधार पर की गई बताई गई है। ईडी के अधिकारी सीआरपीएफ जवानों के साथ सुबह करीब 5:00 बजे कांग्रेस नेताओं के घर पहुंचे थे। ईडी के छापों के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने 10 मंत्रियों के साथ पत्रकार वार्ता की ओर कहा कि भारत जोड़ो यात्रा की सफलता और हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अदानी की सच्चाई उजागर होने के बाद भी छापे मारे गए हैं। यह कार्रवाई भाजपा की हताशा  दर्शाती है।

तेजस्वी के नेतृत्व पर जदयू में असमंजस

जदयू के पूर्व नेता उपेंद्र कुशवाहा की नई पार्टी बनाने की घोषणा के साथ एक और असमंजस पैदा हो गया। पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह बयान चर्चित रहा था कि 2025 में महागठबंधन का नेतृत्व तेजस्वी यादव करेंगे लेकिन अब जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने यह बयान दिया है कि अभी 2025 तक नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री रहेंगे और तब का फैसला तब होगा। यानी 2025 में महागठबंधन जब विधानसभा चुनाव के लिए उतरेगा तो उसका नेतृत्व कौन करेगा इसपर असमंजस पैदा हो गया है।

उपेन्द्र अति महत्वाकांक्षी

हिन्दुस्तान ने पहले पेज पर सुर्खी दी है: उपेन्द्र अति महत्वाकांक्षी, जदयू में किसी को स्वीकार नहीं थे: ललन। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने उपेन्द्र कुशवाहा द्वारा नई पार्टी बनाने पर कहा कि जहां भी जाएं वहां कुछ दिन स्थिर होकर रहें क्योंकि उन्होंने इतिहास बना दिया है। ललन सिंह ने यह भी कहा कि जदयू में किसी नेता को उपेन्द्र स्वीकार नहीं थे। सोमवार को पत्रकारों से ललन ने कहा कि कुशवाहा अति महात्वाकांक्षी हैं। उपेन्द्र पहली बार विधायक बने तो नीतीश जी ने उन्हें नेता विरोधी दल बनाया। लेकिन 2005 में वे दल छोड़कर चले गये। फिर कई साल बाद लौटे तो मुख्यमंत्री जी ने राज्यसभा भेजा। पर तीन महीने बाद दल से बाहर चले गये। इस बार पार्टी का एक भी नेता उन्हें जदयू में शामिल करने को तैयार नहीं था। फिर भी नीतीश जी ने उन्हें शामिल किया।

देवबंद में दाढ़ी पर सख्ती

हिन्दुस्तान ने पहले पेज पर खबर दी है: दाढ़ी कटाने पर निष्कासित किए जाएंगे छात्र देवबंद। अखबार के अनुसार दारुल उलूम के छात्रों ने दाढ़ी काटवाई तो उनके खिलाफ निष्कासन की कार्रवाई की जाएगी। मदरसा प्रबंधन ने बाकायदा नोटिस से चेतावनी दी है। हालांकि प्रबंधतंत्र ने चेतावनी से पूर्व भी इन्हीं आरोपों में चार तलबा पर कार्रवाई कर चुका है, जिसकी जानकारी भी नोटिस के माध्यम से दिया गया है। सोमवार को दारुल उलूम के नाजिम-ए-तालिमात (शिक्षा विभाग के प्रभारी) मौलाना हुसैन अहमद हरिद्वारी द्वारा संस्था में नोटिस चस्पा कर तलबा को अनुशासन में रहने की नसीहत की गई है। उन्होंने नोटिस में दाढ़ी कटवाने वाले तलबा को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि तलबा दाढ़ी काटता है तो उसके खिलाफ निष्कासन की कार्रवाई होगी।

कुछ और सुर्खियां

  • दिल्ली से देवघर आ रहे विमान को बम से उड़ाने की धमकी लखनऊ में इमर्जेन्सी लैन्डिंग आरोपी हैदराबाद से गिरफ्तार।
  • भारत नेपाल सीमा पर एसएसबी के कमांडेंट को तस्करों ने गोली मारी, गंभीरपटना रेफर। 
  • पटना की 5 लाख से अधिक आबादी को राहत देने के लिए 10 किलोमीटर एलिवेटेड रोड को मंजूरी, अनीसाबाद बोर्ड से पटना एम्स तक बनेगा
  • दूसरे दिन भी जेठुली में उपद्रवियों को रोकने में नाकाम रही पुलिस, जारी रही आगजनी, लूटपाट, घायलों में एक और की मौत
  • रूस से युद्ध के बीच यूक्रेन पहुंचे बाइडन ने बड़े एलान किए
  • रूस से युद्ध के बीच यूक्रेन पहुंचे बाइडन ने बड़े एलान किए
  • समस्तीपुर में पूर्व मुखिया समेत दो को गोलियों से भूना

अनछपी: जदयू के उस वक़्त के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा कुछ हफ्तों पहले बीमार पढ़कर एम्स दिल्ली में भर्ती हुए थे। तब उनकी मुलाकात भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेताओं से हुई थी जिसे मामूली बताया गया था लेकिन उस समय से यह बात साफ हो चली थी कि वह अब जदयू में बहुत दिनों तक देखकर रहने वाले नहीं है। पहले भी यह माना जा रहा था कि भाजपा में उन्हें कोई बड़ा पद मिलने वाला नहीं लेकिन उसी के इशारे पर नीतीश कुमार के समानांतर राजनीति करेंगे और इसमें भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का भरपूर समर्थन उन्हें मिलेगा। यू टर्न लेने के उनके इसी इतिहास के कारण भास्कर ने ऐसी हेडिंग लगाई जिसमें Uपेंद्र टर्न लिखा गया। उपेंद्र कुशवाहा के जदयू से अलग होने की भूमिका शायद अगस्त 2022 में ही लिख दी गई थी जब नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव के साथ सरकार बनाने का फैसला किया और भारतीय जनता पार्टी से एक बार फिर नाता तोड़ लिया था। इस नए गठजोड़ का मतलब था कि उपेंद्र कुशवाहा ने जो सपने पाल रखे थे वह दूर दूर तक सच होने वाला नहीं था। दिलचस्प यह है कि उन्होंने खुद नई पार्टी बनाई और खुद ही पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बन गए। देखना होगा कि इस नई पार्टी का भारतीय जनता पार्टी के साथ किस हद तक समन्वय होता है क्योंकि रामविलास पासवान की पार्टी के दो हिस्सों के साथ भी भाजपा को सीटों का बंटवारा करना है। वैसे, इससे पहले जब वह राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष थे तब भी उन्हें नाकाम ही हासिल हुई थी अलबत्ता 2014 में भाजपा के साथ लोकसभा चुनाव लड़ने से उन्हें फायदा हुआ था और उनकी पार्टी ने तीन सीट जीती थी और वे मंत्री बने थे। कुल मिलाकर बिहार की राजनीति में एक रोचक अध्याय शुरू हुआ है।

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