छ्पी-अनछपी: वक़्फ़ बिल आज- नीतीश-नायडू बीजेपी के साथ, योगी सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। मुस्लिम संगठनों के भारी विरोध को दरकिनार करते हुए नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू ने भारतीय जनता पार्टी के वक़्फ़ संशोधन बिल को समर्थन देने का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को बुलडोजर ऐक्शन पर कड़ी फटकार लगाई है। आज से लागू होने वाले ट्रंप सरकार के टैरिफ से भारतीय शेयर बाजार धड़ाम। आरएसएस ने कहा कि काशी और मथुरा के अभियान में भाग लेने वाले स्वयंसेवकों को नहीं रोकेंगे।

और जानिएगा कि एक यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार ने अपने ही वीसी के खिलाफ क्यों दिया एफआईआर का आवेदन।

हिन्दुस्तान के अनुसार वक्फ बिल पर सत्तापक्ष और विपक्ष ने सदन में आर-पार की लड़ाई के लिए कमर कस ली है। वक्फ संशोधन विधेयक-2024 बुधवार को लोकसभा में पेश किया जाएगा। विधेयक पर चर्चा के लिए आठ घंटे का समय आवंटित किया गया है। इसी दिन इसे सदन से पारित भी कराया जाएगा। जरूरत पड़ने पर मतविभाजन भी कराया जाएगा। इस बीच, बिहार में राजग के घटक दलों जदयू, लोजपा आर और हम ने बिल का समर्थन किया है। लोकसभा की कार्य मंत्रणा समिति की मंगलवार को हुई बैठक में सरकार ने वक्फ बिल को बुधवार को लोकसभा में पेश करने की जानकारी दी। लोकसभा अध्यक्ष ने इसके लिए आठ घंटे चर्चा का समय तय किया। बैठक में विपक्षी सदस्यों ने 12 घंटे की चर्चा की मांग रखी, लेकिन सत्ता पक्ष ने आठ घंटे की चर्चा को पर्याप्त बताया, जिससे नाराज विपक्षी सदस्यों ने बैठक से वॉकआउट किया।

जदयू और टीडीपी बीजेपी के साथ

जागरण के अनुसार वक़्फ़ बिल पर बनी जेपीसी ने एनडीए के सहयोगी दलों के सुझावों को शामिल किया है। इसी का नतीजा है कि चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी, नीतीश कुमार के जनता दल यूनाइटेड, एकनाथ शिंदे की शिवसेना, चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), जीतन राम मांझी के हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और राष्ट्रीय लोक दल जैसे सभी दलों ने विधेयक के समर्थन की घोषणा कर दी है और अपने-अपने सांसदों के लिए व्हिप भी जारी कर दिए हैं।

योगी सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार

भास्कर के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज (इलाहाबाद) में 4 साल पहले के बुलडोजर क्रिया को अवैध और अमानवीय  ठहराया है। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जवल भुइयां की पीठ ने कहा कि घर के विध्वंस की कार्रवाई अनुचित तरीके से की गई। देश में कानून का राज है। कोर्ट ने कहा यह मामले हमारे विवेक को झकझोर देते हैं। घर जिस तरह ध्वस्त किए गए वह संवैधानिक मूल्यों व कानून का घोर उल्लंघन है। कोर्ट ने कहा अफसर और विशेष रूप से प्राधिकरण याद रखे कि आश्रय का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 का अभिनंदन है। ऐसी अवैध कार्रवाई मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है इसलिए प्रयागराज विकास प्राधिकरण हर याची को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा दे। प्राधिकरण ने मार्च 2021 में प्रयागराज के लूकरगंज में एक प्रोफेसर, एक वकील और तीन अन्य लोगों के घर गिरा दिए थे।

ट्रंप के टैरिफ से सहमा शेयर बाजार, 1390 अंक गिरा

जागरण के अनुसार अमेरिका बुधवार से दुनिया भर के लिए अपना जवाबी टैरिफ लागू करने जा रहा है। इसका असर भारत समेत दुनिया भर पर पड़ेगा। इसकी आहट से भारतीय शेयर बाजार भी अछूता नहीं रहा और मंगलवार को सेंसेक्स तो 1390 अंकों तक लुढ़क गया और एनएसई के निफ्टी में 353 अंक की गिरावट देखी गई। गिरावट से निवेशकों को 3.44 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।

मथुरा-काशी के अभियान में भी लगेगा आरएसएस

जागरण के अनुसार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आरएसएस के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा है कि संघ अपने स्वयंसेवकों को वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर और मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि के जीर्णोद्धार की मुहिम में भाग लेने से नहीं रोकेगा। साथ ही, उन्होंने मस्जिदों के नीचे से मंदिर खोदने को निरर्थक बताया। उन्होंने यह भी कहा कि अतीत की खोज में लगे रहने से समाज अन्य महत्वपूर्ण सामाजिक बदलावों जैसे अस्पृश्यता को समाप्त करना, युवाओं में नई भावनाओं का संचार करना तथा संस्कृति और भाषाओं को संरक्षित करने पर ध्यान नहीं दे पाएगा और विमुख होगा। कन्नड़ साप्ताहिक पत्रिका विक्रमा को दिए गए साक्षात्कार में होसबाले ने कहा कि आज समाज धर्मांतरण, गौ हत्या, लव जिहाद और कई अन्य चुनौतियों का सामना कर रहा है।

रजिस्ट्रार ने वीसी पर लगाया डराने धमकाने का आरोप

प्रभात खबर के अनुसार पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय (पीपीयू) के रजिस्ट्रार प्रोफेसर एनके झा ने बहादुरपुर थाने में प्रभारी कुलपति प्रोफेसर शरद कुमार यादव के सुरक्षा गार्ड व कर्मी द्वारा आधी रात को बाजार समिति स्थित घर पर डराने धमकाने के लिए पहुंचने का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी के लिए आवेदन दिया है। थानेदार संजय शंकर ने बताया कि आवेदन सोमवार को मिला है। जांच हो रही है। इधर राज भवन और शिक्षा विभाग को भी अवगत कराया गया है। कुलसचिव ने सुरक्षा देने के लिए कुलाधिपति को पत्र भी लिखा है। भास्कर ने लिखा है कि पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रोफेसर एनके झा को अपने वीसी प्रोफेसर शरद कुमार यादव से ही जान का खतरा है। उन्होंने कहा कि वीसी ने अपने आदमियों को भेज कर उन्हें डराया धमकाया है। रजिस्ट्रार का आरोप है कि वीसी बीडी कॉलेज के प्रिंसिपल को हटाने का दबाव बना रहे हैं। इधर वीसी का कहना है कि सिंडिकेट की प्रोसिडिंग पर दस्तखत करने के लिए बुलाया था।

कुछ और सुर्खियां:

  • गुजरात के बनासकांठा जिले में पटाखा गोदाम में आग लगने और विस्फोट से 21 लोगों की जान गई
  • बिहार कैडर की आईपीएस अधिकारी काम्या मिश्रा का इस्तीफा मंजूर
  • बोधगया में 165.44 करोड़ रुपए के खर्चे से केंद्र सरकार बनाएगी बौद्ध ध्यान एवं आध्यात्म केंद्र
  • रामविलास पासवान की पहली पत्नी के आरोप पर पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस की पत्नी समेत पांच पर एफआईआर

अनछपी: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अजय मोहन सिंह बिष्ट उर्फ योगी आदित्यनाथ की बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर भारी ऐतराज जताया और उसे अवैध और अमानवीय बताने के साथ-साथ पीड़ितों को 10-10 लाख रुपया मुआवजा देने का आदेश पारित किया। पटना से छपे हिंदी के तीन प्रमुख अखबारों में इस खबर को इस तरह दबा दिया गया कि आपको इसे पढ़ने के लिए खास कोशिश करनी पड़ेगी। यह पहली बार नहीं है कि उत्तर प्रदेश के वर्तमान सरकार की कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने कोई टिप्पणी की हो लेकिन अखबारों ने इसे जानबूझकर हर बार नजरअंदाज किया। नेशनल चैनलों पर भी इस पर कोई चर्चा दिखाई नहीं दी। हम इसकी चर्चा यहां पर इसलिए कर रहे हैं ताकि योगी आदित्यनाथ के जुल्मोसितम के साथ-साथ मीडिया की मिलीभगत को भी ध्यान में रखा जाए। इसके साथ यह भी कहा जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक्शन लेने में काफी देर लगा दी और अगर उसका रवैया पहले से कड़ा होता तो शायद योगी आदित्यनाथ को अपने नफरती अभियान में रोकने में कामयाब होता। अभी के आदेश में भी केवल 10-10 लाख मुआवजा देने का आदेश दिया गया है जबकि उम्मीद यह की जा रही थी कि पूरे मकान को नए सिरे से बनाने में जो खर्च आए उसे योगी सरकार को देना होगा। इंसाफ का तकाजा तो यह भी है कि जिस सरकार ने यह कार्रवाई की, जिसे सुप्रीम कोर्ट अवैध और अमानवीय बता रहा है, उसपर भी कार्रवाई हो, केवल थोड़े से मुआवजा देने से इंसाफ नहीं होगा। कोई सरकार अगर अवैध और अमानवीय काम में लगी रहे तो उसको बने रहने का क्या अधिकार है? क्या इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जिम्मेदार ठहराते हुए पद के अयोग्य नहीं घोषित करना चाहिए? इस समय योगी आदित्यनाथ सरकार वाले उत्तर प्रदेश में मुस्लिम समुदाय का जीना मुहाल किया जा चुका है और उसके हर जायज़ हक़ पर हर तरह की पाबंदी लगाई जा रही है। विरोध करने वालों को जेल में ठूंसा जा रहा है और उनके घरों पर बुलडोजर चलाया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला स्वागत योग्य तो है लेकिन यह इंसाफ के तकाज़े पर अब भी अधूरा ही माना जाएगा।

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