महिलाओं की भागीदारी बढ़ने से हुआ बिहार का विकास- नीतीश

बिहार लोक संवाद नयूज नेटवर्क
खगड़िया/सीतामढ़ी/शिवहर, 30 अक्टूबर: जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्षमुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज खगड़िया जिले के परबत्ता एवं खगड़िया, सीतामढ़ी जिले के बेलसंड और शिवहर में राजग उम्मीदवारों के पक्ष में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए ज्यादातर फोकस महिलाओं पर किया। इस दौरान जहां एक ओर उन्होंने महिलाओं के लिए किए गए अपने काम की चर्चा की, वहीं उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी का नाम लिए बगैर उन पर निशाना साधते हुए कहा कि अंदर (जेल) गए तो पत्नी (राबड़ी देवी) को गद्दी पर बैठा दिया लेकिन उस सरकार ने महिलाओं के लिए कोई काम नहीं किया।

मुख्य मंत्री ने अपने चुनाव भाषणों में कहा कि ‘‘हमारी सरकार बनी तो हमने पंचायती राज संस्थाओं और नगर निकायों के चुनाव में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया। इनके अलावा अनुसूचित जाति को 12 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति को एक प्रतिशत और अतिपिछड़ा वर्ग को 20 प्रतिशत आरक्षण दिया। इसके अलावा, हमारी सरकार ने महिलाओं को सरकारी सेवा में 35 प्रतिशत का आरक्षण दिया है। इसका परिणाम है कि पहले जहां पुलिस बल में महिलाएं न के बराबर होती थी वहीं आज पुलिस में उनकी अच्छी खासी भागीदारी है।’’

श्री कुमार ने कहा कि ‘‘पहले की सरकार में नाम मात्र की महिला जनप्रतिनिधि होती थीं लेकिन आज हर क्षेत्र में उनकी भागीदारी बढ़ी है। सबको जन प्रतिनिधित्व का अवसर मिला। सबकी इज्जत बढ़ी है और सबको सेवा करने का मौका मिला है। उन्होंने कहा कि वह तो हमेशा कहते रहे हैं कि जब महिला और पुरुष दोनों साथ मिलकर काम करेंगे तभी समाज आगे बढ़ेगा। आज प्रगति पथ पर बिहार के निरंतर अग्रसर होने का सबसे बड़ा कारण हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी का बढ़ना है।’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि महिला सशक्तीकरण के लिए उनकी सरकार ने काफी काम किए है। जब महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए पूरे देश में स्वयं सहायता समूह का गठन हो रहा था उस समय बिहार में ऐसा एक भी समूह नहीं था। जब राज्य में उनकी सरकार बनी तो उन्होंने विश्व बैेंक से ऋण लेकर जीविका समूह के नाम से स्वयं सहायता समूह का गठन कराया। आज इसकी संख्या 10 लाख हो गई है। उन्होंने कहा कि बिहार के जीविका समूह की परिकल्पना इतनी कारगर रही कि तत्कालीन केंद्र सरकार ने बिहार के इस मॉडल को अपनाया और पूरे देश में इसे आजीविका समूह का नाम दिया।

मुख्य मंत्री ने कहा कि  नवंबर 2005 में उनकी सरकार बनी तो सर्वे कराया गया, जिसमें पता चला कि सबसे अधिक महादलित और अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चे विद्यालयों से बाहर हैं। उन बच्चों को स्कूल तक पहुंचाने के लिए सरकार ने टोला सेवक और तालीमी मरकज स्वयंसेवक बहाल किए। इस काम में 30 हजार लोगों को लगाया गया। अब विद्यालयों से बाहर रहने वाले बच्चों की संख्या न के बराबर है। पहले व्यवस्था नहीं होने की वजह से कम संख्या में लड़कियां विद्यालय जाती थीं। उनकी संख्या बढ़ाने के लिए उनकी सरकार ने पोशाक और साइकिल योजना शुरू की।

श्री कुमार ने कहा कि इसके बाद छात्राओं का आत्मविश्वास इतना अधिक बढ़ गया कि नौंवीं कक्षा में पहले जहां छात्राओं की संख्या एक लाख 70 हजार से भी कम थी वह अब बढ़कर छात्रों की संख्या के बराबर हो गई है। इस बार मैट्रिक की परीक्षा में छात्रों से अधिक छात्राएं शामिल हुई हैं।

 

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