सरवर जैसी शख्सीयत के नहीं होने से कमज़ोर हुई मुसलमानों की हैसियत

बिहार लोक संवाद डॉट नेट

बिहार की राजधानी पटना के भिखना पहाड़ी के पास की ये वही इमारत है, जहां 1990 के आसपास गुलाम सरवर रहा करते थे। यहीं से वैशाली कॉपी छपती थी और संगम अखबार प्रकाशित हुआ करता था। अजीमाबाद पब्लिकेशंस के नाम से मशहूर इस इमारत में अब गुलाम सरवर के दामान डॉ. एजाज अली की क्लिनिक चलती है।

बेगूसराय में जन्मे गुलाम सरवर बिहार के शिक्षा मंत्री थे। वो बिहार विधानसभा के स्पीकर और कृषि मंत्री भी हुए। लेकिन उर्दू आबादी में वो उर्दू आंदोलन और उर्दू पत्रकारिता के लिए ज्यादा मशहूर हैं। खासकर उर्दू दैनिक संगम के लिए जिसका प्रकाशन 10 जनवरी, 1963 से आरंभ हुआ था। 10 जनवरी को ही गुलाम सरवर का जन्म दिवस है। इसकी पूर्व संध्या पर पटना स्थित बिहार उर्दू अकादमी में एक स्मृति समारोह का आयोजन किया गया।

समारोह को विधायक अखतरुल ईमान, एमएलसी प्रो. गुलाम गौस और पूर्व विधान परिषद् सदस्य डॉ. तनवीर हसन ने विशेष रूप से संबोधित किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में गुलाम सरवर जैसी शख्सीयत के नहीं रहने से उर्दू और मुसलमानों की हैसियत कमजोर हुई है।

इस अवसर पर बिहार लोक संवाद डॉट नेट से बातचीत करते हुए बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन के मेम्बर इम्तियाज अहमद करीमी ने कहा कि उर्दू के विकास में उर्दू आबादी की भी कुछ जिम्मेदारियां हैं।

वरिष्ठ पत्रकार डॉ. रेहान गनी ने कहा कि उर्दू अखबार मालिकों में हौसले की कमी है। जबकि दैनिक हमारा नारा के संपादक अनवारुल होदा ने कहा कि गुलाम सरवर जैसा व्यक्तित्व देखने को बहुत कम मिलता है।

विधानसभा में उर्दू सेक्शन के एडमिनिटेªवि रहे डॉ. नसीम अखतर ने कहा कि गुलाम सरवर में साहित्यिक गुण भी मौजूद थे।

समारोह के आयोजकनकर्ता उर्दू कौन्सिल हिन्द के जेनरल सेक्रेटरी डॉ. असलम जावेदां ने कहा कि उर्दू की नई नस्ल को गुलाम सरवर के कारनामों से परिचित कराना जरूरी है।

समारोह के दौरान कोविड प्रोटोकोल का पालन करते हुए सीमित संख्या में उर्दू पत्रकार, शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद थे।

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