अल्पसंख्यक स्कूलों को इंसाफ़ दिलाने वाले हाईकोर्ट के फ़ैसले को नीतीश सरकार ने डाला कूड़ेदान में

सैयद जावेद हसन बिहार लोक संवाद डाॅट नेट
पटना, 31 दिसंबर: बिहार की नीतीश सरकार ने पटना हाईकोर्ट के उस फ़ैसले को कूड़ेदान में डाल दिया है जिससे अल्पसंख्यक स्कूलों को इंसाफ़ दिलाने का रास्ता साफ़ होता है।
मामला प्रदेश के 72 अल्पसंख्यक उच्च माध्यमिक और माध्यमिक विद्यालयों में प्रयोगशाला उपकरण की खरीदारी के लिए राशि उपलब्ध कराने से संबंधित है।

सरकार ने वित्तीय वर्ष 2017-18 में प्रदेश के 2000 उच्च माध्यमिक विद्यालयों और 4000 माध्यमिक विद्यालयों में प्रयोगशाला उपकरणों की आपूर्ति के लिए कुल 2 अरब 20 करोड़ रुपये जारी किए थे। लेकिन इसमें से फूटी कौड़ी भी अल्पसंख्यक स्कूलों को नहीं दी गई, हालांकि वे इसके पात्र हैं।

बिहार में कुल 72 उच्च माध्यमिक और माध्यमिक स्कूल हैं। इनमें पटना के अय्यूब उर्दू गल्र्स हाई स्कूल, पटना मुस्लिम हाई स्कूल, मोहम्म्डन ऐंग्लो अरबिक सीनीयर सेकेंड्री स्कूल और डाॅक्टर ज़ाकिर हुसैन हाई स्कूल प्लस टू भी शामिल हैं। इन सभी स्कूलों में लैब हैं जिन्हें बेहतर बनाने के लिए उपकरण की आवश्यकता है।

शिक्षा विभाग का चक्कर लगाने और दो साल इंतेज़ार करने के बाद भी जब प्रयोगशाला उपकरण की राशि नहीं मिली तब डाॅक्टर जाकिर हुसैन स्कूल के प्रबंधन की ओर से पटना हाई कोर्ट में एक रिट दाखिल की गई। 19 फरवरी, 2020 को रिट का निबटारा करते हुए जस्टिस प्रभात कुमार झा ने सरकार को आदेश किया कि वह दो महीने में पेटीशनर की शिकायत को दूर करे यानी प्रयोगशाला के उपकरण की खरीदारी के लिए देय राशि रीलीज़ करे।

लेकिन पूरे दस महीने के साथ-साथ साल दो हजार बीस भी गुजर गया। मगर अल्पसंख्यक स्कूलों को इंसाफ दिलाने की चिंता न तो अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री को है और न शिक्षा मंत्री को। अशोक चैधरी इत्तेफाक से दोनों ही विभाग के मंत्री हैं।

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