छपी-अनछपी: ईडी का नया दावा: जमीन के बदले नौकरी 600 करोड़ का मामला, सीज़र लिस्ट दिखाएं: तेजस्वी

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। रेलवे में नौकरी के बदले जमीन लेने के कथित घोटाले को सीबीआई ने 4.39 करोड़ का बताया था मगर अब ईडी ने नया दावा किया है कि यह पूरा मामला 600 करोड़ रुपए का है। इस बारे में उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने चुनौती दी है कि ऐसा मामला है तो सीजर लिस्ट को सामने लाएं। इससे जुड़ी ख़बरें हर जगह छाई हुई हैं। गवर्नर हाउस ने राज्य के कई विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रार की शक्ति छीनने की घोषणा की है जिसे अखबारों ने काफी अहमियत दी है। बिहार के मुख्य पार्षदों की औसत संपत्ति 3.10 करोड़ रुपये होने की खबर भी सभी अखबारों में है।

जागरण की मेन हेडलाइन है: 600 करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग के मिले सबूत। हिन्दुस्तान की पहली खबर है: दावा जमीन के बदले नौकरी में 600 करोड़ का फर्जीवाड़ा। भास्कर की सुर्खी है: 600 करोड़ की गड़बड़ी, तेजस्वी का लाख का बंगला डेढ़ सौ करोड़ का। ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने दावा किया है कि रेलवे में जमीन लेकर नौकरी देने के मामले का पूरा फर्जीवाड़ा 600 करोड़ रुपये का है। इसमें 350 करोड़ रुपये से अधिक की जमीन दिल्ली-एनसीआर से पटना तक लेकर नौकरियां बांटी गई थीं। इसके अलावा 250 करोड़ रुपये के अवैध लेनदेन के बारे में भी विस्तृत जानकारी मिली है। बड़ी मात्रा में यह राशि विभिन्न खातों और शेल कंपनियों के खाते के जरिए इधर से उधर की गई हैं। ईडी ने शुक्रवार को तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद के कार्यकाल में जमीन लेकर नौकरी देने के मामले में छह शहरों के 24 ठिकानों पर छापेमारी की थी।

सीज़र लिस्ट दिखाएं: तेजस्वी

ईडी के दावों के बाद उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने मांग की है कि उसे सीजर लिस्ट सबको दिखानी चाहिए। इस बयान को सभी अखबारों ने प्रमुखता दी है। तेजस्वी ने शनिवार को ट्वीट कर कहा है कि याद करिए- वर्ष 2017 में भी कथित 8000 करोड़ रुपए का लेन-देन, हजारों करोड़ का मॉल, सैंकड़ों संपत्तियां और अभी चंद महीनों पहले गुरुग्राम में अरबों का वाइट लैंड कंपनी का अर्बन क्यूब मॉल भी मिला था। भाजपाई अब कथित 600 करोड़ का नया हिसाब लाने से पहले अपने सूत्रों को पुराने का तो हिसाब दे देते। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार द्वारा सूत्रों के हवाले से इधर-उधर की भ्रामक अफवाह फैलाने अथवा खबर प्लांट करवाने की बजाय रेड के बाद हस्ताक्षर किए जाने वाले पंचनामे की सूची ही सावर्जनिक कर देनी चाहिए। अगर हम इसे सार्वजनिक कर देंगे तो इन बेचारे नेताओं की क्या इज्जत रहेगी? सोच लो..।

घुटने टेकने का सवाल नहीं: लालू

हिन्दुस्तान ने लालू के इस बयान को पहले पेज पर जगह दी है: संघ व भाजपा के सामने न कभी घुटने टेका और न ही कभी टेकेंगे। राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने ट्वीट कर कहा कि संघ और भाजपा के विरुद्ध मेरी वैचारिक लड़ाई रही है और रहेगी। “इनके समक्ष मैंने कभी भी घुटने नहीं टेके हैं और मेरे परिवार एवं पार्टी का कोई भी व्यक्ति आपकी राजनीति के समक्ष नतमस्तक नहीं होगा। हमने आपातकाल का काला दौर भी देखा है। आधारहीन प्रतिशोधात्मक मामलों में मेरी बेटियों, नन्हें-मुन्ने नातियों और गर्भवती पुत्रवधु को भाजपाई ईडी ने 15 घंटों से बैठा रखा।”

हम साथ आए तो छापेमारी: नीतीश

ईडी के मामले पर मंत्री नीतीश कुमार ने ईडी के मुद्दे पर कहा है कि जब वह और राजद साथ आए हैं तो 5 साल के बाद छापेमारी हुई है। उन्होंने कहा कि पांच साल पहले भी इनलोगों पर छापेमारी हुई थी। “हमलोग (राजद-जदयू) एक साथ हो गये हैं तो फिर से छापेमारी हो रही है। वर्ष 2017 में छापेमारी हुई थी तो हमने कह दिया था कि इसे एक्सप्लेन कर दीजिए। इसको लेकर कुछ बातें हुईं और वहां (भाजपा) के लोगों ने मेरे साथ बात करनी शुरू कर दी। उनलोगों की बात को मानकर हमलोग उनके साथ चले गये। फिर हमलोग जब इनके (राजद) साथ आये हैं तो फिर से छापेमारी शुरू हो गई है। क्या मामला है, या नहीं है, ये तो वहीं लोग बतायेंगे। जिनके यहां छापा हुआ है, वो लोग जवाब दे ही रहे हैं तो हमको इस पर क्या कहना है?” उन्होंने यह भी कहा, “यह सब कोई नयी चीज नहीं है। पहले भी समन किया गया था। मेरी समझ से यह कोई खास मुद्दा नहीं है। वर्ष 2017 में छापेमारी हुई थी, उसमें क्या हुआ? अब पांच साल बाद फिर से हो रहा है। उस समय क्यों नहीं हुआ था।”

मुख्य पार्षदों की दौलत

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने बिहार के 223 विजेता मुख्य पार्षद/ मेयर में 214 की संपत्ति का विश्लेषण कर रिपोर्ट शनिवार को जारी की। इसके अनुसार नगर निकायों के 45% मुख्य पार्षद करोड़पति हैं। सभी अखबारों ने इसे प्रमुखता से छापा है। बिहार के नगर निकायों के आम चुनाव में नगर पंचायत, नगर परिषद एवं नगर निगमों के विजेता मुख्य पार्षद/मेयर की औसत संपत्ति 3.10 करोड़ रुपये है। इनमें 45% (97) जीते हुए उम्मीदवार करोड़पति हैं। जानकारी के अनुसार 214 विजेता मुख्य पार्षद/ मेयर में 15% (32) विजेता मुख्य पार्षदों के पास 5 करोड़ से अधिक की संपत्ति है। वहीं 14% (30) विजेता के पास 2 करोड़ से 5 करोड़ की संपत्ति, 40% (80) के पास 50 लाख से दो करोड़, 21% (45) के पास 10 लाख से 50 लाख और 10% (21) के पास 10 लाख से कम की संपत्ति है।रिपोर्ट के अनुसार 35% (74 ) विजेता मुख्य पार्षद 5 वीं से 12 वीं तक की शिक्षा प्राप्त है। 36% (78) विजेता स्नातक या इससे अधिक की शैक्षणिक योग्यताधारी है।

सात रजिस्ट्रार पर पाबंदी

बिहार राजभवन द्वारा सात विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों का अधिकार छीनने की खबर सभी जगह प्रमुख खबर है। राजभवन स्थित राज्यपाल सचिवालय ने राज्य के सात विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों के कार्यो एवं कर्तव्य निर्वहन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। जिनके अधिकार छीने गए हैं, उनमें कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा, मुंगेर विश्वविद्यालय, मुंगेर, मगध विश्वविद्यालय, बोधगया, पटना विश्वविद्यालय, पटना, मौलाना मजहरूल हक अरबी एवं फारसी विश्वविद्यालय, पटना एवं पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, पटना के कुलसचिव हैं।

कुछ और सुर्खियां

  • बिहार में एच 3एन टू इनफ्लुएंजा (हांगकांग फ्लू) की दस्तक पटना की महिला संक्रमित
  • केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से कहा, हांगकांग फ्लू शुरू से सतर्क रहें
  • पेपर लीक्स: चार राज्यों में 5 साल में 18 पेपर लीक, सवा करोड़ युवा संकट में
  • 4 साल से रीडर प्रोफेसर की नियुक्ति ही नहीं, 9 साल में 8002 असिस्टेंट प्रोफेसर की वैकेंसी वह भी भरी नहीं
  • अमेरिका का सिलिकॉन वैली बैंक दिवालिया, संपत्तियां की गई ज़ब्त
  • भर्ती में 100 फ़ीसदी आरक्षण असंवैधानिक: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट
  • समलैंगिकों को रक्तदान की इजाजत नहीं, फैसला वैज्ञानिक अध्ययनों के आधार पर: केंद्र
  • कश्मीर को यूएन के एजेंडे में लाना कठिन: पाक विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो

अनछपी: लालू प्रसाद परिवार के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई अब बेहद अहम मोड़ पर पहुंच चुकी है। रेलवे में नौकरी देने के बदले जमीन लेने का आरोप का घोटाला पहले जहां 4.39 करोड़ का बताया जा रहा था अब ईडी के छापे के बाद उसे 600 करोड़ रुपया का बताया जा रहा है। उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने इस मामले में सीजर लिस्ट जारी करने की मांग की है लेकिन इस तरह की मांग पर ईडी कितना ध्यान देगी यह तो समय आने पर पता चलेगा। कई लोग यह कह रहे हैं कि ईडी की इस कार्रवाई के बाद तेजस्वी यादव की गिरफ्तारी का खतरा भी है। जैसे दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई के कार्रवाई के बाद ईडी ने भी केस किया था लगभग उसी तर्ज पर तेजस्वी यादव और उनके पिता लालू प्रसाद के परिवार पर यह केस चलाया जा रहा है। कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों की ऐसी कार्रवाइयों ने हाल के दिनों में विपक्षी दलों को एकजुट होने पर मजबूर किया है लेकिन उनकी एकजुटता अब भी बहुत कमजोर नजर आती है। सवाल उठता है कि क्या बारी-बारी कर विपक्षी दल को टारगेट कर केंद्र में सत्ता चला रही सरकार सब को जेल के अंदर डाल देगी? जाहिर है यह विपक्षी दलों के लिए सामूहिक संकट का समय है और अगले कुछ दिनों में यह पता चल सकेगा कि वह इस संकट से निपटने के लिए तैयार हैं या अलग-अलग आपस में लड़ते हुए ही जेल के अंदर जाना उनकी नियति है।

 

 

 

 

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