ये कैसा लव जिहाद? जबरन शादी के लिए जलाकर मार डाली गई वैशाली की गुलनाज

बिहार लोक संवाद ब्यूरो

पटना, 16 नवंबर: ‘लव जिहाद’ के टैगलाइन से आपने कई खबरें देखी और पढ़ी होंगी। बिहार के वैशाली जिले की गुलनाज के साथ जो कुछ हुआ, उसे आप किस टैग के साथ नत्थी करेंगे? जबरन शादी के लिए सतीश और चंदन के हाथों मौत के घाट उतार दी गई गुलनाज प्रकरण से अब कई सवाल उठने लगे हैं।

मामला बिहार के वैशाली जिले की देसरी थाने है। पीड़िता और अब मृत गुलनाज खातून के पिता का नाम मोहम्मद मुख्तार और मां का नाम सैमूना खातून है। मोहम्मद का देहांत 2017 में हो चुका है। ये सभी रसूलपुर हबीब, पोस्ट चांदपुर, जिला वैशाली के रहने वाले हैं। इनके साथ कुछ दिनों से रसूलपुर हबीब गांव के ही सतीश कुमार पुत्र विनय राय दो-तीन महीने से गुलनाज के साथ छेड़खानी कर रहा था। वह गुलनाज से जबरन शादी करने की बात कहा करता थ। सतीश ने गुलनाज को धमकी दी थी कि अगर तुमने हमसे शादी नहीं की तो जान से मार देंगे। गुलनाज ने साफ इनकार करते हुए कहा कि वह उसके मजहब से ताल्लुक नहीं रखती है इसलिए वह उससे शादी नहीं कर सकती। इसी के बाद 30 अक्तूबर की शाम, जब गुलनाज अपनी छोटी बहन गुलशन खातून के साथ घर के बगल में कूड़ा फेंकने गई तो वहां पहले से मौजूद सतीश ने गुलनाज को पकड़ लिया। सतीश के साथ चंदन कुमार पुत्र विजय राय भी था। दोनों आपस में चचेरे भाई हैं और रसूलपुर हबीब के ही रहने वाला हैं। सतीश और चंदन ने गुलनाज के जिस्म पर किरासन तेल छिड़क कर माचिस की तीली से आग लगा दी और फरार हो गए। छोटी बहन गुलशन के शोर मचाने पर आसपास के लोग इकट्ठा हुए और आग बुझाने की पूरी कोशिश की। लेकिन तब जब तक शरीर का अधिकांश भाग जल चुका था। घर वाले उसे उठा कर हॉस्पिटल ले गए जहां से गुलनाज को पटना के सदर अस्पताल पीएमसीएच में रेफर कर दिया गया। पंद्रह दिनों की जद्दोजहद के बाद गुलनाज ने 15 नवंबर की रात को दम तोड़ दिया। 16 नवंबर की दोपहर को रसूलपुर हबीब गांव के कब्रिस्तान में उसे दफ्न कर दिया गया।

प्रदेश में हो रहे विधान सभा चुनाव की वजह से शायद मुख्यधारा के मीडिया ने इस मामले को सही ढंग से कवरेज नहीं दिया। हालांकि जब सोशल मीडिया पर खबरें वायरल होने लगीं, तब 2 नवंबर को स्थानीय थाना में एफआईआर दर्ज हुई। लेकिन पुलिस ने मामले को रफा-दफा कर दिया और सतीश कुमार और चंदन कुमार में से किसी दोषी की गिरफ्तारी नहीं हुई। दोनों दोषियों की अब तब गिरफ्तारी नहीं होने से स्थानीय लोगों में जबरदस्त आक्रोश है।

प्रदेश में नीतीश की ताजपोशी एक बार फिर हो गई है। लेकिन ताज पर के नगीने और हीरे-जवाहिरात बदल गए हैं। सवाल पैदा होता है कि इस बदली हुई परिस्थिति में गुलनाज के परिवार के साथ इंसाफ कब होगा? होगा भी या नहीं होगा?

दूसरी तरफ इस मामले में 17 दिनों के बाद अभी तक किसी की भी गिरफ्तारी नही होने पर छात्र संगठन एआईएसएफ ने नाराजगी व्यक्त की है।

एआईएसएफ ने गुलनाज को न्याय दिलाने के लिए वैशाली में आक्रोश मार्च निकाला।वहीं एआईएसएफ का दो सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल गुलनाज के घर भी पहुंचा। प्रतिनिधिमंडल में शामिल एआईएसएफ के राज्य परिषद सदस्य सफदर इरशाद और वैशाली जिला अध्यक्ष प्रकाश कुमार की मौके पर मौजूद देसरी थाना प्रभारी सेराज हुसैन के साथ 17 दिनों बाद भी गिरफ्तारी नहीं होने पर तीखी झड़प भी हुई।

घटना को लेकर एआईएसएफ के राष्ट्रीय सचिव सुशील कुमार ने कहा है कि डबल इंजन की इस सरकार में बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ जुमला साबित हुआ है। 17 दिनों बाद भी आरोपितों की गिरफ्तारी नहीं होना क्या साबित करता है। ऐसे वीभत्स काम करने वाले लोगों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने के लिए मुख्यमंत्री को ठोस कार्रवाई करनी होगी।

वहीं एआईएसएफ के राज्य अध्यक्ष रंजीत पंडित ने कहा कि बिहार में कानून व्यवस्था पूरी तरह धवस्त हो चुकी है। लड़कियों और महिलाओं पर अत्याचार हो रहा है लेकिन संवेदनहीन सरकार आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पा रही है। घटना के 17 दिनों के बाद भी आरोपियों की गिरफ्तारी नही होना सरकार के कानून के राज का पोल खोलती है।

आरोपियों की शीघ्र गिरफ्तारी नही होने पर बड़ा आंदोलन करने की चेतावनी छात्र संगठन एआईएसएफ ने दी है।

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