अपने अधिकारो के लिए जागरूक हो रहे हैं लेबर-राजमिस्त्री, 31 जनवरी को पटना में ‘महाजुटान’

सैयद जावेद हसन, बिहार लोक संवाद डाॅट नेट

पटना, 8 जनवरी: क्या आपने कभी सोचा है कि इन ऊंची-ऊंची और सुन्दर इमारतों को बनाने वाले जो हाथ होते हैं, वे किनके होते हैं? वे कहां से आते हैं, वे किन समस्याओं से जूझ रहे होते हैं? ये दरअसल लेबर और राजमिस्त्री होते हैं। दूसरों के घर बनाते हैं, लेकिन अपना कोई ख़ास ठिकाना नहीं होता। उनके बच्चों का सुनिश्चित भविष्य नहीं होता। हम अगर बिहार की बात करें तो ये विभिन्न इलाक़ों से पटना आते हैं और काम हासिल करने के लिए ठेकेदारों का इंतेज़ार करते हैं। जिस जगह वे सुबह-सुबह आकर जुटते हैं, उसको बोलचाल की भाषा में लेबर चैक कहते हैं। पटना में आरपीएस मोड़, राजीवनगर, दीघा, बारिंग रोड, एजी काॅलोनी समेत कई लेबर चैक हैं। उनमें से एक सुल्तानगंज लेबर चैक भी है जहां जाड़ा, गर्मी, बरसात हर मौसम में लेबर जुटते हैं।

बिहार लोक संवाद डाॅट ने वैशाली ज़िले के कौशल सिंह और गया ज़िले के सुदीप प्रसाद यादव से उनकी समस्याओं और ज़रूरतों के बारे में बात की। कौशल राजमिस्त्री और सुदीप लेबर हैं।

समाज के इन उपेक्षित लोगों को उनका हक़ दिलाने के लिए बिगुल मजदूर दस्ता के तत्वावधान में एक अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत कुछ नवजवान सुबह-सुबह लेबर चैक पर जाकर इन मज़दूरों को जागरूक करते हैं।

पटना विश्वविद्यालय में एलएलबी की पढ़ाई कर रहे अजीत ने बताया कि सरकार से उनकी मांग है कि लेबर और राजमिस्त्री को काम दिलाना सरकार अपने ज़िम्मे ले। साथ ही, लेबर चैक पर मज़दूरों के ठहरने, पीने का पानी और मेडिकल की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।

31 जनवरी को राजधानी पटना के गर्दनीबाग़ में सुबह 11 बजे ये लेबर और राजमिस्त्री अपने अधिकारों के लिए जुटेंगे। अब देखना ये है कि चुनाव से पहले तरह-तरह के दावे करने वाली ये सरकार इनकी मांगों पर कितना तवज्जो देती है।

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