हाफ़िज़ की नियुक्ति में भी भ्रष्टाचार, रद् की गई मदरसे की बहाली प्रक्रिया
बिहार लोक संवाद डाॅट नेट पटना
ये पटना सिटी के बाग़पातो का मदरसा हुसैनिया है। एक वक़्त था जब यहां बच्चों के पढ़ने की गूंज सुनाई देती थी लेकिन आज यहां सन्नाटा पसरा है। 1971 में क़ायम हुए इस मदरसे में टीचर के कुल छह पोस्ट बिहार स्टेट मदरसा एजुकेशन बोर्ड से स्वीकृत हैं। लेकिन आज की तारीख़ में सिर्फ़ एक टीचर मौलाना हाशिम सेवारत हैं। मौलाना हाशिम भी कुछ महीने में रिटायर होने वाले हैं। इसके मद्देनज़र मदरसा को संचालित करने वाले हुसैनिया इस्लामिक एजुकेशनल ट्रस्ट ने चार पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला। लेकिन फ़ज़िल, इंटर ट्रेंड, मैट्रिक टेªंड और हाफ़िज नियुक्ति प्रक्रिया भ्रष्टाचार का शिकार हो गई।
इस बारे में ट्रस्ट के फ़ाउंडर और पांच सदस्यों ने 23 मार्च को मदरसा बोर्ड के सचिव सईद अंसारी से मुलाक़ात करके भ्रष्टाचार का उजागर किया है। बोर्ड को लिखित रूप से की गई शिकायत में बताया गया है कि ट्रस्ट के सचिव समीउल हक़ ने तीन अन्य सदस्यों के साथ मिलकर ग़लत तरीक़े से बहाली की प्रक्रिया अपनाई। आरोप लगाया गया है कि 40 साल से ऊपर के एक उम्मीदवार को बहाल कर लिया गया। इसके साथ ही सचिव ने नियुक्ति समिति में रहते हुए अपने दो सगे-संबंधियों को बहाल कर लिया गया। शिकायत में यह भी कहा गया है कि मदरसा से दो सब्जेक्ट एक्सपर्ट को आना था लेकिन सिर्फ़ मौलाना अमानत हुसैन ही आए, वह भी काफ़ी देर से। इन तथ्यों के आधार पर मैजोरिटी का हवाला देते हुए मदरसा की कार्यकारिणी समिति 10 में से 6 सदस्यों ने नियुक्ति प्रक्रिया को रद् दिया।
ट्रस्ट के फ़ाउंडर जुबैर अहमद ख़ान ने बिहार लोक संवाद डाॅट नेट को बताया कि मदरसा हुसैनिया में नियुक्ति संबंधी कोई दस्तावेज़ नहीं है। सचिव ने मदरसे को अपनी निजी जागीर समझ लिया है।
मदरसा बोर्ड के चेयरमैन दिन-रात ईमानदारी की माला जपते हैं। उम्मीद है उनके नेतृत्व में मदरसा बोर्ड मदरसा हुसैनिया के मामले में ईमानदारी से कार्रवाई और साफ़-सुथरी बहाली का रास्ता जल्द ही साफ़ होगा।
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