छपी-अनछपीपी; ‘वो’ सिर्फ लड़ाने में लगे हैं: नीतीश, ज्ञानवापी मस्जिद में कार्बन डेटिंग नहीं

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। मुख्यमंत्री नीतीश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लिए उनपर हमला बोला है जिसका सार है कि ‘वो’ विकास का काम नहीं कर रहे, बस लड़ाई लगवा रहे हैं। ये बातें उन्होंने समस्तीपुर में इंजीनियरिंग कॉलेज भवन के उद्घाटन के समय कहीं जो सभी अखबारों में प्रमुखता से छपी है। ज्ञानवापी मस्जिद में वुज़ूखाने के जिस फव्वारे को शिवलिंग बताया जा रहा था उसकी कार्बन डेटिंग से अदालत ने इंकार कर दिया है। यह खबर भी सभी जगह प्रमुखता से छपी है। इसके अलावा जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के करीबी माने जाने वाले एक ठेकेदार पर इनकम टैक्स के छापे की खबर भी पहले पेज पर प्रमुख है।

हिन्दुस्तान में नीतीश कुमार के बयान से संबंधित खबर की सुर्खी है: अब भाजपा के साथ नहीं जाऊंगा: सीएम। अखबार लिखता है: “मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि अब वह जीवन में कभी भाजपा के साथ नहीं जाएंगे।  मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लिए बगैर उन पर निशाना साधा कि देश में विकास का कोई काम वह नहीं कर रहे हैं। सिर्फ लोगों को एक-दूसरे से लड़ाने की कोशिश की जा रही है। यही कारण है कि हम भाजपा से अलग हुए हैं।”

जागरण की लीड है: ललन के करीबी ठेकेदार के यहां छापेमारी। हिन्दुस्तान में सुर्खी है बिहार से एनसीआर तक गब्बू सिंह की अकूत संपत्ति। अपनी कंस्ट्रक्शन कंपनी चलाने वाले गब्बू के 23 ठिकानों पर इनकम टैक्स के छापे पड़े हैं और पटना में ₹5000000 ज़ब्त हुए हैं।

अखबारों में खबरों के साथ कैसे खेल किया जाता है, इसका अंदाज़ा आज जागरण की इस हेडलाइन से लगाया जा सकता है जो पहले पेज पर है: शिवलिंग को पहुंचा सकती क्षति, इसलिए कार्बन डेटिंग की अनुमति नहीं: न्यायालय। भास्कर ने भी ‘शिवलिंग’ शब्द का ही प्रयोग किया है। कार्बन डेटिंग नहीं कराने के फैसले की खबर तो सही है लेकिन  वाराणसी न्यायालय ने अब तक ज्ञानवापी मस्जिद के फव्वारे को शिवलिंग करार नहीं दिया है, फिर भी ऐसा लिखा जा रहा है। यह खबर दिल्ली के नवभारत टाइम्स में इस सुर्खी के साथ छपी है: दावे वाले शिवलिंग की जांच नहीं: कोर्ट। चूंकि जागरण के पाठकों की संख्या लाखों में है इसलिए उन पाठकों के जहन में जहर भरने के लिए यह हेराफेरी बहुत ही खतरनाक है।

हिन्दुस्तान में शिक्षा से संबंधित एक महत्वपूर्ण खबर है: 12 जिलों में बनेंगे पिछड़ा कन्या आवासीय विद्यालय। इसके लिए 556 करोड रुपए मंजूर कर लिए गए हैं। हर स्कूल में 520 बेड होंगे। ये स्कूल कैमूर, सुपौल, मोतिहारी, सिवान, जहानाबाद, मुजफ्फरपुर, खगड़िया, शेखपुरा, गोपालगंज, बेगूसराय, भोजपुर और बक्सर जिले में होंगे। इनमें सीमांचल के किसी जिले को शामिल नहीं करना अफसोसनाक है क्योंकि वहां की लड़कियां शिक्षा में सबसे पीछे बताई जाती हैं।

यात्रा भत्ता घोटाले में दोषी पाए गए राजद के मुजफ्फरपुर जिले के कुढ़नी विधायक अनिल साहनी की विधानसभा सदस्यता समाप्त कर दी गई है। उन्हें 3 सितंबर को सीबीआई अदालत से तीन साल की सजा सुनाई गई थी। यह सभी अखबार में प्रमुखता से छपी है।

जागरण में पहले पेज पर एक खबर है: राशि लेकर फ्लैट नहीं देने पर अग्रणी का निदेशक गिरफ्तार। अग्रणी होम्स के डायरेक्टर आलोक कुमार को बनारस से गिरफ्तार किया गया। उन पर 14 करोड़ रुपये डकारने का केस दर्ज है।

धोखाधड़ी के नित नए तरीके सामने आ रहे हैं। प्रभात खबर की खबर है: मुख्य सचिव के नाम पर ठगी का प्रयास, उप सचिव को कर दिया व्हाट्सएप कॉल। कॉल करने वाले ने मुख्य सचिव आमिर सुबहानी का फोटो लगा रखा था। मंत्रिमंडल सचिवालय के उप सचिव देवेंद्र कुमार को जब उस नंबर से हालचाल पूछने का मैसेज मिला तो वे दौड़े-दौड़े सचिवालय पहुंच गए लेकिन वहां कोई नहीं था। उन्होंने नंबर पर गौर नहीं किया। जब उन्होंने मुख्य सचिव से फोन पर बात की तो उन्होंने मैसेज भेजने की बात को फर्जी बताया। यह मामला सचिवालय थाने में दर्ज कराया गया है।

हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान 12 नवंबर को कराया जाएगा हालांकि गुजरात में भी चुनाव होने वाला है लेकिन उसकी तारीख अभी तय नहीं की गई है। यह खबर भी अहम सुर्खियों में शामिल है।

राजनीति की एक रोचक खबर कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार शशि थरूर से संबंधित है। जागरण की खबर है: शशि थरूर को पटना में मिले 594 में से 10 डेलीगेट्स।  बताया गया है कि एयरपोर्ट से कांग्रेस ऑफिस तक उनकी यात्रा बिल्कुल फीकी रही। जबकि अध्यक्ष पद के दूसरे उम्मीदवार मल्लिकार्जुन खड़के के आगमन पर सदाकत आश्रम खचाखच भरा था

हिन्दुस्तान की खबर के अनुसार अब जन्म के साथ ही ‘आधार’ नंबर देने की तैयारी चल रही है। बच्चा जब 5 और 15 वर्ष का होगा तो उसके बॉयोमीट्रिक निशान और आंखों की पुतली जैसी पहचान की जानकारी जोड़नी होगी।

अनछपी: जागरण अखबार में एक महत्वपूर्ण खबर है: दोनों की मर्जी नहीं तो नहीं होगा तलाक़। महज़ 40 दिनों में तलाक तक पहुंचे इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय के कौल और अभय एस ओका की बेंच कर रही है। कोर्ट ने टिप्पणी की है कि  हम अभी ‘आज शादी और कल तलाक’ के पश्चिमी मानकों तक नहीं पहुंचे हैं। इस मामले में पति और पत्नी दोनों उच्च शिक्षा प्राप्त हैं। पति एक एनजीओ चलाता है और पत्नी को कनाडा में स्थाई निवास की अनुमति है। कोर्ट का कहना है कि सिर्फ 40 दिन एक दूसरे को समझने के लिए पर्याप्त नहीं होंगे और एक सफल शादी के लिए दोनों को ही कोशिश करनी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस एसजे वफादार को बीच-बचाव के लिए सौंप दिया है। शादी और तलाक के मामले में पश्चिम को दोष देना अब सही नहीं मालूम होता क्योंकि हमारे समाज में अपने मूल्यों के प्रति जो जवाबदेही होनी चाहिए उसकी शिक्षा नहीं मिल पा रही है। शादी में 19-20 के मामले को लेकर समझौता किया जाता है। यह मामला अगर ३६ का हो जाए तो मुश्किल खड़ी होती है। ऐसे में शादी से पहले सब कुछ ठोक बजा कर पता कर लेना जरूरी मालूम होता है।

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