कौन-सा अहम सवाल छोड़ गए मोहम्मद शहाबुद्दीन

सैयद जावेद हसन, बिहार लोक संवाद डाॅट नेट पटना

आरजेडी लीडर और पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन नहीं रहे। एक वक़्त में सीवान का डाॅन कहे जाने वाले शहाबुद्दीन की ये तस्वीर बताती है कि परिस्थितियां जब बदलती हैं तो कैमरा भी बदल जाता है। वैसे तो शहाबुद्दीन अपने ऊपर लगे कई तरह के मुकदमों से मशहूर रहे हैं, लेकिन नीतीश कुमार के बारे में कहा गया गया उनका एक वाक्य भी काफी मशहूर हुआ। शहाबुद्दीन ने कहा था कि नीतीश कुमार परिस्थितियों के मुख्य मंत्री हैं।

शहाबुद्दीन की मौत की खबर काफी नाटकीय ढंग से आती रही। न्यूज एजेंसी एएनआई ने सबसे पहले 1 मई की सुबह 9 बजकर 54 मिनट पर ट्वीट में कहा कि कोविड-19 के इलाज के दौरान मो. शहाबुद्दीन की मौत हो गई। लेकिन इसके थोड़ी ही देर बाद एएनआई ने खेद व्यक्त करते हुए ट्वीट डीलीट कर दिया और कहा कि जेल प्रशासन से मौत की पुष्टि नहीं हुई है।

इसी बीच तिहाड़ जेल के डीजी संदीप गोयल ने शहाबुद्दीन के निधन की खबर को अफवाह बताया।
लेकिन बाद में जेल प्रशासन ने मौत की पुष्टि कर दी।

शहाबुद्दीन दिल्ली के तिहाड़ जेल में एक मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे थे। जेल में ही वो कोरोना पॉजिटिव हो गए थे। धीरे-धीरे उनकी हालत खराब हो गई। तबीयत बिगड़ने के बाद जेल परिसर में शहाबुद्दीन का इलाज चल रहा था। लेकिन पिछले मंगलवार की रात हालत गंभीर हो गई थी जिसके बाद उन्हें दिल्ली के दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

यह अजब इत्तेफ़ाक़ है कि चारा घोटाला के मामल में लालू यादव को बेल मिल गई है और अब वो रिहा भी हो चुके हैं। अभी दिल्ली में ही हैं। लेकिन लालू के बेहद क़रीबी मो. शहाबुद्दीन इस दुनिया में नहीं रहे। कहते हैं, जेडीयू में शामिल होने के लिए शहाबुद्दीन को कई बार आॅफर मिला था लेकिन उनकी राजनीतिक वफादारी लालू के साथ ही रही।

शहाबुद्दीन की मौत के बाद एक सबसे बड़ा सवाल यह पैदा होने लगा है कि जेलों में बंद क़ैदी किस हद तक कोविड से सुरक्षित हैं। शहाबुद्दीन कोई आम कैदी नहीं थे। जेल में उनके रहन-सहन का तरीका अलग था। इसके बावजूद वो कोरोना वायरस की चपेट में आ गए। ऐसे में देशभर के लगभग 1 करोड़ 60 लाख कैदियों का जीवन किस हद तक खतरे में है, यह एक बड़ा मुद्दा है।

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