छपी-अनछपी: गुजरात में पुल टूटने से 100 से अधिक लोगों की मौत, सीएए पर आज से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

बिहार लोक संवाद डॉट नेट,  पटना। अहमदाबाद से 200 किलोमीटर दूर गुजरात के मोरबी शहर में रविवार शाम एक झूला पुल (केबल ब्रिज) टूट जाने से बड़ा हादसा हो गया। घटना के वक्त पुल पर चार सौ से ज्यादा लोग मौजूद थे। देर रात तक 60 लोगों के मरने की पुष्टि हुई थी लेकिन सोमवार की सुबह तक यह संख्या 100 तक पहुंच गुई। प्रभात खबर में यह संख्या 141 है। छठ की वजह से पटना से छपने वाले अखबार आज बाजार में नहीं आए हैं लेकिन इनके दिल्ली संस्करण में यह हादसा सबसे बड़ी खबर है। नागरिकता क़ानून- सीएए पर आज से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होने की महत्वपूर्ण खबर भी है। 

हिन्दुस्तान ने लिखा है कि मोरबी की मच्छू नदी पर बना हादसे का शिकार पुल पिछले छह महीने से बंद था। दो करोड़ रुपये से मरम्मत कर 25 अक्तूबर को इसे खोला गया था। अधिकारियों के मुताबिक, पुल की क्षमता सौ लोगों का वजन सहन करने की है लेकिन रविवार को छुट्टी होने के चलते करीब चार सौ लोग जुटे थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, शाम करीब साढ़े छह बजे जब पुल टूटा, उस पर कई महिलाएं बुजुर्ग और बच्चे भी थे।  

बिहार की खबरों में सबसे ऊपर छठ की खबर है। जागरण की वेबसाइट पर सोमवार की खबर थी: छठ महापर्व का आज चौथे दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही लोक आस्था के महापर्व छठ का समापन हो गया। जय छठी मइया से पूरा बिहार गूंज उठा। हिन्दुस्तान के अनुसार लोक आस्था के महापर्व छठ के तीसरे दिन रविवार को अस्ताचलगामी सूर्य को व्रतियों ने अर्घ्य दिया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने भी अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया तथा राज्यवासियों की सुख, शांति एवं समृद्धि के लिये ईश्वर से प्रार्थना की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को गुजरात के वडोदरा में वायुसेना के लिए ‘सी-295’ परिवहन विमानों के निर्माण संयंत्र की आधारशिला रखी। यह खबर भी सभी जगह प्रमुख स्थान पर है। एयरबस और टाटा मिलकर इस संयंत्र में विमानों का निर्माण करेंगे। इस मौके पर मोदी ने कहा कि ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर ग्लोब’ के मंत्र पर आगे बढ़ता भारत अपने सामर्थ्य को और बढ़ा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट में सीएए के मुद्दे पर सुनवाई आज

नौ दिन की छुट्टी के बाद उच्चतम न्यायालय सोमवार को खुलेगा। पहले दिन 240 जनहित याचिकाओं की सुनवाई प्रस्तावित है। इसमें नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका भी है।

मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित, न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ के समक्ष केवल सीएए पर 232 याचिकाएं सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है, जिनमें ज्यादातर जनहित याचिकाएं हैं। शीर्ष अदालत ने 

जनवरी 2020 में स्पष्ट किया था कि केंद्र की बात सुने बिना क्रियान्वयन पर रोक नहीं लगाएगी।

दारुल उलूम के मदरसे न मान्यता लेंगे न मदद

हिन्दुस्तान के दिल्ली संस्करण में पहले पेज पर खबर है: दारुल उलूम के मदरसे न मान्यता लेंगे न मदद। सहारनपुर से खबर दी गयी है कि देवबंद स्थित दारुल उलूम में रविवार को आयोजित राब्ता-ए-मदारिस के सम्मेलन में निर्णय लिया गया कि मदरसे किसी भी बोर्ड से मान्यता नहीं लेंगे, न ही उन्हें सरकारी मदद चाहिए। मदरसे अपना पाठ्यक्रम भी नहीं बदलेंगे, मगर बुनियादी तौर पर कक्षा पांच तक स्कूली शिक्षा मदरसों में देंगे। सम्मेलन में देशभर के दारुल उलूम से संबद्ध तीन हजार मदरसा संचालकों ने भाग लिया।  

जेडीयू-आरजेडी के विलय का कयास

हिन्दुस्तान की वेबसाइट पर इस बात को काफी अहमियत दी गयी है कि बिहार की सत्ता में भागीदार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जेडीयू और पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव की आरजेडी का विलय के कयास लगाए जा रहे हैं। दोनों ही पार्टियों के सुर एक से नजर आ रहे हैं। जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह के सोशल मीडिया पोस्ट से इन अटकलों को और बल मिल गया है। ललन सिंह ने अपने पोस्ट में सामाजिक न्याय का नारा दिया है, जो कि आरजेडी का हुआ करता है।

अनछपी: हादसे और मौत ऐसी बातें हैं कि इस पर दुख और अफसोस जताने के साथ पीड़ित परिवारों की मदद ही सबसे अच्छा काम होता है। गुजरात में पुल हादसे के बाद मदद में लगे सभी लोग प्रशंसा के पात्र हैं। अफसोस की बात यह है कि ऐसे अवसरों पर भी लोग अपनी राजनीति चमकाने से नहीं बचते हैं। इस पुल हादसे के साथ ही सोशल मीडिया पर लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह सवाल करना पूछा कि इसमें क्या संदेश है। श्री मोदी ने 2016 में कोलकाता में एक फ्लाइओवर के हादसे पर एक चुनावी सभा के दौरान ममता सरकार की आलोचना करते हुए हादसे को ‘भगवान का संदेश’ करार दिया था। 

अंग्रेजों के ज़माने के गुजरात इस पुल की मरमत में 2 करोड़ रुपये खर्च करने की बात है। इस पुल पर कितने लोग आएंगे, इसका अंदाज़ा तो ज़रूर रहा होगा और अगर नहीं था तो भी, यह सरकार की नाकामी है। देश भर में गुजरात मॉडल का बहुत हंगामा रहता है लेकिन इस हादसे ने भी इस नारे के खोखलापन को उजागर किया है। वहां की सरकार हिंदू-मुस्लिम करने के लिए भी जानी जाती है और हाल में वहां कॉमन सिविल कोड लागू करने की भी चर्चा हुई है। सरकार जब अपने मूल काम को छोड़कर ऐसे नारों में लगी रहती है तो ऐसे हादसों से बचना बहुत मुश्किल हो जाता है। 

 

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