छ्पी-अनछपी: सातवें चरण में 50 उम्मीदवार करोड़पति, रोहिणी पर दो एफआईआर

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार में सातवें चरण के लोकसभा चुनाव के 134 उम्मीदवारों में 50 करोड़पति हैं। सारण से राजद की उम्मीदवार रोहिणी आचार्य पर दो एफआईआर दर्ज की गई है। पश्चिम बंगाल में हाईकोर्ट ने कई वर्गों का ओबीसी दर्जा रद्द कर दिया है। चुनाव आयोग ने कहा है कि सेना और धर्म पर संभल कर बोलें नेता। यूरोप के तीन देशों ने फलस्तीन को देश का दर्जा दिया है। यह हैं आज के अखबारों की अहम खबरें।

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है कि बिहार में सातवें व अंतिम चरण का चुनावी अखाड़ा करोड़पतियों से सजा है। इस चरण की 8 सीटों पर 37 फीसदी यानी 50 उम्मीदवार करोड़पति हैं। कुल 134 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। इनकी औसत संपत्ति 2.50 करोड़ रुपये है। भाजपा, राजद, कांग्रेस, जदयू, एआईएमआईएम व राष्ट्रीय लोक मोर्चा के सभी उम्मीदवार करोड़पति हैं। भाजपा के 5, राजद के 3, कांग्रेस के 2, जदयू के 2, एआइएमआइएम के 2 एवं राष्ट्रीय लोक मोर्चा के 1 उम्मीदवार इस चरण के चुनावी मैदान में हैं। वहीं, भाकपा माले के 3 में 1 और बसपा के 8 में 7 उम्मीदवार करोड़पति हैं।

सबसे अमीर रविशंकर

भाजपा के पटना साहिब से उम्मीदवार रविशंकर प्रसाद के पास सर्वाधिक 40 करोड़ 60 लाख 98 हजार 345 रुपये की चल-अचल संपत्ति है। दूसरे स्थान पर पटना साहिब से ही बसपा प्रत्याशी नीरज कुमार के पास 23 करोड़ 61 लाख 70 हजार 405 रुपये की चल-अचल संपत्ति है। तीसरे स्थान पर काराकाट संसदीय क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी पवन सिंह के पास 16 करोड़ 75 लाख 43 हजार 819 रुपये की चल-अचल संपत्ति है।

रोहिणी पर दो एफआईआर

प्रभात खबर की सबसे बड़ी सुर्खी है रोहिणी, भोला यादव सहित आठ पर चुनाव बाधित करने का केस। जागरण के अनुसार सारण संसदीय क्षेत्र की रजत प्रत्याशी डॉ रोहिणी आचार्य पर बुधवार को दो अलग-अलग प्राथमिकी नगर थाने में कराई गई। पहली प्राथमिकी भाजपा कार्यकर्ता मनोज सिंह ने कराई है। इसमें आरोप लगाया गया है कि राजद प्रत्याशी ने शांतिपूर्ण चल रहे मतदान में बाधा डाली और समर्थकों को उकसा कर मतदान केंद्र पर हंगामा कराया। दूसरी प्राथमिकी छपरा सदर की अंचलाधिकारी कुमारी आंचल ने कराई है। इसमें आरोप लगाया गया है कि राजद प्रत्याशी डॉक्टर रोहिणी आचार्य ने मतदान केंद्र पर आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन कर सरकारी कार्य को बाधित किया। इससे वहां शांति भंग हुई।

ओबीसी पर हाई कोर्ट के आदेश से पश्चिम बंगाल में हंगामा

कोलकाता हाई कोर्ट ने बुधवार को वर्ष 2010 के बाद तृणमूल सरकार द्वारा जारी कई वर्गों के अन्य पिछड़ा वर्ग प्रमाण पत्र को असंवैधानिक बताते हुए उसे रद्द कर दिया है। फैसला सुनाए जाने के बाद रद्द किए गए प्रमाण पत्र का इस्तेमाल किसी भी रोजगार प्रक्रिया में नहीं किया जा सकेगा। हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद करीब 5 लाख ओबीसी प्रमाण पत्र रद्द हो जाएंगे। कोलकाता हाई कोर्ट के न्यायाधीश तपोव्रत चक्रवर्ती और न्यायाधीश राजशेखर मंथा की पीठ ने कहा कि 2010 के बाद जितने भी ओबीसी प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं, वह कानून के मुताबिक नहीं बनाए गए हैं। इसलिए उन्हें रद्द कर दिया जाना चाहिए। लेकिन हाईकोर्ट ने कहा है कि इस निर्देश का उन लोगों पर कोई असर नहीं होगा जो पहले ही इस प्रमाण पत्र के जरिए नौकरी पा चुके हैं या नौकरी पाने की प्रक्रिया में हैं। इस फैसले के बाद राजनीतिक माहौल गरमा गया है और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि वह इस फैसले को स्वीकार नहीं करतीं और सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी।

चुनाव आयोग बोला

जागरण की सबसे बड़ी सुर्खी है: धर्म-जाति के आधार पर प्रचार से बचें, नहीं करें सेना पर बयानबाजी: आयोग। चुनाव आयोग ने प्रचार के दौरान धर्म, जाति, भाषा, सेना और देश के संविधान को लेकर की जा रही है बयानबाजी पर सख्त रुख अपनाते हुए भाजपा और कांग्रेस को इससे परहेज करने की नसीहत दी है। आयोग ने कहा है कि देश के सामाजिक सांस्कृतिक परिवेश को कोई चोट नहीं पहुंचनी चाहिए। आयोग ने इन दोनों ही राजनीतिक दलों के राष्ट्र अध्यक्षों को निचले स्तर की टिप्पणियों को लेकर बुधवार को नोटिस जारी किया और कहा कि इस तरह की बयान बाजी पर तुरंत रोक लगाएं।

तेजस्वी की डबल सेंचुरी

हिन्दुस्तान के अनुसार बिहार में छठे चरण के लिए प्रचार गुरुवार यानी 25 मई तक होगा। सभी दलों के नेता अपने-अपने प्रत्याशियों के पक्ष में ताबड़तोड़ जनसभाएं कर रहे हैं। बुधवार तक सबसे ज्यादा जनसभा राजद नेता तेजस्वी यादव ने की। इन्होंने जनसभाओं का दोहरा शतक पूरा कर लिया है। इनकी तुलना में अन्य नेताओं की कम सभाएं हुई हैं। वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अबतक सभाओं का अर्द्धशतक लगा चुके हैं। उन्होंने बुधवार तक 50 जनसभाएं कीं। इसके अतिरिक्त उन्होंने 6 स्थानों पर रोड शो भी किया है।

भोजपुरी स्टार पवन बीजेपी से निकाले गए

भोजपुरी गायक और अभिनेता पवन सिंह को भाजपा ने निष्कासित कर दिया है। एनडीए के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ काराकाट से निर्दलीय चुनाव लड़ने पर बुधवार को प्रदेश भाजपा ने यह कार्रवाई की है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सम्राट चौधरी के निर्देश पर पार्टी के मुख्यालय प्रभारी अरविन्द शर्मा ने इस बाबत पत्र जारी किया है। पवन सिंह प्रदेश कार्यसमिति सदस्य थे। पत्र में कहा गया है कि लोकसभा चुनाव में पवन सिंह एनडीए प्रत्याशी के विरुद्ध चुनाव लड़ रहे हैं। यह कार्य दलविरोधी है। इससे पार्टी की छवि धूमिल हुई है। साथ ही यह पार्टी अनुशासन के विरुद्ध कार्य है। इसलिए पवन सिंह को पार्टी से निष्कासित किया जाता है।

सरकारी स्कूलों से 582 टीचर गायब

जागरण के अनुसार बिहार के सरकारी विद्यालयों से 582 शिक्षक छह माह से गायब हैं। ऐसे शिक्षकों की बर्खास्तगी जल्द होगी। गैर हाजिर शिक्षकों को लेकर शिक्षा विभाग ने कड़ा रुख अपनाया है। ऐसे शिक्षकों की बर्खास्तगी की अनुशंसा जिलों से विभाग को मिल चुकी है। विभागीय अफसरों द्वारा विद्यालयों में निरीक्षण के क्रम में सोमवार को गायब पाए गए 34 शिक्षकों को निलंबित किया गया है। वहीं 406 शिक्षकों पर निलंबन की कार्रवाई प्रक्रिया में है।

फलस्तीन को मान्यता

इसराइल-हमास युद्ध के बीच तीन देशों स्पेन, नॉर्वे, आयरलैंड ने बुधवार को फलस्तीन को एक देश के तौर पर मान्यता दे दी। इसराइल ने जहां इस फैसले की कड़े शब्दों में निंदा की, वहीं फलस्तीन ने खुशी जताई। फलस्तीन को सबसे पहले मान्यता देने वाले देशों में नॉर्वे शामिल है। नार्वे के प्रधानमंत्री जोनस गार स्तूर ने कहा कि अगर फलस्तीन को मान्यता नहीं दी गई तो पश्चिम एशिया में शांति स्थापित नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि फलस्तीन देश को मान्यता देकर नॉर्वे अरब शांति योजना का समर्थन करता है।

कुछ और सुर्खियां

  • इलाज कराने भारत आए बांग्लादेशी सांसद अनवारुल अजीम की कोलकाता में हत्या, बांग्लादेश में तीन गिरफ्तार
  • दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का दावा: 300 सीट के पार जाएगा ‘इंडिया’
  • छपरा में चुनावी हिंसा के बाद बंद किया गया इंटरनेट अब 25 मई के बाद खुलेगा
  • शिक्षा विभाग में बिहार के सभी विश्वविद्यालयों से बैंक खातों का विवरण मांगा
  • खराब रिजल्ट पर इंजीनियरिंग के छात्रों का हंगामा और तोड़फोड़, 16 पर केस दर्ज
  • झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर तथ्य छिपाने का आरोप, हेमंत ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली अर्जी वापस ली

अनछपी: चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को चुनाव प्रचार के लिए बयानबाजी में एहतियात बरतने का जो निर्देश दिया है वह ऊपरी तौर पर देखने में तो बहुत अच्छा है लेकिन सही में यह एक आईवाश है। हिंदी में कहा जाए तो यह आंखों में धूल झोंकने जैसा है। चुनाव आयोग में जिस सबसे बड़ी शख्सियत के बारे में शिकायत दर्ज कराई गई थी वह कोई और नहीं बल्कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे जिनके बयानों में सांप्रदायिक नफरत साफ़ झलकती है। उनके चुनावी भाषणों में मुसलमानों के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की गई है, उन्हें घुसपैठिया बताया गया है और ज्यादा बच्चे पैदा करने वाले का ताना भी दिया गया है। नरेंद्र मोदी पर कांग्रेस के मैनिफेस्टो के बारे में झूठ बोलने का भी आरोप है। इसके अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह विपक्षी दलों के वोटरों के बारे में यह कहते हैं कि उन्हें घुसपैठियों का वोट मिलेगा। इस बयान पर यह सवाल किया जाता है कि क्या विपक्षी दलों जैसे कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल और समाजवादी पार्टी को जो लोग वोट देते हैं, वे घुसपैठिया हैं? इससे ज्यादा आपत्तिजनक बयान क्या हो सकता है लेकिन चुनाव आयोग ने ना तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयानों पर उनके नाम से कोई नोटिस जारी किया और ना ही अमित शाह के बयानों के बारे में उन्हें कोई चेतावनी दी। चुनाव आयोग ने जो निर्देश जारी किया है वह दरअसल एक नैतिक शिक्षा के तौर पर लिया जा सकता है कि सबको बढ़िया व्यवहार करना चाहिए, झूठ नहीं बोलना चाहिए। आदि आदि। आखिर चुनाव आयोग की क्या मजबूरी है कि अगर सांप्रदायिक नफरत फैलाने वाले बयान नरेंद्र मोदी और अमित शाह दें तो उनके नाम से कोई नोटिस जारी न हो? उनके प्रचार पर कोई पाबंदी न लगाई जाए? नाम के लिए ही सही लेकिन चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी के एक उम्मीदवार को एक दिन के लिए चुनाव प्रचार से रोक दिया था क्योंकि जज के पद से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हुए उस उम्मीदवार ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया था। जरूर इस बात की है कि ऐसी ही रोक नरेंद्र मोदी और अमित शाह के चुनावी भाषणों पर भी लगाई जाए लेकिन चुनाव आयोग ऐसी हिम्मत नहीं दिखा पा रहा है।

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