छपी-अनछपी: दर्जनों डॉक्टर-इंजीनियर बर्खास्त-सस्पेंड, बूढ़े-बीमार लालू पर एक और केस की तैयारी

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार सरकार ने शुक्रवार को कई फैसले लिए जिसमें डॉक्टरों और इंजीनियरों को बर्खास्त और सस्पेंड करने की खबर प्रमुखता से छपी है। सिंगापुर में किडनी का ट्रांसप्लांट कराने के बाद स्वास्थ्य लाभ कर रहे राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के खिलाफ एक और केस की तैयारी की खबर भी पहले पेज पर है। शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के बयान पर सरकार में शामिल आरजेडी और जदयू के सुर अलग अलग नजर आने की खबर भी दी गई है।

जागरण की सबसे बड़ी खबर है: 81 डॉक्टर सेवा से बर्खास्त। अखबार लिखता है कि समय-समय पर डॉक्टरों की अस्पतालों में अनुपस्थिति पर मुख्यमंत्री से लेकर स्वास्थ्य मंत्री तक की चिंता के बावजूद डॉक्टर गंभीर नहीं हैं और सरकारी अस्पतालों में वैसे डॉक्टरों की संख्या अधिक है जो लगातार सेवा से गायब रहते हैं। शुक्रवार को राज्य मंत्रिमंडल ने बड़ी कार्रवाई करते हुए विभिन्न अस्पतालों में तैनात 81 डॉक्टरों को एक साथ बर्खास्त करने का प्रस्ताव पास किया। इस बारे में अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने 14 सितंबर को प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में औचक निरीक्षण में  705 डॉक्टर सेवा से गायब मिले जिन्हें नोटिस दिया गया था।

नाले का पानी साफ होकर नदियों में गिरेगा

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: बिहार की नदियों में नाले का गंदा पानी अब नहीं गिरेगा। भास्कर ने लिखा है: 173 नालों का गंदा पानी नदियों में ट्रीटमेंट के बाद गिरेगा, 161 करोड़ रुपए की कैबिनेट ने दी स्वीकृति। बिहार की किसी भी नदी में अब नाले का गंदा पानी नहीं गिरे, इसको लेकर राज्य के ऐसे 173 नालों को चिह्नित किया गया है, जहां से निकलने वाला गंदा पानी को स्वच्छ करने के बाद ही नदी में गिराया जाएगा। साथ ही इसका उपयोग सिंचाई में भी किया जाएगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में इस योजना सहित कुल 41 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।

मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क

भास्कर की लीड है: फतुहा में मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क बनेगा, 100 एकड़ में फैला होगा। पटना जिला के फतुहा अंचल के जैतिया मौजा में मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क विकसित करने की खातिर भूमि अधिग्रहण करने के लिए 168.93 करोड़ की मंजूरी दी गई। भारतमाला परियोजना के तहत फतुहा में एमएमएलपी विकसित किया जा रहा है। राज्य सरकार के उपक्रम, नेशनल लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड और रेल विकास निगम लिमिटेड तीनों के सहयोग से यह एमएमएलपी बनेगा। तीनों एजेंसी के बीच एमओयू करने की स्वीकृति दी गयी। एमएमएलपी के लिए आवश्यक 100 एकड़ जमीन का अधिग्रहण जिला प्रशासन करेगा। इस पार्क के माध्यम से रेल, सड़क और जलमार्ग परिवहन द्वारा देश के उत्पादों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक सुगमतापूर्वक एवं कम लागत में पहुंचाया जा सकेगा।

11 इंजीनियर सस्पेंड

हिन्दुस्तान की दूसरी सबसे बड़ी सुर्खी है: घटिया सड़क निर्माण में 11 इंजीनियर नपे। ग्रामीण सड़कों की जांच के बाद गुणवत्ता खराब पाए जाने पर ग्रामीण कार्य विभाग के सचिव पंकज कुमार पाल ने 11 इंजीनियरों को निलंबित कर दिया है। साथ ही निर्माण से जुड़ी आठ एजेंसियों को काली सूची में डाल दिया गया है। यह जांच दिसंबर में की गई थी।

लालू पर एक और केस की तैयारी

जमीन के बदले नौकरी मामले में लालू पर केस चलाने की मंजूरी देने की खबर सभी जगह प्रमुखता से दी गई है। अखबारों के अनुसार राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद की मुश्किलें बढ़ गई हैं। केंद्र सरकार ने सीबीआई को जमीन के बदले नौकरी घोटाले में मुकदमा चलाने को मंजूरी दे दी है। इस मामले में जांच पहले से जारी है। इसी मामले में सीबीआई ने जमीन के बदले नौकरी घोटाला मामले में लालू प्रसाद और उनकी पत्नी एवं पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी सहित 16 लोगों के खिलाफ चार्जशीट भी दायर की थी। सीबीआई ने लालू प्रसाद के रेल मंत्री रहते जमीन के बदले नौकरी घोटाले का आरोप लगाया था। इस सिलसिले में रावड़ी देवी के आवास पर छापेमारी भी हुई थी।

मंत्री के बयान पर अलग-अलग सुर

भास्कर ने पहले पेज पर सुर्खी लगाई है: जगदानंद बोले-राजद मंत्री के साथ, अशोक चौधरी ने कहा- बयान वापस लें। बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर द्वारा रामचरितमानस और मनुस्मृति व बंच ऑफ थॉट्स को नफरत फैलाने वाली किताब कहे जाने पर मचा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। राजद जहां अपने विधायक व मंत्री चंद्रशेखर के साथ खड़ा नजर आता है वहीं भारतीय जनता पार्टी के बाद अब राजद के साथ सरकार में शामिल जदयू ने भी दबे स्वर में उनका विरोध शुरू कर दिया है। जदयू के वरिष्ठ नेता व मंत्री अशोक चौधरी ने उनसे अपना बयान वापस लेने की मांग की है जबकि राजद के प्रदेश अध्यक्ष ने चंद्रशेखर का साथ दिया है। इस मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कोई खास तवज्जो नहीं दी है।

मुस्लिम लड़की के निकाह की उम्र

सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की उस याचिका पर विचार करने पर सहमत हो गया है, जिसमें पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है। हाईकोर्ट ने कहा है कि एक मुस्लिम लड़की युवावस्था (मुस्लिम लॉ के मुताबिक 15 वर्ष) के बाद अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी कर सकती है। शीर्ष अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले को किसी अन्य मामले में मिसाल के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने कहा है कि 15 वर्ष की आयु की एक मुस्लिम लड़की पर्सनल लॉ के तहत कानूनी और वैध तरीके से विवाह के बंधन में बंध सकती है।

कुछ और सुर्खियां

  • सौगात: हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन बहाल
  • टीम इंडिया में ईशान समेत बिहार के तीन लाल
  • शरद यादव की अंत्येष्टि उनके पैतृक गांव में आज
  • धंस सकता है पूरा जोशीमठ ,12 दिन में 5.4 सेंटीमीटर धंसा
  • दिल्ली व जम्मू से ठंडे हमारे 11 जिले, घने कोहरे से घटी विजिबिलिटी
  • भाजपा में जाने के सवाल पर उपेंद्र कुशवाहा ने कहा- 100 फ़ीसदी अफवाह है…लेकिन मैं वह खिलाड़ी हूं जिसे 2 साल से पवेलियन में बिठा रखा है
  • 24 कारोबारियों के यहां छापा, 11 करोड़ टैक्स चोरी
  • ललित किशोर का इस्तीफा, पीके शाही बने नए महाधिवक्ता
  • हेट स्पीच में देरी से केस पर सुप्रीम कोर्ट ने रिपोर्ट मांगी

अनछपी: राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद इस वक्त सिंगापुर में किडनी ट्रांसप्लांट कराने के बाद ठीक होने की कोशिश में लगे हैं। इसी बीच केंद्र सरकार ने उनके खिलाफ सीबीआई को एक और केस चलाने की अनुमति दे दी है। इस उम्र में और बीमारी की इस हालत में भी लालू प्रसाद के खिलाफ केस चलाने की अनुमति देना वास्तव में एक राजनीतिक फैसला है जो उनकी पार्टी आरजेडी के प्रभाव को कम करने के लिए किया गया लगता है। इसमें कोई दो राय नहीं कि बिहार में हिंदुत्व के विचारधारा को जिस नेता ने सबसे अधिक चुनौती दी है उसका नाम लालू प्रसाद है। भारतीय जनता पार्टी को बिहार में अब भी अपनी सरकार बनाने में सबसे बड़ी बाधा लालू प्रसाद और उनकी पार्टी ही नजर आती है क्योंकि नीतीश कुमार राजनैतिक दृष्टि से काफी कमजोर हो चुके हैं। इसीलिए भारतीय जनता पार्टी का ध्यान नीतीश कुमार से अधिक लालू प्रसाद और उनके परिवार पर है। इसमें भी कोई दो राय नहीं कि सीबीआई को यूं ही पिंजड़े का तोता नहीं कहा जाता बल्कि उसके राजनीतिक इस्तेमाल के कारण ही उसे यह संज्ञा दी गई है। ऐसे में अब एकमात्र उम्मीद सुप्रीम कोर्ट से बनती है कि वह देखें कि लालू प्रसाद के खिलाफ केस चलाने की अनुमति देना किस हद तक सही है।

 

 

 

 

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