छ्पी-अनछपी: सफाई की रैंकिंग में बिहार 15वें स्थान पर, एएमयू के माइनॉरिटी स्टेटस पर बहस जारी

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। सफाई रैंकिंग में बिहार और पटना की स्थिति को सभी अखबारों ने प्रमुख जगह दी है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के माइनॉरिटी स्टेटस पर जारी बहस की खबर को भास्कर ने प्रमुखता से छापा है।

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: पटना व सुपौल कचरामुक्त, बिहार देश में 15वें नंबर पर। प्रभात खबर की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: ऑल इंडिया रैंकिंग में बिहार 15वें स्थान पर, पटना और सुपौल को राष्ट्रीय अवार्ड। स्वच्छता सर्वे 2023 का परिणाम जारी कर दिया गया है। बिहार से पटना और सुपौल को कचरामुक्त शहर का दर्जा दिया गया है। दोनों शहर अपने-अपने वर्ग से राज्य में पहले नंबर पर हैं। दोनों ने कचरामुक्त शहर में स्टार वन प्राप्त किया है। पटना नगर निगम को ओडीएफ प्रमाणपत्र में वाटर प्लस प्राप्त हुआ है। केंद्रीय शहरी एवं आवास मामलों के मंत्रालय ने एक साथ 4477 शहरों की रैंकिंग जारी की है। राज्यों की रैंकिंग में बिहार को 15वां स्थान मिला है। बिहार को 1815.25 अंक मिला है। पहले स्थान पर महाराष्ट्र है, जिसे 3721.55 अंक मिला है। दूसरे पर 3657.92 अंक के साथ मध्यप्रदेश और तीसरे स्थान पर 3425.41 अंक के साथ छत्तीसगढ़ है।

एमएमयू का माइनॉरिटी स्टेटस

भास्कर की पहली सुर्खी है: एएमयू राष्ट्रीय महत्व का संस्थान, इसे अल्पसंख्यक दर्जे की जरूरत क्यों? अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की संविधान पीठ के समक्ष तीसरे दिन सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, सलमान खुर्शीद और शादान फरासत ने पक्ष रखे। कोर्ट ने पक्षकारों से पूछा कि लोगों को क्या फर्क पड़ता है कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान है या नहीं? यह अल्पसंख्यक टैग के बिना भी राष्ट्रीय महत्व का संस्थान है। इस बारे में एडवोकेट शादान फरासत ने कहा कि एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा और महिला शिक्षा साथ-साथ चले हैं। “इससे मुस्लिम महिलाओं में शिक्षा को बढ़ावा मिला है। एएमयू सफल अल्पसंख्यक संस्थान है, इसलिए अल्पसंख्यक दर्जे से बाहर करने का आधार नहीं हो सकता। एक अल्पसंख्यक संस्थान राष्ट्रीय महत्व का हो सकता है। ऐसा नहीं है कि केवल बहुसंख्यक ही राष्ट्रीय महत्व के संस्थान स्थापित कर सकते हैं।”

दाखिल खारिज में पिछड़े अंचल

हिन्दुस्तान की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: जमीन के दाखिल-खारिज में सूबे के 60 से अधिक अंचल बेहद सुस्त हैं। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के स्तर से जारी रैंकिंग रिपोर्ट में इनका प्रदर्शन खराब पाया गया। दाखिल-खारिज और परिमार्जन की व्यवस्था 2018 से ऑनलाइन होने के बाद भी बड़ी संख्या में ऐसे मामले हैं, जिनका निपटारा समय पर नहीं हो पाया है। दिसंबर 2023 में आठ मुख्य बिन्दुओं पर सभी अंचलों के कार्यों का मूल्यांकन करने के बाद यह रैंकिंग जारी की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 45 अंचल ऐसे हैं, जिसमें दाखिल-खारिज के निष्पादन की दर 50 फीसदी या इससे कम है।

भाजपा ने कांग्रेस को हिंदू विरोधी बताया

जागरण की सुर्खी है: कांग्रेस पर भाजपा का हमला, बताया हिंदू धर्म और संस्कृति का विरोधी। भाजपा नेता सुधांशु त्रिवेदी ने सोमनाथ से लेकर भगवान राम को मिथक बताने तक के कई अवसरों का हवाला देते हुए कहा कि प्राण प्रतिष्ठा का आमंत्रण ठुकराना कांग्रेस की पुरानी प्रवृत्ति के अनुरूप है। उन्होंने कांग्रेस को हिंदू धर्म और संस्कृति का विरोधी बताते हुए आरोप लगाया कि चंद कट्टरपंथी वोटों के लिए कांग्रेस और उसके सहयोगी दल भगवान राम के विरुद्ध खड़े हो गए हैं।

नमामि गंगे प्रोजेक्ट की खुदाई से खतरा

प्रभात खबर की सबसे बड़ी सुर्खी है: नमामि गंगे के प्रोजेक्ट की खुदाई के कारण कॉम्प्लेक्स पर खतरा। पटना के राजीव नगर रोड में चल रहे नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत एसटीपी नेटवर्क निर्माण के कारण एक छह मंजिले काम्प्लेक्स में कई जगहों पर दरार आ गई है। इससे डेढ़ साल पहले बने इस काम्प्लेक्स के करीब 35 फ्लैटों में रहने वाले 100 से अधिक लोग दहशत में है।

भारत के पासपोर्ट का दबदबा बढ़ा

हिन्दुस्तान के अनुसार दुनिया के सबसे शक्तिशाली पासपोर्ट की रैंकिग में भारत का दबदबा बढ़ा है। हेनली पासपोर्ट इंडेक्स ने वर्ष 2024 की पासपोर्ट की सूची जारी की है। इसमें भारत पिछले साल से तीन स्थान में सुधारकर 80वें स्थान पर पहुंच गया। वहीं सूची में पहली बार छह देशों का पहला स्थान मिला है। जापान के अलावा जर्मनी, इटली, सिंगापुर, स्पेन और फ्रांस को शामिल किया गया है। यहां के नागरिक 194 देशों में वीजा फ्री यात्रा कर सकते हैं।

कुछ और सुर्खियां

  • फुलवारी गैंग रेप व मर्डर केस में जानकारी देने पर 50 हज़ार का इनाम मिलेगा, एएसआई सस्पेंड
  • शिक्षा विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी केके पाठक छुट्टी पर, मुख्य सचिव को दी जानकारी
  • लगातार तीन बैठकों से अनुपस्थित जिला परिषद अध्यक्ष व उपाध्यक्ष हटाए जाएंगे
  • बर्फीली हवाओं ने बढ़ाई ठंड, 15 जनवरी तक रहेंगे कोल्ड डे जैसे हालात
  • राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा बिहार के 7 जिलों में 425 किलोमीटर की दूरी तय करेगी
  • संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से

अनछपी: यह सुनने में अच्छा लगता है कि सफाई की रैंकिंग में पटना को कचरामुक्त घोषित किया गया है लेकिन अब भी सच्चाई यह है कि देश के 4477 शहरों में पटना की रैंकिंग 262 वीं रही। एक लाख से अधिक आबादी वाले 446 शहरों की दौड़ में पटना की रैंकिंग 77वीं रही। इंदौर और सूरत में 9438 अंकों के साथ संयुक्त रूप से सबसे स्वच्छ शहर का खिताब जीता जबकि पटना को 6320 अंक मिले। बिहार के दूसरे शहरों की हालत और भी खराब रही। गया को 272वां,  मुजफ्फरपुर को 388 वां, बिहारशरीफ को 391 वां, भागलपुर को 403 वां और दानापुर को 412 वां स्थान मिला। राज्यों की रैंकिंग में बिहार को देश के 27 राज्यों में से 15 वां स्थान मिला। राष्ट्रीय स्तर पर जारी रैंकिंग अपनी जगह महत्वपूर्ण है लेकिन अगर आम लोगों से पूछा जाए तो वह सफाई के मामले में पटना को बहुत ज्यादा शाबाशी नहीं दे सकते। यही मामला पूरे बिहार की रैंकिंग का भी है। पटना के मोहल्लों को देखा जाए तो अक्सर कच्ची सड़कों पर गंदगी फैली हुई मिलती है। हालत यह है कि कभी-कभी इस कचरे की वजह से रोड एक्सीडेंट भी होता है। कई ऐसे इलाके हैं जहां कचरे का ढेर रहता है और लोग उसमें आग लगाकर उसे नष्ट करते हैं लेकिन उससे होने वाले प्रदूषण पर ध्यान नहीं देते। रैंकिंग की यह व्यवस्था स्वागत योग्य है लेकिन इससे सफाई का सही अंदाजा लगाना मुश्किल है। गया जैसे अंतरराष्ट्रीय महत्व वाली जगह को भी सफाई के मामले में 272 वीं रैंक मिलना न सिर्फ गया के लिए बल्कि पूरे बिहार के लिए अफसोसनाक माना जाना चाहिए। इसी तरह उत्तर बिहार की राजधानी माने जाने वाले मुजफ्फरपुर शहर की रैंकिंग 388 वीं है, जिसे किसी भी लिहाज से संतोषजनक नहीं माना जा सकता। शहरों को साफ रखना सरकार और समाज दोनों की जिम्मेदारी है लेकिन बिहार के मामले में फिलहाल दोनों पीछे नजर आते हैं। रैंकिंग व्यवस्था जारी होने के बाद बस इतना फर्क पड़ा है कि अधिकारियों की कोशिश रहती है कि  रैंकिंग के लिए दिए गए आंकड़े को सुधारा जाए। अगर आम लोगों से यह राय ली जाए कि कहां सफाई की जरूरत है और उसके अनुसार सफाई की व्यवस्था हो तब बिहार और बिहार के शहरों की सफाई रैंकिंग पहले से काफी बेहतर हो सकती है।

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