छपी-अनछपीः शुरू हो गयी 2024 की बात, और कौन किसे तोड़ने में लगा था?
बिहार लोक संवाद डाॅट नेट, पटना। नीतीश कुमार ने कितनी बार मुख्यमंत्री की शपथ ली है, यह आने वाले दिनों में जनरल नाॅलेज का सवाल हो सकता है लेकिन फिलहाल उन्होंने जो सवाल भारतीय जनता पार्टी के लिए छोड़ा है वह यह हैः 2014 में आने वाले 2024 में आएंगे क्या? आज के अखबारों में नीतीश कुमार की शपथ और भाजपा-जदयू के आरोप-प्रत्यारोप की खबरें भरी हैं। इसके साथ ही वह बयान भी है जिसमें नीतीश कुमार को पीएम बनने लायक बताया गया है।
आज जगदीप धनखड़ उप राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे और जस्टिस उदय उमेश ललित 27 अगस्त से देश के 49 वें मुख्य न्यायधीश होंगे। ये दोनों खबरें भी पहले पेज पर हैं।
हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी हेडलाइन हैः 2024 की चिंता करे भाजपाः नीतीश। इसके साथ एक और सुर्खी ध्यान देने लायक है जिसमें भाजपा ने आरोप लगाया है कि तेजस्वी जेल से बचने को नीतीश कुमार की शरण में।
प्रभात खबर की सुर्खी हैः 2014 में जो आ गये, वे 2024 में रहेंगे तब नः नीतीश।
भास्कर की सबसे बड़ी खबर की हेडिंग हैः शपथ से शंखनाद। नीतीश बोले- 2014 में आने वाले 2024 में आएंगे क्या?
उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने एक माह के अंदर बंपर नौकरियां देने की बात कही है, यह ऐलान प्रभात खबर पहले पेज पर है।
नीतीश भाजपा से अलग हों और सुशील की मोदी की चर्चा न हो, ऐसा मुमकिन नहीं। इसलिए आज के अखबारों में सुशील मोदी और नीतीश कुमार ने एक दूसरे के लिए क्या कहा, इसपर सुर्खी मौजूद है। हिन्दुस्तान ने लिखा हैः उपराष्ट्रपति नहीं बनने से नाराज हो अलग हुए नीतीशः सुशील मोदी। इसके साथ ही नीतीश का बयान हैः सुशील मोदी साथ रहते तो यह नौबत नहीं आती। जदयू ने कहा है कि सुशील मोदी की यह बात सफेद झूठ है कि नीतीश उपराष्ट्रपति बनना चाहते थे।
भास्कर ने पहले पेज पर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार का बयान छापा हैः भाजपा कल तक राजद को तोड़ने की डील कर रही थी। हिन्दुस्तान की हेडिंग हैः भाजपा विश्वासघाती पार्टी और आरसीपी उसके एजेंटः ललन। ललन सिंह ने 2017 में महागठबंधन से अलग होने और एनडीए में दोबारा शामिल होने की सलाह देेने वाले तीन नेताओं के नाम भी बताए हैंः आरसीपी सिंह, हरिवंश सिंह और संजय झा।
राजनीतिक खबरों से अलग यह खबर अनगिनत लोगों को राहत देने वाली है कि बिहार बोर्ड ने 39 साल के सर्टिफिकेट आॅनलाइन कर दिये हैं। अब जिन्हें भी यह सर्टिफिकेट और मार्कशीट की जरूरत होगी, ईमेल पर मिल जाएगी। यह खबर हिन्दुस्तान में प्रमुखता से छपी है। इसके अलावा विदेश में नौकरी करने वालों के लिए भी राहत की एक खबर है कि मेडिकल जांच के लिए अब उन्हें बिहार से बाहर जाने की जरूरत नहीं होगी। इसके लिए राज्य में नौ सेंटर बनाये गये हैं।
अनछपीः नीतीश कुमार से यह उम्मीद करना कि वे 2024 में अकेेले दम पर भाजपा और मोदी को रोक लेंगे, नीतीश के साथ नाइंसाफी होगी। मगर इतना तय है कि जैसे कभी लालू प्रसाद ने लाल कृष्ण आडवाणी के रथ को रोका था, वैसे ही नीतीश ने मोदी के रथ के आगे रोड़ा तो डाल दिया है। यह रोड़ा कितनी बड़ी रुकावट बनेगा, यह जानने के लिए थोड़ा इंतजार करना चाहिए। इसमें कोई शक नहीं कि इस समय हिन्दी भाषी राज्यों में उनसे बड़ा विपक्ष का नेता नहीं और यह कुछ दिनों पहले की ही बात है कि ऐसा लग रहा था कि हिन्दी पट्टी में मोदी को रोकने वाला कोई नहीं है। यह बात भी माननी चाहिए कि जिस ईडी-सीबीआई, साम-दाम-दंड-भेद के सहारे भाजपा ने अपनी बाहुबली छवि बनायी थी, उसे इस बार बिहार में चित होना पड़ा है। लेकिन भाजपा हाथ-पांव झाड़कर फिर खड़ी की कोशिश करेगी और उसके दांव में जो सबसे बड़ी चीज है वह है हिन्दुत्व का एजेंडा। राज्य में विवादास्पद मुद्दे और सामाजिक तनाव जितना बढ़ता है, उसका लाभ किसे मिलता है, यह बताने की जरूरत नहीं। ऐसे में नीतीश को पहले बिहार में यह तय करना होगा कि वे भाजपा की जमीन पर पैनी नजर रखें वर्ना 2014 में नरेन्द्र मोदी के सहारे भाजपा नीतीश कुमार के बिना भी सरकार बनाने में सफल हो गयी थी।
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