छपी-अनछपी: शराब कांड में मौत पर मानवाधिकार आयोग का दौरा, नौकरी के नाम पर कराई ट्रेनों की गिनती
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। सारण में जहरीली शराब पीने से हुई मौतों पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग बिहार का दौरा करने पहुंचा है। इसका बिहार सरकार विरोध कर रही है और राजनीतिक दलों में बहस छिड़ गई है। इसकी खबर अखबारों में प्रमुखता से ली गई है। सरकारी नौकरी के नाम पर लोग कैसे ठगे जाते हैं इसका ताजा उदाहरण सामने आया है जिसमें ट्रेनों की गिनती कराई जाती रही और जिनसे यह काम कराया गया उन्हें लगता रहा कि वे नौकरी कर रहे हैं। यह खबर जागरण में प्रमुखता से ली गयी है। बिहार के 156 नगर निकायों के लिए हुए चुनाव का परिणाम आ गया है और इसकी खबर भी विस्तार से अखबारों में है।
भास्कर की पहली खबर है: मानवाधिकार पर महाभारत। इसके तहत पहली सुर्खी है: शराब से मौत तो कैसा मानवाधिकार उल्लंघन? दूसरी सुर्खी है: आयोग की जांच जायज, सरकार घबराए क्यों है? हिन्दुस्तान में पहले पेज पर सुर्खी है: मानवाधिकार आयोग की टीम बिहार भेजने के खिलाफ 14 दल एकजुट। बिहार में जहरीली शराब लोगों की मौत के मामले में कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समर्थन में उतरे। विपक्षी दलों ने संयुक्त बयान जारी कर आरोप लगाया कि विरोधियों को निशाना बनाने के लिए कई जांच एजेंसियों के बाद अब मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को भी सरकार का हथियार बना दिया गया है। कांग्रेस, राजद, जदयू, आप, सपा, टीएमसी, भाकपा, माकपा, डीएमके, एनसीपी व शिवसेना ने बिहार में जहरीली शराब से मौत पर राजनीति की निंदा की। विपक्षी दलों ने संयुक्त बयान में गुजरात, मध्य प्रदेश व भाजपा शासित कुछ अन्य राज्यों में जहरीली शराब से हुई मौतों के मामलों का उल्लेख किया और यह सवाल किया कि एनएचआरसी ने इन घटनाओं की जांच की पहल क्यों नहीं की?
बिहार सरकार ने आपत्ति जताई
सारण शराब कांड मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम आने पर राज्य सरकार द्वारा आपत्ति जताने की खबर भी सभी जगह है। सरकार के वित्त व संसदीय मंत्री विजय कुमार चौधरी ने मद्य निधेष एवं उत्पाद विभाग के मंत्री सुनील कुमार के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह आपत्ति जतायी। आयोग को नसीहत भी दी कि वह बिहार आने के पहले अपने गठन के उद्देश्य तथा कार्यक्षेत्र का भी अध्ययन कर ले। श्री चौधरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सरकार को मीडिया से आयोग के कुछ सदस्यों के आने की सूचना मिली है। अपने आने से पहले टीम के सदस्य इसे प्रचारित कर रहे हैं। कोई राष्ट्रीय स्तर की संस्था अकारण अवधारणा बनाती है तो उचित नहीं है। हमें न सिर्फ आश्चर्य है, बल्कि दुख भी है। इधर, भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भाजपा शासित राज्यों की घटनाओं पर भी संज्ञान लेकर जांच टीम भेजी है। ऐसे में सारण में जहरीली शराब से बड़ी संख्या में लोगों की मौत की जांच करने के लिए आयोग की टीम का आना भी एक रुटीन प्रक्रिया है। सवाल किया कि इससे सरकार क्यों डरी हुई है?
बिहार पुलिस में बंपर बहाली
हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: बिहार पुलिस में 48447 पदों पर सीधी बहाली होगी। जागरण में भी यह खबर प्रमुखता से ली गई है जिसमें 75000 पदों पर बहाली की बात कही गई है। भास्कर ने लिखा है बिहार में 75 हज़ार 545 पुलिसकर्मियों की होगी भर्ती, डायल- 112 अब पूरे राज्य में लागू। हिन्दुस्तान के अनुसार: बिहार पुलिस में 75 हजार 543 पदों पर बहाली होगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में इन पदों के सृजन की मंजूरी दी गई। इनमें 48 हजार 447 पदों पर सीधी नियुक्ति होगी। वहीं, दूसरे चरण में इमरजेंसी रिस्पांस सपोर्ट सिस्टम (ईआरएसएस) के तहत 19 हजार 288 और पहले चरण में ईआरएसएस डायल-112 के पुलिस संवर्ग और गैर पुलिस संवर्ग के 7808 पद शामिल हैं।
असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली पर रोक
पटना हाईकोर्ट ने राज्य के 12 विश्वविद्यालयों में 4638 सहायक प्रोफेसर बहाली में नियुक्ति पत्र जारी करने पर रोक लगाये जाने की खबर सभी जगह है। कोर्ट ने सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण दिए जाने को लेकर कड़ी नाराजगी जताई। कोर्ट का कहना था कि संविधान तथा सुप्रीम कोर्ट के फैसले को नजरअंदाज कर कैसे बहाली में 70 प्रतिशत के करीब आरक्षण दिया जा रहा है। कोर्ट ने बिहार स्टेट यूनिवर्सिटी सर्विस कमीशन को अगले आदेश तक किसी को नियुक्ति पत्र जारी नहीं करने का आदेश दिया। न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा की एकलपीठ ने डॉ. अमोद प्रबोधी एवं अन्य अभ्यर्थियों की ओर से दायर तीन अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया।
नगर निकाय चुमाव के रोचक परिणाम
जागरण की पहली खबर है: दानापुर में मुख्य पार्षद कुर्सी पर नया चेहरा। इसमें बताया गया है कि पटना के 12 नगर निकायों में मुख्य पार्षद व उप मुख्य पार्षद की कुर्सी पर 13 महिलाओं का कब्जा हुआ है। खानापुर की दिलचस्प कहानी यह है कि वहां मुख्य पार्षद पद पर ससुर, सास के बाद बहू का कब्जा था। पहली बार मतदाताओं ने मुख्य पार्षद पार्षद पद के लिए नए चेहरे का चुनाव किया है। अखबार के अनुसार फुलवारी शरीफ नगर परिषद के मुख्य पार्षद आफताब आलम का कब्जा बरकरार रहा जबकि दानापुर नगर परिषद के निवर्तमान मुख्य पार्षद डॉ अनु को हार का सामना करना पड़ा है पूर्व राम पूर्व में उप मुख्य पार्षद दीपक मेहता की हत्या के बाद उनकी पत्नी शिल्पी कुमारी ने मुख्य पार्षद पद पर जीत हासिल की है। इस चुनाव को लेकर कुछ दिलचस्प सुर्खियां छपी हैं: जैसे मंत्री की मां और भाजपा सांसद की पत्नी हारीं। हारने वाली भाजपा सांसद अजय निषाद की पत्नी रमा निषाद वैशाली जिले में हाजीपुर के एक वार्ड से हार गई उन्हें उनकी चचेरी बहू ज्योत्सना ने हराया जो एमबीए डिग्री धारी हैं। उधर सारण के द्वारा नगर पंचायत चुनाव में वार्ड से श्रम संसाधन मंत्री सुरेंद्र राम की मां कलावती देवी को हार का सामना करना पड़ा। फुलवारी शरीफ में लंबे समय से चेयरमैन का पद संभाल रहे आफताब आलम खुद तो इस पद पर जीते ही उनकी दोनों पत्नियां भी पार्षद बनी हैं, यह बात भी चर्चा में है।
बीपीएससी की निगेटिव मार्किंग व्यवस्था
बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 68 मी संयुक्त प्रारंभिक प्रतियोगिता परीक्षा में गलत उत्तर के लिए नकारात्मक अंक दिए जाने की खबर सभी अखबारों में प्रमुखता से छपी है। नई व्यवस्था के अनुसार एक गलत सवाल पर 0.25 अंक घटाया जाएगा। इसके अलावा एक से अधिक उत्तर देने पर भी अंक कटेगा। जागरण ने यह सूचना भी दी है कि मेधा सूची में हिंदी और वैकल्पिक विषय के अंत शामिल नहीं होंगे लेकिन सामान्य हिंदी में 100 में न्यूनतम 30 अंक लाना जरूरी होगा। बीपीएससी मेंस के लिए मेरिट लिस्ट में जनरल नॉलेज पेपर वन और टू के साथ निबंध लेखन में मिले अंक से मेरिट लिस्ट तैयार की जाएगी। तीनों पेपर के लिए 300 अंक होंगे।
खड़गे के बयान पर बवाल
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान पर मंगलवार को संसद के दोनों सदनों में जोरदार हंगामा होने की खबर सभी अख़बारों में है। राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने खड़गे पर अभद्र टिप्पणी का आरोप लगाते हुए माफी की मांग की। हालांकि, कांग्रेस अध्यक्ष ने माफी मांगने से इनकार कर दिया। खड़गे ने अलवर में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान सभा में केंद्र सरकार पर चीन मुद्दे को लेकर संसद में चर्चा से भागने का आरोप लगाया था। उन्होंने केंद्र को ‘चूहा’ की संज्ञा दी। फिर उन्होंने पूछा कि हमारी पार्टी के नेताओं ने देश के लिए जान दी है, भाजपा ने क्या किया? उन्होंने कुत्ता शब्द का प्रयोग किया था जिसे अभद्र भाषा कहा जा रहा।
अनछपी: वैसे तो यह खबर आज के जागरण अखबार में छपी है लेकिन हमारी अनछपी का विषय भी यही है। दिल्ली में ठगों ने अपने चंगुल में फंसा कर तमिलनाडु के 28 युवाओं से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के अलग-अलग प्लेटफार्म पर 1 माह तक रोजाना 8 घंटे तक ट्रेनों और उसके डिब्बों की गिनती कराई। दिलचस्प बात यह है कि इसकी भनक काफी दिनों तक रेल विभाग और रेलवे पुलिस को नहीं मिल पाई। ठगों ने इन युवाओं को टीटीई और अन्य पदों पर नौकरी दिलाने का झांसा देकर करीब ढाई करोड़ रुपए ले लिए। उन्हें ट्रेनिंग के नाम पर ट्रेनों की गिनती करने के लिए कहा गया था। जब काफी दिनों तक नौकरी नहीं लगी तो इन उम्मीदवारों ने पुलिस से शिकायत की। अब इसकी जांच दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा कर रही है। ठगी का शिकार हुए अधिकतर लड़के इंजीनियरिंग और टेक्निकल एजुकेशन वाले ग्रेजुएट हैं। यह एकमात्र ऐसी घटना नहीं है बल्कि ऐसी घटनाएं आए दिन होती रहती हैं। सरकार को बेरोजगारी के स्तर का अंदाजा तो जरूर होगा इससे यह भी पता चलता है कि सरकारी नौकरी लेने के नाम पर लोग किसी भी हद तक जा सकते हैं। पुरानी कहावत है कि जहां लालच होगा वहां ठगों का राज होगा।
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