छपी-अनछपी: पटना में अगले माह हो सकती है विपक्षी दलों की बड़ी बैठक, मणिपुर में फिर हिंसा
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। कांग्रेस नेताओं के साथ दिल्ली में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बैठक के बाद उम्मीद की जा रही है कि पटना में जून में विपक्षी दलों की बड़ी बैठक होगी। सभी अखबारों में यह जानकारी पहले पेज की पहली खबर है। मणिपुर में 2 हफ्ते की शांति के बाद एक बार फिर हिंसा भड़की है। इसकी कवरेज सभी जगह है। 2021 की जनगणना टलते रहने के बाद अब इसे कराने के लिए बिल लाने की तैयारी की चर्चा भी अखबारों में है। आज से 2000 के नोट बैंकों में बदले जाएंगे और कैसे मंदिर में 2000 के नोटों की संख्या बढ़ रही है, यह भी जानिएगा।
भास्कर की सबसे बड़ी सुर्खी है: नीतीश-राहुल की मुलाकात के बाद साझी बैठक के लिए कांग्रेस सहमत। जागरण ने लिखा है: जून में होगी विपक्षी एकता की बैठक, पटना में हो सकता है आयोजन। हिन्दुस्तान की हेडलाइन है: नीतीश मिले खड़गे-राहुल से, एका पर बैठक जल्द। जागरण लिखता है कि विपक्षी दलों के बीच व्यापक एकता की बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल अब रंग लाने लगी है। 2024 के महासंग्राम में भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर मैदान में उतरने के लिए विपक्षी दलों के दिग्गजों की पहली महा बैठक जून में होगी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पार्टी के नेता राहुल गांधी के साथ नीतीश कुमार की शनिवार को हुई दूसरे दौर की बैठक में विपक्षी नेताओं की बैठक बुलाने पर सहमति बन गई। बैठक की जगह और तारीख की घोषणा अगले एक-दो दिन में हो जाएगी।
अध्यादेश के बाद ‘आप’ के करीब कांग्रेस
कांग्रेस दिल्ली में अफसरों की तैनाती-तबादले को लेकर केंद्र के अध्यादेश पर आम आदमी पार्टी का समर्थन करेगी। हिन्दुस्तान के अनुसार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से मुलाकात के दौरान इस मुद्दे पर बात हुई। माना जा रहा है कि बैठक के बाद पार्टी ने ‘आप’ का साथ देने का फैसला किया है। पार्टी के एक नेता के मुताबिक, कांग्रेस संसद में इस अध्यादेश को कानून बनाने के लिए लाए जाने वाले विधेयक का विरोध करेगी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की थी।
मणिपुर में हिंसा
हिन्दुस्तान की खबर है: मणिपुर में एक बार फिर हिंसा भड़की, सेना तैनात। मणिपुर की राजधानी इंफाल में सोमवार को पूर्वी जिले में फिर से हिंसा भड़क गई। भीड़ ने कई घरों में आग लगा दी, जिसके बाद तनाव की स्थिति पैदा हो गई। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षाबलों ने मोर्चा संभाला। राजधानी इंफाल के पूर्वी जिले के न्यू लाम्बुलाने के न्यू चेकॉन बाजार इलाके में सोमवार दोपहर करीब दो बजे एक हथियारबंद बदमाश ने पहले जबरन दुकानें बंद कराने की कोशिश की। इससे क्षेत्र में तनाव उत्पन्न हो गया। इसके बाद अज्ञात उपद्रवियों ने कई घरों को आग के हवाले कर दिया। इसके बाद सेना के जवान घटनास्थल पर पहुंचे और उन्होंने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे। सेना के मुताबिक स्थिति नियंत्रण में है।
जनगणना की सुगबुगाहट
जागरण की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: जनगणना में जुटाए जाएंगे सटीक सामाजिक-आर्थिक आंकड़े: शाह। भारत के रजिस्ट्रार जनरल के नए ऑफिस ‘जनगणना भवन’ का उद्घाटन करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जनगणना का डेटा जुटाने से लेकर इसके इस्तेमाल के तरीके में बड़ा बदलाव किया जा रहा है। इसका रास्ता साफ करने के लिए संसद के मानसून सत्र में विधेयक लाया जाएगा। माना जा रहा है कि इसके बाद ही जनगणना का काम शुरू हो पाएगा। जनगणना के सटीक आंकड़े जुटाने के लिए उन्होंने अपग्रेडेड आरआरएस मोबाइल एप्लीकेशन को भी लॉन्च किया जो जियो फेंसिंग की सुविधा से लैस होगा। शाह ने बताया कि इस बार 35 पैरामीटर पर आंकड़े जुटाए जाएंगे जिनमें सामाजिक आर्थिक पैरामीटर भी शामिल हैं।
भक्तों पर ‘गुलाबी’ रंग
जागरण की एक रोचक सुर्खी है: भक्तों पर चढ़ा ‘गुलाबी’ रंग। अखबार लिखता है कि 2000 के गुलाबी नोटों को लेकर आरबीआई का निर्देश आते ही ये अब भक्ति में अर्पण होने लगे हैं। अभी तक 500 तक के नोट ही मंदिर में आ रहे थे पर अचानक 2000 वाले नोटों की संख्या बढ़ गई है। पटना जंक्शन स्थित महावीर मंदिर में पूजन सामग्री, दरिद्र नारायण भोज व विभिन्न आयोजनों की बुकिंग को लेकर आने वाली राशि में 2000 के नोटों की संख्या पहले की तुलना में 6 गुना बढ़ गई है। बुधवार को दान पत्र खुलने के बाद स्पष्ट तौर पर पता चल सकेगा कि दान में कितने नोट 2000 के आए हैं।
जी-20 की बैठक
भास्कर की खबर है: कश्मीर: 37 साल बाद बड़ा आयोजन, 60 विदेशी प्रतिनिधि भी यहां पहुंचे। कश्मीर घाटी में सोमवार से जी-20 टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की बैठक शुरू हुई। पहले दिन 7 देशों के 60 प्रतिनिधि बैठक में शामिल हुए। घाटी में 37 साल बाद यह सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय आयोजन है जिसकी दुनिया भर में चर्चा है। इससे पहले 1986 में श्रीनगर में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच वनडे मैच हुआ था। जी-20 के लिए सजे धजे श्रीनगर में चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा कर्मी मौजूद थे। इस बैठक में चीन, सऊदी अरब और तुर्की शामिल नहीं हुए।
कुछ और सुर्खियां
- 2000 के नोट आज से बैंकों में बदले जाएंगे
- नए संसद भवन के लोकार्पण समारोह का बहिष्कार कर सकता है पूरा विपक्ष
- मेहरे आलम पर एनआईए का कोई कांड दर्ज नहीं: एडीजी पुलिस
- शेखपुरा में कलश यात्रा में शामिल रथ में करंट दौड़ा: 2 की मौत, 6 जख्मी
- नेपाल से ट्रेनिंग लेकर पटना में नकली नोट छाप रहे दो छात्र गिरफ्तार
- प्रधानमंत्री मोदी की मानहानि के मुकदमे में बीबीसी को दिल्ली हाईकोर्ट का नोटिस
- अदानी के शेयर रॉकेट बने 2 दिन में 24% तक उछाल
अनछपी: दिल्ली राज्य की सरकार में अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग पर मुख्यमंत्री और एलजी के बीच तनातनी रहती थी। फिर यह मामला सुप्रीम कोर्ट गया और वहां से यह फैसला आया कि इस पर मुख्यमंत्री का यानी चुनी हुई सरकार का अधिकार है। इस फैसले के तुरंत बाद केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर ट्रांसफर पोस्टिंग दोबारा अपने पास रख ली। अब अगले 6 महीने तक सुप्रीम कोर्ट के आदेश को बेअसर करते हुए यह अधिकार केंद्र सरकार के पास रहेगा। लेकिन ऐसी चर्चा है कि यही अध्यादेश आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को एक साथ लाने का कारण बना है। दोनों पार्टी एक दूसरे का अक्सर विरोध करते रहे हैं और कई बार आम आदमी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी के प्रस्तावों का समर्थन किया है। उदाहरण के लिए कश्मीर से धारा 370 की समाप्ति पर आम आदमी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के साथ थी लेकिन जब अब उस पर खुद नियंत्रण का शिकंजा कसा है तो वह कांग्रेस के साथ बातचीत के लिए तैयार नजर आती है। आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल का दिल्ली और पंजाब को छोड़कर प्रभाव वैसे तो बहुत ज्यादा नहीं है लेकिन उनके बारे में चर्चा बहुत अधिक है। उनकी छवि ऐसी बनी है जो विपक्षी एकता के लिए जरूरी मालूम होती है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अरविंद केजरीवाल को इस मुद्दे पर समर्थन देकर कांग्रेस के लिए भी संकेत दे दिया था और अब कांग्रेस लगभग इस बात के लिए तैयार है कि वह राज्यसभा में जरूरत पड़ी तो इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी के साथ वोटिंग करेगी। इस लिहाज से अगले 6 महीने काफी रोचक होंगे जब अध्यादेश को पारित कराने की कोशिश में सरकार राज्यसभा जाएगी। केंद्र सरकार के लिए राज्यसभा में इस विधेयक को पास कराना मुश्किल हो सकता है। इसलिए जो विपक्षी एकता ऐसे संभव नजर नहीं आ रही थी वह अब इस अध्यादेश के बाद कुछ हद तक बनती दिख रही है।
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