छ्पी-अनछपी: चार राज्यों का चुनाव रिज़ल्ट आज, गंगा किनारे निर्माण कार्य पर सुप्रीम कोर्ट की रोक

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आज आने वाला है। इस सिलसिले के पांचवें राज्य मिजोरम का रिजल्ट सोमवार को आएगा। इसकी खबर सभी जगह प्रमुखता से छपी है। पटना में गंगा किनारे कोई निर्माण कार्य न हो, इसका आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है जिसकी भी अच्छी कवरेज है।

भास्कर की सबसे बड़ी सुर्खी है: भाजपा भारी या कांग्रेस, रिजल्ट लोड हो रहा है…। अख़बार लिखता है कि जिस वक्त आप यह खबर पढ़ रहे होंगे उसके चंद घंटे के अंदर ही चार राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ व तेलंगाना के विधानसभा चुनाव के नतीजे आ जाएंगे। मगर रुझान और नतीजे के बीच इन राज्यों के 16 करोड़ मतदाताओं व 7879 प्रत्याशियों समेत पूरे देश की धड़कन तेज रहेगी। सुबह 8 बजे से मतगणना शुरू होगी। संभवतः दोपहर 12 बजे तक तस्वीर भी साफ हो जाएगी। कई जिलों में धारा 144 लगाई गई है। मध्य प्रदेश में विधानसभा की 230, राजस्थान में 199, छत्तीसगढ़ में 90 और तेलंगाना में 119 सीटों पर मतदान हुआ है।

गंगा किनारे निर्माण पर रोक

प्रभात खबर की सबसे बड़ी सुर्खी है: गंगा किनारे नहीं हो कोई निर्माण कार्य, सुनिश्चित करे राज्य सरकार: सुप्रीम कोर्ट। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि गंगा नदी के किनारे खासकर पटना और उसके आसपास कोई और निर्माण कार्य न हो। साथ ही कोर्ट ने राज्य को निर्देश दिया है कि वह 213 चिन्हित अवैध संरचनाओं को हटाने की प्रगति के बारे में उसे रिपोर्ट प्रस्तुत करे जो कि पटना में गंगा नदी के बाढ़ क्षेत्र में बनाई गई है। जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस आगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने यह आदेश पटना निवासी अशोक कुमार सिन्हा की याचिका पर सुनवाई के दौरान दी। इस मामले में अगली सुनवाई अब 5 फरवरी को होगी।

छह डिग्री बढ़ा तापमान

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: चिंता: आठ दिनों में 6 डिग्री तक चढ़ा तापमान। बिहार के अधिकतर शहरों में इस साल लगातार सामान्य से अधिक न्यूनतम तापमान की स्थिति देखी जा रही है। पिछले आठ दिनों में तापमान में और तेजी से बढ़ोतरी हुई है। 24 नवंबर तक बिहार के जिन शहरों का तापमान सामान्य से एक से डेढ़ डिग्री तक अधिक था, अभी वहां न्यूनतम तापमान सामान्य से आठ डिग्री ऊपर पहुंच गया है। यानी इन आठ दिनों में छह डिग्री तक पारा चढ़ गया है। बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से नमी के संयुक्त प्रवाह के कारण दिसंबर में भी उमस की स्थिति बनी हुई है। मौसमविदों के अनुसार, अभी राज्य के अधिकतर शहरों का औसत न्यूनतम तापमान 11 डिग्री से 13 डिग्री के बीच होना चाहिए था, लेकिन न्यूनतम तापमान 20 डिग्री तक पहुंच गया है। पटना, गया, भागलपुर, पूर्णिया सहित एक दर्जन से अधिक जिलों में न्यूनतम तापमान सामान्य से काफी ऊपर है।

20 फ़ीट की सड़क ज़रूरी

जागरण की सबसे बड़ी खबर है: प्लॉटिंग पर 20 फ़ीट सड़क ज़रूरी। राज्य के शहरी निकाय या शहर से सटे प्लानिंग एरिया में जमीन की प्लॉटिंग के लिए 20 फीट सड़क छोड़ना अनिवार्य होगा। जमीन की रजिस्ट्री में इस रास्ते का उल्लेख करते हुए निबंधन की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। नगर विकास एवं आवास विभाग ने इस बाबत निबंधन विभाग के सचिव को पत्र लिखते हुए उसका अनुपालन करने का आग्रह किया है। यह भी कहा गया है कि यदि किसी वजह से ऐसा किया जाना संभव नहीं हो तो संबंधित डीएम की लिखित अनुमति या अनापत्ति के बाद ही रजिस्ट्री की अनुमति दी जाए।

ग़ज़ा में 200 की मौत

प्रभात खबर ने लिखा है कि इसराइल ने शनिवार को ग़ज़ा पट्टी के भीड़भाड़ वाले दक्षिणी हिस्से के ठिकानों पर हमला किया और लोगों को आसपास के उन इलाकों को खाली करने का आदेश दिया जिन्हें हमला करने के लिए चिन्हित किया गया है। ग़ज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक संघर्ष विराम के बाद शुक्रवार सुबह फिर से शुरू हुई लड़ाई में 200 फलस्तीनी मारे गए हैं। हमास के शासन वाले ग़ज़ा के मंत्रालय ने बताया कि 7 अक्टूबर को इसराइल- हमास युद्ध की शुरुआत के बाद से ग़ज़ा में मरने वालों की कुल संख्या 15200 से अधिक हो गई है।

अल्पमत को भी सुना जाए: चीफ़ जस्टिस चंद्रचूड़

जागरण की खबर है: लोकतंत्र में अल्पमत को भी सुना जाना चाहिए सीजेआई: चंद्रचूड़। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि लोकतंत्र में बहुमत के फैसले को स्वीकार करना चाहिए लेकिन अल्पमत को भी सुना जाना चाहिए। उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ते हुए कहा कि भाषा की जानकारी का अभाव नए व युवा अधिवक्ताओं की प्रगति में बाधक बन रहा है। यह निर्णय अंग्रेजी में होने के कारण इस भाषा को न जानने वाले आमजन भी न्यायपालिका से दूर हो रहे हैं। इसे देखते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में 1950 के बाद के अपने 36000 निर्णय का हिंदी में अनुवाद करने का निर्णय लिया है। इनमें से 20000 निर्णयों के अनुवाद को स्वीकृति देने के बाद सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है। सीजेआई चंद्रचूड़ शनिवार को फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट, देहरादून के सभागार में कर्मभूमि फाउंडेशन की ओर से आयोजित न्यायमूर्ति केशव चंद्र धूलिया मेमोरियल लेक्चर एंड अवार्ड फंक्शन में मुख्य अतिथि के मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे।

अनुच्छेद 370 पर फैसला 15 तक

हिन्दुस्तान के अनुसार जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 को निष्प्रभावी करने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ 15 दिसंबर या इससे पहले अपना फैसला सुना सकती है। संविधान पीठ ने 16 दिन चली लंबी सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों (याचिकाकर्ताओं और केंद्र सरकार) की ओर से संवैधानिक और ऐतिहासिक पहलुओं पर दलीलें सुनने के बाद पांच सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

कुछ और सुर्खियां

  • जेईई एडवांस्ड 2024 के आवेदन शुल्क में ₹300 तक की वृद्धि
  • सहायक अभियोजन पदाधिकारी (एपीओ) का रिजल्ट जारी, 541 उम्मीदवार सफल
  • मिचौंग तूफान के कारण बिहार की 15 ट्रेनें रद्द
  • महिला शिक्षकों को मिलेगी स्कूटी चलाने की ट्रेनिंग
  • परीक्षा की तैयारी में परेशान पटना के मेडिकल छात्र ने भागलपुर में खुदकुशी की
  • फेक करंसी: बिहार समेत चार राज्यों में एनआईए की छापेमारी, रोहतास का युवक गिरफ्तार
  • आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह के खिलाफ ईडी की चार्जशीट दायर

अनछपी: भारत के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने लोकतंत्र और अल्पमत के बारे में जो बातें शनिवार को देहरादून में कहीं उसकी हिंदी अखबारों में कम ही चर्चा है हालांकि यह एक महत्वपूर्ण खबर थी। जस्टिस केशव चंद्र धूलिया मेमोरियल एसे कंपटीशन में ‘डेमोक्रेसी, डिबेट और डीसेंट’ पर अपनी राय रखते हुए चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि असहमति लोकतंत्र को मजबूत बनाती है और कोई समाज अगर असहमति को दबाता है तो वह प्रगति नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि असहमति चाहे जितनी अलोकप्रिय और अस्वीकार्य हो हमें भविष्य के बारे में बताती है। उन्होंने कहा कि राज्य को कमजोर आबादी के साथ होना चाहिए जो संख्या में या सामाजिक तौर पर अल्पमत में हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि निर्णय लेने में अल्पमत का भी अधिकार होना चाहिए। उन्होंने कहा की दासता की समाप्ति और जाति प्रथा का अंत कभी असहमति की ही आवाज थे। एक तरफ जस्टिस चंद्रचूड़ की अल्पमत के महत्व के बारे में कही गई बात है और दूसरी तरफ मौजूदा भारत सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों के हितों की अनदेखी करने की हकीकत है। केंद्र की ही नहीं जहां-जहां भारतीय जनता पार्टी की सरकार है वहां अल्पमत को बुरी तरह से कुचले जाने का आरोप लगाया जाता है। इस समय बहुसंख्यक होने का मतलब है सारे कानून कायदे बहुमत के अनुसार बनेंगे और चलेंगे जबकि कानून का मुखिया यह कह रहा है कि अल्पमत की भी बात सुनी जानी चाहिए। भारत का लोकतंत्र सिर्फ बहुमत के कहे अनुसार चलेगा तो अल्पमत की क्या स्थिति होगी? उदाहरण के लिए भारतीय जनता पार्टी की नीति है कि वह किसी मुसलमान को कहीं से चुनाव का टिकट नहीं देती, क्या यह अल्पमत का सम्मान है? वास्तविकता यह है कि आज कई विधानसभाओं और लोग लोकसभा में अल्पमत सबसे कम संख्या में है और उसकी कोई सुन नहीं रहा है। एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए जस्टिस चंद्रचूड़ की कही गई बात बेहद अहम है और इस पर अमल न करना लोकतंत्र के लिए अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।

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