नीतीश कुमार की ‘मिस्टर कूल’ वाली छवि क्यों बिगड़ी?
बिहार लोक संवाद डाॅट नेट
मिस्टर कूल माने जाने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आखिरकार अपना आपा खो ही दिया। वह भी विधानसभी सत्र के आखिरी दिन, सदन के अंदर, अपने दोस्त लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव के सामने। बात दरअसल ये थी कि 27 नवंबर को सदन के अंदर विपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने आरोप लगाया कि 1991 में सीएम पर हत्या का मुकदमा चला, जिसे बिना किसी पूछताछ के रफा-दफा कर दिया गया। कंटेंट चोरी के मामले में मुख्यमंत्री रहते नीतीश को 25 हजार रुपये का जुर्माना भरना पड़ा।
तेजस्वी ने सृजन घोटाले की भी चर्चा करते हुए कहा कि सीएम कहते हैं कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं थी। लेकिन सीएजी की रिपोर्ट, आरबीआई का पत्र, सीएमओ को भेजा गया मेल और बैंक का स्टेटमेंट सबकुछ हमलोगों के पास है। तेजस्वी ने यह भी आरोप लगाया कि सुशील मोदी की बहन रेखा मोदी के खाते में करोड़ों रुपये का ट्रांज़ैक्शन हुआ। जैसा कि आप जानते हैं सृजन घोटाल 2 हजार करोड़ रुपये का माना जाता है। तेजस्वी ने आरोप लगाया कि 15 साल के एनडीए शासनकाल में 30 हजार करोड़ के 60 घोटाले हुए।
तेजस्वी ने कहा कि हम मुद्दों पर चुनाव लड़ रहे थे जबकि मुख्य मंत्री लोगों के बच्चे गिन रहे थे। उन्होंने मेरे पिता लालू यादव के लेकर कहा कि लड़कियों पर भरोसा नहीं था तो वो लड़कों की चाहत में लड़कियां पैदा करते रहे। उन्हेंने पता कि हम दो भाइयों के बाद भी एक बहन है। तेजस्वी ने आगे कहा कि आपको एक ही बेटा है। लोग तो यह भी कह सकते हैं कि आपने बेटी के डर से दूसरी संतान ही पैदा नहीं की। तेजस्वी ने कहा कि पिछले सदन में कोरोना पर कमिटी गठित करने का फैसला हुआ था। अब तक कमिटी नहीं बनी। सदन में झूठ बोला जाए तो उससे बड़ी बात क्या होगी?
इसपर सदन में मौजूद नीतीश कुमार आपे से बाहर हो गए। उन्होंने तेजस्वी के बारे में कहा कि ये झूठ बोल रहा है, बकवास कर रहा है। उन्होंने कहा कि तेजस्वी को डिप्टी सीएम उन्होंने बनवाया, इसके अलावा इसके पिता लालू यादव को उन्होंने ही लोकदल में विधायक दल का नेता बनवाया था। बाद में सदन के बाहर मीडिया वालों से बातचीत करते हुए नीतीश ने आपा खोने पर सफाई दी। नीतीश ने कहा कि उनके बारे में सभी जानते हैं। उनकी कार्यशैली बिल्कुल बेदाग हैं।
इस बीच आरजेडी के सीनीयर लीडर शिवानंद तिवारी ने नीतीश कुमार के खिलाफ सख़्त बयान जारी किया है। उन्होंने कहा है कि नीतीश जी को इतना आपा खोते मैंने कभी नहीं देखा। आरोप उन्होंने तेजस्वी पर लगाया लेकिन आरोप तो नीतीश जी पर ही लगता है। शिवानंद ने कहा- याद कीजिए चुनाव के समय नीतीश ने तेजस्वी को क्या-क्या नहीं कहा! बोले- कहां से लाओगे 10 लाख लोगों को तनख्वाह देने का पैसा? बाप के पास से ले आओगे? जेल से ले आओगे? जाली नोट छापोगे? यह सब नीतीश जी के ही मुंह से निकला था। लेकिन तेजस्वी ने उस समय तो जवाब नहीं दिया।
शिवानंद ने कहा कि सदन के अंदर तेजस्वी का यह कहना तो बिल्कुल जायज और तार्किक है कि जब हमारा नाम सीबीआई ने चार्जशीट में दे दिया था तो आप मुझे जनता के बीच जाकर सफाई देने की सलाह दे रहे थे। लेकिन जब आप हत्या के केस में अभियुक्त बने या दूसरे की लिखी किताब अपने नाम से छपाने के अपराध में अभियुक्त बने तो अपने पद से न तो इस्तीफा दिया था और न ही जनता के बीच आपने सफाई ही दी थी। यह तो ईमानदारी नहीं है। अपने लिए एक कसौटी और अन्य के लिए दूसरी कसौटी! यह तो कहीं से नैतिक नहीं कहा जा सकता है। शिवानंद ने आगे कहा कि चुनावी जनसभा में तो नीतीश ने ही लालू यादव के बच्चों की संख्या गिनाई थी। आज मौका मिला तेजस्वी को तो उसने नीतीश को आईना दिखा दिया और नीतीश ने अपना आपा खो दिया। दरअसल नितीश जी अंदर से कमजोर हो चुके हैं। विधानसभा में उनकी कमजोरी बाहर आ गई। आगे उनको अपनी कमजोरी का और एहसास होगा जब गिरिराज सिंह जैसे लोग मांग करेंगे कि आप भी यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ की तरह लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाइए। उस समय नितीश जी का चेहरा देखने लायक होगा।
आपको बताते चलें कि आद्री नामक संस्था के मेम्बर सेक्रेट्री शैबाल गुप्ता के नाम से एक किताब छपी थी। इस किताब को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इंडोर्स किया था। इसी पर आपत्ति जाहिर करते हुए बिहार के रहने वाले और जेएनयू के फाॅर्मर स्काॅलर अतुल कुमार सिंह ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक मुकदमा दायर कर दिया। अतुल ने दावा किया था जिस किताब को शैबाल गुप्ता ने अपने नाम से छपवाया है और नीतीश कुमार ने इंडोर्स किया है, वह दरअसल उनका यानी अतुल का मूल रिसर्च वर्क है। यह रिसर्च वर्क 14 मई, 2009 को रिलीज हुआ था। यानी किताब आने के ठीक एक दिन पहले। किताब का नाम है- स्पेशल कटेगरी स्टैटस: ए केस फाॅर बिहार। अगस्त 2017 में कोर्ट ने इसपर अपना फैसला सुनाते हुए नीतीश पर 20 हजार रुपये का फाइन किया और कहा कि चूंकि नीतीश ने इस किताब को इंडोर्स किया था इसलिए वह बौद्धिक संपदा चोरी के दोषी हैं।
जहां तक सृजन घोटाले का मामला है, यह अगस्त 2017 में सामने आया था। भागलपुर के सृजन सहयोग महिला समिति नामक एनजीओ से जुड़ी सुशीला देवी पर आरोप है कि उसने राजनेताओं, नौकरशाहों और बैंक कर्मियों की मिलीभगत से विभिन्न योजनाओं के करोड़ों रुपये का घोटाला किया। इसी सृजन घोटाले में पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी की बहन रेखा मोदी और भतीजी उर्वशी मोदी को किए गए करोड़ों रुपये के भुगतान का आरोप है। इस सिलसिले में 6 सितंबर, 2018 को इंकम टैक्स डिपार्टमेंट ने रेखा मोदी के पटना स्थित आवास और बिजनेस संस्थान पर छापा भी मारा था।
बहरहला नीतीश और तेजस्वी के बीच पैदा हुई तल्खी से इस बात का अंदाजा तो लगाया ही जा सकता है कि बिहार के सियासी हालात में गर्मी बरकरार रहेगी।
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