छ्पी-अनछपी: संजीव हंस-गुलाब यादव के यहां ईडी के छापे, सहनी के पिता के मर्डर मामले में पूछताछ

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार सरकार के ऊर्जा सचिव संजीव हंस और पूर्व विधायक गुलाब यादव के यहां ईडी की छापेमारी हुई है। वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी के पिता के हत्या मामले में संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई है। जम्मू के डोडा जिले में आतंकवादी हमले में चार सैनिकों की जान चली गई। बांग्लादेश में आरक्षण पर भड़की हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई। आज के अखबारों की यह अहम खबरें हैं।

प्रभात खबर की दूसरी सबसे बड़ी खबर के अनुसार ईडी ने मंगलवार को बड़ी कार्रवाई की। पटना में ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव और बिजली बोर्ड के अध्यक्ष संजीव हंस के पटना स्थित आवास और कार्यालय में ईडी ने दबिश दी। वहीं, झंझारपुर के पूर्व विधायक गुलाब यादव के झंझारपुर के गंगापुर स्थित आवास, पटना, पुणे और दिल्ली सहित एक दर्जन से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की गई। ईडी सूत्रों का कहना है कि दोनों के बीच कारोबारी साझेदारी होने के भी संकेत मिल रहे हैं। यह छापे धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत मारे गए हैं। ईडी ने संजीव हंस के कार्यालय और आवास से कुछ दस्तावेज जब्त की है। गुलाब यादव के यहां से कंप्यूटर के हार्ड डिस्क, मेमोरी कार्ड, पेन ड्राइव, बैंक के पासबुक, लॉकर, ज्वेलरी और जमीन की दस्तावेज सहित कई चीजें जब्त की गई हैं। दोनों के ठिकानों पर सुबह 6:00 बजे एक साथ छापेमारी शुरू हुई थी।
मुकेश सहनी के पिता की हत्या मामले में पूछताछ
दरभंगा के एसएसपी जगुनाथ रेड्डी ने बताया है कि मुकेश सहनी के पिता की हत्या के मामले में हिरासत में लिए गए चार संदिग्धों से पूछताछ चल रही है। चारों सोमवार देर रात उनके घर पहुंचे थे। इनमें से दो को जीतन सहनी ने उधार पर पैसे दिए थे। दोनों के साथ जीतन सहनी की दो दिन पहले कहासुनी भी हुई थी। दोनों ने उन्हें सबक सिखाने की धमकी दी थी।
आंत बाहर आ गई थी
भास्कर की पहली सुर्खी है: सहनी के पिता की हत्या… इतने चाकू मारे कि आंत बाहर आ गई। बिहार के पूर्व मंत्री और वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी के 70 वर्षीय पिता जीतन सहनी की चाकू गोद कर हत्या कर दी गई। सोमवार की देर रात दरभंगा जिले के सुपौल बाजार के जिरात मोहल्ले स्थित उनके आवास से शव क्षत विक्षत हालत में बरामद किया गया। आशंका जताई जा रही है कि उनके पेट पर चाकू या किसी अन्य धारदार हथियार से हमला किया गया है। इससे उनकी आधी आंत बाहर निकल गई। उनके हाथ पर भी गहरे जख्म थे। घर के में गेट में अंदर से ताला लगा हुआ था, पीछे से घुसकर हत्या की गई है।
निषाद समाज के लिए काला दिन: सहनी
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर मुकेश सहनी ने लिखा, “मेरे पिता की बेरहमी से हत्या की गई है। उनका खून घर की दीवारों पर लगा है। निषाद समाज के लिए यह दिन काला दिवस के रूप में जाना जाएगा। उधर मुकेश सहनी के मामा शंभू सहनी ने कहा है कि हत्या के पीछे लेनदेन का मामला लग रहा है।
आतंकी हमले में चार सैनिकों की मौत
हिन्दुस्तान के अनुसार जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में सोमवार रात प्रतिबंधित संगठन जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में सेना के कैप्टन और तीन जवान शहीद हो गए। हमले की जिम्मेदारी जैश समर्थित संगठन ‘कश्मीर टाइगर्स’ ने ली है। बीते तीन सप्ताह में डोडा जिले के जंगलों में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच यह तीसरी बड़ी मुठभेड़ है। शहीद जवानों की पहचान दार्जिलिंग के कैप्टन बृजेश थापा, आंध्र प्रदेश निवासी नायक डी. राजेश, राजस्थान के झुंझुनू के सिपाही बिजेन्द्र और अजय कुमार के रूप में हुई है।
बख्तियारपुर में सड़क हादसे में 6 की मौत
जागरण के अनुसार बख्तियारपुर से हरनौत जाने वाली एनएच 20 पर पेट्रोल पंप के पास सोमवार की रात करीब 2:30 बजे तेज रफ्तार से स्कॉर्पियो सड़क किनारे खड़े बड़े ट्रक से टकरा गई। इसमें स्कॉर्पियो पर सवार चार लोगों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि आठ लोगों को गंभीर हालत में पास के मेडिकल कॉलेज और पीएमसीएच भेजा गया। इलाज के दौरान दो और लोगों की मौत हो गई। यह स्कॉर्पियो नवादा से बाढ़ की ओर जा रही थी। उसमें सवार सभी लोग मुंडन संस्कार के लिए बाढ़ के उमानाथ गंगा घाट जा रहे थे।
बांग्लादेश में हिंसा, पांच की मौत
हिन्दुस्तान के अनुसार बांग्लादेश की राजधानी ढाका के जहांगीर नगर विश्वविद्यालय में सोमवार देर रात सरकारी नौकरी में कोटा प्रणाली को लेकर हिंसक झड़प हुई। स्थिति संभालने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और लाठियां भाजीं, झड़प में 400 से ज्यादा लोग घायल हुए। वहीं पांच प्रदर्शनकारी भी मारे गए। जहांगीर विश्वविद्यालय के छात्रों ने कहा कि हम शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे, तभी सत्तारूढ़ अवामी लीग की छात्र इकाई के सदस्यों ने लाठी, पत्थर, छुरे और मोलोटोव कॉकटेल से हमला कर दिया। मंगलवार को भी बांग्लादेश के दर्जनों स्थानों पर छात्रों ने रैली निकाली, रेल सड़क और जलमार्गों को रोक दिया। छात्रों के समूहों में पत्थरबाजी भी हुई। पुलिस ने रबड़ की गोलियां भी दागीं ताकि प्रदर्शनकारी तितर-बितर हो सकें।
तांती-ततवां को एससी में शामिल करने का प्रस्ताव रद्द
जागरण की दूसरी सबसे बड़ी सुर्खी है: राज्य को अनुसूचित जाति की सूची में छेड़छाड़ का नहीं है हक: सुप्रीम कोर्ट। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्य को अनुसूचित जाति की सूचियों के साथ छेड़छाड़ का कोई अधिकार नहीं है। शीर्ष कोर्ट ने बिहार सरकार के 2015 के उस प्रस्ताव को रद्द कर दिया है जिसके तहत राज्य सरकार ने तांती-ततवां जाति को अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) से हटाकर अनुसूचित जाति में पान-सवासी जाति के साथ शामिल किया था। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने कहा कि राज्य सरकार के पास संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत प्रकाशित अनुसूचित जाति की सूची के साथ छेड़छाड़ करने की कोई क्षमता या अधिकार नहीं है।
कुछ और सुर्खियां
● अररिया में बही 20 वर्ष पहले बनी पुलिया, एक साल पहले कराई गई थी मरम्मत
● बिहार विधान मंडल का मानसून सत्र 22 से, 21 जुलाई को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक
● नीट यूजी पेपर लीक मामले में सीबीआई ने दो और आरोपितों को गिरफ्तार किया
● बिहार में सस्ता होगा रेलवे प्लेटफार्म का टिकट, इस पर लगने वाला जीएसटी खत्म
● भागलपुर के कहलगांव में गंगा नदी खतरे के निशान के ऊपर, खेतों में पानी फैला
● कांग्रेस नेता राहुल गांधी का बयान: गलत नीतियों का खामियाजा भुगत रहे हमारे सैनिक
● महाराष्ट्र की विवादित आईएएस ऑफिसर पूजा खेडकर एकेडमी बुलाई गईं
अनछपी: बिहार के मुख्यमंत्री इंजीनियर नीतीश कुमार की ज्यादा चर्चा सोशल इंजीनियरिंग के लिए होती है और उन्होंने इसका इस्तेमाल अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत करने के लिए किया है। बिहार में ओबीसी कैटेगरी के अलावा ईबीसी कैटेगरी बनाना और दलित के अलावा महादलित जैसी श्रेणियां बनाकर उन्होंने अपनी राजनीति की धार तेज़ की लेकिन सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले में उनकी सरकार के बारे में जो गंभीर टिप्पणी की है वह सबके लिए विचारणीय है। इससे लगता है कि नीतीश कुमार ने मनमानी ढंग से जातियों को अलग-अलग श्रेणियां में लाया है। यह मामला तांती ततवां को अनुसूचित जाति (एससी) में लाने का है। यह मामला 2015 का है और सुप्रीम कोर्ट ने अब जाकर यह फैसले में कहा है कि सरकार का यह फैसला सही नहीं था। अब सवाल यह है कि इन 9 सालों में अनुसूचित जाति में होने का जो लोग लाभ उठा चुके उनका क्या होगा? बहरहाल, असली बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य की कार्रवाई दुर्भावनापूर्ण और संवैधानिक प्रावधानों की अवहेलना करने वाली है। राज्य को इसके द्वारा की गई शरारत के लिए माफ नहीं किया जा सकता। ध्यान में रखने वाली बात यह है कि नीतीश कुमार सरकार ने 2011 में तांती ततवां को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करने के लिए अपना अनुरोध केंद्र को भेजा था लेकिन उसे समीक्षा के लिए वापस कर दिया गया था। लेकिन सरकार ने इसकी अनदेखी करते हुए 1 जुलाई 2015 को सर्कुलर जारी कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट के फैसले पर भी टिप्पणी की और कहा कि हाईकोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 341 का हवाला दिए बिना पूरी तरह से गलत आधार पर 2015 की अधिसूचना को बरकरार रखकर गंभीर गलती की है। सुप्रीम कोर्ट की इन टिप्पणियों से राज्य सरकार पर क्या प्रभाव पड़ेगा? सुप्रीम कोर्ट ने यह तो कह दिया कि राज्य को उसके द्वारा की गई शरारत के लिए माफ नहीं किया जा सकता है लेकिन इसके लिए सरकार को क्या सजा मिल सकती है? क्या सरकार के मुखिया को इसके लिए जिम्मेदार मानते हुए कोई सजा दी जा सकती है? इस कार्रवाई को शरारत और दुर्भावनापूर्ण कहने के बाद अगर किसी पर कोई कार्रवाई नहीं होती तो इस टिप्पणी का बहुत मतलब नहीं रह जाता है। अलबत्ता राजनीतिक दलों के लिए मुद्दा जरूर हो सकता है कि कैसे नीतीश कुमार सरकार ने संविधान की और सुप्रीम कोर्ट के शब्दों में दुर्भावनापूर्ण और शरारत भरा काम किया।

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