बिहार में आर्थिक तंगी सामूहिक आत्महत्या का बड़ा कारण, सुपौल में 5 की मौत पर समाज सकते में

बिहार लोक संवाद डॉट नेट
सुपौल जिले के राघोपुर थाना क्षेत्र राघोपुर पंचायत वार्ड 12 में शुक्रवार को मियां-बीवी और तीन बच्चों की आत्महत्या की खबर से समाज का संवेदनशील हिस्सा सकते में है।
इस सामूहिक आत्महत्या के पीछे ज़बरदस्त आर्थिक तंगी को कारण माना जा रहा है।
वरिष्ठ पत्रकार रमाशंकर का कहना है कि बिहार में इस साल सामूहिक आत्महत्या की यह दूसरी घटना है।
इसी साल जमुई जिले में रुखसाना खातून नाम की महिला ने अपने दो बच्चों के साथ आत्महत्या कर ली थी। हालांकि इसके पीछे पारिवारिक झगड़े को कारण बताया गया था।
पिछले साल दिसंबर में सीवान में अवधेश चौधरी नाम के आदमी ने अपने चार बच्चों को तेज धार वाले हथियार से काटकर मार डाला था। उसने खुद ज़हर खाकर जान देने की कोशिश की थी मगर किसी तरह बचाया गया। उसने अपनी बीवी और एक बेटी को बि जान से मारने की कोशिश की थी।
पिछले साल ही अगस्त में नवादा की महिला सुषमा देवी ने दो बच्चों के साथ तालाब में कूदकर जान दे दी थी। उस महिला के बारे में भी बताया गया कि अपने पति की मौत के बाद वह बहुत तंगी में रह रही थी।
पिछले ही साल मई में वैशाली के एक मियां-बीवी ने आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या कर ली थी।
इसके अलावा मुजफ्फरपुर, रोहतास, और सारण जिलों से भी आत्महत्या की खबर आ चुकी है।
सुपौल की ताज़ा घटना की जानकारी तब हुई जब शुक्रवार को उस घर से बदबू आने लगी। एक अखबार की रिपोर्ट के अनुसार आश्चर्यजनक रूप से सभी मृतकों के शरीर पर कपड़े नए थे। इस घटना की जानकारी गांव वालों ने मुखिया मोहम्मद तस्लीम को दी। मुखिया ने जब उस घर की खिड़की तुड़वाई तो पांचों की लाश नायलॉन की रस्सी से लटकी हुई मिली। उनकी लाशों का कुछ हिस्सा गला हुआ मिला।
जिस मिश्रीलाल साह ने अपनी बीवी और बच्चों के साथ यह सामूहिक आत्महत्या की है, उसके बारे में सबकी राय है कि वह अपने हिस्से का खेत बेचने के बावजूद तंगी में था। पहले वह रिक्शा चलाता था। उसने कोयले की दुकान खोली और पोल्ट्री फार्म खोला मगर कामयाबी नहीं मिली।
कुछ लोगों का यह भी कहना है कि उसकी बड़ी बेटी ने अपनी मर्ज़ी से शादी कर ली थी, इसलिए वह सदमे में रहता था। यह भी कहा जा रहा कि गांव वालों से उसका मिलना जुलना भी कम था। आखिरी बार उसे जन वितरण प्रणाली की दुकान पर देखा गया था।
एएन सिंह इंस्टिट्यूट के पूर्व निदेशक और समाजशास्त्री डीएम दिवाकर का कहना है कि आर्थिक तंगी, रोज़गार में नाकामी और रिश्तों में दरार की वजह से अक्सर लोग डिप्रेशन में चले जाते हैं और आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं।
इस बीच जमाअत इस्लामी हिन्द के कोशी क्षेत्र अध्यक्ष मिन्नतुल्ला सिद्दीकी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने पीड़ित परिवार के घर पहुंचकर पड़ोसियों से इस घटना की जानकारी ली। उन्होंने समाज में आर्थिक तंगी से गुजरने वाले परिवार के प्रति सामाजि ज़िम्मेदारी पर बल दिया और कहा कि हमें ऐसे परिवारों की आर्थिक और भावनात्मक मदद करनी चाहिए ताकि ऐसी घटना फिर न हो।

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