बिहार की विशेष निगरानी इकाई को कर्मचारियों का टोटा, 2 सालों में कोई खास काम नहीं

बिहार लोक संवाद डॉट नेट
बिहार की विशेष निगरानी इकाई ने, जो निगरानी विभाग के अंतर्गत काम करती है, पिछले 2 सालों में कोई खास काम नहीं किया है।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए स्पेशल विजिलेंस यूनिट यानी एसवीयू बहुत ही अहमियत रखने वाली इकाई है। यह इकाई वरिष्ठ सरकारी कर्मचारियों को भ्रष्टाचार के मामले में पकड़ने के लिए बनाई गई थी। आजकल इस इकाई को कर्मचारियों का गंभीर टोटा है।
इस इकाई के लिए पूर्व सीबीआई अफसरों पर आधारित एसपी के छह पद निर्धारित किए गए थे। यह कॉन्ट्रैक्ट के पद थे। 14 साल बाद इस इकाई में आज के दिन महज एक रिटायर्ड अफसर इस इकाई में बचे हैं। वे भी जल्द ही रिटायर होने वाले हैं। ऐसे में अगले माह से यह इकाई सीबीआई के अफ़सरों से पूरी तरह खाली हो सकता है क्योंकि नई बहाली के लिए कोई प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है।
वरिष्ठ पत्रकार अविनाश कुमार की एक रिपोर्ट के मुताबिक इसकी स्थापना 2006 में हुई थी। इसमें सीबीआई के रिटायर्ड कर्मचारियों को भी शामिल किया गया था। इसके लिए सरपेंटाइन रोड में एक अलग मुख्यालय बनाया गया था।
अपने 14 साल के कार्यकाल में एसजीयू ने सिर्फ 22 केस दर्ज कराए हैं। इनमें से अधिकतर का कोई अंतिम परिणाम सामने नहीं आया है। सूत्रों के मुताबिक सिर्फ 12 मामलों में चार्जशीट दाखिल हुई है, 10 दूसरे मामलों में जांच जारी है।
एसवीयू की जांच के दायरे में आने वाले सबसे नामी अधिकारी थे पूर्व डीजीपी नारायण मिश्रा। वह इसके पहले शिकार बने थे। उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में 6 फरवरी 2007 को केस दर्ज कराया गया था। सूत्रों के मुताबिक उन्होंने 1.35 करोड़ रुपये की आय से अधिक संपत्ति अर्जित की थी। श्री मिश्रा उस समय होमगार्ड्स और अग्निशमन सेवा के महानिदेशक थे।
लघु सिंचाई विभाग के सचिव एसएस वर्मा दूसरे प्रशासनिक अधिकारी थे जो एसवीयू के हत्थे चढ़े थे। उनके खिलाफ 3 जुलाई 2007 को आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया गया था। उनकी आय से अधिक संपत्ति को 1.43 करोड़ रुपए का आंका गया था।
एसवीयू ने 14 जनवरी 2019 को अंतिम दिए केस दर्ज कराया था। यह केस उस समय के उद्योग विभाग के संयुक्त निदेशक संजय कुमार सिंह के खिलाफ दर्ज किया गया था।
इस इकाई का नेतृत्व एडीजी सुनील कुमार कर रहे हैं।

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